लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 27 May 2024
  • 1 min read
  • Switch Date:  
उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में छठे चरण का मतदान

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के छठे चरण में पूर्वांचल क्षेत्र के 14 निर्वाचन क्षेत्रों में 54.03% मतदान दर्ज किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • भारतीय निर्वाचन आयोग के आँकड़ों के अनुसार, समान सीटों के लिये मतदान प्रतिशत वर्ष 2019 के मतदान प्रतिशत 54.49 से थोड़ा कम हो गया।
    • जैसे-जैसे चुनाव पश्चिम यूपी निर्वाचन क्षेत्रों (पहले तीन चरण) से मध्य यूपी (चरण 4 और 5) से पूर्वी यूपी (चरण 6, जिसमें 14 लोकसभा सीटें शामिल थे) तक चला गया, मतदाता प्रतिशत में कमी देखी गई।
    • पहले चरण में 61.11 % मतदान हुआ। दूसरे चरण में यह 55.19%, तीसरे चरण में 57.34%, चौथे चरण में 58.22% और पाँचवें चरण में 58.02% था। छठे चरण में पूर्वी यूपी की 14 लोकसभा सीटों पर 54.03 % मतदान हुआ।

यूपी का पूर्वांचल क्षेत्र

  • इसमें जौनपुर, संत रविदास नगर, आज़मगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, बलिया और गाज़ीपुर के क्षेत्र शामिल हैं।
  • इस मैदान के उत्तरी भाग का निर्माण राप्ती एवं घाघरा नदियों द्वारा हुआ है। इसे दक्षिण से उत्तर तक राप्ती खादर, सरयूपार मैदान और पुरबिया मैदान के नाम दिये गये हैं।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में UCC कार्यान्वयन

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2024 के अंत तक उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने की उम्मीद है, एक ऐसी सुविधा शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है जो लिव-इन और विवाहित जोड़ों को अपने रिश्ते को पंजीकृत करने में सक्षम बनाएगी।

  • उत्तराखंड विधानसभा ने 7 फरवरी, 2024 को UCC बिल पारित किया।

मुख्य बिंदु:

  • UCC विवाह की तरह ही लिव-इन संबंधों के पंजीकरण का आह्वान करता है और कहता है कि लिव-इन पार्टनर की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिये।
    • अधिकारियों के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों की ट्रेनिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में आयोजित की जाएगी।
    • ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ दंपत्ति दोनों के लिये  लाभदायक होगी क्योंकि इससे रजिस्ट्रार के कार्यालय में कई बार जाने की आवश्यकता कम हो जाएगी।
    • हालाँकि 18 से 21 वर्ष की आयु के जोड़ों के माता-पिता को उनके बच्चों के लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में सूचित किया जाएगा।
  • संसद में पारित विधेयक में कहा गया है कि बिना पंजीकरण कराए एक महीने से अधिक समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर तीन महीने तक की कैद या 10,000 रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
    • यदि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली किसी महिला को उसके साथी ने छोड़ दिया है, तो वह उससे गुज़ारा भत्ता का दावा करने की हकदार होगी, जिसके लिये वह उस सक्षम अदालत से संपर्क कर सकती है, जिसका उस स्थान पर अधिकार क्षेत्र हो, जहाँ वे आखिरी बार साथ रहे थे।
    • पहाड़ी राज्य के छोटे आदिवासी समुदाय को प्रस्तावित कानून से छूट दी गई है, जो लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को भी अनिवार्य बनाता है।


उत्तराखंड Switch to English

चारधाम तीर्थयात्रा के लिये विनियामक प्रणाली

चर्चा में क्यों?

तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ से मजबूर होकर, उत्तराखंड सरकार वर्ष 2019 के 'देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड' के समान चारधाम तीर्थयात्रा हेतु एक विनियामक प्रणाली शुरू करने के लिये तैयार है, जिसे पुजारियों के विरोध के कारण छोड़ दिया गया था।

मुख्य बिंदु:

  • सरकार ने राज्य में चारधाम और अन्य धार्मिक तीर्थयात्राओं को विनियमित करने हेतु एक 'नए प्राधिकरण या संस्थान' के गठन का सुझाव देने के लिये एक विशेष उच्च-स्तरीय समिति (HLC) का गठन किया है।
  • राज्य सरकार द्वारा गठित HLC को भविष्य में उत्तराखंड में तीर्थयात्राओं के सुचारु और निर्बाध विनियमन पर ध्यान देने का कार्य सौंपा गया है।
  • यह गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों के लिये चल रही चारधाम यात्रा में भक्तों के दैनिक प्रवाह की निगरानी तथा विनियमन भी करेगा।

चार धाम यात्रा

  • यमुनोत्री धाम:
    • स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
    • समर्पित: देवी यमुना।
    • गंगा नदी के बाद यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
  • गंगोत्री धाम:
    • स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
    • समर्पित: देवी गंगा।
    • सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
  • केदारनाथ धाम:
    • स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला।
    • समर्पित: भगवान शिव
    • मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
    • भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
  • बद्रीनाथ धाम:
    • स्थान: चमोली ज़िला।
    • पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का स्थान।
    • समर्पित: भगवान विष्णु।
    • वैष्णवों के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक

झारखंड Switch to English

चक्रवात रेमल

चर्चा में क्यों?

बंगाल की खाड़ी में गहरा दाब चक्रवात "रेमल" में परिणत हो चुका है, जिससे पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित पड़ोसी राज्यों के लिये संभावित खतरे की स्थिति उत्पन्न हो गई है

मुख्य बिंदु:

  • राँची स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के मौसम विज्ञानियों ने प्रभावित क्षेत्रों में चक्रवात रेमल की महत्त्वपूर्ण प्रभाव की आशंका जताई है और गंभीर चक्रवाती तूफान के लिये चेतावनी जारी की है।
    • IMD के द्वारा 26 मई से 31 मई, 2024 तक राज्य के कई हिस्सों में तड़ित झंझा, आकाशीय तड़ित और तेज़ आँधियों का पूर्वानुमान किया गया है।
    • मौसम की इन स्थितियों से जमशेदपुर, राँची, बोकारो, गुमला, हज़ारीबाग, सिमडेगा समेत कई ज़िलों पर असर पड़ने की आशंका है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की सूची में इस चक्रवात का 'रेमल' नाम ओमान द्वारा दिया गया है। इस  प्री-मॉनसून सीज़न- 2024 में इस क्षेत्र में आने वाला यह पहला चक्रवात है।
  • अरबी भाषा में 'रेमल' का अर्थ 'रेत' होता है।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

GAIL (इंडिया) लिमिटेड ने मध्य प्रदेश के विजयपुर में अपना पहला हरित हाइड्रोजन संयंत्र सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।

मुख्य बिंदु:

  • विजयपुर परिसर में हरित-हाइड्रोजन उत्पादन इकाई के लिये 10 मेगावाट का प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन इलेक्ट्रोलाइज़र कनाडा से आयात किया गया है।
  • संयंत्र प्रतिदिन लगभग 4.3 टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा, आयतन के हिसाब से जिसकी मात्रा लगभग 99.999% शुद्ध होगी। इस हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में जलवैद्युत अपघटन के लिये सौर ऊर्जा 
  • नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित विद्युत ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।
    • यह संयंत्र राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen mission) के अनुरूप है, जिसके तहत वर्ष 2030 तक देश के लिये 5 मिलियन टन वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है।
    • भारत द्वारा अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ अपनी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वैकल्पिक ईंधन स्रोत के रूप में हाइड्रोजन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • प्रारंभ में इस इकाई से उत्पादित हाइड्रोजन का उपयोग विजयपुर में मौजूदा संयंत्र में चल रही विभिन्न प्रक्रियाओं और उपकरणों में कैप्टिव उद्देश्य के लिये प्राकृतिक गैस के साथ ईंधन के रूप में किया जाएगा।
  • इसके अलावा, इस हाइड्रोजन ऊर्जा को आस-पास के भौगोलिक क्षेत्रों में खुदरा ग्राहकों को हाई प्रेशर कैस्केड के माध्यम से वितरित करने की योजना बनाई गई है।
  • GAIL 10 मेगावाट PEM इलेक्ट्रोलाइज़र के लिये हरित ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने हेतु विजयपुर में लगभग 20 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र (भू-स्थापित और तैरते हुए दोनों) स्थापित कर रहा है।
  • GAIL द्वारा वर्तमान में अपनी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिये अपने CGD (शहरी गैस वितरण) नेटवर्क में प्राकृतिक गैस के साथ हाइड्रोजन को मिश्रित कर इंदौर में प्रयोग किया जा रहा है।
    • सफल होने पर परीक्षण परिणामों के अनुसार योजना का लक्ष्य आवश्यक अनुमोदन के साथ सम्मिश्रण अनुपात को बढ़ाना है।
    • वर्तमान नियम प्राकृतिक गैस के साथ 5% तक हाइड्रोजन मिश्रण की अनुमति देते हैं। प्राकृतिक गैस के साथ हाइड्रोजन के उच्च मिश्रण स्तर का पता लगाने के लिये इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड और IIT कानपुर के साथ GAIL द्वारा सहयोगात्मक अनुसंधान किया जा रहा है। 


झारखंड Switch to English

मणिपुर में झारखंड के मज़दूरों पर हमला

चर्चा में क्यों?

झारखंड के मज़दूर जो बेहतर अवसरों की तलाश में वर्ष 2024 की शुरुआत में संघर्ष प्रभावित मणिपुर में चले गए थे, अब इंफाल में सशस्त्र अपराधियों द्वारा एक व्यक्ति की घातक गोलीबारी और दो अन्य के घायल होने के बाद बड़ी संख्या में वापस आ रहे हैं।

मुख्य बिंदु:

  • यह राज्य के जातीय संघर्ष की शुरुआत के बाद से गैर-मणिपुरी व्यक्तियों पर हमले की पहली घटना है।
  • गैर-स्थानीय लोगों के खिलाफ हिंसा के ऐसे कृत्यों ने राज्य में सात मैतेई चरमपंथी समूहों पर प्रतिबंध को बार-बार बढ़ाने के केंद्र सरकार के निर्णय में योगदान दिया है।
    • मणिपुर में लंबे समय से चले आ रहे जातीय संघर्ष में मैतेई बहुसंख्यक और कुकी-ज़ो अनुसूचित जनजाति समुदाय शामिल हैं।
    • संघर्ष में अब तक 225 से अधिक लोगों की मौत दर्ज की गई है, जिसके परिणामस्वरूप हज़ारों लोग घायल हुए हैं और हज़ारों लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित होना पड़ा है।
  •  राज्य में बड़ी संख्या में गायब हुए हथियारों की वज़ह से नागरिकों का अपहरण और हमले जैसी घटनाओं में वृद्धि का कारण अरामबाई तेंगगोल जैसे कट्टरपंथी संगठनों एवं यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) जैसे घाटी स्थित विद्रोही समूहों के सदस्यों को माना जाता है।
  • दोनों समुदायों के बीच तनाव बना हुआ है, जिसके कारण पहाड़ी और घाटी ज़िलों को अलग करने वाले बफर ज़ोन (मध्यवर्ती क्षेत्र) के पास कभी-कभी हमले होते रहते हैं।

मैतेई समुदाय

  • मैतेई लोगों को मणिपुरी लोगों के रूप में भी जाना जाता है
    • उनकी प्राथमिक भाषा मैतेई है, जिसे मणिपुरी भी कहा जाता है और यह मणिपुर की एकमात्र आधिकारिक भाषा है।
  • ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसे हुए हैं, हालाँकि एक बड़ी आबादी अन्य भारतीय राज्यों, जैसे- असम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय और मिज़ोरम में निवास करती है।
    • पड़ोसी देशों म्याँमार और बांग्लादेश में भी मैतेई की उल्लेखनीय उपस्थिति है।
  • मैतेई लोग गोत्रों में विभाजित हैं तथा एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह नहीं करते हैं।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2