शासन व्यवस्था
भारत में कैंसर का प्रभाव
प्रीलिम्स के लिये:WHO, विश्व कैंसर दिवस मेन्स के लिये:भारत में कैंसर से संबंधित मुद्दे, भारत में स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे, स्वास्थ्य की दिशा में उठाए गए कदम |
चर्चा में क्यों?
विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने कैंसर पर दो वैश्विक रिपोर्ट् जारी की हैं। ध्यातव्य है कि 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- भारत में कैंसर के बोझ और पैटर्न पर WHO की रिपोर्ट्स (WHO Reports on Cancer Burdens and Patterns in India) का उद्देश्य कैंसर पर वैश्विक एजेंडा तैयार करना, हितधारकों को जुटाना और कैंसर नियंत्रण एवं सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में निवेश के लिये देशों की प्राथमिकताएँ निर्धारित करना है।
- WHO के अनुसार, कैंसर वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है और वर्ष 2018 में हुई अनुमानित 9.6 मिलियन मौतों के लिये ज़िम्मेदार है। ध्यातव्य है कि वैश्विक स्तर पर 6 में से 1 मौत कैंसर के कारण होती है।
रिपोर्ट में निहित मुख्य बिंदु
- WHO की रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रत्येक 10 में से 1 भारतीय अपने जीवनकाल में कैंसर के कारण प्रभावित होता है तथा भारत में प्रत्येक 15 कैंसर रोगियों में से 1 की मृत्यु हो जाती है।
- वर्ष 2018 में भारत में कैंसर के बोझ और पैटर्न पर WHO की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की 1.35 बिलियन जनसंख्या में कैंसर के अनुमानतः 1.16 मिलियन तथा कैंसर से मृत्यु के 7,84,800 मामले सामने आए हैं।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कैंसर के 6 प्रमुख मामले स्तन का कैंसर (1,62,500 मामले), मुँह का कैंसर (1,20,000 मामले), सर्वाइकल कैंसर (97,000 मामले), फेफड़े का कैंसर (68,000 मामले), पेट का कैंसर (57,000 मामले) एवं कोलोरेक्टल कैंसर (57,000 मामले) के हैं। ध्यातव्य है कि यह कैंसर के कुल मामलों का 49% है।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में पुरुषों में कैंसर के 5.70 लाख नए मामलों में मुँह का कैंसर (92,000 मामले), फेफड़े का कैंसर (49,000 मामले), पेट का कैंसर (39,000 मामले), कोलोरेक्टल कैंसर (37,000 मामले), और ग्रासनली का कैंसर (34,000 मामले) प्रमुख है जो पुरुषों में कैंसर के कुल नए मामलों का 45% है।
- महिलाओं में कैंसर के 5.87 लाख नए मामलों में स्तन का कैंसर (1,62,500 मामले), सर्वाइकल कैंसर (97,000मामले), अंडाशयी कैंसर (36,000 मामले), मुँह का कैंसर (28,000 मामले) और कोलोरेक्टल कैंसर (20,000 मामले) प्रमुख है जो महिलाओं में कैंसर के कुल नए मामलों का 60% है।
- रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू से संबंधित कैंसर पुरुषों में कुल कैंसर मामलों का 34-69 प्रतिशत और महिलाओं में कुल कैंसर मामलों का 10-27 प्रतिशत है।
- गौरतलब है कि पुरुषों के जीवन में 40 वर्ष से 70 वर्ष की आयु के दौरान मुँह के कैंसर की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है जिसका मुख्य कारण सुपारी और पान मसाला युक्त पदार्थों को चबाना है।
विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) से संबंधित तथ्य
- विश्व कैंसर दिवस, अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण के लिये संघ (Union for International Cancer Control- UICC) की एक पहल है।
- विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत 4 फरवरी, 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिये कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन (World Summit Against Cancer for the New Millennium) में हुई थी।
- ध्यातव्य है कि पेरिस चार्टर का उद्देश्य अनुसंधान को बढ़ावा देना, कैंसर को रोकना, रोगी देखभाल सेवाओं में सुधार, जागरूकता बढ़ाना, वैश्विक समुदाय को कैंसर की रोकथाम के लिये संगठित करना और विश्व कैंसर दिवस को अपनाना है।
- वर्ष 2020 में 20वाँ विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है और इस वर्ष इसका विषय (Theme) ‘I Am And I Will’ है।
- विश्व कैंसर दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को इस बीमारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये जागरूक बनाकर कैंसर से होने वाली मौतों को कम करना है|
कैंसर के कारण
- कैंसर एक मल्टीस्टेज प्रक्रिया है जिसमें सामान्य कोशिकाएँ ट्यूमर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं।
- कैंसर के प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
- भौतिक कारक, जैसे- पराबैंगनी और आयनकारी विकिरण के संपर्क में आने से कैंसर होने का खतरा रहता है।
- रासायनिक कारक, जैसे- एस्बेस्टस, तंबाकू के धुएँ के घटक, एफ्लाटॉक्सिन (एक खाद्य संदूषक) और आर्सेनिक युक्त जल का उपयोग कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है।
- जैविक कारक, जैसे- वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी से संक्रमण भी कैंसर का एक प्रमुख कारण है।
कैंसर से बचाव के उपाय
- जीवनशैली में अनुकूल परिवर्तन।
- वज़न को नियंत्रण में रखना।
- सक्रिय बने रहना।
- नियमित स्वास्थ्य जाँच एवं समय- समय पर कैंसर की जाँच कराना।
- चेतावनी के संकेत एवं लक्षणों के बारे में जानना।
- सुरक्षित यौन व्यवहार को अपनाना।
- पर्यावरणीय कार्सिनोजेन तत्त्वों के जोखिम से बचाव।
- धूम्रपान और शराब का सेवन न करना।
- मसालेदार, तली हुई, संरक्षित और जंक फूड से परहेज करना।
आगे की राह
- विभिन्न देशों की सरकारों को अपने देश के नागरिकों की कैंसर जैसी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को दूर करने हेतु जागरूकता अभियान, बेहतर उपचार एवं उपचार पश्चात् देखभाल की व्यवस्था करनी चाहिये।
- चूँकि देश में तंबाकू के कारण होने वाले कैंसर के मामले ज़्यादा हैं, इसलिये धूम्रपान रहित तंबाकू पर अंकुश लगाने के लिये राज्यों द्वारा कड़े कदम उठाए जाने चाहिये।
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ब्लू डॉट नेटवर्क
प्रीलिम्स के लिये:ब्लू डॉट नेटवर्क मेन्स के लिये:ब्लू डॉट नेटवर्क और भारत |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले ब्लू डॉट नेटवर्क (Blue Dot Network- BDN) में भारत के शामिल होने की संभावना है।
मुख्य बिंदु:
- BDN की औपचारिक घोषणा 4 नवंबर, 2019 को थाईलैंड के बैंकॉक में इंडो-पैसिफिक बिज़नेस फोरम (Indo-Pacific Business Forum) में की गई थी।
- इसका नेतृत्व जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका भी करेगा।
क्या है ब्लू डॉट नेटवर्क?
- यह वैश्विक अवसंरचना विकास हेतु उच्च-गुणवत्ता एवं विश्वसनीय मानकों को बढ़ावा देने के लिये सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को एक साथ लाने की एक बहु-हितधारक पहल है।
- यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ-साथ यह विश्व स्तर पर सड़क, बंदरगाह एवं पुलों के लिये मान्यता प्राप्त मूल्यांकन और प्रमाणन प्रणाली के रूप में काम करेगा।
- इसके तहत अवसंरचनात्मक परियोजनाओं को ऋण, पर्यावरण मानकों, श्रम मानकों आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा।
- यह प्रणाली किसी भी लोकतांत्रिक देश की उन परियोजनाओं पर लागू होगी जहाँ नागरिक ऐसी परियोजनाओं का मूल्यांकन करना चाहते हैं।
- विश्व स्तर पर BDN प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये मान्यता प्राप्त स्वीकृति के तौर पर काम करेगा जिसका उद्देश्य लोगों को यह बताना कि परियोजनाएँ टिकाऊ हैं न कि शोषणकारी।
- इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) को काउंटर करने के रूप में देखा जा रहा है। हालाँकि BRI के विपरीत BDN किसी परियोजना के लिये सार्वजनिक ऋण की पेशकश नहीं करेगा।
- गौरतलब है कि भारत, चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल नहीं है।
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI):
- BRI एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका के बीच भूमि और समुद्र क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये चीन द्वारा संचालित परियोजनाओं का एक सेट है।
- इस परियोजना की परिकल्पना वर्ष 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी। हालाँकि चीन इस बात से इनकार करता है किंतु इसका प्रमुख उद्देश्य चीन द्वारा वैश्विक स्तर पर अपना भू-राजनीतिक प्रभुत्व कायम करना है।
- BRI पहल चीन द्वारा प्रस्तावित एक महत्त्वाकांक्षी आधारभूत ढाँचा विकास एवं संपर्क परियोजना है जिसका लक्ष्य चीन को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के माध्यम से यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ना है।
- BRI को 'सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी की सामुद्रिक सिल्क रोड के रूप में भी जाना जाता है।
- विश्व की 70% जनसंख्या तथा 75% ज्ञात ऊर्जा भंडारों को समेटने वाली यह परियोजना चीन के उत्पादन केंद्रों को वैश्विक बाज़ारों एवं प्राकृतिक संसाधन केंद्रों से जोड़ेगी।
- BRI के तहत पहला रूट जिसे चीन से शुरू कर रूस और ईरान होते हुए इराक तक ले जाने की योजना है, जबकि इस योजना के तहत दूसरा रूट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से श्रीलंका और इंडोनेशिया होकर इराक तक ले जाया जाना है।
- BRI वास्तव में चीन द्वारा परियोजना निर्यात करने का माध्यम है जिसके ज़रिये वह अपने विशाल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग बंदरगाहों के विकास, औद्योगिक केंद्रों एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रों के विकास के लिये कर वैश्विक शक्ति के रूप में उभरना चाहता है।
स्रोत- द हिंदू
सामाजिक न्याय
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना पुरस्कार
प्रीलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना पुरस्कार मेन्स के लिये:प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना संबंधी विभिन्न मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और ज़िलों को उनके सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रदर्शन के लिये प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana-PMMVY) पुरस्कार प्रदान किये गए।
मुख्य बिंदु:
- इन पुरस्कारों की घोषणा 2 से 8 दिसंबर, 2019 तक आयोजित मातृ वंदना सप्ताह के दौरान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के योजना संबंधी कार्य प्रदर्शन के लिये की गई थी।
- 2 से 8 दिसंबर, 2019 तक आयोजित मातृ वंदना सप्ताह का विषय ‘स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण की ओर – सुरक्षित जननी, विकसित धारिणी’ (Towards building a healthy nation – Surakshit Janani, Viksit Dharini) था।
पृष्ठभूमि:
- PMMVY एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है, जो 01 जनवरी, 2017 से देश के सभी ज़िलों में लागू किया जा रहा है।
- इस योजना के तहत मातृत्व और बाल स्वास्थ्य से संबंधित विशिष्ट शर्तों को पूरा करने वाले परिवारों के पहले जीवित बच्चे के जनन पर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के बैंक/पोस्ट ऑफिस खाते में 5,000 रुपए की नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
योजना का क्रियान्वयन:
- यह योजना महिला एवं बाल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग के माध्यम से चलाई जा रही है।
- इस योजना के लिये केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों मे संचालित आँगनवाड़ी सर्विसेज़ स्कीम ऑफ अम्ब्रेला (Anganwadi Services Scheme of Umbrella ICDS) के प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है।
- यह योजना एमआईएस सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग (MIS Software Application) आधारित वेब के माध्यम से चलाई जा रही है और कार्यान्वयन का केंद्रबिंदु आँगनवाड़ी केंद्र और आशा/एएनएम हैं।
PMMVY पुरस्कारों का वितरण:
- एक करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को इस योजना के प्रारंभ होने से वर्तमान समय तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की श्रेणी में पहला पुरस्कार मध्य प्रदेश, दूसरा आंध्र प्रदेश और तीसरा हरियाणा को प्रदान किया गया।
- एक करोड़ से कम आबादी वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में दादरा एवं नगर हवेली को पहला स्थान, हिमाचल प्रदेश को दूसरा और चंडीगढ़ को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ।
- एक करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये ज़िला स्तर पुरस्कारों में पहला स्थान मध्य प्रदेश के इंदौर, दूसरा स्थान आंध्र प्रदेश के कुर्नूल और तीसरा स्थान असम के दक्षिण सलमारा मनकाचार (South Salmara Mankachar) को प्राप्त हुआ।
- एक करोड़ से कम आबादी वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के ज़िलों में पहला स्थान मिज़ोरम में सेरछिप (Serchhip), दूसरा स्थान हिमाचल प्रदेश के ऊना (Una) और तीसरा स्थान पुद्दुचेरी को प्राप्त हुआ।
- एक करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शन के लिये पहला स्थान आंध्र प्रदेश, दूसरा महाराष्ट्र और तीसरा मध्य प्रदेश को प्राप्त हुआ।
- एक करोड़ से कम आबादी वाले उन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों जिन्होंने मातृ वंदना सप्ताह के दौरान उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शन के लिये पहला स्थान दादरा एवं नगर हवेली दूसरा स्थान सिक्किम को और तीसरा स्थान मणिपुर को प्राप्त हुआ।
पुरस्कार वितरण का उद्देश्य:
- इन पुरस्कारों को बाँटने का उद्देश्य PMMVY के कार्यान्वयन में बढ़ोतरी करना तथा राज्यों में स्वस्थ प्रतियोगिता का सृजन करना है।
आगे की राह:
- इस समारोह में प्रतिभागियों से अनुरोध किया गया कि मातृत्व में प्रवेश करने वाली युवा लड़कियों के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिये वे ज़िलों में जन जागरूकता अभियान चलाएँ।
- ध्यातव्य है कि पोषण माह मार्च 2020 में मनाया जाएगा।
- तमिलनाडु, असम, त्रिपुरा और मणिपुर राज्यों में इस योजना के कार्यान्वयन की सफलता ने यह सिद्ध किया है कि अगर ज़िला प्रशासन, राज्य और केंद्र सरकार किसी योजना की सफलता के लिये मिलकर काम करने का निर्णय लें तो कुछ भी असंभव नहीं है।
स्रोत- पीआईबी
सामाजिक न्याय
भारत में लापता महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट
प्रीलिम्स के लिये:राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो मेन्स के लियेराष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी भारत में लापता महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau- NCRB) द्वारा ‘भारत में लापता महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट’ (Report on Missing Women and Children in India) जारी की गई है।
मुख्य बिंदु:
- NCRB की इस रिपोर्ट में वर्ष 2016, 2017 और 2018 में जारी ‘भारत में वार्षिक अपराध संबंधी रिपोर्ट’ (Annual Crime in India Report) के आँकड़ों को आधार बनाया गया है।
- वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने NCRB को लापता व्यक्तियों (विशेषकर महिलाओं और बच्चों) से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण करने का निर्देश दिया था, ताकि इन व्यक्तियों की तस्करी किये जाने वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सके।
रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख आँकड़े:
- देश में लापता होने वाली महिलाओं और बच्चों की सर्वाधिक संख्या के मामले में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
- इन दोनों राज्यों में वर्ष 2016, 2017 और 2018 के दौरान सभी राज्यों की तुलना में लापता बच्चों और महिलाओं के मामलों की अधिकतम संख्या दर्ज की गई।
महिलाओं से संबंधित आँकड़े:
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016, 2017 और 2018 के दौरान महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा महिलाएँ लापता हुईं।
- महाराष्ट्र में वर्ष 2016 में 28,316 महिलाएँ, वर्ष 2017 में 29,279 और 2018 में 33,964 महिलाएँ लापता हुईं।
- महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे में ऐसी घटनाओं की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई, मुंबई में जहाँ वर्ष 2017 और 2018 में क्रमशः 4,718 और 5,201 महिलाएँ लापता हुईं, वहीं पुणे में समान अवधि के दौरान क्रमशः 2,576 और 2,504 महिलाएँ लापता हुईं।
- पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016, 2017 और 2018 के दौरान लापता महिलाओं की संख्या क्रमशः 24,937, 28,133 और 31,299 थी।
- मध्य प्रदेश में वर्ष 2016, 2017 और 2018 के दौरान क्रमशः 21,435, 26,587 और 29,761 महिलाओं के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई।
बच्चों से संबंधित आँकड़े:
- वर्ष 2016, 2017 और 2018 के दौरान देश भर में क्रमशः 63,407, 63,349 और 67,134 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई।
- वर्ष 2016, 2017 और 2018 के दौरान सर्वाधिक लापता बच्चों की रिपोर्ट क्रमशः महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के इंदौर में सर्वाधिक लापता बच्चों से संबंधित रिपोर्ट में यह संख्या वर्ष 2017 और 2018 के दौरान क्रमशः 596 और 823 थी।
- मध्य प्रदेश के ही सतना ज़िले में लापता बच्चों की संख्या वर्ष 2017 के 360 से बढ़कर वर्ष 2018 में 564 हो गई।
- पश्चिम बंगाल के कोलकाता ज़िले में वर्ष 2018 के दौरान लापता बच्चों की सर्वाधिकसंख्या (989) पाई गई।
- बांग्लादेश की सीमा से सटे नादिया ज़िले में लापता बच्चों की संख्या वर्ष 2017 के 291 से बढ़कर वर्ष 2018 में 474 हो गई।
आँकड़े जारी करने का उद्देश्य:
- NCRB के अनुसार, इस अध्ययन का उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना है जहाँ लापता व्यक्तियों (विशेषकर महिलाओं और बच्चों) के पंजीकृत मामले अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक हैं।
- देश के कुछ हिस्से जिनमें ऐसी घटनाओं की दर उच्च है, ऐसे क्षेत्र बच्चे/महिलाओं की तस्करी (Child/Women Trafficking) के स्रोत या पारगमन गंतव्यों में से एक हो सकते हैं। इन स्थानों के बारे में जानकारी होने से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये किये जाने वाले प्रयासों में वृद्धि होगी।
स्रोत- द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
आर्द्रभूमि: समस्त विश्व और भारत के लिये महत्त्वपूर्ण क्यों?
प्रीलिम्स के लिये:विश्व आर्द्र्भूमि दिवस मेन्स के लिये:आर्द्र्भूमियों का महत्त्व तथा भारत में आर्द्र्भूमियों की स्थिति |
संदर्भ
2 फरवरी, 2020 को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) मनाया गया। वर्ष 1971 में इसी दिन आर्द्रभूमियों पर रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention on Wetlands) को (रामसर, ईरान में) अपनाया गया था। हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने घोषणा की है कि रामसर कन्वेंशन ने भारत से 10 आर्द्रभूमियों को ‘अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व’ के स्थलों के रूप में घोषित किया गया है, जिसके बाद देश में रामसर स्थलों की कुल संख्या 37 हो गई हैं।
आर्द्रभूमियों पर अधिक ध्यान क्यों दिया जा रहा है?
- रामसर कन्वेंशन के तहत आर्द्रभूमि की परिभाषा में दलदली भूमि, बाढ़ के मैदान, नदियाँ और झीलें, मैंग्रोव, प्रवाल भित्तियाँ और अन्य समुद्री क्षेत्र शामिल हैं जो कम ज्वार पर 6 मीटर से अधिक गहरे नहीं हैं, साथ ही मानव निर्मित आर्द्रभूमियों जैसे अपशिष्ट-जल उपचार वाले तालाब और जलाशय भी इसमें शामिल हैं।
- IPBES (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services), वैश्विक मूल्यांकन ने आर्द्रभूमि को सबसे अधिक खतरे वाले पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में चिह्नित किया है।
- यूनेस्को के अनुसार, यह दुनिया की 40% वनस्पतियों और वन्यजीवों को प्रभावित करता है जो आर्द्रभूमियों में निवास या प्रजनन करते हैं।
- भूमि आधारित कार्बन का तीस प्रतिशत पीटलैंड में संग्रहीत है; एक अरब लोग अपनी आजीविका के लिये आर्द्रभूमि पर निर्भर हैं; आर्द्रभूमियाँ आवश्यक सेवाओं में सालाना 47 ट्रिलियन डॉलर का योगदान करती हैं।
- इस वर्ष आर्द्रभूमि दिवस की थीम ‘वेटलैंड्स और जैव-विविधता’ (Wetlands and Biodiversity) है।
भारत में आर्द्रभूमि स्थिति
- आर्द्रभूमियों को आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम (Wetlands (Conservation and Management) Rules,) , 2017 के तहत विनियमित किया जाता है। सेंट्रल वेटलैंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Central Wetland Regulatory Authority) के लिये प्रदत्त नियमों का 2010 संस्करण; 2017 के नियमों ने इसे राज्य-स्तरीय निकायों के साथ परिवर्तित कर एक राष्ट्रीय आर्द्रभूमि समिति (National Wetland Committee) बनाई, जो एक सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करती है। नए नियमों ने ‘आर्द्रभूमि’ की परिभाषा से कुछ वस्तुओं को हटा दिया, जिनमें बैकवाटर, लैगून, क्रीक और एश्च्युरी शामिल हैं।
- भारत में कुल आर्द्रभूमि 1,067,939 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई हैं, जो भारत के लगभग 1.6 करोड़ हेक्टेयर या 4.5% क्षेत्र को कवर करती हैं।
- फरवरी 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने 2010 के नियमों (के नियम 4) के तहत इनमें से 2,01,503 हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षण प्रदान किया है और अधिकारियों को इन स्थलों को अधिसूचित करने का आदेश दिया। 2017 के नियम लागू होने के 180 दिन बाद (25 सितंबर, 2017) तक आर्द्रभूमियों को 25 मार्च, 2019 तक अधिसूचित किया जाना था। हालाँकि अभी तक एक भी आर्द्रभूमि को अधिसूचित नहीं किया गया है। इसरो की सैटेलाइट इमेजरी (ISRO’s satellite imagery) के ज़रिये 2.25 हेक्टेयर में फैले 2,01,503 वेटलैंड्स की पहचान की गई है।
- अक्तूबर 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने आर्द्रभूमियों के गायब होने पर चिंता व्यक्त की, यदि कोई आर्द्रभूमि नहीं बचेगी, तो यह कृषि और कई अन्य चीजों को भी प्रभावित करेगा। यह एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।
रामसर स्थल घोषित किये जाने का क्या अर्थ है?
- हाल ही में रामसर कन्वेंशन के तहत शामिल किये गए भारतीय स्थलों को ‘अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि’ के रूप में अधिसूचित किया गया है। इन स्थलों को न केवल उन देशों के लिये महत्त्वपूर्ण माना गया है, जहाँ वे स्थित हैं, बल्कि समग्र मानवता के लिये महत्त्वपूर्ण माना गया है।
नवघोषित 10 आर्द्रभूमि स्थल
- घोषित नए 10 आर्द्रभूमि स्थलों में शामिल हैं- नंदुर मदमहेश्वर (Nandur Madhameshwar), महाराष्ट्र केशोपुर-मियाँ (Keshopur-Mian), पंजाब ब्यास कंज़र्वेशन रिज़र्व (Beas Conservation Reserve), पंजाब नांगल (Nangal), पंजाब नवाबगंज (Nawabganj), उत्तर प्रदेश पार्वती आगरा (Parvati Agara), उत्तर प्रदेश समन (Saman), उत्तर प्रदेश समसपुर (Samaspur), उत्तर प्रदेश सांडी (Sandi) आर्द्रभूमि, उत्तर प्रदेश सरसई नवार (Sarsai Nawar), उत्तर प्रदेश।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 फरवरी, 2020
नाविकों के क्षमता प्रमाणपत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नाविकों के लिये प्रशिक्षण, प्रमाणन एवं निगरानी मानक, 1978 पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के विनियम 1/10 के अनुरूप नाविकों की क्षमता के प्रमाणपत्रों की मान्यता के लिये समझौता ज्ञापन को अपनी मंज़ूरी दे दी है। इस समझौते के माध्यम से भारतीय नाविकों को जहाज़रानी महानिदेशालय द्वारा जारी प्रमाण-पत्रों को दूसरे देशों से मान्यता मिलना आसान होगा। इससे भारतीय नाविक रोज़गार के लिये अन्य देशों में भी जा सकेंगे और इस तरह रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे।
कोरोना वायरस- केरल में राज्य आपदा घोषित
केरल सरकार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति को राज्य आपदा घोषित कर दिया है। ध्यातव्य है कि राज्य में इस घातक वायरस के संक्रमण संबंधी 3 मामलों की पुष्टि होने के बाद यह कदम उठाया गया है। कोरोना वायरस से प्रभावित चीन सहित अन्य देशों से आए लगभग 2,239 लोगों पर राज्य सरकार द्वारा निगरानी रखी जा रही है। कोरोना वायरस एक विशिष्ट वायरस फैमिली से संबंधित है। इस वायरस फैमिली में कुछ वायरस सामान्य रोगों जैसे- सर्दी, जुकाम और कुछ गंभीर रोगों जैसे श्वसन एवं आँत के रोगों का कारण बनते हैं। कोरोना वायरस की सतह पर क्राउन (Crown) जैसे कई उभार होते हैं, इन्हें माइक्रोस्कोप में देखने पर सौर कोरोना जैसे दिखते हैं। इसलिये इसका नाम ‘कोरोना वायरस’ है।
‘संतुष्ट’ पोर्टल
केंद्रीय श्रम व रोज़गार मंत्रालय ने श्रमिकों व रोज़गार प्रदाताओं की शिकायतों का निवारण करने के लिये ‘संतुष्ट’ नाम से एक पोर्टल लॉन्च किया है। पोर्टल के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा तथा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employment Provident Fund Organization-EPFO) की सेवाओं के साथ-साथ कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employment State Insurance Corporation-ESIC) की सेवाओं की निगरानी भी की जाएगी।
ऑस्ट्रेलियन ओपन
नोवाक जोकोविच ने आठवीं बार वर्ष के पहले ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीत लिया है। उन्होंने टूर्नामेंट के फाइनल में ऑस्ट्रिया के डोमिनिक थिएम को हराकर यह जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही नोवाक जोकोविक नवीन विश्व रैंकिंग में राफेल नडाल को हटाकर विश्व के शीर्ष खिलाड़ी बन जाएंगे। ऑस्ट्रेलियन ओपन चार ग्रैंड स्लैम टेनिस टूर्नामेंट में से एक है, अन्य तीन ग्रैंड स्लैम- फ्रेंच ओपन, विंबलडन और यूएस ओपन हैं। ये ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन (ITF) द्वारा संचालित किया जाता हैं।