उत्तर प्रदेश Switch to English
नगर निगम बनेंगे सोलर सिटी
चर्चा में क्यों?
13 मार्च 2025 को गोरखपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी 17 नगर निगमों को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- इस पहल के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
- सरकार सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना, सौर स्ट्रीट लाइट्स और सौर जल-तापन प्रणाली जैसी योजनाओं को लागू करेगी।
- इस योजना से ऊर्जा लागत में कमी आएगी और हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
- यह पहल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वर्ष 2070 तक 'नेट-ज़ीरो' लक्ष्य को प्राप्त करने मे सहायक होगी।
- उत्तर प्रदेश में निम्नलिखित ज़िलों में नगर निगम हैं:
क्रमांक |
नगर निगम |
क्रमांक |
नगर निगम |
1 |
कानपुर |
10 |
मुरादाबाद |
2 |
लखनऊ |
11 |
सहारनपुर |
3 |
गाज़ियाबाद |
12 |
गोरखपुर |
4 |
आगरा |
13 |
फिरोज़ाबाद |
5 |
वाराणसी |
14 |
मथुरा |
6 |
प्रयागराज |
15 |
अयोध्या |
7 |
मेरठ |
16 |
झाँसी |
8 |
बरेली |
17 |
शाहजहाँपुर |
9 |
अलीगढ़ |
- सोलर सिटी
- यह एक ऐसा शहर होता है, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को मुख्य रूप से सौर ऊर्जा से पूरा करता है। इसमें बिजली उत्पादन, परिवहन, जल आपूर्ति और अन्य बुनियादी सेवाएँ सौर ऊर्जा पर निर्भर होती हैं। इस अवधारणा का मुख्य उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का अधिकतम उपयोग करना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP):
- परिचय: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का उद्देश्य सभी हितधारकों को शामिल करके और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कर वायु प्रदूषण को व्यवस्थित रूप से संबोधित करना है।
- NCAP के तहत शहर विशिष्ट कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिये 131 शहरों की पहचान की गई है।
- लक्ष्य: समयबद्ध कमी के लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये एक राष्ट्रीय ढाँचा तैयार करने का यह देश में पहला प्रयास है।
- इसका लक्ष्य अगले पाँच वर्षों (तुलना के लिये आधार वर्ष- 2017) में मोटे (PM10) और महीन कणों (PM2.5) की सांद्रता में कम-से-कम 20% की कमी करना है।
- निगरानी: MoEFCC द्वारा "प्राण" पोर्टल भी लॉन्च किया गया है:
- NCAP के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
- शहरों की कार्य योजनाओं और कार्यान्वयन की स्थिति की निगरानी करना।
- शहरों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं को दूसरों के अनुकरण के लिये साझा करना।


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किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के अंतर्गत जायद फसलें
चर्चा में क्यों?
19 मार्च, 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार ने जायद की 9 फसलों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत शामिल करने का निर्णय लिया।
मुख्य बिंदु
- जायद फसलों के बारे में:
-
जायद फसलें वे फसलें होती हैं, जो रबी और खरीफ मौसम के बीच की अवधि में उगाई जाती हैं। इन फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएँ सहन करने की क्षमता अधिक होती है।
-
जायद की प्रमुख फसलों में खीरा, कद्दू, करेला, तरबूज, ककड़ी, गन्ना और मूँगफली जैसी फसलें शामिल हैं।
-
उत्तर भारत में जायद की फसल आमतौर पर मार्च-अप्रैल में बोई जाती है।
- किसान अब मूंगफली, मक्का, मूंग, उड़द, पपीता, लीची, तरबूज, खरबूज और आंवला जैसी फसलों के लिये KCC और फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकेंगे।
- इससे उन्हें कृषि कार्यों के लिये आसान ऋण और प्राकृतिक आपदाओं से फसल क्षति पर क्षतिपूर्ति मिलेगी।
- KCC के तहत किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। यदि किसान समय पर ऋण चुकता करते हैं तो 3% तक ब्याज में छूट भी दी जाती है।
- PMFBY के तहत यदि किसी किसान की फसल अकाल, अत्यधिक बारिश या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण नष्ट हो जाती है, तो उसे सरकार द्वारा बीमा राशि के रूप में मुआवजा दिया जाता है। इससे किसान आर्थिक संकट से बच सकते हैं।
-
किसान क्रेडिट कार्ड:
- परिचय:
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी। किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिये पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करना। यह ऋण सुविधा एक सरल कार्यविधि के माध्यम से यथा- आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जाती है।
- वर्ष 2004 में इस योजना को किसानों की निवेश ऋण आवश्यकता जैसे संबद्ध और गैर-कृषि गतिविधियों के लिये आगे बढ़ाया गया था।
- बजट-2018-19 में सरकार ने मत्स्य पालन और पशुपालन किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा के विस्तार की घोषणा की।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ:
- वाणिज्यिक बैंक
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs)
- लघु वित्त बैंक
- सहकारी समितियाँ
- उद्देश्य:
- फसलों की खेती के लिये अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना।
- विपणन ऋण का उत्पादन करना।
- किसान परिवारों की खपत आवश्यकताएँ।
- कृषि संपत्ति और कृषि से संबद्ध गतिविधियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी।
- कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिये निवेश ऋण की आवश्यकता।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY):
- परिचय:
- PMFBY को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया तथा इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जा रहा है।
- इसने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) को परिवर्तित कर दिया।
- पात्रता:
- अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार/जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिये पात्र हैं।
- उद्देश्य:
- प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करना ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके।
- खेती में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये किसानों की आय को स्थिर करना।
- किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- कृषि क्षेत्र के लिये ऋण का प्रवाह सुनिश्चित करना।
- बीमा किस्त:
- इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम- खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है।
- वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है।

