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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Apr 2025
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‘टाइगर रिज़र्व के बफर क्षेत्रों का विकास’ योजना

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2027-28 के लिये नवीन योजना "टाइगर रिज़र्व के बफर क्षेत्रों का विकास" के लिये 145 करोड़ रुपए की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई।

मुख्य बिंदु:

  • योजना के बारे में: 
    • यह योजना प्रदेश के 9 टाइगर रिज़र्व से लगे बफर क्षेत्रों में लागू की जाएगी।
    • इसका उद्देश्य बाघों और अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना तथा पर्यावरणीय सततता को बढ़ावा देना है।
  • योजना के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किये जाएंगे:
    • संवेदनशील क्षेत्रों में चेनलिंक फेसिंग (बाड़बंदी) का निर्माण किया जाएगा ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सके।
    • वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिये और अग्नि सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
    • चारागाहों एवं जल स्रोतों का विकास किया जाएगा, जिससे जानवरों को प्राकृतिक संसाधन सुलभ हों।
    • वन्य प्राणियों का उपचार एवं स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की जाएगी ताकि रोगों के प्रसार को रोका जा सके।
    • इसके अतिरिक्त, स्थानीय नागरिकों को प्रशिक्षण देकर उनके कौशल का उन्नयन किया जाएगा,  जिससे उनके लिये वैकल्पिक आजीविका के साधन तैयार किये जा सकें।
  • पिछले 4 वर्षों में प्रदेश में बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है, जो वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।

मध्य प्रदेश के टाइगर रिज़र्व 

क्र.सं.

टाइगर रिज़र्व

अधिसूचना वर्ष

क्षेत्र (ज़िला)

1.

कान्हा टाइगर रिज़र्व

2007

मंडला और बालाघाट

2.

पेंच टाइगर रिज़र्व

2007

सिवनी

3.

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व

2007

उमरिया

4.

सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व

2007

नर्मदापुरम

5.

पन्ना टाइगर रिज़र्व

2007

पन्ना

6.

संजय-दुबरी टाइगर रिज़र्व

2011

सीधी

7.

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व

2023

दमोह और सागर

8.

रातापानी टाइगर रिज़र्व

2024

रायसेन और सीहोर

9.

माधव टाइगर रिज़र्व

2025

शिवपुरी





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अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई।

मुख्य बिंदु

  • OBC आरक्षण की स्थिति :
    • OBC को केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 27% आरक्षण मिलता है।
  • वर्ष 1953 में कालेलकर आयोग की स्थापना की गई, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जाति (Scheduled Castes- SC) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) से परे पिछड़े वर्गों को मान्यता देने का पहला उदाहरण पेश किया।
  • वर्ष 1980 में मंडल आयोग की रिपोर्ट में OBC आबादी 52% होने का अनुमान लगाया गया था और 1,257 समुदायों को पिछड़े वर्ग के रूप में पहचाना गया था।
    • असमानता को दूर करने के लिये इसने मौजूदा कोटा (जो पहले केवल SC/ST के लिये लागू था) को 22.5% से बढ़ाकर 49.5% करने का सुझाव दिया, जिसमें OBC को शामिल करने के लिये आरक्षण का विस्तार किया गया।
    • इन सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 16(4) के तहत OBC के लिये केंद्रीय सिविल सेवा में 27% सीटें आरक्षित करते हुए आरक्षण नीति लागू की।
    • यह नीति अनुच्छेद 15(4) के तहत केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में भी लागू की गई थी।
  • वर्ष 2008 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह सुनिश्चित करते हुए कि ये लाभ सबसे वंचित लोगों तक पहुँचे, हस्तक्षेप किया और केंद्र सरकार को OBC के बीच "क्रीमी लेयर (Creamy Layer)" (उन्नत वर्गों) को आरक्षण नीति के  लाभ से बाहर करने का निर्देश दिया।
  • वर्ष 2018 में 102वें संविधान संशोधन अधिनियम ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes- NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
    • इसने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में NCBC को उसकी पिछली स्थिति से ऊपर स्थान दिया, जिससे इसे OBC सहित पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा करने में अधिक अधिकार और मान्यता प्राप्त हुई।


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