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केटे एक्सटेंशन कोल ब्लॉक में खनन
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (Chhattisgarh Environment Conservation Board- CECB) ने हसदेव अरंड क्षेत्र में परसा ईस्ट-केंटे बसन (Parsa East-Kente Basan- PEKB), परसा और केटे एक्सटेंशन कोल ब्लॉक परियोजनाओं के लिये सार्वजनिक परामर्श आयोजित करने के लिये एक परिपत्र जारी किया है।
मुख्य बिंदु
- कुछ स्थानीय लोगों ने परियोजना के प्रति समर्थन व्यक्त किया है तथा विकास के लिये इसके संभावित लाभों की ओर इंगित किया है, जबकि अन्य ने इस पर अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं।
- वर्ष 2021 में बनाए गए लेमरू हाथी रिज़र्व के दस किलोमीटर के भीतर एक खनन परियोजना क्षेत्र है। खनन के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में मानव- हाथी संघर्ष में वृद्धि होगी ।
- सूत्रों के अनुसार, सार्वजनिक सुनवाई 2 अगस्त 2024 को होगी, क्योंकि पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये यह एक अनिवार्य प्रक्रिया है।
हसदेव अरंड वन
- छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित हसदेव अरंड नामक विशाल वन अपनी जैवविविधता और कोयला निक्षेपों के लिये जाना जाता है।
- यह वन कोरबा, सुजापुर और सरगुजा ज़िलों के अंतर्गत आता है जहाँ जनजातीय जनसंख्या काफी अधिक है।
- महानदी की सहायक नदी हसदेव नदी यहाँ से होकर प्रवाहित होती है।
- हसदेव अरंड मध्य भारत का सबसे बड़ा अक्षुण्ण वन है, जिसमें प्राचीन साल (शोरिया रोबस्टा) और सागौन के वन शामिल हैं।
- यह एक प्रसिद्ध प्रवासी गलियारा है और यहाँ हाथियों की उपस्थिति काफी अधिक है।
लेमरू हाथी रिज़र्व
- यह रिज़र्व छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले में स्थित है।
- इस रिज़र्व का उद्देश्य हाथियों को एक स्थायी निवास स्थान प्रदान करने के अलावा मानव-पशु संघर्ष और संपत्ति के नुकसान को कम करना है।
- इससे पूर्व, राज्य सरकार ने अक्तूबर 2020 में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 [Wild Life (Protection) Act,1972] की धारा 36 A के तहत रिज़र्व (संरक्षण रिज़र्व) को अधिसूचित किया था।
- धारा 36A में एक विशेष प्रावधान है जो केंद्र सरकार को अधिसूचना की प्रक्रिया में अपनी बात कहने का अधिकार देता है, यदि संरक्षण रिज़र्व के रूप में अधिसूचित की जाने वाली भूमि में केंद्र का क्षेत्र शामिल है।
- WLPA के अंतर्गत हाथी रिज़र्व को मान्यता नहीं दी गई है।
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