हरियाणा ने PM कुसुम के तहत 24,484 सौर जल पंपों के लिये विजेताओं की घोषणा की | हरियाणा | 29 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (HAREDA) ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजना (PM कुसुम) के घटक B के हिस्से के रूप में 24,484 सौर जल पंपिंग सिस्टम के प्रावधान, स्थापना और कमीशनिंग के लिये अनुबंध दिये हैं।
मुख्य बिंदु:
- PM कुसुम का घटक B कृषि सिंचाई उद्देश्यों के लिये दो मिलियन स्वतंत्र सौर जल पंपों की स्थापना पर केंद्रित है।
- यह परियोजना व्यक्तिगत किसानों, जल उपयोगकर्त्ता संघों, पशु आश्रयों, किसान-उत्पादक संगठनों, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों और समुदाय-आधारित सिंचाई प्रणालियों जैसे कई लाभार्थियों को लक्षित करती है।
PM कुसुम क्या है?
- परिचय:
- PM-कुसुम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सौर ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है।
- यह मांग-संचालित दृष्टिकोण पर कार्य करती है। विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) से प्राप्त मांगों के आधार पर क्षमताओं का आवंटन किया जाता है।
- विभिन्न घटकों और वित्तीय सहायता के माध्यम से PM-कुसुम का लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक 30.8 गीगावाट की महत्त्वपूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता वृद्धि हासिल करना है।
- PM-कुसुम का उद्देश्य:
- कृषि क्षेत्र का डी-डिजिटलाइज़ेशन: इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा संचालित पंपों और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करके सिंचाई के लिये डीज़ल पर निर्भरता को कम करना है। इसका उद्देश्य सौर पंपों के उपयोग के माध्यम से सिंचाई लागत को कम करके और उन्हें ग्रिड को अधिशेष सौर ऊर्जा बेचने में सक्षम बनाकर किसानों की आय में वृद्धि करना है।
- किसानों के लिये जल और ऊर्जा सुरक्षा: सौर पंपों तक पहुँच प्रदान करके तथा सौर-आधारित सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा देकर, इस योजना का उद्देश्य किसानों के लिये जल एवं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना है।
- पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश: स्वच्छ और नवीकरणीय सौर ऊर्जा को अपनाकर इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है।
- घटक:
- घटक-A: किसानों की बंजर/परती/चरागाह/दलदली/कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्राउंड/स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना।
- घटक-B: ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में 20 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंपों की स्थापना।
- घटक-C: 15 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइज़ेशन: व्यक्तिगत पंप सोलराइज़ेशन और फीडर लेवल सोलराइज़ेशन।
विभिन्न राज्यों के लिये मनरेगा मज़दूरी दरें संशोधित | हरियाणा | 29 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत मज़दूरी को संशोधित किया गया है, जिसमें विभिन्न राज्यों के लिये 4 से 10% के बीच बढ़ोतरी की गई है।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना के तहत अकुशल श्रमिकों के लिये हरियाणा में सबसे अधिक मज़दूरी दर 374 रुपए प्रतिदिन है, जबकि अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में सबसे कम 234 रुपए है।
- इस योजना के तहत वर्ष 2023 मज़दूरी दरों में वृद्धि की गई है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उन परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हैं, उन्हें एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों की गारंटीकृत मज़दूरी रोज़गार प्रदान करना है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS)
- परिचय: मनरेगा विश्व के सबसे बड़े कार्य गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- लॉन्च:
- इसे 2 फरवरी 2006 को लॉन्च किया गया था
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम 23 अगस्त 2005 को पारित किया गया था।
- उद्देश्य:
- योजना का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी ग्रामीण परिवार के सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देना है।
- कार्य का कानूनी अधिकार:
- पहले की रोज़गार गारंटी योजनाओं के विपरीत मनरेगा का उद्देश्य अधिकार-आधारित ढाँचे के माध्यम से चरम निर्धनता के कारणों का समाधान करना है।
- लाभार्थियों में कम-से-कम एक-तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
- मज़दूरी का भुगतान न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के तहत राज्य में कृषि मज़दूरों के लिये निर्दिष्ट वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी के अनुरूप किया जाना चाहिये।
- मांग-प्रेरित योजना:
- मनरेगा की रूपरेखा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग यह है कि इसके तहत किसी भी ग्रामीण वयस्क को मांग करने के 15 दिनों के भीतर काम पाने की कानूनी रूप से समर्थित गारंटी प्राप्त है, जिसमें विफल होने पर उसे 'बेरोज़गारी भत्ता' प्रदान किया जाता है।
- यह मांग-प्रेरित योजना श्रमिकों के स्व-चयन (Self-Selection) को सक्षम बनाती है।
- विकेंद्रीकृत योजना:
- इन कार्यों के योजना निर्माण और कार्यान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ सौंपकर विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को सशक्त करने पर बल दिया गया है।
- अधिनियम में आरंभ किये जाने वाले कार्यों की सिफारिश करने का अधिकार ग्राम सभाओं को सौंपा गया है और इन कार्यों को कम-से-कम 50% उनके द्वारा ही निष्पादित किया जाता है।