भारतीय विरासत और संस्कृति
राखीगढ़ी
प्रीलिम्स के लिये:राखीगढ़ी हड़प्पा स्थल मेन्स के लिये:राखीगढ़ी का ऐतिहासिक महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय बजट-2020 में हरियाणा राज्य के राखीगढ़ी (Rakhigarhi) नामक हड़प्पा स्थल को एक प्रतिष्ठित स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई तथा यहाँ एक राष्ट्रीय संग्रहालय भी स्थापित किया जायेगा।
मुख्य बिंदु:
- हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) के सबसे बड़े स्थलों में से एक राखीगढ़ी भारत में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।
हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation):
- इसे सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) भी कहा जाता है।
- यह लगभग 2,500 ईसा पूर्व में यह समकालीन पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में विकसित हुई।
- वर्ष 1920 के दशक में भारतीय पुरातत्त्व विभाग (Indian Archeological Department) ने सिंधु घाटी में खुदाई की जिसमें दो पुराने शहरों मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा के खंडहर का पता चला।
- राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है इसे पूर्व-हड़प्पा सभ्यता बस्ती स्थल के रुप में जाना जाता है।
- यह स्थल घग्घर नदी के तट पर स्थित इस स्थल की खोज वर्ष 1969 में सूरजभान ने की थी।
- राखीगढ़ी के साथ उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर (Hastinapur), असम में शिवसागर (Shivsagar), गुजरात में धौलावीरा (Dholavira) और तमिलनाडु में आदिचनल्लूर (Adichanallur) को भी राष्ट्रीय संग्रहालयों के साथ प्रतिष्ठित स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा।
हस्तिनापुर (Hastinapur):
- उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में स्थित हस्तिनापुर महाभारत काल में पांडवों एवं कौरवों की प्राचीन राजधानी थी। प्राचीन काल में यह कई धर्मों का संगम स्थल था।
- यहाँ स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर (Shri Digamber Jain Bada Mandir) सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जबकि अन्य मंदिरों में जंबूद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर और अस्तपद जैन मंदिर भी है।
- हस्तिनापुर को पंच प्यारे भाई धर्म सिंह के जन्मस्थान के रूप में भी जाना जाता है जो गुरु गोविंद सिंह (दसवें सिख गुरु) के शिष्य थे।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वर्ष 1950-52 में हस्तिनापुर में उत्खनन किया था और इसमें तीर, भाला, चिमटा, हुक, कुल्हाड़ी, चाकू आदि शामिल थे।
शिवसागर (Shivsagar):
- असम में स्थित यह स्थान वर्ष 1699 से 1788 ईस्वी के मध्य अहोम साम्राज्य की राजधानी था और पहले इसे रंगपुर के नाम से भी जाना जाता था।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को कारेनघर (तलातलघर) परिसर जो अहोम शक्ति का गढ़ था, में उत्खनन के दौरान रास्ते के संरचनात्मक अवशेषों के साथ, लंबी दीवारें, नालियों के लिये टेराकोटा पाइप, फूलदान और कुछ पात्र मिले थे।
- यहाँ स्थित अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल रंग घर (Rang Ghar) है, जो अहोम राजाओं के लिए एक रंगभूमि था, जिसे खेल के लिये उपयोग किया जाता था।
धौलावीरा (Dholavira):
- हड़प्पा सभ्यता से संबंधित यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।
- 100 हेक्टेयर ने फैले इस स्थल की खोज वर्ष 1967-68 ईस्वी में जे. पी. जोशी ने की थी।
- यह भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर था जो तीन भागों में विभाजित था- दुर्ग, मध्यम नगर और निचला नगर।
- इस स्थल की सबसे महत्त्वपूर्ण खोज यहाँ विश्व की सबसे पुरानी जल संरक्षण प्रणाली मिली है जहाँ वर्षा जल का संचयन किया जाता था।
आदिचनल्लूर (Adichanallur):
- तमिलनाडु के थूथुकुडी (Thoothukudi) ज़िले में इस पुरातात्विक कलश-दफन स्थल को पहले जर्मन प्रकृतिवादी डॉ. जागोर (Jagor) और बाद में एक अंग्रेज पुरात्तवविद अलेक्जेंडर रे (Alexander Rea) ने वर्ष 1876 और 1905 के बीच खुदाई का कार्य करवाया था।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वर्ष 1902-03 की वार्षिक रिपोर्ट में अलेक्जेंडर रे ने दक्षिणी भारत में खोजे गए इस स्थल को सबसे व्यापक प्रागैतिहासिक स्थल के रूप में बताया है।
स्रोत- द हिंदू
भारतीय विरासत और संस्कृति
पूम्पुहार- एक चोलकालिक बंदरगाह शहर
प्रीलिम्स के लिये:पूम्पुहार शहर मेन्स के लिये:पूम्पुहार शहर की ऐतिहासिक प्रासंगिकता |
चर्चा में क्यों?
तमिलनाडु में एक विलुप्त चोलकालिक बंदरगाह शहर पूम्पुहार का डिजिटल रूप से पुनर्निर्माण के लिये ‘प्रोजेक्ट डिजिटल पूम्पुहार’ (Project Digital Poompuhar) का प्रारंभ किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- यह पुनर्निर्माण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) के एक कंसोर्टियम द्वारा डिजिटल रूप से किया जाएगा।
- पूम्पुहार परियोजना के तहत DST ने इस प्राचीन शहर के इतिहास का पता लगाने के लिये 13 शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों का एक नेटवर्क स्थापित किया है।
- इनमें ‘स्कूल ऑफ मरीन साइंसेज़’ (School of Marine Sciences), ‘अलगप्पा यूनिवर्सिटी’ (Alagappa University), ‘एकेडमी ऑफ मरीन एजुकेशन एंड ट्रेनिंग यूनिवर्सिटी’ चेन्नई (Academy of Marine Education and Training University in Chennai), ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी’(National Institute of Ocean Technology) आदि शामिल हैं।
पूम्पुहार शहर:
- DST के अनुसार, संगम तमिल साहित्य की रचनाओं में इस शहर के बारे में यह विवरण है कि यह शहर दक्षिणी तमिलनाडु में स्थित मौजूदा पूम्पुहार शहर से 30 किमी. की दूरी पर स्थित था।
- यह शहर समुद्र के बढे हुए जल-स्तर या ‘कडालकोल’ की घटना के कारण डूब गया था।
डिजिटल पुनर्निर्माण संबंधी प्रक्रिया:
- इस अध्ययन में निम्नलिखित प्रक्रियाएँ अपनाई जाएंगी-
- सुदूर संचालित वाहनों द्वारा पानी के नीचे सर्वेक्षण और फोटोग्राफी करना।
- समुद्र तल की ड्रिलिंग (Drilling) करना।
- समय श्रंखला विकास और विलुप्त होने से संबंधित व्यापक जानकारी सामने लाने के लिये रिमोट सेंसिंग-आधारित भू-वैज्ञानिक अध्ययन करना।
- भूमि उपखंड, समुद्र जलस्तर में वृद्धि, कावेरी के प्रवास, बाढ़, सुनामी, चक्रवात और कटाव जैसी- पिछली 20,000 वर्षों की भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।
पूम्पुहार शहर के पुनर्निर्माण का उद्देश्य:
- तमिल साहित्य, पुरातत्व (Archaeology), इतिहास, पुरालेख (Epigraphy), भू-विज्ञान और पानी के नीचे की खोज करने संबंधी कई अध्ययनों के बावजूद अभी तक पूम्पुहार से संबंधित निम्नलिखित तथ्यों की पुष्टि नहीं हो सकी है-
- प्रारंभिक स्थापना संबंधी निश्चित स्थान
- इसकी आयु
- इसकी उत्तरोत्तर स्थिति
- वर्तमान में कावेरी नदी के मुहाने पर स्थित होने के साथ-साथ समय के साथ स्थानिक विकास।
- इसके विलुप्त होने के कारण और अवधि
- इस पुनर्निर्माण संबंधी परियोजना के माध्यम से इन सभी तथ्यों का उत्तर प्राप्त किया जा सकेगा।
- इन अध्ययनों से प्राप्त जानकारी डिजिटल रूप से पूम्पुहार के जीवन इतिहास को पहचानने में सहायता करेगी।
- DST के अनुसार ऐसा ही एक परियोजना गुजरात के द्वारका में संचालित की जा रही है।
अन्य तथ्य:
- पूम्पुहर का पुनर्निर्माण DST की ‘भारतीय डिजिटल विरासत पहल’ (Indian Digital Heritage project) का हिस्सा है।
- इस परियोजना के तहत एक 'डिजिटल हंपी' (Digital Hampi) नामक प्रदर्शनी वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित की जा रही है।
- भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रहों द्वारा किये गए शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है कि इस शहर की स्थापना लगभग 15,000 साल पहले वर्तमान शहर से लगभग 30 किमी़ दूर कावेरी के डेल्टा में हुई थी।
- लगभग 3,000 वर्ष पहले कावेरी नदी के मुहाने पर वर्तमान स्थान पर स्थापित हुआ।
- यह शहर समुद्र जलस्तर में निरंतर वृद्धि और डेल्टा के जलमग्न होने के कारण कई परिवर्तनों के बाद अपनी वर्तमान स्थिति पर स्थापित हुआ।
- अन्य अध्ययनों में एक बंदरगाह जैसी संरचना के साथ-साथ समुद्र की दीवारों और एक पुल जैसी संरचना की खोज की गई।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
सामाजिक न्याय
बीजिंग +25 की समीक्षा हेतु राष्ट्रीय परामर्श
प्रीलिम्स के लिये:बीजिंग घोषणापत्र, प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन, बीजिंग +25, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय महिला आयोग, चतुर्थ संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (बीजिंग) 1995, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना मेन्स के लिये:महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दे, लैंगिक समानता से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
चतुर्थ विश्व महिला सम्मेलन और बीजिंग घोषणापत्र एवं प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन के अंगीकरण (World Conference on Women and adoption of the Beijing Declaration and Platform for Action) की 25वीं वर्षगाँठ पर बीजिंग +25 की समीक्षा हेतु एक राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया गया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- यह परामर्श महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women & Child Development- MWCD), राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women- NCW) तथा संयुक्त राष्ट्र महिला (UN Women) द्वारा आयोजित किया गया था।
- इस परामर्श का मुख्य उद्देश्य जीवन के सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता (Gender Equality) निर्धारित करने हेतु सिविल सोसायटी, भारत की महिलाओं एवं युवाओं को साथ लाना है।
- इस परामर्श के अन्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- पिछले 5 वर्षों के दौरान भारत में बीजिंग घोषणा पत्र और प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन के कार्यान्वयन की प्रगति एवं उसकी चुनौतियों का आकलन करना।
- वर्ष 2030 तक लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण को निर्धारित करने हेतु आवश्यक प्राथमिकता वाले कार्यों पर संवाद करना।
- महिला सशक्तीकरण को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों पर चर्चा करना।
बीजिंग +25 के बारे में
- बीजिंग +25 महिला विश्व सम्मेलन और बीजिंग घोषणापत्र एवं प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन के अंगीकरण की 25वीं वर्षगाँठ से संबंधित है।
- बीजिंग में आयोजित वर्ष 1995 का चतुर्थ संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र की अब तक की सबसे बड़ी सभाओं में से एक था तथा विश्व में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
चतुर्थ संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (बीजिंग) 1995
- सितंबर 1995 में चीन की राजधानी बीजिंग में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्त्वावधान में चतुर्थ विश्व महिला सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महिला अधिकारों पर बीजिंग घोषणा पत्र को भी अपनाया गया था।
- इस सम्मेलन का लक्ष्य वर्ष 1975 में मैक्सिको में आयोजित प्रथम संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन में औपचारिक रूप से शुरू की गई प्रक्रिया को गति प्रदान करना था।
- ध्यातव्य है कि मैक्सिको सम्मेलन में सौ से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने पुरुषों एवं महिलाओं में व्याप्त विषमताओं को मिटाने की दिशा में चल रहे सरकारी प्रयासों के मार्गदर्शन के लिये एक विश्व कार्ययोजना का निर्धारण किया था।
- बीजिंग सम्मलेन में प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (Platform for Action–PFA) को अपनाया गया था।
- यह महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभावों को समाप्त करने हेतु अभिसमय (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination Against Women–CEDAW) और संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा आर्थिक एवं सामाजिक विकास संगठन (ECOSCO) द्वारा अपनाए गए प्रासंगिक प्रस्तावों को अनुमोदित करता है।
- अन्य महिला विश्व सम्मेलन:
- प्रथम संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (मैक्सिको), 1975
- द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (कोपेनहेगन), 1980
- तृतीय संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (नैरोबी), 1985
भारत में लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाए गए कदम
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का विस्तार 640 ज़िलों में किया गया है जिसके परिणामस्वरूप देश के लिंगानुपात में 13 अंकों का सुधार हुआ है और लिंगानुपात वर्ष 2014-15 के 918 (प्रति हज़ार में) से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 931 (प्रति हज़ार में) हो गया है।
- साथ ही प्राथमिक स्तर पर महिला नामांकन दर 93.55% हो गया है और लड़कों तथा लड़कियों के समग्र ड्रॉप-आउट दर में भी 19.8% की गिरावट आई है।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PM Matri Vandna Yojna- PMMVY) के अंतर्गत 17.43 लाख से अधिक महिलाओं तक पहुँच बनाई गई एवं उन्हें मातृत्व लाभ प्रदान किया गया।
- 18.6 लाख से अधिक महिलाओं को सितंबर 2018 तक देश भर में महिला हेल्पलाइन नंबर (181) के माध्यम से संबोधित किया गया।
- पुलिस विभाग में लिंगानुपात बेहतर करने के लिये एवं महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये 33% आरक्षण की व्यवस्था की गई।
- कामकाजी महिलाओं की कार्यदशाओं को सुधारने एवं आर्थिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है तथा कार्यस्थलों में क्रेच (Creche) की स्थापना को अनिवार्य बनाया गया है।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की स्वास्थ्य समस्या को देखते हुए विषम परिस्थितियों में गर्भपात कराने की अवधि को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है।
- इसके अतिरिक्त महिला सशक्तीकरण एवं लैंगिक समानता के लिये भारत में जेंडर बजटिंग का प्रावधान किया गया है।
स्रोत: पी.आई.बी.
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-टोगो संबंध
चर्चा में क्यों?
हाल ही में टोगोलीज़ गणतंत्र (Togolese Republic), जिसे टोगो के नाम से भी जाना जाता है) और भारत ‘दापोंग’(दलवाक क्षेत्र) एवं ‘मैंगो’ (सवेंस क्षेत्र) में लगभग 300 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास हेतु सहयोग करने पर सहमत हुए हैं।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (National Thermal Power Corporation:NTPC) लिमिटेड इन परियोजनाओं के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार (Project Management Consultant- PMC) के रूप में कार्य करेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (nternational Solar Alliance: ISA) में टोगो पहला देश होगा जो NTPC की सेवाओं का लाभ उठाएगा।
- टोगो ने अपनी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही वर्ष 2030 तक बिजली तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है।
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC)
- भारत की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी, एनटीपीसी की स्थापना वर्ष 1975 में भारत के विद्युत विकास में तेजी लाने के लिए की गई थी।
- हालाँकि एनटीपीसी एक ताप विद्युत कंपनी है, लेकिन वर्तमान में यह विद्युत उत्पादन व्यापार की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में उपस्थिति के साथ एक वैविध्यपूर्ण विद्युत कंपनी के रूप में उभर रही है।
- इसका मिशन नवप्रवर्तन एवं स्फूर्ति द्वारा संचालित रहते हुए किफायती, दक्षतापूर्ण एवं पर्यावरण-हितैषी तरीके से विश्वसनीय विद्युत-ऊर्जा एवं संबद्ध सेवाएँ प्रदान करना है।
- NTPC को वर्ष 2010 में महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त हुआ। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- इसकी बिजली उत्पादन क्षमता 58,000 मेगावाट से अधिक है जिसमें 870 मेगावाट की सौर परियोजनाएँ शामिल है और 1062 मेगावाट की परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं।
मुख्य बिंदु
- NTPC ने सौर परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु सदस्य देशों को परियोजना प्रबंधन परामर्श देने के लिये ISA के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
- इस प्रस्ताव को ISA की वेबसाइट पर स्विस चुनौती(Swiss challenge ) के लिये रखा गया और बाद में ISA वित्त समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसे अक्टूबर 2019 में आयोजित ISA की द्वितीय सम्मेलन में मंजूरी दी गई।
स्विस चैलेंज (Swiss Challenge)
- स्विस चैलेंज बोली लगाने की एक विधि है, जिसका उपयोग अक्सर सार्वजनिक परियोजनाओं की बोली लगाने में किया जाता है, जिसमें एक इच्छुक पार्टी किसी परियोजना के लिए अनुबंध या बोली के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत करती है।
- इसके बाद सरकार परियोजना का विवरण जनता के समक्ष रखती है और इसे क्रियान्वित करने के इच्छुक अन्य लोगों से प्रस्तावों को आमंत्रित करती है।
- प्राप्त बोलियों के आधार पर मूल प्रस्तावक को सर्वश्रेष्ठ बोली के साथ मिलान करने का मौका दिया जाता है। यदि मूल प्रस्तावक बोली का मिलान करने में विफल रहता है, तो परियोजना सर्वश्रेष्ठ बोली लगाने वाले को दे दी जाती है।
टोगो गणतंत्र (Togo Republic):
यह पश्चिम अफ्रीकी देश है जो दक्षिण में गिनी की खाड़ी तक फैला हुआ है इसकी सीमा उत्तर में बुर्किना फासो, पूर्व में बेनिन और पश्चिम में घाना तक है
- टोगो की राजधानी लोम (Lomé) है जो गिनी की खाड़ी में स्थित है। यह देश का सबसे बड़ा शहर और बंदरगाह भी है।
- टोगो एक उप-सहारा राष्ट्र है,जिसकी जलवायु कृषि हेतु अनुकूल है जो कृषि पर इसकी निर्भरता की दृष्टि से सहायक है।
- इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि उत्पादों जैसे कॉफी, कोको बीन्स और मूंगफली आदि पर निर्भर है।
- फॉस्फेट के व्यापक भंडारों की अवस्थिति के कारण यह दुनिया के सबसे बड़े फॉस्फेट उत्पादकों देशों में से एक है।
- टोगो की आधिकारिक भाषा फ्रेंच है और गबे परिवार (Gbe family) की कई अन्य भाषाएँ भी यहाँ बोली जाती हैं।
इतिहास
- टोगो को शुरू में विभिन्न जनजातियों द्वारा आबाद किया गया था और बाद में 16 वीं शताब्दी में दास व्यापार के केंद्र के रूप में ‘स्लेव कोस्ट’ के रूप में जाना जाने लगा।
- बाद में यह प्रथम विश्व युद्ध तक जर्मनी का उपनिवेश था जब इसे इंग्लैंड और फ्रांस द्वारा विभाजित किया गया था।
- वर्ष 1914 में टोगोलैंड टोगो बन गया। ब्रिटिश टोगोलैंड अंततः घाना और फ्रांसीसी टोगोलैंड का हिस्सा बन गया।
- टोगो ने वर्ष 1960 में स्वतंत्रता प्राप्त की।
स्रोत- पीआईबी
शासन व्यवस्था
फेशियल रिकॉग्निशन एप
प्रीलिम्स के लिये:डिजीयात्रा, रियूनाइट एप, राज्य निर्वाचन आयोग, फेशियल रिकॉग्निशन एप मेन्स के लिये:मतदान प्रक्रिया में अनियमितता से संबंधित मुद्दे, मतदान प्रक्रिया को स्वच्छ बनाने के लिये सरकारी प्रयास, फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक के उपयोग संबंधी मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
तेलंगाना में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के सत्यापन और रियल टाइम प्रमाणीकरण के लिये फेशियल रिकॉग्निशन एप (Facial Recognition App) का उपयोग किया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- तेलंगाना राज्य चुनाव आयोग के अनुसार, मेडचल-मलकाजगिरि (Medchal−Malkajgiri) ज़िले के कोमपल्ली नगरपालिका के चुनिंदा 10 मतदान केंद्रों में पायलट आधार पर इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है।
- गौरतलब है कि इस प्रणाली द्वारा सत्यापन न होने की स्थिति में मतदाताओं को पहचान पत्र की निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर आईडी कार्ड का उपयोग कर मतदान करने की अनुमति दी गई।
- राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदाता पहचान के लिये ली गई तस्वीरों को संग्रहीत या उन्हें किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
फेशियल रिकॉग्निशन की प्रक्रिया
- इस प्रक्रिया के तहत अतिरिक्त मतदान अधिकारी द्वारा पहले मतदाताओं के पहचान प्रमाण पत्र को सत्यापित किया जाता है और फिर उनकी तस्वीर लेकर उसे मोबाइल फोन में स्थापित फेस रिकॉग्निशन एप का उपयोग करके सर्वर पर अपलोड किया जाता है ताकि संबंधित मतदान केंद्र के सभी मतदाताओं की पहले से उपलब्ध तस्वीरों से मतदाता का मिलान किया जा सके।
- यह एप एक उपयुक्त संदेश के साथ मतदाताओं के साथ मिलान के आधार पर सत्यापन का परिणाम प्रदर्शित करता है।
- ध्यातव्य है कि इस प्रणाली का उपयोग मौजूदा पहचान सत्यापन प्रणाली के स्थान पर नहीं बल्कि एक अतिरिक्त उपकरण के रूप में किया गया है। साथ ही इस एप में संग्रहित डेटा को चुनाव पश्चात् हटा दिया जाता है।
प्रौद्योगिकी के उपयोग के उद्देश्य
- प्रौद्योगिकी का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और शिक्षण की नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके चुनाव में प्रतिरूपण (Impersonation) के मामलों को कम करना है। अर्थात् इस प्रौद्योगिकी का मुख्य उद्देश्य फर्जी मतदान पर अंकुश लगाना है।
- यह प्रणाली डिजिटल ट्रेल (Digital Trail) तथा तेलंगाना स्टेट टेक्नोलॉजी सर्विसेज (Telangana State Technology Services- TSTS) द्वारा विकसित और संचालित है।
प्रौद्योगिकी की भविष्य में उपयोगिता
- इस प्रणाली के उपयोग से चुनाव प्रक्रिया को स्वच्छ बनाया जा सकता है।
- इस प्रणाली के माध्यम से चुनाव में फर्जी वोटिंग पर अंकुश लगाया जा सकता है जिससे वोटिंग के सही आँकड़े प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- इस प्रणाली के उपयोग से मौजूदा मतदाता सत्यापन प्रणालियों (Voter Verification Systems) को सुदृढ़ किया जा सकता है।
- इस प्रणाली का उपयोग अपराधियों को पहचानने, सुरक्षा जाँच जैसे अनेक क्षेत्रों में किया जा सकता है।
भारत में फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक
- भारत में यह एक नया विचार है जिसे देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रायोगिक स्तर पर शुरू किया गया है।
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने हवाई अड्डे में प्रवेश के दौरान चेहरे की पहचान करने हेतु "डिजीयात्रा (DigiYatra)" प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है।
- तेलंगाना पुलिस ने इस संदर्भ में वर्ष 2018 में अपना स्वयं का सिस्टम विकसित किया है।
- केंद्रीय वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय ने ‘रियूनाइट’ (Re-unite) नामक एक मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप की सहायता से देश में खोए हुए बच्चों का पता लगाने में सहायता मिलेगी।
आगे की राह
- मतदान की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं स्वच्छ बनाने के लिये व्यापक स्तर पर कदम उठाए जाने चाहिये और चुनाव सुधार (Electoral Reforms) की दिशा में व्यापक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है।
- तेलंगाना में किये गए पायलट परीक्षण की भाँति देश के अन्य हिस्सों में भी इस प्रकार के प्रयोग करने की आवश्यकता है तथा सकारात्मक परिणाम के साथ इसे मतदान प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाना चाहिये।
स्रोत: द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
चमगादड़ और मनुष्यों पर वायरस संबंधी शोध
प्रीलिम्स के लिये:राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र मेन्स के लिये:शोध संबंधी विभिन्न तथ्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने नगालैंड में अमेरिका, चीन और भारत के शोधकर्त्ताओं द्वारा चमगादड़ और मनुष्यों पर किये गए इबोला जैसे घातक वायरस संबंधी एंटीबॉडीज़ के प्रसार से संबंधित शोध की जाँच के आदेश दिये हैं।
मुख्य बिंदु:
- चीन के वुहान से लगभग 20 देशों में प्रसारित नोवल कोरोनोवायरस (Novel Coronavirus) के कारण यह शोध जाँच के दायरे में आया है।
- कोरोनावायरस के कारण लगभग 300 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने उक्त शोध प्रकरण की जाँच के लिये पाँच सदस्यीय समिति गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंप दी है।
क्या था शोध?
- यह शोध भारत के ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ (Tata Institute of Fundamental Research), नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ (National Centre for Biological Sciences- NCBS), चीन के ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ (Wuhan Institute of Virology), अमेरिका के ‘यूनिफॉर्म्ड सर्विसेज़ यूनिवर्सिटी ऑफ़ द हेल्थ साइंसेज़’ और सिंगापुर की ‘ड्यूक-नेशनल यूनिवर्सिटी’ (Duke-National University) के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था।
- इस शोध को ‘फिलोवायरस रीएक्टिव एंटीबॉडीज़ इन ह्यूमंस एंड बैट्स इन नॉर्थईस्ट इंडिया इम्प्लाई जूनोटिक स्पिलओवर’ (Filovirus-reactive antibodies in humans and bats in Northeast India imply Zoonotic spillover) नाम से एक अमेरिकी जर्नल में प्रकाशित किया गया।
- इस शोध में शोधकर्त्ताओं ने पाया कि पूर्वोत्तर भारत में चमगादड़ों और इनके शिकारियों दोनों में फिलोवायरस (जैसे इबोलावायरस मार्बर्गव वायरस और डायनलोवायरस) के प्रतिक्रियाशील एंटीबॉडीज़ की उपस्थिति है।
- जबकि इस क्षेत्र में इबोला वायरस रोग का कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है।
- इस शोध से पता चलता है कि दक्षिण एशिया में चमगादड़ विविध श्रेणी के फिलोवायरस के मेज़बान के रूप में कार्य करते हैं तथा इन चमगादड़ों के संपर्क में आने से फिलोवायरस फैल जाता है।
- इस शोध में पाया गया कि चमगादड़ में मौजूद वायरस विभिन्न प्रकोपों के लिये ज़िम्मेदार वायरस के प्रतिरूप नहीं होते हैं।
क्यों आया यह शोध जाँच के दायरे में?
- यह शोध जाँच के दायरे में इसलिये आया था क्योंकि 12 में से दो शोधकर्त्ता ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजीज़ डिपार्टमेंट ऑफ इमर्जिंग इन्फेक्शस डिज़ीज़’ (Wuhan Institute of Virology’s Department of Emerging Infectious Diseases) से संबंधित थे।
- यह शोध संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग की रक्षा खतरा निवारण एजेंसी (Defense Threat Reduction Agency- DTRA) द्वारा वित्त पोषित था।
- सरकार का आरोप है कि वैज्ञानिकों ने बिना अनुमति के चमगादड़ों और उनके शिकारियों (मनुष्यों) के रक्त के नमूनों को एकत्रित किया।
- ऐसी संस्थाओं को विदेशी संस्थाओं के रूप में विशेष अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की राय:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) के अनुसार, चमगादड़ प्रायः इबोला, रेबीज़, मारबर्ग और सार्स कोरोनावायरस के वाहक होते हैं।
- कई उच्च स्तरीय महामारियाँ चमगादड़ द्वारा वाहित हैं तथा वैज्ञानिक हर समय नए चमगादड़ जनित वायरस की खोज करते रहते हैं।
- इबोला ने वर्ष 2013 से 2016 तक कई बार वैश्विक स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा किया है।
- यह एक जानलेवा बीमारी है, इससे होने वाली मृत्यु दर लगभग 50 प्रतिशत है।
नए खोजे गए कोरोनावायरस की व्यापक चुनौतियों को देखते हुए इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिये प्रयास किये जाने की आवश्यकता है तथा साथ ही यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि देश में किये जाने वाले चिकित्सा संबंधी शोधों में सभी मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाए।
स्रोत- द हिंदू
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
सुखोई -30 एमकेआई
प्रीलिम्स के लिये:सुखोई- 30 MKI, ब्रह्मोस मिसाइल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, चीफ ऑफ डिफेंस मेन्स के लिये:रक्षा चुनौतियों से संबंधित मुद्दे, हिन्द महासागर के क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos missile) से लैस चौथी पीढ़ी के लड़ाकू जेट सुखोई- 30 एमकेआई (Sukhoi-30 MKI) के एक दस्ते (Squadron) को दक्षिणी वायु कमान के तंजावुर एयरफोर्स स्टेशन में शामिल किया गया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- इस दस्ते को औपचारिक रूप से देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस (Chief of Defence- CDS) द्वारा दक्षिणी वायु कमान में शामिल किया गया।
- यह दस्ता, टाइगर्स 222 दस्ते का पुनरुत्थान है। ध्यातव्य है कि टाइगर्स 222 दस्ते को वर्ष 1969 में सुखोई- 7 विमान के साथ स्थापित किया गया था और जुलाई 1971 में इस दस्ते को हलवारा (Halwara) में स्थानांतरित किया गया था और इसका प्रयोग वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में किया गया था।
- CDS के अनुसार, ब्रह्मोस मिसाइल से लैस सुखोई- 30 MKI हमारे सशस्त्र बलों के लिये गेम-चेंजर साबित होगा।
- सुखोई- 30 जेट को ब्रह्मोस (हवा से सतह पर मार करने वाली) मिसाइलों को ले जाने के लिये संशोधित किया गया है, जिससे उन्हें लंबी दूरी के सटीक हमले करने की क्षमता मिलती है।
सुखोई- 30 एमकेआई और ब्रह्मोस का एकीकरण
- वर्ष 2014 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited- HAL) और ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BrahMos Aerospace Pvt Ltd- BAPL) ने मिसाइल के साथ एकीकरण के लिये दो सुखोई- 30 एमकेआई विमानों को संशोधित करने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।
- यह दुनिया में पहली बार था जब किसी लड़ाकू विमान में इतनी भारी वज़न वाली मिसाइल को एकीकृत किया गया।
- 2.5 टन वाली ब्रह्मोस मिसाइल सुखोई- 30 MKI लड़ाकू विमान पर स्थापित किया जाने वाला सबसे भारी हथियार है।
सुखोई- 30 एमकेआई को दक्षिणी कमान में शामिल करने के निहितार्थ
- दक्षिणी कमान के तंजावुर एयरफोर्स स्टेशन में इसे शामिल करने से हिंद महासागर क्षेत्र की निगरानी तंत्र को मज़बूत किया जा सकता है।
- यह दस्ता न केवल समुद्री डोमेन की सुरक्षा को बड़े पैमाने पर बढ़ाएगा बल्कि कमज़ोर क्षेत्रों की रक्षा करने वाली थल सेना के समर्थन में भी कार्य कर सकता है।
- यह भारत को हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) में हवाई और समुद्री प्रभुत्व बनाए रखने में मदद करेगा।
सुखोई- 30 MKI के बारे में
- यह रूस के सुखोई और भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से निर्मित लंबी दूरी का फॉइटर जेट है।
- यह एक बार में 3000 किमी. तक की दूरी तय कर सकता है तथा इसमें हवा में ही ईधन भरा जा सकता है।
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अर्थव्यवस्था
संघीय बजट 2020-21 की प्रमुख विशेषताएँ
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2020 को केंद्रीय बजट (वर्ष 2020-21) संसद में पेश किया।
बजट संबंधी प्रमुख बिंदु:
- व्यय: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में 30.42 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव किया है, जो कि वित्त वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान से 12.7 प्रतिशत अधिक है।
- प्राप्ति: वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये केंद्र सरकार ने 22.46 लाख करोड़ रुपए की प्राप्ति अनुमानित की, जो कि वित्तीय वर्ष 2019-20 से 16.3 प्रतिशत अधिक है।
- GDP वृद्धि: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में नॉमिनल GDP में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर अनुमानित है।
- घाटा: आगामी वित्त वर्ष के लिये राजस्व घाटा कुल GDP का 2.7 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जो कि जो वित्त वर्ष 2019-20 में 2.4 प्रतिशत के संशोधित अनुमान से अधिक है। राजकोषीय घाटा कुल GDP का 3.5 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जो कि वित्त वर्ष 2019-20 में 3.8 प्रतिशत के संशोधित अनुमान से कम है।
कर संबंधी प्रावधान
प्रत्यक्ष कर
- आयकर
केंद्र सरकार ने आयकरदाताओं को राहत प्रदान करने और आयकर संबंधी कानूनों को सरल बनाने के उद्देश्य से एक नई और सरलीकृत आयकर व्यवस्था स्थापित करने प्रस्ताव किया ह। ध्यातव्य है कि नई व्यवस्था वैकल्पिक होगी अर्थात् करदाताओं को पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के मध्य चुनाव का विकल्प दिया जाएगा।
आयकर स्लैब (रुपए) | मौजूदा दरें (%) | नई दरें (%) |
0 से 2.5 लाख | छूट | छूट |
2.5 से 5 लाख | 5 | छूट |
5 से 7.5 लाख | 20 | 10 |
7.5 से 10 लाख | 20 | 15 |
10 से 12.5 लाख | 30 | 20 |
12.5 से 15 लाख | 30 | 25 |
15 लाख से ऊपर | 30 | 30 |
- लाभांश वितरण कर (DDT)
वर्तमान में कंपनियों को अपने शेयरधारकों को दिये गए लाभांश पर लागू अधिभार और उपकर सहित 15 प्रतिशत से अधिक लाभांश वितरण कर (DDT) देना पड़ता है, जो कि कंपनी द्वारा अपने लाभों पर दिये जाने वाले कर के अतिरिक्त होता है। निवेशकों को प्रेरित करने के उद्देश्य से सरकार ने DDT को समाप्त कर दिया है और अब नई व्यवस्था के तहत लाभांश पर कर का दायित्व प्राप्तकर्त्ता पर होगा। - स्टार्ट अप
मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, 25 करोड़ रुपए तक के कुल कारोबार करने वाले स्टार्टअप को अपने प्रारंभिक 7 वर्षों में से लगातार 3 निर्धारित वर्षों के लिये लाभ की 100 प्रतिशत कटौती की अनुमति गई है, वित्त मंत्रालय ने यह सीमा 25 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया है। साथ ही प्रारंभिक वर्षों की सीमा को भी 7 से बढ़ाकर 10 कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त स्टार्ट अप को ई-सॉप्स पर कर भुगतान से भी राहत प्रदान की गई है। - सहकारी संस्थाएं
सरकार ने केंद्रीय बजट के माध्यम से सहकारी संस्थाओं और कॉर्पोरेट क्षेत्र के बीच समानता लाने का प्रयास किया है। बजट के अंतर्गत वित्त मंत्रालय ने सहकारी संस्थाओं पर छूट/कटौती के बिना 10 प्रतिशत अधिभार और 4 प्रतिशत उपकर के साथ 22 प्रतिशत कर भुगतान के विकल्प का प्रस्ताव किया है। - विदेशी निवेश के लिये कर रियायत
प्राथमिताओं वाले क्षेत्र में विदेशी सरकारों के सॉवरिन धन कोष (Sovereign Wealth Fund) द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये उनके द्वारा 31 मार्च, 2024 से पहले और न्यूनतम तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि के साथ अवसंरचना और अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में किये गए निवेश के संबंध में उनके ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभों को 100 प्रतिशत छूट देने का प्रस्ताव किया गया है। - सस्ते मकान
बीते वर्ष के बजट में वित्त मंत्रालय ने सभी के लिये सस्ते मकान की खरीदारी हेतु लिये गये ऋण के भुगतान के ब्याज में 1,50,000 रुपए तक की अतिरिक्त कटौती की घोषणा की थी। इस अतिरिक्त कटौती का लाभ उठाने के लिये ऋण की तिथि को 31 मार्च, 2020 से एक वर्ष और आगे बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।
'विवाद से विश्वास' योजना
'विवाद से विश्वास' योजना के तहत करदाता को केवल विवादित करों की राशि का दान करने की आवश्यकता होगी और उसे ब्याज तथा दंड से पूरी तरह छूट मिलेगी। हालाँकि यह आवश्यक है कि करदाता देय कर-राशि का भुगतान 31 मार्च, 2020 से पहले कर दे। 31 मार्च, 2020 के बाद जो लोग इस योजना का लाभ उठाना चाहेंगे, उन्हें कुछ अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। यह योजना 30 जून, 2020 तक प्रभावी रहेगी।
अप्रत्यक्ष कर
- वस्तु एवं सेवा कर (GST)
01 अप्रैल, 2020 से GST रिटर्न दाखिल करने की सरलीकृत प्रक्रिया लागू कर दी जाएगी। यह प्रक्रिया अपनी विभिन्न विशेषताओं जैसे- शून्य विवरणी के लिये SMS आधारित फाइलिंग और बेहतर इनपुट कर क्रेडिट प्रवाह आदि के माध्यम से GST रिटर्न दाखिल करना आसान बनाएगी। उपभोक्ता इनवॉयस के लिये इसमें डॉयनमिक क्यूआर कोड (Dynamic QR-code) का प्रस्ताव किया गया है जिसके द्वारा खरीदारी के समय QR कोड के माध्यम से GST मानकों का विवरण तत्काल हासिल कर लिया जाएगा।
सीमा शुल्क
वित्त मंत्रालय ने सीमा शुल्क को फुटवियर पर 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने और फर्नीचर वस्तुओं पर 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा वाहनों के कलपूर्जों और रसायन जैसी कुछ वस्तुएँ जिनका घरेलू उत्पादन भी होता है, पर सीमा शुल्क में वृद्धि की गई है। न्यूज़ प्रिंट और हल्के कोटेड पेपर के आयात पर बुनियादी आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है।
सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है, जबकि बीडी पर शुल्क दरों में कोई बदलाव नहीं है।
नीतिगत विशेषताएँ
कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास:
कृषि ऋण
- केंद्रीय बजट में 15 लाख करोड़ रुपए कृषि ऋण प्रदान करने का लक्ष्य।
- पीएम-किसान लाभार्थियों को KCC योजना के तहत लाने का प्रस्ताव।
- नाबार्ड की पुनर्वित्त योजना को और विस्तार देना।
नीली अर्थव्यवस्था
- वर्ष 2024-25 तक मत्स्य निर्यात को एक लाख करोड़ रुपए तक पहुँचाना।
- वर्ष 2022-23 तक देश में 200 लाख टन मत्स्य उत्पाद का लक्ष्य।
किसान रेल
- दूध, मांस और मछली जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के लिये बाधा रहित राष्ट्रीय प्रशीतन आपूर्ति शृंखला प्रदान करने के लिये सार्वजनिक और निजी भागीदारी के माध्यम से भारतीय रेल द्वारा किसान रेल सेवा शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है, इन एक्सप्रेस और मालगाडि़यों में प्रशीतक डिब्बे लगाए जाएंगे।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा कृषि उड़ान योजना की शुरुआत करना
- पूर्वोत्तर ओर जनजातीय क्षेत्रों के ज़िलों को कृषि उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों हवाई मार्गों पर सेवा का संचालन करना।
बागवानी क्षेत्र में विपणन और निर्यात को बेहतर बनाने के लिये 'एक उत्पाद, एक ज़िला' की नीत
- इस योजना के तहत सभी तरह के पारंपरिक जैविक और नवोन्मेषी उवर्रकों का संतुलित प्रयोग करके जैविक, प्राकृतिक और एकीकृत खेती को बढ़ावा दिया जाएगा तथा जैविक उत्पादों के ऑनलाइन राष्ट्रीय बाज़ारों को मज़बूत बनाया जाएगा।
पीएम-कुसुम योजना का विस्तार
- इस योजना के तहत 20 लाख किसानों को सौर ऊर्जा पंप लगाने में तथा 15 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े पंप सैटों को सौर ऊर्जा चलित बनाने में सहायता की जाएगी।
ग्राम भंडारण योजना
- इस योजना के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा कृषि भंडारों, कोल्ड स्टोरों तथा प्रशीतन वैन सुविधाओं का नक्शा बनाया जाएगा तथा उनकी जीओ टैगिंग की जाएगी तथा किसानों के लिये स्वयं-सहायता समूहों द्वारा भंडारण व्यवस्था संचालित की जाएगी ताकि उत्पादों पर लॉजिस्टिक लागत कम हो सके।
पशुधन
- दूध प्रसंस्करण क्षमता को वर्ष 2025 तक 53.5 मिलियन टन से दोगुना कर 108 मिलियन टन के स्तर पर पहुँचाया जाएगा तथा कृत्रिम गर्भाधान की कवरेज को मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया जाएगा।
दीनदयाल अंत्योदय योजना
- गरीबी उन्मूलन के लिये 58 लाख स्वयं सहायता समूहों के साथ 50 लाख परिवारों को जोड़ा गया।
वेलनेस, जल एवं स्वच्छता
- सार्वजनिक निजी भागीदारी व्यवस्था के तहत अस्पतालों के निर्माण के लिये कम पड़ रही राशि की पूर्ति के लिये वायबिलिटी गैप फंडिंग अथवा प्रकोष्ठ बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
- ऐसे ज़िले जहाँ आयुष्मान योजना से जुड़े पैनल में कोई भी अस्पताल नहीं है, उन आकांक्षी ज़िलों को पहले चरण में कवर किया जाएगा।
जन औषधि केंद्र योजना
- इस योजना के तहत वर्ष 2024 तक सभी ज़िलों में 2000 प्रकार की दवाओं और 300 शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं की सुविधा दी जाएगी।
‘टीबी हारेगा देश जीतेगा’ अभियान
- वर्ष 2025 तक तपेदिक को समाप्त करने की प्रतिबद्धता।
जल जीवन मिशन
- स्थानीय जल स्रोतों की संख्या बढ़ाना, मौजूदा जल स्रोतों का पुनर्भरण और जल संचय तथा खारेपन को दूर करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा तथा 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों को चालू वित्त वर्ष के दौरान ही इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
स्वच्छ भारत मिशन
- ODF से जुड़ी प्रवृत्ति को बनाए रखने हेतु ‘ODF+’ के लिये प्रतिबद्धता दिखाते हुए द्रव एवं धूसर जल के प्रबंधन पर विशेष बल देना तथा ठोस अपशिष्ट को स्रोत पर ही अलग-अलग करते हुए प्रोसेसिंग पर भी फोकस करना।
शिक्षा एवं कौशल
- इस बजट के तहत एक नई शिक्षा नीति की घोषणा का प्रावधान किया गया है।
- पुलिस संबंधी विज्ञान, फॉरेंसिक विज्ञान, साइबर-फॉरेंसिक, इत्यादि के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना करने का प्रस्ताव किया गया है।
- राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क के अंतर्गत आने वाले शीर्ष 100 संस्थानों द्वारा डिग्री स्तर का पूर्णकालिक ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
- बजट में सार्वजनिक निजी भागीदारी व्यवस्था के तहत एक मेडिकल कॉलेज को एक मौजूदा ज़िला अस्पताल से संबद्ध करने का प्रस्ताव किया गया है।
- ‘भारत में अध्ययन’ कार्यक्रम
- इस कार्यक्रम के तहत इंड-सैट को एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में शुरू करने का प्रस्ताव है।
आर्थिक विकास
- उद्योग, वाणिज्य एवं निवेश
- निवेश मंज़ूरी प्रकोष्ठ स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- पाँच नवीन ‘स्मार्ट सिटी’ को विकसित करने का प्रस्ताव है।
- वर्ष 2020-21 से लेकर वर्ष 2023-24 तक की चार वर्षीय कार्यान्वयन अवधि के साथ 1480 करोड़ रुपए के अनुमानित परिव्यय के साथ राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन प्रारंभ किया जाएगा।
- ज़्यादा निर्यात ऋणों का वितरण सुनिश्चित करने के लिये नई योजना ‘निर्विक’ प्रारंभ की जाएगी।
- गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) के कारोबार को बढ़ाकर 3 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुँचाने का प्रस्ताव किया गया है।
- प्रधानमंत्री के ज़ीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट विनिर्माण विज़न के अनुरूप सभी मंत्रालय गुणवत्ता मानक जारी करेंगे।
- अवसंरचना:
- विकास के चरण और आकार के आधार पर 6500 से अधिक परियोजनाओं का वर्गीकरण किया जाएगा।
- 103 लाख करोड़ रुपए की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइप लाइन परियोजना की घोषणा की गई जिसके अंतर्गत IIFCL तथा NIIF जैसी अवसंरचना वित्त कंपनियों की सहायता के लिये 22000 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे।
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति को जल्द ही जारी किया जाएगा।
- एकल खिड़की की सुविधा आधारित लॉजिस्टिक बाज़ार की स्थापना की जाएगी।
- वर्ष 2020-21 में परिवहन अवसंरचना के लिये 1.7 लाख करोड़ रुपए का प्रस्ताव।
- राजमार्ग-
- राजमार्गों के तेज़ी से विकास पर ध्यान दिया जाएगा, इसमें शामिल हैं-
- पहुँच नियंत्रण राजमार्ग- 2500 किलोमीटर
- आर्थिक गलियारा- 9000 किलोमीटर
- तटीय और भूमि पत्तन सड़कें- 2000 किलोमीटर
- रणनीतिक राजमार्ग- 2000 किलोमीटर
- चेन्नई-बेंगलुरु एक्सप्रेस-वे की शुरुआत होगी।
- 6000 किलोमीटर से अधिक की लंबाई वाले 12 नए राजमार्ग समूहों के मुद्रीकरण का प्रस्ताव।
- राजमार्गों के तेज़ी से विकास पर ध्यान दिया जाएगा, इसमें शामिल हैं-
- भारतीय रेलः
- रेल पटरियाँ के किनारे सौर ऊर्जा की उच्च क्षमता स्थापित की जाएगी।
- 148 किलोमीटर लंबी बेंगलुरु उप-नगरीय परिवहन परियोजना के लिये 18,600 करोड़ रुपए, मेट्रो प्रारूप के अनुसार किराया तय किया जाएगा। केंद्र सरकार 20 प्रतिशत का लागत वहन करेगी और परियोजना लागत का 60 प्रतिशत बाहरी सहायता से उपलब्ध कराने की सुविधा देगी।
- भारतीय रेल की उपलब्धियाँ
- 550 स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा।
- कोई मानवरहित क्रॉसिंग नहीं।
- 27000 किलोमीटर की रेल लाईन का विद्युतीकरण।
- पत्तन और जलमार्ग
- कम से कम एक बड़े पत्तन के निगमीकरण और स्टॉक एक्सेंज में इसे सूचीबद्ध करने पर विचार किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री की अर्थ गंगा संकल्पना के अनुरूप नदी के तटों पर आर्थिक गतिविधियों को तेज़ किया जाएगा।
- हवाई अड्डा
- उड़ान योजना के तहत 100 और हवाई अड्डों को 2024 तक पुनर्विकसित किया जाएगा।
- इस अवधि के दौरान हवाई जहाज़ों की संख्या वर्तमान के 600 से 1200 हो जाने की उम्मीद की गई है।
- विद्युतः
- स्मार्ट मीटर को बढ़ावा।
- बिजली वितरण कंपनियों में सुधार के लिये विभिन्न उपाय।
- ऊर्जा:
- राष्ट्रीय गैस-ग्रिड को वर्तमान के 16200 किलोमीटर से 27000 किलोमीटर के विस्तार का प्रस्ताव।
- पारदर्शी मूल्य और लेन-देन में आसानी की सुविधा के लिये और सुधार किया जाएगा।
- नई अर्थव्यवस्था
- भारतनेट के माध्यम से इस वर्ष 1 लाख ग्राम पंचायतों को फाइबर-टू-द-होम से जोड़ा जाएगा।
- वर्ष 2020-21 में भारतनेट कार्यक्रम के लिये 6000 करोड़ रुपए का प्रस्ताव।
- नए और उभरते क्षेत्रों समेत विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में ज्ञान अनुवाद क्लस्टर स्थापित किये जाएंगे।
- भारत के जेनेटिक लैंडस्केप की मैपिंग के लिये एक व्यापक डाटाबेस के सृजन के लिये दो नवीन राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान योजनाओं का शुभारंभ किया जाएगा।
- क्वांटम प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय अभियान के लिये 5 वर्ष की अवधि हेतु 8,000 करोड़ रुपए के परिव्यय प्रदान करने का प्रस्ताव दिया गया।
संस्कृति और पर्यटन
- संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय धरोहर और संरक्षण संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- स्थानिक संग्रहालय वाले प्रतिमान स्थलों के रूप में पाँच पुरातत्व स्थलों का विकास किया जाएगा- राखीगढ़ी (हरियाणा), हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिवसागर (असम), धौलावीरा (गुजरात) और अदिचनल्लूर (तमिलनाडु)।
- कोलकाता में ऐतिहासिक टकसाल भवन में मुद्रा-विषयक और व्यापार पर एक संग्रहालय स्थापित किया जाएगा।
- झारखंड के रांची में एक जनजातीय संग्रहालय की स्थापना की जाएगी।
- अहमदाबाद के निकट हड़प्पा युग के नौवहन स्थल लोथल में पोत परिवहन मंत्रालय द्वारा एक पोत संग्रहालय की स्थापना की जाएगी।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन
- अत्यधिक मात्रा में कार्बन उत्सर्जन करने वाले विद्युत संयंत्रों के लिये निर्धारित मानकों के अनुरूप चलाने तथा खाली भूमि के वैकल्पिक उपयोग का प्रावधान।
- 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले बड़े नगरों में स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने के लिये राज्यों के द्वारा बनाई जा रही योजनाओं को कार्यान्वित करते हुए प्रोत्साहन देना।
- प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली सचिवालय के साथ आपदा उन्मोचन अवसंरचना सम्मेलन का शुभारंभ किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर सहयोग के प्रारंभ के बाद यह दूसरी अंतर्राष्ट्रीय पहल है।
अभिशासन
- कर शासन में निष्पक्षता और कुशलता लाने के लिये करदाता चार्टर का गठन किया जाएगा।
- विधानों में कार्यों के लिये सिविल प्रकृति की आपराधिक ज़िम्मेदारी को ठीक करने के लिये कंपनी अधिनियम में संशोधन किया जाएगा।
- एक स्वतंत्र, पेशेवर, विशेषज्ञ संगठन के रूप में एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की स्थापना का प्रस्ताव किया गया। यह एजेंसी अराजपत्रित पदों की भर्ती के लिये कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन सामान्य पात्रता परीक्षा का आयोजन करेगी। प्रत्येक ज़िले विशेष रूप से आकांक्षी ज़िलों में एक परीक्षा केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- अनुबंध अधिनियम को मज़बूत बनाया जाएगा।
- आधिकारिक सांख्यिकीय पर नवीन राष्ट्रीय नीति बनाई जाएगी।
- भारत में 2022 में आयोजित होने वाले जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता के लिये तैयारियाँ शुरू करने हेतु कुल 100 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के विकास के लिये विशेष आर्थिक प्रावधान किये जाएंगे।
- केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिये 5958 करोड़ रुपए का प्रावधान।
वित्तीय क्षेत्र
- 10 बैंकों को 4 बैंकों के तौर पर विलय को मंज़ूरी दी जा चुकी है।
- 3,50,000 करोड़ रुपए की पूंजी प्रदान की गई है।
- जमा बीमा तथा क्रेडिट गारंटी निगम ने जमा बीमा दायरे को प्रति जमाकर्त्ता 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने की अनुमति दी।
- बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन द्वारा सहकारी बैंकों का सशक्तीकरण किया जाएगा।
- ऋण वसूली के लिये NBFC की पात्रता सीमा घटाई गई।
- सरकार स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से IDBI बैंक में अपनी शेष हिस्सेदारी को निजी, खुदरा तथा संस्थागत निवेशकों को बेचेगी।
- MSME के लिये एप आधारित इनवायस फाइनांसिंग लॉन प्रोडक्ट की शुरुआत।
- वित्तीय बाज़ार
- कुछ विनिर्दिष्ट सरकारी प्रतिभूतियों की श्रेणियों को गैर निवासी निवेशकों के लिये भी पूरी तरह खोला जाएगा।
- कारपोरेट बांडों में FPI की सीमा को 9 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया।
- IFSC गिफ्ट सिटी: इनमें अंतर्राष्ट्रीय वित्त तथा सर्वोत्तम डेटा प्रोसेसिंग का केंद्र बनने की क्षमता है।
- विनियामक के अनुमोदन से वैश्विक बाजार भागीदारों द्वारा व्यापार के लिये अतिरिक्त विकल्प के रूप में एक अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंज की स्थापना की जाएगी।
- विनिवेश
- सरकार द्वारा आरंभिक सार्वजनिक पेशकश द्वारा LIC में अपनी शेयर पूंजी का हिस्सा बेचने का प्रस्ताव लाया गया है।
राजकोषीय प्रबंधन
- 15वें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2020-21 से संबंधित अपनी पहली रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।
- GST क्षतिपूर्ति निधि:
- वर्ष 2016-17 और 2017-18 के GST संग्रहण में से देय बकाया राशि दो किस्तों में हस्तांतरित की जानी है।
- इसके बाद इस निधि में स्थानांतरित GST क्षतिपूर्ति उपकर द्वारा संग्रहण तक ही सीमित होगा।
- वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में 3.8 प्रतिशत राजकोषीय घाटा का अनुमान लगाया गया था और वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में में 3.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटा का अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिये सुधारों का एक बड़ा हिस्सा पूंजीगत व्यय के लिये चला जाएगा जो 21 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 फरवरी, 2020
पाकिस्तान में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बड़े पैमाने पर टिड्डियों के हमले के कारण देश में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी है। इन टिड्डियों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लगभग संपूर्ण फसल को नष्ट कर दिया है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह पहली बार हुआ है जब सिंध और पंजाब में हमले के बाद टिड्डी दल ने खैबर पख्तूनख्वा में प्रवेश किया है। टिड्डियों के हमले से पाकिस्तान को लाखों रुपए की फसल के नुकसान का सामना करना पड़ा है। मुख्यतः टिड्डी एक प्रकार के बड़े उष्णकटिबंधीय कीड़े होते हैं जिनके पास उड़ने की अतुलनीय क्षमता होती है। टिड्डियों की प्रजाति में रेगिस्तानी टिड्डियों को सबसे खतरनाक और विनाशकारी माना जाता है। सामान्य तौर पर ये प्रतिदिन 150 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं। यदि अच्छी बारिश होती है और परिस्थितियाँ इनके अनुकूल रहती हैं तो इनमें तेज़ी से प्रजनन करने की क्षमता भी होती है और ये तीन महीनों में 20 गुना तक बढ़ सकते हैं।
जसवंत सिंह कंवल
प्रसिद्ध पंजाबी लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित जसवंत सिंह कंवल का 101 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। वर्ष 1919 में पंजाब के ढुडीके गांव में जन्मे जसवंत सिंह कंवल को वर्ष 1996 में साहित्य अकादमी ने उनकी पुस्तक 'पाखी' पर साहित्य अकादमी ने फेलोशिप दी और दो वर्ष बाद वर्ष 1998 में उपन्यास ‘तौशाली दी हांसो’ पर उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। उन्हें वर्ष 2007 में पंजाब सरकार द्वारा ‘साहित्य शिरोमणि अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रमंडल में शामिल हुआ मालदीव
मालदीव को राष्ट्रमंडल (Commonwealth) में आधिकारिक रूप से पुनः शामिल कर लिया गया है। मालदीव ने लगभग 3 वर्ष पूर्व मानवाधिकार के मुद्दे पर राष्ट्रमंडल से अलग हो गया था। मालदीव राष्ट्रमंडल में ऐसे समय फिर से शामिल हुआ है जब ब्रिटेन 47 वर्ष सदस्य रहने के बाद यूरोपीय संघ (EU) से अलग हुआ है। राष्ट्रमंडल उन देशों का एक समूह है जो अतीत में कभी-न-कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हैं। राष्ट्रमंडल के सभी सदस्यों ने लोकतंत्र, लैंगिक समानता, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर अवार्ड
देश के शीर्ष कवि और कथाकार विनोद कुमार शुक्ल की किताब ‘ब्लू इज लाइक ब्लू’ को पहले मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। विनोद कुमार शुक्ल को यह अवार्ड बुकर पुरस्कार के ज्यूरी सदस्य मार्गरेट बसबाई द्वारा दिया जाएगा। इसके तहत विनोद कुमार शुक्ल को सम्मान पत्र और 5 लाख रुपए की सम्मान राशि दी जायेगी। उनकी किताब का चयन जिस निर्णायक मंडल द्वारा किया गया उनमें शशि थरूर, चंद्रशेखर कंबार और डॉ सुमना रॉय शामिल थे। हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि और कहानीकार विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी, 1937 को मध्यप्रदेश में हुआ था।