मॉडल पंचायत नागरिक घोषणापत्र

प्रिलिम्स के लिये:

नागरिक घोषणापत्र, ई-ग्रामस्वराज, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान, सबकी योजना सबका विकास

मेन्स के लिये:

नागरिक घोषणापत्र इसके लाभ और भारत में चुनौतियाँ, पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के लिये की गई पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय पंचायती राज मंत्री ने एक मॉडल पंचायत नागरिक घोषणापत्र (Model Panchayat Citizens Charter) जारी किया।

प्रमुख बिंदु:

इसके संदर्भ में:

  • इसे पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (National Institute of Rural Development & Panchayati Raj- NIRDPR) के सहयोग से तैयार किया गया है।
    • NIRDPR, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
  • इसे सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ कार्यों को संरेखित करते हुए, 29 क्षेत्रों में सेवाओं के वितरण के हेतु विकसित किया गया है। 
  • यह आशा है कि पंचायतें इस रूपरेखा का उपयोग करते हुए और ग्राम सभा के यथोचित अनुमोदन से एक नागरिक घोषणापत्र बनाएंगी जिसमें पंचायत द्वारा नागिरकों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं की विभिन्न श्रेणियों, ऐसी सेवाओं के लिये शर्तों और ऐसी सेवाओं की समय-सीमा का विस्तृत ब्यौरा होगा।
  • यह घोषणापत्र जहाँ एक ओर नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करेगा वहीं दूसरी ओर पंचायतों एवं उनके चुने हुए प्रतिनिधियों को लोगों के प्रति सीधे जवाबदेह बनाएगा। 

लाभ:

  • पंचायती राज संस्थान, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार का तीसरा स्तर है और भारतीय जनता के 60 प्रतिशत से अधिक के लिये सरकार के साथ संपर्क का प्रथम स्तर है।
  • पंचायतें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243(G) में यथा विहित बुनियादी सेवाओं विशेषकर स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, शिक्षा, पोषण, पेयजल की सुपुर्दगी के लिये उत्तरदायी हैं।

पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के लिये अन्य पहलें:

  • ई-ग्रामस्वराज (eGramSwaraj):
    • यह यूजर फ्रेंडली वेब-आधारित पोर्टल है जो ग्राम पंचायतों के नियोजन, लेखा और निगरानी कार्यों को एकीकृत करता है।
  • राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (Rashtriya Gram Swaraj Abhiyan- RGSA):
    • वर्ष 2018 में शुरू की गई, यह केंद्र प्रायोजित योजना "सबका साथ, सबका गाँव, सबका विकास" को प्राप्त करने की दिशा में एक प्रयास है।
  • जन योजना अभियान (PPC)- सबकी योजना सबका विकास (People’s Plan Campaign: PPC- Sabki Yojana Sabka Vikas):
    • इसका उद्देश्य देश में ग्राम पंचायत विकास योजनाएँ (GPDPs) तैयार करना और उन्हें एक वेबसाइट पर बनाए रखना है जहाँ कोई भी व्यक्ति सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं की स्थिति से अवगत हो सकता है।

 नागरिक घोषणापत्र (Citizen’s Charter):

इसके संदर्भ में:

  • यह एक स्वैच्छिक और लिखित दस्तावेज़ है जो सेवा प्रदाता के नागरिकों/ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने की प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करने के लिये किये गए प्रयासों को संदर्भित करता है। 
    • यह सेवा प्रदाता और नागरिकों/उपयोगकर्त्ताओं के बीच विश्वास को बरकरार रखता है।
    • इसमें वह सामग्री शामिल है जिसके लिये नागरिक, किसी सेवा प्रदाता से आशा कर सकते हैं।
    • इसमें यह प्रक्रिया भी शामिल है कि नागरिक किसी भी शिकायत का निवारण कैसे कर सकते हैं।
  • इस अवधारणा को पहली बार वर्ष 1991 में यूनाइटेड किंगडम में जॉन मेजर की कंजर्वेटिव सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में व्यक्त और कार्यान्वित किया गया था।
  • नागरिक घोषणा-पत्र कानूनी रूप से लागू करने योग्य दस्तावेज़ नहीं हैं। ये केवल नागरिकों को सेवा वितरण बढ़ाने के लिये दिशा-निर्देश देते  हैं।

इसके अनुसार घोषणापत्र में निम्नलिखित बिंदु सम्मिलित होने चाहिये::

  • गुणवत्ता- सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार
  • विकल्प- जहाँ भी संभव हो उपयोगकर्त्ताओं के लिये
  • मानक- यह निर्दिष्ट करना कि एक समय सीमा के भीतर क्या उम्मीद की जाए
  • मूल्य- करदाताओं के धन के लिये
  • जवाबदेही- सेवा प्रदाताओं (व्यक्ति के साथ-साथ संगठन) के लिये
  • पारदर्शिता- नियमों, प्रक्रियाओं, योजनाओं और शिकायत निवारण में होनी चाहिये

भारतीय पहल:

  • भारत में नागरिक घोषणा-पत्र की अवधारणा को पहली बार मई 1997 में आयोजित 'विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन' में अपनाया गया था।
    • सम्मेलन का एक प्रमुख परिणाम केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नागरिक घोषणा-पत्र तैयार करने का निर्णय था, जिसकी शुरुआत रेलवे, दूरसंचार, पोस्ट, सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि जैसे बड़े सार्वजनिक इंटरफेस वाले क्षेत्रों से हुई थी।
    • नागरिक घोषणा-पत्र के समन्वय, निर्माण और संचालन का कार्य प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms and Public Grievances- DARPG) द्वारा किया गया था।
  • वस्तुओं एवं सेवाओं के समयबद्ध वितरण और उनकी शिकायतों के निवारण के लिये नागरिकों का अधिकार विधेयक, 2011 (नागरिक घोषणा-पत्र) दिसंबर 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था।
    • परंतु वर्ष 2014 में लोकसभा भंग होने के कारण यह समाप्त हो गया।

आवश्यकता:

  • प्रशासन को जवाबदेह और नागरिक हितैषी बनाने के लिये।
  • पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये।
  • ग्राहक सेवा में सुधार के उपाय करने के लिये।
  • हितधारक दृष्टिकोण अपनाने के लिये।
  • प्रशासन और नागरिक दोनों के लिये समय बचाने के लिये।

भारत में चुनौतियाँ:

  • अधिकांश मामलों में इसे अत्याधुनिक कर्मचारियों के परामर्श प्रक्रिया के अभाव में तैयार किया गया जो अंततः इसे लागू करेंगे।
  • इसमें सार्थक और संक्षिप्त नागरिक घोषणा-पत्र तथा महत्त्वपूर्ण जानकारी का अभाव है।
  • केवल कुछ प्रतिशत अंतिम उपयोगकर्त्ता ही नागरिक घोषणा-पत्र में की गई प्रतिबद्धताओं से अवगत हैं।
  • सेवा वितरण के मापने योग्य मानकों को शायद ही कभी परिभाषित किया जाता है जिससे यह आकलन करना मुश्किल हो जाता है कि वांछित स्तर की सेवा हासिल की गई है या नहीं।
  • संगठनों द्वारा अपने नागरिक घोषणा-पत्र का पालन करने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई गई क्योंकि संगठन के चूक करने पर नागरिक को क्षतिपूर्ति करने के लिये कोई नागरिक अनुकूल तंत्र नहीं है।
  • नागरिक घोषणा-पत्र को अभी भी सभी मंत्रालयों/विभागों द्वारा नहीं अपनाया गया है। इसके अलावा इसमें स्थानीय मुद्दों की अनदेखी की जाती है।

आगे की राह:

  • एक नागरिक घोषणा-पत्र अपने आप में एक अंत नहीं हो सकता है, बल्कि यह एक अंत का एक साधन है - यह सुनिश्चित करने के लिये एक उपकरण है कि नागरिक किसी भी सेवा संबंधी वितरण तंत्र के केंद्र में हमेशा रहता है।
  • सर्वोत्तम अभ्यास मॉडल जैसे कि सेवोत्तम मॉडल (एक सेवा वितरण उत्कृष्टता मॉडल) से आकर्षित होकर CC को अधिक नागरिक केंद्रित बनने में मदद मिल सकती है।

स्रोत: पी.आई.बी.