उत्कृष्टता केंद्र | हरियाणा | 22 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के खेल मंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में उन्नत खेल सुविधाएँ प्रदान करने के लिये प्रयास तेज़ कर रही है, जिससे खिलाड़ियों को ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों जैसी वैश्विक प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी।
मुख्य बिंदु
- बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली:
- सरकार राज्य भर की खेल नर्सरियों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिये बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली शुरू करेगी।
- यह प्रणाली सबसे पहले पंचकूला के ताऊ देवी लाल खेल स्टेडियम में लागू की जाएगी तथा बाद में इसे हरियाणा के अन्य स्टेडियमों और खेल नर्सरियों वाले स्कूलों में भी लागू किया जाएगा।
- इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आहार भत्ता केवल पात्र खिलाड़ियों को ही वितरित किया जाए।
- खिलाड़ियों के लिये बीमा कवरेज:
- खेल विभाग खिलाड़ियों को बीमा कवरेज प्रदान करेगा।
- इससे प्रशिक्षण या प्रतियोगिता के दौरान चोट लगने की स्थिति में उचित उपचार सुनिश्चित हो सकेगा।
- खेल अवसंरचना में सुधार:
- ज़िला स्तर तथा ब्लॉक स्तर पर राजीव गांधी खेल स्टेडियमों का रखरखाव एवं मरम्मत किया जाएगा।
- खेल सुविधाओं को बढ़ाने के लिये स्वच्छता और खेल के मैदानों के जीर्णोद्धार पर ध्यान दिया जाएगा।
- बहुउद्देशीय हॉल और अन्य सुविधाओं का समय पर निर्माण सुनिश्चित करने के लिये खेल विभाग के इंजीनियरिंग विंग को मज़बूत किया जाएगा।
- उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना:
- सोनीपत में कुश्ती उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा, जबकि पानीपत में मुक्केबाज़ी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- दोनों केंद्रों में छात्रावास की सुविधा होगी, जिससे एथलीटों को अपने प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
- मार्शल आर्ट प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिये यमुनानगर में बंदा सिंह बहादुर मार्शल आर्ट स्कूल स्थापित किया जाएगा।
- निगरानी और जवाबदेही:
- खेल निदेशक और उप निदेशक को ज़िलों का दौरा करने, स्टेडियम की स्थिति का आकलन करने और आवश्यक सुधारों पर रिपोर्ट संकलित करने के निर्देश दिये गए हैं।
- उचित प्रशिक्षण मानक सुनिश्चित करने के लिये लापरवाह खेल प्रशिक्षकों की सूची बनाई जाएगी।
- खेल आयोजनों की योजना और समय-निर्धारण:
- अधिकारियों को वार्षिक खेल कैलेंडर तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
- एथलीटों को असुविधा से बचाने के लिये प्रतियोगिताओं की मेज़बानी करने वाले किसी भी ज़िले में आयोजनों की तैयारी कम-से-कम एक महीने पहले कर ली जानी चाहिये।
हरियाणा के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिये अनुदान | हरियाणा | 22 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने बिहार, हरियाणा और सिक्किम के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिये वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान पंद्रहवें वित्त आयोग (XV FC) अनुदान वितरित किया है।
मुख्य बिंदु
- अनुदान का आवंटन:
- हरियाणा:
- हरियाणा के ग्रामीण स्थानीय निकायों को 202.47 करोड़ रुपए की अनटाइड अनुदान की दूसरी किस्त प्राप्त हुई।
- यह धनराशि 18 पात्र ज़िला पंचायतों, 142 पात्र ब्लॉक पंचायतों और 6,195 पात्र ग्राम पंचायतों के लिये निर्धारित की गई है।
- बिहार:
- बिहार को 821.80 करोड़ रुपए की अनटाइड ग्रांट की दूसरी किस्त प्राप्त हुई।
- ये धनराशि 38 ज़िला पंचायतों, 530 पात्र ब्लॉक पंचायतों और 8,052 पात्र ग्राम पंचायतों को आवंटित की गई है, जिन्होंने रिलीज के लिये अनिवार्य शर्तें पूरी की हैं।
- सिक्किम:
- सिक्किम को 6.26 करोड़ रुपए की कुल संयुक्त अनुदान की दूसरी किस्त प्राप्त हुई।
- ये धनराशि 4 पात्र ज़िला पंचायतों और 186 पात्र ग्राम पंचायतों को आवंटित की गई, जिन्होंने जारी करने के लिये अनिवार्य शर्तें पूरी कीं।
- अनटाइड एवं टाइड अनुदानों का उपयोग:
- अप्रतिबंधित अनुदान:
- पंचायती राज संस्थाएँ और ग्रामीण स्थानीय निकाय इन अनुदानों का उपयोग संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों के अंतर्गत स्थान-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिये कर सकते हैं।
- इन अनुदानों का उपयोग वेतन और स्थापना लागतों के लिये नहीं किया जा सकता।
- बंधे हुए अनुदान:
वित्त आयोग
- यह एक संवैधानिक निकाय है, जो संवैधानिक व्यवस्था और वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के बीच कर आय के वितरण की विधि और नियम निर्धारित करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत भारत के राष्ट्रपति को पाँच वर्ष के अंतराल पर या उससे पहले एक वित्त आयोग का गठन करना आवश्यक है।
- प्रथम वित्त आयोग की स्थापना वर्ष 1951 में हुई थी और अब तक पंद्रह वित्त आयोग स्थापित हो चुके हैं।
15वाँ वित्त आयोग
- एन.के. सिंह की अध्यक्षता में 15वें वित्त आयोग का गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा 27 नवंबर 2017 को योजना आयोग की समाप्ति और वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने की पृष्ठभूमि में किया गया था।
- नवंबर 2019 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग को पहले वित्त वर्ष 2020-21 के लिये अपनी पहली रिपोर्ट प्रस्तुत करने और वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिये अंतिम रिपोर्ट 30 अक्टूबर, 2020 तक प्रस्तुत करने के लिये इसके कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी दी थी।