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उत्तराखंड में पिघलते ग्लेशियर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के पिथोरागढ़ ज़िले में रणनीतिक रूप से मुनस्यारी-मिलम सड़क के किनारे जौहर घाटी की ओर एक ग्लेशियर स्खलन/फिसलने की घटना हुई, जिससे भारत-चीन सीमा और क्षेत्र के गाँवों का संपर्क प्रभावित हुआ।
मुख्य बिंदु:
- सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सड़क साफ करने के प्रयास शुरू कर दिये हैं लेकिन व्यापक बर्फबारी के कारण चुनौतियाँ बरकरार हैं।
- विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ग्लेशियर का टूटना जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों की स्पष्ट चेतावनी देता है।
- ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हिमालय क्षेत्र को बढ़ते जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें तेज़ी से ग्लेशियर पिघलना भी शामिल है।
- मार्च 2024 में पिथौरागढ़ के ऊपरी क्षेत्रों में हिमपात देखी गई थी। अब तापमान बढ़ने के साथ ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे हिम-स्खलन हो रहा है और कभी-कभी हिमखंड भी टूट रहे हैं।
सीमा सड़क संगठन
- BRO की परिकल्पना और स्थापना वर्ष 1960 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश के उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण में तेज़ी से विकास के समन्वय के लिये की गई थी।
- यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- इसने निर्माण एवं विकास कार्यों के स्तर में व्यापक विविधता ला दी है, जिसमें हवाई क्षेत्र, निर्माण परियोजनाएँ, रक्षा कार्य और सुरंग बनाना शामिल है तथा जनता के प्रति काफी लोकप्रिय है
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