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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 30 जून

  • 30 Jun 2018
  • 9 min read

चुनावी बॉण्‍ड योजना, 2018

हाल ही में भारत सरकार ने चुनावी बॉण्ड योजना, 2018 को अधिसूचित किया है। योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉण्‍ड की खरीद ऐसे व्‍यक्ति/संस्था द्वारा की जा सकती है, जो भारत का नागरिक हो या भारत में निगमित या स्‍थापित हो।

  • व्‍यक्ति विशेष के रूप में कोई भी व्‍यक्ति एकल या अन्‍य व्‍यक्तियों के साथ संयुक्‍त रूप से चुनावी बॉण्‍डों की खरीद कर सकता है।
  • केवल वैसी राजनीतिक पार्टियाँ, जो जन-प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 (1951 का 43)  के अनुच्‍छेद 29ए के तहत पंजीकृत हैं और जिन्होंने आम लोकसभा चुनाव या राज्‍य विधानसभा चुनावों  में डाले गए मतों का कम-से-कम एक प्रतिशत मत प्राप्त किये हों, चुनावी बॉण्‍ड प्राप्‍त करने की पात्र होंगी।
  • चुनावी बॉण्‍डों को किसी योग्‍य राजनीतिक पार्टी द्वारा केवल अधिकृत बैंक के किसी बैंक खाते के माध्‍यम से ही भुनाया जा सकेगा।
  • बिक्री के चौथे चरण में भारतीय स्‍टेट बैंक को अपनी 11 अधिकृत शाखाओं (सूची संलग्‍न) के माध्‍यम से 02 जुलाई, 2018 से 11 जुलाई, 2018 तक चुनावी बॉण्‍डों को जारी करने तथा भुनाने के लिये अधिकृत किया गया है।

उल्लेखनीय है कि चुनावी बॉण्‍ड जारी करने की तारीख से 15 दिनों के लिये वैध होंगे। वैधता की अवधि समाप्त होने के बाद जमा किये गए चुनावी बॉण्‍डों पर राजनीतिक दल को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। राजनीतिक दल द्वारा जमा किये गए चुनावी बॉण्‍डों की राशि को उसी दिन उनके बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा। 

हायाबुसा 2

जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने जीवन की उत्पत्ति के रहस्य से पर्दा उठाने हेतु जानकारी एकत्रित करने के लिये दिसंबर 2014 में हायाबुसा-2 नामक एक अभियान लॉन्च किया था, जो कि साढ़े तीन साल की यात्रा के बाद पृथ्वी से 30 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित क्षुद्रग्रह ‘रायगु’ (वैज्ञानिक नाम 162173 JU3) पर पहुँच गया है। इस अभियान का संचालन छह वर्षों के लिये किया जाएगा। इसका नाम फाल्कन पक्षी के नाम पर रखा गया है जिसे जापानी भाषा में हायाबुसा कहा जाता है।

  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, सौरमंडल के विकास के शुरुआती चरण में ही क्षुद्रग्रह का निर्माण हो गया था। इसी आधार पर उन्होंने ‘रायगु’ पर जैविक पदार्थ, पानी और जीवन की उत्पत्ति के लिये ज़रूरी मूलभूत तत्त्वों के बड़ी मात्रा में उपलब्ध होने की संभावना व्यक्त की है।

हायाबुसा - 2 की विशेषताएँ

  • यह आकार में एक बड़े फ्रिज के बराबर है, इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें सोलर पैनल लगे हैं।
  • हायाबुसा-2 में गाइडेंस नेविगेशन सिस्‍टम के अलावा एल्‍टीट्यूड कंट्रोल सिस्‍टम लगा है।
  • सबसे पहले हायाबुसा – 2 ‘रायगु’ से 20 किलोमीटर ऊपर रहकर उसका चक्कर लगाएगा और सतह पर उतरने से पहले उसका नक्शा तैयार करेगा।
  • इसके बाद क्षुद्रग्रह के एक क्रेटर को ब्लास्ट कर मलबा जमा किया जाएगा। शेष समय में (18 महीने) एस्टरॉइड के नमूने एकत्रित कर 2020 के अंत तक यह पृथ्वी पर लौट आएगा।

पृष्ठभूमि

  • उल्लेखनीय है कि इससे पहले हायाबुसा-1 लॉन्च किया गया था लेकिन यह बहुत अधिक नमूने नहीं जुटा पाया, हालाँकि किसी क्षुद्रग्रह से पृथ्वी पर नमूने लाने वाला यह अपनी तरह का पहला अभियान था। हायाबुसा-1 अपने सात साल के लंबे सफर के बाद 2010 में समाप्त हो गया था।
  • हायाबुसा-2 को सबसे पहले 30 नवंबर, 2014 में लॉन्‍च किया जाना था, लेकिन कुछ तकनीकी गड़बड़ी के कारण इसे 3 दिसंबर, 2014 को लॉन्‍च किया गया।

Re unite एप

केंद्रीय वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय ने ‘रीयूनाइट’ (Re unite) नामक एक मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप की सहायता से देश में खोए हुए बच्चों का पता लगाने में सहायता मिलेगी। इस एप को विकसित करने में स्वयंसेवी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और ‘कैपजेमिनी’ (Capgemini) ने सहायता की है।

  • खोए हुए बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाने का यह प्रयास, तकनीक के उत्कृष्ट उपयोग को दर्शाता है। यह एप जीवन से जुड़ी सामाजिक चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा।
  • इस एप के माध्यम से माता-पिता बच्चों की तस्वीरें, बच्चों का विवरण जैसे- नाम, पता, जन्म चिन्ह आदि अपलोड कर सकते हैं, पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट कर सकते हैं तथा खोए बच्चों की पहचान कर सकते हैं।
  • खोए हुए बच्चों की पहचान करने के लिये एमेजन रिकोगनिशन (Amazon Rekognition), वेब आधारित फेशियल रिकोगनिशन जैसी सेवाओं (web facial recognition service) का उपयोग किया जा रहा है। यह एप एंड्राएड और आईओएस दोनों ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

बच्चों की सुरक्षा के संदर्भ में ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ (Bachpan Bachao Andolan -BBA) भारत का सबसे बड़ा आंदोलन है। बीबीए ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित कानून निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह आंदोलन 2006 के निठारी मामले से शुरू हुआ है।

शनि ग्रह के उपग्रह इंसेलेडस पर मिले जीवन के संकेत

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान द्वारा एकत्रित डाटा का अध्ययन करने के बाद शनि के उपग्रह इंसेलेडस पर जीवन की संभावना के संकेत मिले हैं। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, इंसेलेडस की बर्फीली सतह पर कई दरारें पाई गई हैं, जिनमें जैविक कार्बनिक अणुओं की खोज की गई है

  • इन अणुओं की खोज से शनि के उपग्रह पर जीवन होने का संकेत और भी प्रबल हो गया है। 
  • इस शोध से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन जैविक कार्बनिक अणुओं का निर्माण उपग्रह की पथरीली कोर और वहाँ उपस्थित महासागर के गर्म पानी के बीच हुई रासायनिक प्रक्रिया के कारण हुआ है।
  • शनि के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिये नासा ने इटली और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से कैसिनी अभियान को शुरू किया था। यह अभियान सितंबर 2017 में समाप्त हो गया था।
  • इससे पहले शोधकर्त्ताओं ने इंसेलेडस पर कुछ कार्बन परमाणु वाले आर्गनिक अणुओं की खोज की थी। इस बार जिन अणुओं की खोज हुई है वह मीथेन से भी दस गुना अधिक भारी हैं।
  • इस खोज के पश्चात् यह उपग्रह पृथ्वी के बाद जीवन की संभावना हेतु ज़रूरी सभी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने वाला पहला खगोलीय पिंड बन गया है।

इससे पहले वहाँ  महासागर होने के भी सबूत मिले थे। पृथ्वी के महासागरों में रहने वाले सूक्ष्म जीवों को हाइड्रोजन से ही रासायनिक ऊर्जा प्राप्त होती है। इस आधार पर माना जा रहा है कि शनि के उपग्रह पर भी सूक्ष्मजीव हो सकते हैं।

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