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उत्तराखंड के राज्य वृक्ष का जल्दी खिलना जलवायु संकट की ओर इशारा
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश उम्मीद से पहले खिल गया है, जिससे वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों में चिंता बढ़ गई है।
मुख्य बिंदु:
- यह पेड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से रोडोडेंड्रोन के नाम से जाना जाता है, लाल फूलों के जीवंत प्रदर्शन के लिये जाना जाता है जो उत्तराखंड की पहाड़ियों पर उगते हैं क्योंकि यह पेड़ की जंगली झाड़ियों से फूटता है।
- ICAR-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह जलवायु परिवर्तन के कारण छद्म-फूलना या जबरन फूलना है।
- सामान्यतः ये फूल मध्य ऊँचाई वाले इलाकों में मार्च और अप्रैल के दौरान खिलते हुए देखे जाते हैं।
- असमय खिलने से फूल की औषधीय क्षमता में संभावित कमी को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन C की प्रचुरता के लिये प्रसिद्ध, यह फूल पहाड़ी बीमारी एवं मौसमी बीमारियों को कम करने के लिये एक क्षुधावर्धक के रूप में भी खाया जाता है।
- यह महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव को कम करने में अपनी प्रभावशीलता के लिये पहचाना जाता है।
- फूल में हृदय, यकृत, त्वचा की एलर्जी और एंटीवायरल उद्देश्यों के लिये फायदेमंद औषधीय गुण होते हैं।
- मौसम विज्ञानियों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम का सामान्य प्रारूप बदल रहा है, जिससे असामान्य तापमान और कम बारिश हो रही है।
- सामान्य शीतकालीन विक्षोभ जो यहाँ ठंड का मौसम लाते हैं, कमज़ोर रहे हैं, कम हो रहे हैं और उतने मज़बूत नहीं हैं।
- इसके चलते पहाड़ी इलाकों में दिसंबर और जनवरी में पर्याप्त बारिश नहीं हुई। उच्चतम और न्यूनतम दोनों तापमान सामान्य से अधिक थे।
- जैसे-जैसे दुनिया गर्म हो रही है, वैज्ञानिकों को चिंता है कि वनस्पतियों तथा जीवों में इस तरह के और बदलाव होने की उम्मीद है।
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (CSSRI)
- यह उच्च शिक्षा का एक स्वायत्त संस्थान है, जिसे मृदा विज्ञान के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान के लिये कृषि मंत्रालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की छत्रछाया में स्थापित किया गया है।
- यह संस्थान करनाल, हरियाणा में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी।
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