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नीति आयोग का राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग की राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) 2025 रिपोर्ट में हरियाणा को 14वाँ स्थान दिया गया है, जो इसे 18 प्रमुख राज्यों में सबसे निचले पाँच राज्यों में शामिल करता है।
- रैंकिंग में पाँच मापदंडों पर विचार किया जाता है: व्यय की गुणवत्ता, राजस्व संग्रहण, राजकोषीय विवेकशीलता, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता।
मुख्य बिंदु
- FHI का दायरा:
- यह सूचकांक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जनसांख्यिकी, सार्वजनिक व्यय, राजस्व और राजकोषीय स्थिरता में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले 18 प्रमुख राज्यों को कवर करता है।
- यह वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 की अवधि के लिये राजकोषीय प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
- हरियाणा का प्रदर्शन:
- ऋण प्रोफ़ाइल और चिंताएँ:
- हरियाणा का ऋण-GSDP अनुपात वर्ष 2018-19 में 26% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 33% हो गया, जो वर्ष 2022-23 में 31% पर स्थिर हो गया।
- वर्ष 2022-23 में ब्याज भुगतान में 9.4% की वृद्धि हुई, जिसमें ब्याज भुगतान-से-राजस्व प्राप्ति अनुपात 23% रहा।
- ऋण सूचकांक पैरामीटर पर हरियाणा 15वें स्थान पर है, जो केवल केरल, पश्चिम बंगाल और पंजाब से आगे है।
- राजस्व एवं राजकोषीय घाटा:
- हरियाणा का राजस्व घाटा वर्ष 2022-23 में GSDP का 1.7% रहा, जो 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं को पूर्ण करने में विफल रहा।
- वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक राजकोषीय घाटे को मुख्य रूप से सार्वजनिक ऋण के माध्यम से वित्तपोषित किया गया, जिसमें बाज़ार उधार और केंद्र सरकार से ऋण शामिल हैं।
- व्यय की गुणवत्ता:
- व्यय की गुणवत्ता के मामले में हरियाणा 24.8 अंक के साथ 16वें स्थान पर है, जो केवल पंजाब और केरल से आगे है।
- GSDP की तुलना में पूंजीगत व्यय वृद्धि में वर्ष 2018-19 से गिरावट आई है, जो वर्ष 2022-23 में GSDP का केवल 1.4% रह गई है, जो बजट अनुमान से कम है।
- कुल व्यय के हिस्से के रूप में पूंजीगत व्यय वर्ष 2018-19 में 16.4% से घटकर वर्ष 2022-23 में 9.7% हो गया।
- हरियाणा के लिये अनुशंसाएँ:
- सामाजिक सेवाओं पर पूंजीगत व्यय बढ़ाया जाना।
- कर संग्रहण दक्षता में वृद्धि।
- ऋण स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक मजबूत राजकोषीय प्रबंधन ढाँचा स्थापित करना।
- अल्पावधि और मध्यमावधि राजकोषीय स्थिरता में सुधार के लिये राजस्व आधार को व्यापक बनाना और व्यय को युक्तिसंगत बनाना।


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मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना 2.0
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना 2.0 के तहत ड्रॉ के माध्यम से 20 ज़िलों में 4,533 लाभार्थियों को भूखंड आवंटित किये।
मुख्य बिंदु
- प्रथम चरण में आवंटित आवासीय भूखंड:
- 20 ज़िलों की ग्राम पंचायतों में सभी पात्र आवेदकों को 100 वर्ग गज के भूखंड आवंटित किये गए:
- अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, फतेहाबाद, गुरूग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र, नारनौल, नूंह, पलवल, पानीपत, रेवाडी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर।
- जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, भिवानी, फतेहाबाद, रोहतक और हिसार ज़िलों के घुमंतू जाति, विधवा और अनुसूचित जाति के पात्र आवेदकों को भी 100 वर्ग गज के भूखंड प्राप्त हुए।
- महाग्राम पंचायत बहल में पात्र आवेदकों को 50 वर्ग गज के भूखंड आवंटित किये गए।
- 20 ज़िलों की ग्राम पंचायतों में सभी पात्र आवेदकों को 100 वर्ग गज के भूखंड आवंटित किये गए:
- आवंटन की विधि:
- पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए पात्र लाभार्थियों को आवासीय भूखंडों का आवंटन ड्रा सिस्टम के माध्यम द्वारा किया गया।

