न्यू ईयर सेल | 50% डिस्काउंट | 28 से 31 दिसंबर तक   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 22 Nov 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

बिहार 2025 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स और पैरा गेम्स की मेज़बानी करेगा

चर्चा में क्यों?

बिहार 2025 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG) और खेलो इंडिया पैरा गेम्स (KIPG) की मेज़बानी करेगा।

मुख्य बिंदु

  • खेलो इंडिया युवा खेल:
  • परिचय: 
    • KIYG भारत में स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिये एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-विषयक खेल प्रतियोगिता है।
    • ये खेल प्रतिवर्ष जनवरी या फरवरी में आयोजित किये जाते हैं और ये सरकार की खेलो इंडिया पहल का हिस्सा हैं।
    • इसका उद्देश्य खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और ज़मीनी स्तर पर खेल प्रतिभाओं की पहचान करना है।
    • युवा खेलों के पिछले 5 संस्करण दिल्ली, पुणे, गुवाहाटी, पंचकुला और भोपाल में आयोजित किये गए हैं।
  • प्रारूप: 
    • यह दो श्रेणियों में आयोजित किया जाता है अर्थात् 17 वर्ष से कम आयु के स्कूली छात्र और 21 वर्ष से कम आयु के कॉलेज छात्र।
    • यह टीम चैम्पियनशिप प्रारूप में संचालित होता है, जिसमें व्यक्तिगत एथलीटों या टीमों द्वारा अर्जित पदक उनके संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश (UT) की समग्र पदक तालिका में योगदान करते हैं।
    • प्रतियोगिता के समापन पर, सबसे अधिक स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को विजेता घोषित किया जाता है।
  • खेलो इंडिया पैरा गेम्स:
    • खेलो इंडिया पैरा गेम्स (KIPG) का उद्देश्य भारत में पैरा एथलीटों को सशक्त बनाना है। 
    • इसका आयोजन युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण और अन्य निकायों द्वारा किया जाता है।
    • यह व्यापक खेलो इंडिया पहल का हिस्सा है।
      • खेलो इंडिया की शुरुआत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2017 में की गई थी।
  • बिहार में खेल अवसंरचना:
    • बिहार में 38 खेलो इंडिया केंद्र और एक खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्र हैं, जो विभिन्न स्तरों पर एथलीटों के लिये सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
    • राज्य की खेल संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये भारतीय खेल प्राधिकरण के तीन प्रशिक्षण केंद्र हैं।


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में जामा मस्जिद पर सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में 16वीं सदी की मुगलकालीन जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। यह आदेश एक वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका के बाद दिया गया है।

मुख्य बिंदु

  • ऐतिहासिक धर्मांतरण पर दावे:
    • याचिका में आरोप लगाया गया है कि संभल की जामा मस्जिद मूलतः मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित हरि हर मंदिर थी और इसे 1529 में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था।
    • इसमें दावा किया गया है कि विवादित स्थल के प्रबंधन और नियंत्रण के लिये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ज़िम्मेदार है।
  • जमीयत उलमा-ए-हिंद:
    • जमीयत उलमा-ए-हिंद ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के महत्त्व पर प्रकाश डाला, जो सभी पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को उसी रूप में संरक्षित करता है, जैसा वे 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में थे।
    • उन्होंने हाल की न्यायिक कार्रवाइयों में इस कानून की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की तथा अयोध्या निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस अधिनियम का समर्थन किये जाने पर ज़ोर दिया।
  • जामा मस्जिद का ऐतिहासिक संदर्भ:
    • संभल में जामा मस्जिद बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान निर्मित तीन मस्जिदों में से एक है। अन्य मस्जिदों में पानीपत की मस्जिद और अब ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद शामिल हैं।
      • इतिहासकार हॉवर्ड क्रेन ने अपनी कृति, द पैट्रोनेज ऑफ बाबर एंड द ऑरिजिंस ऑफ मुगल आर्किटेक्चर में मस्जिद की स्थापत्य कला की विशेषताओं का वर्णन किया है।
      • क्रेन ने एक फारसी शिलालेख का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि बाबर ने अपने सूबेदार जहाँगीर कुली खान के माध्यम से दिसंबर 1526 में मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)

  • संस्कृति मंत्रालय के अधीन ASI, देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
  • प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष (एएमएएसआर) अधिनियम, 1958 ASI के कामकाज को नियंत्रित करता है।
  • यह राष्ट्रीय महत्त्व के 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों का प्रबंधन करता है।
  • इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव आदि शामिल हैं।
  • इसकी स्थापना 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्व के जनक” के रूप में भी जाना जाता है।




बिहार Switch to English

NHRC ने खाद्य विषाक्तता रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने पटना के एक आश्रय गृह में भोजन विषाक्तता के कारण लोगों की मौत के बारे में मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया है। आश्रय गृह को बिहार सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।

मुख्य बिंदु

  • मानवाधिकार उल्लंघन चिंता:
    • NHRC ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में पीड़ितों के संबंध में गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन को उजागर किया गया है।
    • आश्रय गृह के अधिकारी वैध संरक्षक के रूप में वहां रहने वालों को उचित देखभाल प्रदान करने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • बिहार सरकार को नोटिस:
    • NHRC ने बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
    • रिपोर्ट में पीड़ितों की स्वास्थ्य स्थिति तथा यह जानकारी शामिल होनी चाहिये कि क्या पीड़ितों या उनके परिवारों को कोई मुआवज़ा प्रदान किया गया है।
    • मुख्य सचिव को भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये उठाए गए या प्रस्तावित कदमों के बारे में NHRC को सूचित करने के लिये भी कहा गया है।
  • आश्रय गृह में अस्वच्छ स्थितियाँ:
    • एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने आश्रय गृह में अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों का सामना किया।
    • रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आश्रय गृह में भोजन तैयार करते समय उचित स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जा रहा था।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)

  • परिचय:
  • स्थापना:
    • 12 अक्तूबर, 1993 को मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम (PHRA), 1993 के तहत स्थापित।
    • मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 और मानव अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित।
    • मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण के लिये अपनाए गए पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप स्थापित।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2