भारत-इटली प्रवासन और आवाजाही समझौता
प्रिलिम्स के लिये:भारत-इटली प्रवासन और आवाजाही समझौता, यूरोपीय संघ, इटली की भौगोलिक अवस्थिति, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, ब्लू-रमन परियोजना मेन्स के लिये:भारत और इटली के बीच सहयोग के क्षेत्र |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और इटली के बीच प्रवासन एवं आवाजाही समझौते को पूर्वव्यापी मंज़ूरी दे दी।
भारत और इटली के बीच प्रवासन तथा आवाजाही समझौता क्या है?
- परिचय:
- यह समझौता भारत और इटली के बीच लोगों के संबंधों को प्रगाढ़ करते हुए अनियमित प्रवासन से संबंधित मुद्दों पर सहयोग को मज़बूत करने के लिये तैयार है।
- यह छात्रों, कुशल श्रमिकों, व्यावसायियों और युवा पेशेवरों सहित विभिन्न वर्गों के लिये आवाजाही की सुविधा प्रदान करता है, उनके बीच विनिमय तथा सहयोग को बढ़ावा देता है।
- प्रमुख प्रावधान:
- भारतीय छात्रों के लिये अस्थायी निवास: इटली में शैक्षणिक/व्यावसायिक प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रारंभिक पेशेवर अनुभव हासिल करने के इच्छुक भारतीय विद्यार्थियों को 12 महीने तक के लिये अस्थायी निवास की अनुमति दी जा सकती है।
- श्रमिकों के लिये आरक्षित कोटा: समझौता गैर-मौसमी और मौसमी भारतीय श्रमिकों के लिये कोटा की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें मौजूदा फ्लो डिक्री के तहत वर्ष 2023-2025 में आरक्षित कोटा सीमा शामिल है।
- इतालवी सरकार की वार्षिक “फ्लो डिक्री” (डिक्रेटो फ्लुसी) गैर यूरोपीय संघ के नागरिकों की अधिकतम संख्या निर्धारित करती है जो काम और स्व-रोज़गार के लिये इटली में प्रवेश कर सकते हैं।
- क्रियान्वयन:
- समझौता समाप्त होने तक स्वचालित नवीनीकरण के साथ 5 वर्षों तक लागू रहेगा।
- इसके कार्यान्वयन की देखरेख एक संयुक्त कार्य समूह (JWG) द्वारा की जाएगी, जो प्रगति का आकलन करने और कुशल निष्पादन के लिये सहायक उपाय सुझाने के लिये नियमित आधार पर बैठक करेगा।
इटली के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण तथ्य:
- परिचय:
- इटली जूते के आकार (boot-shaped) का प्रायद्वीप है जो दक्षिणी यूरोप से एड्रियाटिक सागर, टेरहेनियन सागर, भूमध्य सागर से घिरा हुआ है।
- सीमावर्ती देश:
- इसकी ऑस्ट्रिया, फ्राॅन्स, होली सी (वेटिकन सिटी), सैन मैरिनो, स्लोवेनिया और स्विट्ज़रलैंड के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ हैं।
- यह अल्बानिया, अल्जीरिया, क्रोएशिया, ग्रीस, लीबिया, माल्टा, मोंटेनेग्रो, स्पेन और ट्यूनीशिया के साथ समुद्री सीमाएँ भी साझा करता है।
- सरकार का स्वरूप: गणतंत्र
- राजधानी: रोम
- मुद्रा: यूरो
- प्रमुख पर्वत: आल्प्स, एपेनाइन
- प्रमुख नदियाँ: पो, अदिगे, अर्नो, टाईबर
भारत और इटली के बीच सहयोग के अन्य क्षेत्र कौन से हैं?
- ऐतिहासिक संबंध:
- इतालवी पत्तन शहरों ने व्यापारिक केंद्रों के रूप में मसाला व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- तेरहवीं शताब्दी में वेनिस के व्यापारी मार्को पोलो ने अपनी पूर्वी यात्राओं के हिस्से के रूप में भारत का दौरा किया और अपने अनुभवों पर एक रिपोर्ट तैयार की।
- राजनीतिक:
- भारत और इटली के बीच राजनीतिक संबंध वर्ष 1947 में स्थापित हुए।
- मार्च 2023 में भारत तथा इटली ने अपने संबंधों को सामरिक साझेदारी तक बढ़ाया।
- आर्थिक:
- वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच 14.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार किया गया।
- इटली यूरोपीय संघ में भारत के शीर्ष 5 व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
- इटली को भारतीय निर्यात की मुख्य वस्तुएँ तैयार वस्त्र, चमड़ा, लौह अयस्क, मोटर वाहन, कपड़ा, रसायन, रत्न एवं आभूषण हैं।
- इटली से आयात की मुख्य वस्तुएँ सामान्य और विशेष प्रयोजन यांत्रिकी, यंत्र उपकरण, धातुकर्म उत्पाद तथा अभियांत्रिकी संबंधी वस्तुएँ हैं।
- वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच 14.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार किया गया।
- सुरक्षा:
- भारत-इटली सैन्य सहयोग समूह (India-Italy Military Cooperation Group- MCG) दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिये स्थापित एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- भारत और इटली से संबंधित अन्य पहलें:
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा
- वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन
- ब्लू-रमन परियोजना
विकसित भारत संकल्प यात्रा और पीएम-किसान योजना
प्रिलिम्स के लिये:विकसित भारत संकल्प यात्रा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना, आधार लिंकेज, संतृप्ति अभियान मेन्स के लिये:समृद्ध भारत संकल्प यात्रा के माध्यम से संतृप्ति अभियान और पीएम किसान लाभार्थियों पर इसका प्रभाव। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के लाभार्थियों की संख्या में 20% से अधिक की गिरावट आई है, जो अप्रैल-जुलाई 2022 में 10.47 करोड़ से घटकर 8.12 करोड़ हो गई है।
- सरकार के सक्रिय उपायों, विशेष रूप से विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत शुरू किये गए "संतृप्ति अभियान" ने 34 लाख किसानों को लाभार्थियों की सूची में वापस जोड़ दिया है।
विकसित भारत संकल्प यात्रा क्या है?
- परिचय:
- यह सरकार की योजनाओं की संतृप्ति प्राप्त करने के लिये विस्तारित गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का एक राष्ट्रव्यापी अभियान है। इसके अंतर्गत पूरे देश में भारत की सभी ग्राम पंचायतें, नगर पंचायतें और शहरी स्थानीय निकाय शामिल हैं।
- यह अभियान भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के संगठनों और संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के साथ संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण अपनाकर चलाया जा रहा है।
- उद्धेश्य:
- यह अभियान कमज़ोर लोगों तक पहुँच प्रदान करता है, जो विभिन्न योजनाओं के तहत पात्र हैं जिन्होंने इसका अभी तक लाभ नहीं उठाया है।
- जानकारी उपलब्ध करवाना और योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- व्यक्तिगत आख्यानों और अनुभवों (stories/ experience) को साझा करने के माध्यम से सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्तकर्त्ताओं के साथ प्रत्यक्ष जुड़ाव।
- विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान विवरण के माध्यम से संभावित लाभार्थियों का नामांकन।
PM किसान सम्मान निधि योजना (PM-किसान) क्या है?
- परिचय:
- इसे देश के किसानों की वित्तीय आवश्यकतों को पूरा करने के लिये शुरू किया गया था।
- इसका संचालन दिसंबर, 2018 से शुरू हुआ है।
- वित्तीय लाभ:
- इसके तहत प्रत्येक चार महीने में तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6000/- रुपए का वित्तीय लाभ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) मोड के माध्यम से देश भर के किसान परिवारों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाता है।
- योजना का दायरा:
- यह योजना प्रारंभ में 2 हेक्टेयर भूमि वाले छोटे तथा सीमांत किसानों (Small and Marginal Farmers- SMF) के लिये थी किंतु सभी भूमि धारक किसानों को लाभ प्रदान करने हेतु योजना का दायरा बढ़ा दिया गया।
- वित्तपोषण तथा कार्यान्वयन:
- यह भारत सरकार से 100% वित्तपोषण प्राप्त एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- इसका कार्यान्वन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- उद्देश्य:
- प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य तथा उचित पैदावार सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न आदानों की खरीद में छोटे व सीमांत किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना।
- अमुक व्यय को पूरा करने के लिये उन्हें साहूकारों के चंगुल में फँसने से बचाना तथा कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना।
- PM-किसान मोबाइल ऐप:
- इसे इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित तथा डिज़ाइन किया गया था।
- वास्तविक रूप से सत्यापन की व्यवस्था:
- योजना में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक वर्ष 5% लाभार्थियों का अनिवार्य रूप से वास्तविक सत्यापन किया जा रहा है।
PM-किसान से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- अनिवार्य प्रावधान तथा आधार लिंकेज:
- अनिवार्य भूमि बीजारोपण प्रावधानों तथा आधार को सक्रिय बैंक खातों से जोड़ने की आवश्यकता ने इस योजना को जटिल बना दिया है, जिससे किसानों के लिये इन शर्तों का अनुपालन करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- किसानों, विशेष रूप से दूरवर्ती क्षेत्रों के किसानों को आधार लिंकेज तथा भूमि बीजारोपण आवश्यकताओं को पूरा करने में तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे PM-किसान लाभों तक उनकी पहुँच में बाधा आ सकती है।
- जागरूकता और आउटरीच:
- कई पात्र किसान अभी भी PM-Kisan योजना से अनजान हैं या उन्हें आवेदन प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होगी।
- प्रयासों के बावजूद, आउटरीच पहल को कृषक समुदाय के सभी वर्गों तक पहुँचने में संघर्ष करना पड़ सकता है, विशेषकर दूरदराज़ या हाशिये पर रहने वाले क्षेत्रों में।
- प्रौद्योगिकी पहुँच:
- स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी सहित प्रौद्योगिकी पहुँच में असमानताएँ, किसानों की PM-Kisan नामांकन तथा अनुपालन के लिये आवश्यक ऑनलाइन प्रक्रियाओं से जुड़ने की क्षमता में बाधा बन सकती हैं।
आगे की राह
- सरलता और दक्षता के लिये अनिवार्य भूमि बीजारोपण प्रावधानों एवं आधार लिंकेज आवश्यकताओं की व्यापक समीक्षा की जानी चाहिये।
- निर्बाध अनुपालन हेतु उपयोगकर्त्ता-अनुकूल प्लेटफार्म बनाने के लिये प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने की आवश्यकता है।
- कमज़ोर किसानों तक पहुँचने के लिये समुदाय-स्तरीय सहभागिता कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिये।
- PM-Kisan के लाभों से अनजान पात्र किसानों की पहचान कर उनका समर्थन करने के लिये स्थानीय अधिकारियों, कृषि सेवाओं और गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
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हटिंगटन रोग
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में हंगरी में ‘सेज्ड विश्वविद्यालय’ (University of Szeged) के शोधकर्त्ताओं ने मॉडल जीव के रूप में फल मक्खियों (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) का उपयोग करके हंटिंगटन की बीमारी के बारे में जानकारी का खुलासा किया जो वैज्ञानिक रिपोर्ट (साइंटिफिक रिपोर्ट्स) में प्रकाशित हुआ था।
- इस नवोन्मेषी दृष्टिकोण ने रोग की प्रगति और संभावित चिकित्सीय लक्ष्यों के बारे में आशाजनक खुलासे किये हैं।
हंटिंगटन रोग क्या है?
- परिचय:
- हंटिंगटन रोग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है।
- यह HTT जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है, जो दोषपूर्ण हंटिंगटिन (huntingtin- HTT) प्रोटीन का उत्पादन करता है।
- उत्परिवर्ती हंटिंगटिन (huntingtin-HTT) प्रोटीन विषाक्त टुकड़ों में विभाजित हो जाते हैं, जिससे विभिन्न सेलुलर प्रक्रियाएँ बाधित होती हैं।
- HTT जीन और पॉलीग्लूटामाइन ट्रैक्ट:
- हंटिंगटन प्रोटीन, जो तंत्रिका कोशिका कार्य के लिये आवश्यक है, HTT जीन द्वारा एन्कोड किया गया है।
- HTT जीन में उत्परिवर्तन के परिणामस्वरूप HTT प्रोटीन में पॉलीग्लुटामाइन तंत्र (polyglutamine tract) का विस्तार होता है, जिससे मिसफॉल्डिंग और शिथिलता (dysfunction) उत्पन्न होती है।
- हंटिंगटन रोग की गंभीरता विस्तारित पॉलीग्लुटामाइन तंत्र की लंबाई से संबंधित है।
- हनटिंग्टन रोग एक प्रभावी विशेषक (Autosomal Dominant) माध्यम से आनुवंशिक रूप से जनित होती है, जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को इससे संक्रमित होने के लिये माता-पिता से उत्परिवर्तित जीन की केवल एक प्रति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
- हंटिंगटन रोग से पीड़ित माता-पिता के प्रत्येक बच्चे में इसके संक्रमण फैलने की संभावना 50% होती है।
- हंटिंगटन प्रोटीन, जो तंत्रिका कोशिका कार्य के लिये आवश्यक है, HTT जीन द्वारा एन्कोड किया गया है।
- लक्षण:
- शुरुआती लक्षणों में भूलने की बीमारी, संतुलन खोना तथा दैनिक कार्यों को करने में अक्षमता शामिल हैं।
- ये लक्षण समय के साथ गंभीर हो जाते हैं तथा मनुष्य की प्रवृत्ति एवं तार्किक क्षमता को प्रभावित करते हैं और अनियंत्रित गतिविधियों का कारण बनते हैं। संक्रमण बढ़ने पर मरीज़ों को बोलने, निगलने व चलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
- ये लक्षण आमतौर पर 30-50 की आयु के बीच जनित होते हैं।
- उपचार:
- हंटिंगटन रोग का वर्तमान में कोई स्थाई उपचार नहीं है तथा मौजूदा उपचार मात्र लक्षणों को कम करते हैं।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- वैज्ञानिकों ने उत्परिवर्तित मानव HTT जीन के पॉलीग्लूटामाइन पथ को व्यक्त करने के लिये फल मक्खियों/ फ्रूट फ्लाइज़ के तंत्रिका तंत्र को संशोधित किया।
- उन्होंने बेकर यीस्ट (सैकरोमाइसीज़ सैरीवीसी) से Gal4 नामक जीन का उपयोग किया, जो अपस्ट्रीम एक्टिवेटिंग सीक्वेंस (UAS) नामक DNA अनुक्रमण से संलग्न होने पर जीन की अभिव्यक्ति को सक्रिय करता है।
- Gal4/UAS प्रणाली फ्रूट फ्लाई के जीनोम में कार्य करती है, जो विशेष रूप से न्यूरॉन्स में प्रोटीन की अभिव्यक्ति की अनुमति देती है।
- उत्परिवर्तित HTT जीन के साथ फल मक्खियों (फ्रूट फ्लाइज़) में न्यूरोनल अध: पतन, क्षीण आरोहण क्षमता (Impaired Climbing Ability), कम व्यवहार्यता और दीर्घायु दर्ज की गईं।
- HTT प्रोटीन में ग्लूटामाइन इकाइयों की सामान्य श्रेणी के साथ फल मक्खियों के एक ‘नियंत्रित समूह’ ने बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं दिखाया।
- अध्ययन में पाया गया कि लंबे ग्लूटामाइन ट्रैक्ट को व्यक्त करने से मनुष्यों में हंटिंगटन रोग जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं, जबकि छोटे ट्रैक्ट में ऐसा नहीं होता है।
- शोधकर्त्ताओं ने पाया कि मक्खियों में Yod1 जीन नामक एक जीन (मक्खियों में जाँचे गए 32 जीनों में से एक) की अत्यधिक अभिव्यक्ति ने न्यूरोडीजेनेरेशन और प्रेरक तंत्र-कोशिका हानि सहित हंटिंगटन रोग से जुड़े रोग जैसे प्रभावों को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।
पेगासस स्पायवेयर
प्रिलिम्स के लिये:पेगासस स्पायवेयर, ज़ीरो-क्लिक तथा ज़ीरो-डे वल्नरेबिलिटीज़, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति, साइबर सुरक्षित भारत मेन्स के लिये:स्पायवेयर तथा निजता संबंधी चिंताएँ, साइबर हमले, सरकारी पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
पेगासस स्पायवेयर के कारण पुनः एक बार निजता और सुरक्षा संबंधी मुद्दे चर्चा में आए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्टें दो प्रमुख भारतीय पत्रकारों के फोन को लक्षित करने में इसके उपयोग की ओर संकेत करती हैं, जिससे संभावित सरकारी भागीदारी के बारे में पूछताछ शुरू हो गई है।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल 10 मिलियन से अधिक लोगों का एक वैश्विक आंदोलन है जो एक ऐसे भविष्य की परिकल्पना के लिये प्रतिबद्ध है जहाँ सभी के मानवाधिकारों को सुनिश्चित किया जा सके।
पेगासस स्पायवेयर क्या है?
- परिचय:
- पेगासस स्पायवेयर एक अत्यधिक सुदृढ़ मोबाइल आवेक्षण टूल है जो विभिन्न ऐप्स और स्रोतों से डेटा तथा जानकारी एकत्र कर सेलफोन तक गुप्त रूप से पहुँच सकता है एवं निगरानी कर सकता है।
- इसे इज़रायली साइबर-इंटेलिजेंस फर्म NSO ग्रुप द्वारा विकसित किया गया था, जो इसे मात्र अपराध तथा आतंकवाद की रोकथाम के लिये सरकारी एजेंसियों को बेचने का दावा करता है।
- NSO उन पत्रकारों, वकीलों तथा मानवाधिकार रक्षकों को निशाना बनाने से बचने के लिये सुरक्षा उपायों पर ज़ोर देता है जो आतंक अथवा गंभीर अपराधों में शामिल नहीं हैं।
- परिचालन प्रक्रिया:
- पेगासस डिवाइस को लक्षित करने के लिये “ज़ीरो-क्लिक” विधियों का उपयोग करता है, यह एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्त्ता की सहमति के बिना उसके डिवाइस पर स्पायवेयर इंस्टॉल करने की अनुमति देता है।
- स्पायवेयर को इंस्टॉलेशन के लिये किसी उपयोगकर्त्ता कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती है जो इसे नियमित ऐप्स से अलग करता है जिनके इंस्टॉलेशन में स्पष्ट उपयोगकर्त्ता पुष्टि की आवश्यकता होती है।
- यह व्हाट्सएप, आईमैसेज या फेसटाइम जैसे ऐप्स में कमज़ोरियों का फायदा उठा सकता है और एक संदेश या कॉल भेज सकता है जो स्पायवेयर की स्थापना को ट्रिगर करता है, भले ही उपयोगकर्त्ता इसे न देखें या इसका जवाब न दें।
- पेगासस एक स्पायवेयर है जो एप्पल उत्पादों पर स्पायवेयर तैनात करने के लिये ज़ीरो-डे भेद्यता की कमज़ोरियों का लाभ उठा सकता है।
- ज़ीरो-डे भेद्यता एक ऑपरेटिंग सिस्टम में एक अनदेखा दोष या बग है जिसके बारे में मोबाइल फोन के निर्माता को अभी तक पता नहीं लग पाया है और इसलिये वह इसे ठीक करने में सक्षम नहीं है।
- पेगासस डिवाइस को लक्षित करने के लिये “ज़ीरो-क्लिक” विधियों का उपयोग करता है, यह एक सॉफ्टवेयर है जो उपयोगकर्त्ता की सहमति के बिना उसके डिवाइस पर स्पायवेयर इंस्टॉल करने की अनुमति देता है।
- लक्ष्य:
- कई जाँचों और रिपोर्टों से पता चला है कि पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं, वकीलों, विपक्षी नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी करने के लिये किया गया है।
- जिन देशों पर अपने आलोचकों और दुश्मनों को निशाना बनाने के लिये पेगासस स्पायवेयर का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है उनमें सऊदी अरब, मैक्सिको, भारत, मोरक्को, हंगरी, अज़रबैजान तथा रवांडा शामिल हैं।
- आशय:
- पेगासस स्पायवेयर भ्रष्टाचार को उजागर करने, मानवाधिकारों की रक्षा करने तथा लोकतंत्र का समर्थन करने वाले व्यक्तियों एवं समूहों की गोपनीयता और सुरक्षा को खतरे में डालता है।
- यह पत्रकारों के स्रोतों, तरीकों और सामग्रियों को उजागर करके, उनकी स्वतंत्रता से समझौता करके प्रेस की स्वतंत्रता को कमज़ोर करता है।
- स्पायवेयर राष्ट्रों की संप्रभुता और स्थिरता के लिये खतरा उत्पन्न करता है, आंतरिक मामलों एवं निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में विदेशी हस्तक्षेप तथा जासूसी को सक्षम बनाता है।
- चुनौतियाँ:
- पेगासस स्पायवेयर का पता लगाना और उसे हटाना मुश्किल है, क्योंकि यह डिवाइस पर अपनी उपस्थिति एवं गतिविधि को छिपा सकता है तथा अगर इसे पता चलता है कि इसकी खोज या विश्लेषण किया जा रहा है तो यह स्वयं को नष्ट कर सकता है।
- कानूनी रूप से अस्पष्ट क्षेत्रों में इसके संचालन के कारण पेगासस स्पायवेयर को विनियमित और नियंत्रित करना मुश्किल है।
- NSO समूह और उसके ग्राहक आमतौर पर स्पायवेयर के दुरुपयोग के लिये ज़िम्मेदारी से इनकार करते हैं या उससे बचते हैं।
साइबर खतरों के प्रमुख प्रकार:
संबंधित साइबर सुरक्षा पहल क्या हैं?
- भारत:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति
- साइबर सुरक्षित भारत
- कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम - भारत (CERT-In)
- महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- अंतर्राष्ट्रीय तंत्र:
आगे की राह
- निगरानी उपकरणों के किसी भी अनैतिक उपयोग के लिये कंपनियों को जवाबदेह ठहराने और स्वतंत्र ऑडिट की सुविधा के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण तंत्र स्थापित की जानी चाहिये।
- स्पायवेयर के उपयोग को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करने और लक्षित व्यक्तियों की गोपनीयता एवं मानवाधिकारों की रक्षा के लिये राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे को मज़बूत की जानी चाहिये।
- स्पायवेयर से उत्पन्न जोखिमों और संभावित घुसपैठ के खिलाफ अपने उपकरणों की सुरक्षा के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाएँ।
- संभावित स्पायवेयर गतिविधियों की निरंतर निगरानी सहित साइबर खतरों का सक्रिय रूप से पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिये राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करें।
- तकनीकी कंपनियों को नैतिक दिशा-निर्देशों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करें जो मानवाधिकार सिद्धांतों के अनुरूप हों तथा ज़िम्मेदार कॉर्पोरेट व्यवहार को बढ़ावा दें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न1. ‘वान्नाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू’ पद जो हाल ही में समाचारों में उल्लिखित थे, निम्नलिखित में से किसके साथ संबंधित हैं? (2018) (a) एक्सोप्लैनेट्स उत्तर: (c) प्रश्न2. भारत में, किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त सामान्यत: निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये– (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न1. भारत में, साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है/हैं? (2017) 1- सेवा प्रदाता (सर्विस प्रोवाइडर) नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न1. साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं? साइबर सुरक्षा में चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिये कि भारत ने किस हद तक एक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (2022) |