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हरियाणा में पराली दहन पर रोक
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने पराली दहन के कारण वायु गुणवत्ता में गिरावट को दूर करने में राज्य सरकार की "पूर्ण असंवेदनशीलता" पर चिंता व्यक्त की।
- न्यायालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management- CAQM) को उल्लंघनकर्त्ताओं के खिलाफ कार्यवाही करने में विफल रहने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया।
प्रमुख बिंदु
- अधिकारियों का निलंबन:
- हरियाणा सरकार ने राज्य में पराली दहन की रोकथाम में विफल रहने के कारण कृषि विभाग के 24 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। पराली दहन की प्रथा से वायु प्रदूषण गंभीर हो रहा है।
- हरियाणा सरकार ने पराली दहन पर रोक लगाने के लिये सख्त नीतियाँ लागू की हैं, जिससे सर्दियों के दौरान NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- पराली जलाना:
- पराली जलाना धान, गेहूँ आदि जैसे अनाज की कटाई के बाद बचे पुआल के ठूँठ को आग लगाने की एक प्रक्रिया है। आमतौर पर इसकी आवश्यकता उन क्षेत्रों में होती है जहाँ संयुक्त कटाई पद्धति का उपयोग किया जाता है जिससे फसल अवशेष बच जाते हैं।
- यह अक्तूबर और नवंबर में पूरे उत्तर पश्चिम भारत में, लेकिन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक सामान्य प्रथा है।
- पराली दहन के प्रभाव:
- प्रदूषण:
- यह वायुमंडल में भारी मात्रा में विषैले प्रदूषक उत्सर्जित करता है, जिनमें मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) और कैंसरकारी पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसें शामिल हैं।
- ये प्रदूषक आसपास के वातावरण में फैल जाते हैं, भौतिक और रासायनिक परिवर्तन से गुज़रते हैं और अंततः सघन धुंध (Smog) की चादर का निर्माण करके मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
- मृदा उर्वरता:
- मृदा पर परली जलाने से मृदा के पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे मृदा कम उपजाऊ हो जाती है।
- उष्मीय आरोहण:
- पराली दहन से उत्पन्न ऊष्मा मृदा में प्रवेश कर जाती है, जिससे नमी और उपयोगी सूक्ष्मजीवों की हानि होती है।
- प्रदूषण:
- पराली दहन के विकल्प:
- तकनीक का उपयोग- उदाहरण के लिये टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन, जो पराली को नष्ट कर सकती है और साफ किये गए क्षेत्र में बीज भी बो सकती है। पराली को फिर खेत में मल्च के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management- CAQM)
- परिचय:
- CAQM राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
- इससे पहले, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश, 2021 की घोषणा के माध्यम से आयोग का गठन किया गया था।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 ने वर्ष 1998 में NCR में स्थापित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) को भी भंग कर दिया।
- CAQM राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
- उद्देश्य:
- वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं का बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान सुनिश्चित करना तथा उससे संबंधित या उसके प्रासंगिक मामलों का समाधान करना।
- क्षेत्र:
- निकटवर्ती क्षेत्रों को NCR से सटे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के उन क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ प्रदूषण का कोई भी स्रोत NCR में वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
- संघटन:
- आयोग का नेतृत्व एक पूर्णकालिक अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा जो भारत सरकार का सचिव अथवा किसी राज्य सरकार का मुख्य सचिव रह चुका हो।
- अध्यक्ष तीन वर्ष तक या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक इस पद पर बने रहेंगे।
- इसमें कई मंत्रालयों के सदस्यों के साथ-साथ हितधारक राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
- इसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और सिविल सोसाइटी के विशेषज्ञ शामिल होंगे ।
- कार्य:
- संबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) द्वारा की गई कार्यवाही का समन्वय करना।
- NCR में वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिये योजनाएँ बनाना एवं उनका क्रियान्वयन करना।
- वायु प्रदूषकों की पहचान के लिये एक ढाँचा प्रदान करना।
- तकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के माध्यम से अनुसंधान और विकास का संचालन करना।
- वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिये विशेष कार्यबल का प्रशिक्षण एवं सृजन।
- विभिन्न कार्य योजनाएँ तैयार करना, जैसे वृक्षारोपण बढ़ाना और पराली दहन की समस्या से निपटना।
- संबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) द्वारा की गई कार्यवाही का समन्वय करना।
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