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उत्तराखंड के जैविक निर्यात में गिरावट
चर्चा में क्यों?
जैविक खाद्य उत्पादकों एवं विपणन एजेंसियों के परिसंघ (COII) ने उत्तराखंड से जैविक उत्पादों के निर्यात में 66% की तीव्र गिरावट पर चिंता व्यक्त की।
मुख्य बिंदु
- गिरावट के कारण:
- निर्यात में गिरावट मुख्य रूप से राज्य सरकार द्वारा घोषित "उत्तराखंड ऑर्गेनिक" नीति का क्रियान्वयन न किये जाने के कारण है
- आजीविका की तलाश में लोगों का निरंतर पलायन जारी है, क्योंकि वे कृषि को आर्थिक रूप से लाभप्रद नहीं मानते।
- यदि राज्य सरकार किसानों को प्रोत्साहन, मंडियों, प्रशिक्षण और प्रदर्शन कार्यक्रमों के माध्यम से समर्थन नहीं देती है, तो स्थिति और खराब हो जाएगी और समय के साथ खेत खेती योग्य नहीं रह जाएंगे।
- उठाए गए कदम:
- किसानों को जैविक खेती की तकनीक उपलब्ध कराने के लिये COII और जीबी पंत विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर।
- 500 किसानों को प्रशिक्षण तथा जैविक प्रमाणीकरण प्राप्त करने में सहायता।
- APEDA को राज्य के आंतरिक भागों में नियमित आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करने में मदद करनी चाहिये।
- राज्य सरकार को जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को तीन वर्षों तक वित्तीय सहायता देनी चाहिये तथा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना चाहिये।
- अपेक्षित परिणाम:
- जैविक खेती को लाभदायक बनाने से बागवानी और हस्तशिल्प को बढ़ावा मिल सकता है, कृषि आधारित लघु उद्योगों का विकास हो सकता है, जिससे अंततः आजीविका के लिये लोगों का पलायन कम हो सकता है।
जैविक खेती:
परिचय
- जैविक कृषि से अभिप्राय कृषि की ऐसी प्रणाली से है, जिसमें रासायनिक खादों एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग नहीं हो बल्कि उसके स्थान पर जैविक खाद या प्राकृतिक खादों का प्रयोग हो।
- यह कृषि की एक पारंपरिक विधि है, जिसमें भूमि की उर्वरता में सुधार होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है।
- जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने से धारणीय कृषि, जैवविविधता संरक्षण आदि लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रशिक्षण देना महतत्त्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP:
- वर्ष 2001 में शुरू की गई NPOP, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा कार्यान्वित की जाती है, जो जैविक उत्पादन मानकों और जैविक खेती को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- यह जैविक खेती में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है। उत्पादन और मान्यता के लिये NPOP मानकों को यूरोपीय आयोग और स्विट्ज़रलैंड द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिससे भारतीय जैविक उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जा सकता है।
जैविक खाद्य उत्पादक एवं विपणन एजेंसी परिसंघ (COII):
- जैविक खाद्य उत्पादकों एवं विपणन एजेंसियों का परिसंघ, जिसे लोकप्रिय रूप से COII के नाम से जाना जाता है, भारत में सभी हितधारकों का एक समन्वित और एकीकृत निकाय है, जिसमें किसान, उत्पादक, संग्रहण केंद्र, प्रसंस्करणकर्त्ता, क्रेता, विक्रेता, आयातक, निर्यातक, बीज और प्रौद्योगिकी प्रदाता, बैंक और वित्तीय संस्थान, राज्य और केंद्र सरकारें इत्यादि शामिल हैं।
- अपनी स्थापना के बाद से ही परिसंघ जैविक खाद्य उद्योग के सभी हितधारकों के हितों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने तथा उद्योग के लिये एक सामूहिक मदद प्रदान करने में लगा हुआ है।
- परिसंघ उद्योग के सामान्य आदर्श, वाणिज्यिक और व्यावसायिक हितों को बढ़ावा देता है, विशेष रूप से अनुचित प्रतिस्पर्द्धा से लड़कर और प्रौद्योगिकी में जानकारी तथा परिवर्तन प्रदान करके।