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स्टेट पी.सी.एस.

  • 30 May 2024
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हरियाणा Switch to English

हरियाणा सरकार अवैध मंज़िलों को ध्वस्त करेगी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा सरकार के नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग (DTCP) ने निर्देश जारी किये हैं, जिसमें कहा गया है कि आवासीय भूखंडों पर अवैध रूप से निर्मित मकानों की चौथी मंज़िलों को ध्वस्त किया जा सकता है और उनके अधिभोग प्रमाण-पत्र रद्द किये जा सकते हैं।

मुख्य बिंदु:

  • फरवरी 2023 में, हरियाणा सरकार ने लंबित आवेदनों सहित आवासीय भूखंडों के लिये नई 'स्टिल्ट प्लस 4 मंज़िल' निर्माण योजनाओं हेतु अनुमोदन को निलंबित कर दिया।
    • सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि राज्य भर में ऐसी इमारतों को अनुमति दी जाए या नहीं।
  • DTCP के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जिन आवासीय भवनों में चौथी मंज़िल का निर्माण किया गया था, लेकिन आवश्यक औपचारिकताओं को 23 फरवरी, 2023 तक पूरा नहीं किया गया है, उनके कब्ज़े के प्रमाण-पत्र हरियाणा सरकार के अगले निर्देशों तक निलंबित रहेंगे।


हरियाणा Switch to English

हीट-वेव के दौरान बिजली की मांग में वृद्धि

चर्चा में क्यों?

वर्तमान हीट-वेव के कारण गुरुग्राम में विद्युत ऊर्जा की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में, विद्युत ऊर्जा की मांग रिकॉर्ड 482.3 लाख यूनिट (LU) तक पहुँच गई, क्योंकि तापमान 47 डिग्री तक पहुँच गया, जो वर्ष 2023 से 84% की वृद्धि को दर्शाता है।

मुख्य बिंदु:

  • विद्युत ऊर्जा की उच्च मांग शहर की ऊर्जा वितरण प्रणाली पर बड़ा दबाव डाल रही है। पूरे शहर में लोग अनियोजित बिजली कटौती और वोल्टेज में लगातार बदलाव का सामना कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों को रात के दौरान उचित आराम न मिलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
  • अधिकारियों के अनुसार, वे स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहे हैं और बिजली कटौती या विफलताओं से बचने के लिये आवश्यक उपायों को लागू कर रहे हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश की नदियों से हटाया जाएगा अतिक्रमण

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार ज़िले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थित नदियों व तालाबों से अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू होगा, जिसमें शहर की सरस्वती व कान्ह नदी भी शामिल है।

मुख्य बिंदु:

  • अभियान के तहत नदियों के 30 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं होना चाहिये। शहर और मास्टर प्लान क्षेत्र के चिह्नित 20 तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों के 56 तालाबों से भी अतिक्रमण हटाया जा रहा है।
  • इन तालाबों में सीवर का जल (अपशिष्ट जल) न जाने पाए, इसके लिये ठोस प्रबंधन सुनिश्चित किये जाएँ। शहर सहित पूरे ज़िले में वृक्षारोपण का महा-अभियान भी चलाया जाएगा।

सरस्वती नदी

  • यह इंदौर से होकर बहने वाली नदी है। इसमें अलवण जल नहीं है, बल्कि यह मुख्य रूप से कान्ह नदी के प्रदूषण के कारण प्रदूषित हो गई है।
  • यह नदी क्षिप्रा नदी के माध्यम से एक बड़े जल निकाय में बहती है।
    • मध्य प्रदेश में चंबल नदी की एक सहायक नदी शिप्रा (क्षिप्रा) मालवा पठार से होकर बहती है।
    • यह विंध्य पर्वतमाला में काकरी-टेकड़ी नामक पहाड़ी से निकलती है, जो धार के उत्तर में है और उज्जैन के पास स्थित है।
    • कान्ह और गंभीर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

कान्ह नदी

  • कान्ह इंदौर से होकर बहने वाली एक नदी है। 1990 के दशक की शुरुआत में इस नदी में सीवेज़ का अपशिष्ट जल मुक्त होना शुरू हुआ था। नदी को साफ करने के कई प्रयास किये गए हैं, फिर भी यह प्रदूषित है।
  • सरस्वती नदी के साथ यह नदी स्मार्ट सिटी इंदौर परियोजना का हिस्सा है और नदी के किनारे 3.9 किलोमीटर का रिवरफ्रंट पहले ही विकसित किया जा चुका है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दोनों नदियों का कायाकल्प किया जा रहा है।
  • वर्ष 2023 में केंद्र सरकार ने 'नमामि गंगे कार्यक्रम' के तहत कान्ह और सरस्वती नदियों की सफाई के लिये 511.15 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं।

उत्तराखंड Switch to English

सरकार ने CAA के तहत नागरिकता देना शुरू किया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि सरकार ने पश्चिम बंगाल, हरियाणा और उत्तराखंड में नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2024 के तहत नागरिकता प्रदान करना शुरू कर दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • 15 मई को, केंद्रीय गृह सचिव द्वारा नई दिल्ली में उम्मीदवारों को नागरिकता प्रमाण-पत्र का प्रारंभिक बैच प्रस्तुत किया गया, जो दिल्ली में अधिकार प्राप्त समिति द्वारा अनुमोदित नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के जारी होने के बाद किया गया।
  • गृह मंत्रालय द्वारा 11 मार्च 2024 को जारी नागरिकता संशोधन नियम, 2024 ने CAA के कार्यान्वयन का रास्ता साफ कर दिया है, जिसे वर्ष 2019 में संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था।
    • दिशा-निर्देशों के अनुसार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक समूहों के प्रवासी पूर्वव्यापी प्रभाव से CAA के तहत भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन कर सकते हैं।
  • CAA- 2019 के संशोधन के तहत, जो प्रवासी 31 दिसंबर 2014 तक भारत पहुँचे थे और जिन्हें अपने देश में "धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था या धार्मिक उत्पीड़न की आशंका थी" वे नए कानून के तहत नागरिकता के लिये पात्र हो गए।
    • इन प्रवासियों को छह वर्ष के भीतर त्वरित भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। संशोधन ने इन प्रवासियों के देशीकरण/नागरिकीकरण के लिये निवास की आवश्यकता को ग्यारह वर्ष से घटाकर पाँच वर्ष कर दिया।


उत्तर प्रदेश Switch to English

निकासी/इवैक्यूएशन स्लाइड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वाराणसी जाने वाली इंडिगो की उड़ान में बम की धमकी की सूचना मिलने के बाद, विमान में सवार सभी 176 यात्रियों को 'निकासी स्लाइड (Evacuation Slides)' का प्रयोग करके कुशलतापूर्वक बाहर निकाला गया।

  • हवाई जहाज़ की तलाशी में पाया गया कि धमकी एक धोखा थी।

मुख्य बिंदु:

  • निकासी स्लाइड एक इन्फ्लेटेबल स्लाइड (फुलाए जाने वाली स्लाइड) होती है जो यात्रियों को आपातकालीन स्थिति के दौरान सुरक्षित रूप से उड़ान से एग्ज़िट अर्थात् बाहर निकलने की अनुमति देती है, खासकर जब उड़ान के दौरान हवाई जहाज़ का दरवाज़ा ज़मीन से ऊपर हो।
  • इवैक्यूएशन स्लाइड के चार प्रकार होते हैं:
    • इन्फ्लेटेबल स्लाइड: इन्फ्लेटेबल स्लाइड यात्रियों को विमान के निकास द्वार से ज़मीन पर उतरने में मदद करती है। यदि वे दरवाज़ों का प्रयोग नहीं कर सकते हैं, तो वे विमान के किसी भी विंग्स तक पहुँचने का प्रयास कर सकते हैं। वहाँ से, वे ज़मीन पर उतरने के लिये स्लाइड का प्रयोग कर सकते हैं।
    • इन्फ्लेटेबल राफ्ट: यह स्लाइड की भांति ही कार्य करता है, लेकिन विमान को जलीय सतह पर उतरने की स्थिति में इसे लाइफ राफ्ट (जीवन रक्षक बेड़ा) के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • इन्फ्लेटेबल एग्ज़िट रैंप: इन्फ्लेटेबल एग्ज़िट रैंप यात्रियों को कुछ ओवरविंग एग्ज़िट (या विमान आपातकालीन निकास) से विंग्स/डैने तक जाने में मदद करने के लिये इंस्टॉल किया जाता है, अगर वह रास्ता ज़मीन तक पहुँचने के लिये बेहतर लगता है।
    • इन्फ्लेटेबल एग्ज़िट रैंप/स्लाइड: इन्फ्लेटेबल एग्ज़िट रैंप/स्लाइड ओवरविंग एग्ज़िट या हवाई जहाज़ के विंग्स से ज़मीन पर उतरने में सहायता के लिये प्रयोग किया जाता है। यह रैंप और विंग-टू-ग्राउंड डिवाइस का संयोजन है।
  • ये आम तौर पर कार्बन फाइबर और नायलॉन सामग्री से बने होते हैं जिन पर अग्नि-प्रतिरोध के लिये यूरेथेन का आवरण चढ़ाया जाता है। इन स्लाइड्स को बनाने के लिये मज़बूत फाइबर का उपयोग किया जाता है ताकि यात्रियों के उतरने के दौरान ये क्षतिग्रस्त होने से बच सकें।
  • स्लाइड्स को आम तौर पर केबिन के दरवाज़े के भीतर या विमान के बाह्य कम्पार्टमेंट (Fuselage Compartment) में पैक और इंस्टॉल किया जाता है।
  • इन्हें उच्च दाब वाली गैस जैसे: कार्बन डाइऑक्साइड या नाइट्रोजन गैस कंटेनरों और सक्शन मशीनों के माध्यम से परिवेशी वायु की मदद से फुलाया जाता है।
  • निकासी स्लाइड्स को तैनात करने के लिये प्रोटोकॉल:
    • यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी (EUASA) के अनुसार, जब ज़मीन और विमान निकास द्वार के बीच की ऊँचाई छह फीट या उससे अधिक हो तो इवैक्यूएशन स्लाइड्स को स्वचालित रूप से तैनात किया जाना चाहिये।
    • स्लाइड के लिये इन्फ्लेशन का समय उसके लोकेशन/स्थान के आधार पर छह से 10 सेकंड के बीच होना चाहिये।
    • यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इसे -40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 71 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलने में सक्षम होना चाहिये, साथ ही प्रति घंटे एक इंच तक की बारिश और हवाई जहाज़ के चारों ओर 45 डिग्री के कोण से आने वाली 46 किमी/घंटा की रफ्तार वाली तेज़ पवनों को भी झेलने में सक्षम होना चाहिये।

हरियाणा Switch to English

खेतों में आग लगने की घटनाएँ

चर्चा में क्यों?

गर्मी के महीनों में गेहूँ की कटाई के बाद भूमि को साफ करने के लिये खेतों में आग लगाने की घटनाएँ अप्रैल और मई में हरियाणा में 3,134 तक पहुँच गईं, जो पिछले तीन वर्षों में इस अवधि के दौरान राज्य में दर्ज की गई सबसे अधिक संख्या है।

मुख्य बिंदु:

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा वर्ष 2023 में विश्लेषित उपग्रह डेटा के अनुसार, अप्रैल-मई के दौरान खेतों में आग लगने की घटनाओं में 42% की कमी आई है, जबकि केवल 1,900 घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
    • वर्ष 2023 के लिये आँकड़ों में कमी का कारण क्षेत्र में प्री-मानसून वर्षा की अधिक संख्या है।
  • वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने हाल ही में कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और उसके आस-पास फसल अवशेष जलाने की बढ़ती घटनाएँ तथा पड़ोसी राज्यों में वनाग्नि दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता में योगदान दे सकती हैं, साथ ही शुष्क मौसम की स्थिति के कारण क्षेत्र में धूल छाई रहती है।
    • किसानों और आम जनता दोनों को फसल अवशेष जलाने के प्रतिकूल प्रभावों तथा पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने के महत्त्व के बारे में सूचित करने के लिये जन जागरूकता पहल शुरू की गई है।
  • सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) के अनुसार, अधिकारियों को न केवल सर्दियों में वायु प्रदूषण से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, बल्कि पूरे वर्ष इस मुद्दे को संबोधित करना चाहिये।
    • हालाँकि अक्तूबर-नवंबर के दौरान खराब वायु गुणवत्ता के कारण खेतों में आग लगने के नकारात्मक प्रभाव को सामान्यतः उजागर किया जाता है, लेकिन अप्रैल और मई में रबी की पराली जलाना भी उतना ही हानिकारक है।
    • भले ही मानसूनी हवाओं के कारण गर्मियों में पराली जलाने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर कोई खास असर न पड़े, लेकिन पंजाब और आस-पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में गिरावट ज़रूर आती है।
    • यह स्थिति तब और खराब हो जाती है जब कई दिनों तक स्थिर हवाएँ चलती हैं, जिससे प्रदूषकों का फैलाव बाधित होता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI)

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) जिसे पूसा संस्थान के नाम से जाना जाता है, की शुरुआत वर्ष 1905 में पूसा (बिहार) में अमेरिकी परोपकारी श्री हेनरी फिप्स के उदार अनुदान से हुई थी।
  • वर्ष 1934 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद 29 जुलाई 1936 को संस्थान को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। स्वतंत्रता के बाद संस्थान का नाम बदलकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) कर दिया गया।
  • हरित क्रांति जिसने लाखों भारतीयों के चेहरे पर मुस्कान ला दी, वह IARI के खेतों से ही शुरू हुई, जहाँ प्रसिद्ध गेहूँ की किस्मों का विकास हुआ, जिसने बड़े पैमाने पर उत्पादन में योगदान दिया।
  • IARI देश में कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिये अग्रणी संस्थान बना हुआ है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)

  • यह दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये विभिन्न प्रयासों का समन्वय एवं देखरेख करने हेतु एक वैधानिक तंत्र है, जिसमें अंतर्निहित उपचारात्मक दृष्टिकोण है।
  • CAQM की स्थापना से वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन एक संस्थान अपने आप में समाधान नहीं है।

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