छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने किया सरेंडर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में पाँच नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया जिनपर कुल 19 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- नक्सलियों ने राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करते हुए कहा कि वे अपने से बड़े नक्सलियों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों और अमानवीय तथा निरर्थक माओवादी विचारधारा से हताश हो चुके थे।
- राज्य सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति और कल्याणकारी योजनाओं के अनुसार, सभी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 25-25 हज़ार रुपए की सहायता प्रदान की गई तथा उनका पुनर्वास भी किया जाएगा।
नक्सलवादियों पर नियंत्रण के लिये की गई सरकारी पहल
- समाधान (SAMADHAN) सिद्धांत वामपंथी उग्रवाद की समस्या का एकमात्र समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई अल्पकालिक नीति से लेकर दीर्घकालिक नीति तक सरकार की संपूर्ण रणनीति शामिल है। समाधान (SAMADHAN) का पूर्ण रूप है:
- S- स्मार्ट लीडरशिप
- A- एग्रेसिव स्ट्रेटेजी
- M- मोटिवेशन एंड ट्रेनिंग
- A- एक्शनेबल इंटेलिजेंस
- D- डैशबोर्ड बेस्ड KPI (की परफॉरमेंस इंडिकेटर) एंड KRA (की रिज़ल्ट एरिया)
- H- हांर्नेस्सिंग टेक्नोलॉजी
- A- एक्शन प्लान फॉर इच थिएटर
- N- नो एक्सेस टू फाइनेंसिंग
- 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्ययोजना: इसमें बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल है जिसमें सुरक्षा उपाय, विकास पहल और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है।
- गृह मंत्रालय केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) बटालियनों की तैनाती, हेलीकाप्टरों एवं UAV के प्रावधान और भारतीय आरक्षित वाहिनी (IRB) आदि की मंज़ूरी के माध्यम से बड़े पैमाने पर राज्य सरकारों का समर्थन कर रहा है।
- राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण के लिये पुलिस बलों का आधुनिकीकरण (MPF), सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना तथा विशेष अवसंरचनात्मक ढाँचा योजना (SIS) के तहत धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
- विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) योजना के तहत अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (LWE) ज़िलों को विकास के लिये धन भी प्रदान किया जाता है।
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: वर्ष 2018 में लॉन्च किये गए आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम का उद्देश्य उन ज़िलों में तेज़ी से बदलाव लाना है जिन्होंने प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम प्रगति दिखाई है।
- ग्रेहाउंड्स: ग्रेहाउंड्स को वर्ष 1989 में विशिष्ट नक्सल विरोधी बल के रूप में स्थापित किया गया था।
- ऑपरेशन ग्रीन हंट: इसे वर्ष 2009-10 में शुरू किया गया था और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी।
- बस्तरिया बटालियन: छत्तीसगढ़ में CRPF ने एक बस्तरिया बटालियन की स्थापना की, जिसके लिये स्थानीय आबादी से सिपाहियों की भर्ती की गई, जो भाषा और इलाके से परिचित थे तथा खुफिया जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
- इस इकाई में अब 400 सिपाही (Recruits) हैं और इसका नियमित रूप से छत्तीसगढ़ में संचालन किया जाता है।
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छत्तीसगढ़ में खनन हेतु वनों की कटाई
चर्चा में क्यों?
केंद्र के अनुसार वन्यजीव और जैवविविधता संस्थाओं ने संबद्ध क्षेत्र में खनन गतिविधियों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने की सिफारिश नहीं की जिसके चलते हसदेव अरण्य वनों में खनन गतिविधियों के लिये लगभग 273,000 अतिरिक्त वृक्षों को काटे जाने की आशंका है।
प्रमुख बिंदु
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने देश के दो सबसे विवादास्पद पर्यावरणीय मुद्दों पर जानकारी प्रदान की जिसमें छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में वनों की कटाई तथा नीति आयोग की अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह परियोजना में ग्रेट निकोबार द्वीप का समग्र विकास शामिल हैं।
- छत्तीसगढ़ सरकार ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून को संपूर्ण हसदेव-अरण्य कोलफील्ड्स क्षेत्र का जैवविविधता मूल्यांकन अध्ययन करने के लिये नियुक्त किया था।
- अध्ययन किया गया और तत्पश्चात् पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी गई
- रिपोर्ट के अनुसार, परसा ईस्ट केते बासेन खदान हेतु 94,460 वृक्ष काटे गए जबकि प्रतिपूरक वनीकरण, खदान सुधार और स्थानांतरण के रूप में 5.3 मिलियन से अधिक वृक्षों का रोपण किया गया
- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, हसदेव अरण्य में आगामी वर्षों में खनन के लिये 273,757 वृक्षों की कटाई की जानी है।
- हसदेव अरण्य मध्य भारत में सर्वाधिक सघन वनों के सबसे बड़े सन्निहित विस्तारों में से एक है, जो 170,000 हेक्टेयर में विस्तृत है और इसमें 23 कोयला ब्लॉक हैं
- वर्ष 2009 में, पर्यावरण मंत्रालय ने हसदेव अरण्य को इसके समृद्ध वन क्षेत्र के कारण खनन के लिये “नो-गो” ज़ोन के रूप में वर्गीकृत किया था किंतु यहाँ खनन की पुनः अनुमति दे दी गई क्योंकि इसमें किसी नीति को अंतिम रूप नहीं दिया गया था।
हसदेव अरण्य वन
- छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में विस्तृत हसदेव अरण्य वन अपनी जैवविविधता और कोयला निक्षेपों के लिये जाना जाता है।
- यह वन कोरबा, सुजापुर और सरगुजा ज़िलों के अंतर्गत आता है जहाँ जनजातीय जनसंख्या काफी अधिक है।
- महानदी की सहायक नदी हसदेव नदी यहाँ से होकर प्रवाहित होती है।
- हसदेव अरंड मध्य भारत का सबसे बड़ा अक्षुण्ण वन है, जिसमें प्राचीन साल (शोरिया रोबस्टा) और सागौन के वन शामिल हैं।
- इसकी भूमिका प्रवासी गलियारे के रूप में प्रसिद्ध है और यहाँ महत्त्वपूर्ण संख्या में हाथी पाए जाते हैं।
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छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने किया सरेंडर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में पाँच नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया जिनपर कुल 19 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- नक्सलियों ने राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करते हुए कहा कि वे अपने से बड़े नक्सलियों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों और अमानवीय तथा निरर्थक माओवादी विचारधारा से हताश हो चुके थे।
- राज्य सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति और कल्याणकारी योजनाओं के अनुसार, सभी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 25-25 हज़ार रुपए की सहायता प्रदान की गई तथा उनका पुनर्वास भी किया जाएगा।
नक्सलवादियों पर नियंत्रण के लिये की गई सरकारी पहल
- समाधान (SAMADHAN) सिद्धांत वामपंथी उग्रवाद की समस्या का एकमात्र समाधान है। इसमें विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई अल्पकालिक नीति से लेकर दीर्घकालिक नीति तक सरकार की संपूर्ण रणनीति शामिल है। समाधान (SAMADHAN) का पूर्ण रूप है:
- S- स्मार्ट लीडरशिप
- A- एग्रेसिव स्ट्रेटेजी
- M- मोटिवेशन एंड ट्रेनिंग
- A- एक्शनेबल इंटेलिजेंस
- D- डैशबोर्ड बेस्ड KPI (की परफॉरमेंस इंडिकेटर) एंड KRA (की रिज़ल्ट एरिया)
- H- हांर्नेस्सिंग टेक्नोलॉजी
- A- एक्शन प्लान फॉर इच थिएटर
- N- नो एक्सेस टू फाइनेंसिंग
- 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्ययोजना: इसमें बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल है जिसमें सुरक्षा उपाय, विकास पहल और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है।
- गृह मंत्रालय केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) बटालियनों की तैनाती, हेलीकाप्टरों एवं UAV के प्रावधान और भारतीय आरक्षित वाहिनी (IRB) आदि की मंज़ूरी के माध्यम से बड़े पैमाने पर राज्य सरकारों का समर्थन कर रहा है।
- राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण के लिये पुलिस बलों का आधुनिकीकरण (MPF), सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना तथा विशेष अवसंरचनात्मक ढाँचा योजना (SIS) के तहत धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
- विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) योजना के तहत अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (LWE) ज़िलों को विकास के लिये धन भी प्रदान किया जाता है।
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: वर्ष 2018 में लॉन्च किये गए आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम का उद्देश्य उन ज़िलों में तेज़ी से बदलाव लाना है जिन्होंने प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम प्रगति दिखाई है।
- ग्रेहाउंड्स: ग्रेहाउंड्स को वर्ष 1989 में विशिष्ट नक्सल विरोधी बल के रूप में स्थापित किया गया था।
- ऑपरेशन ग्रीन हंट: इसे वर्ष 2009-10 में शुरू किया गया था और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी।
- बस्तरिया बटालियन: छत्तीसगढ़ में CRPF ने एक बस्तरिया बटालियन की स्थापना की, जिसके लिये स्थानीय आबादी से सिपाहियों की भर्ती की गई, जो भाषा और इलाके से परिचित थे तथा खुफिया जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
- इस इकाई में अब 400 सिपाही (Recruits) हैं और इसका नियमित रूप से छत्तीसगढ़ में संचालन किया जाता है।
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