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मखाना के लिये MSP
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार सरकार ने केंद्र से मखाना के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करने का आग्रह किया है। मखाना राज्य के 10 ज़िलों में उगाई जाने वाली एक जलीय फसल है।
मुख्य बिंदु
- राज्य ने मखाना के लिये दरभंगा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (ICAR-NRC) में कर्मचारियों की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की है।
- बिहार देश का लगभग 85% मखाना उत्पादित करता है तथा लगभग 10 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसकी खेती और उत्पादन प्रक्रिया में शामिल हैं।
- कृषि मंत्रालय के अनुसार, दरभंगा में मखाना के लिये ICAR-NRC को भारत सरकार के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग द्वारा मखाना फसल के संरक्षण, अनुसंधान और विकास के लिये 9वीं पंचवर्षीय योजना अवधि (वर्ष 1997-2002) के दौरान एक नई योजना के रूप में अनुमोदित किया गया था।
- मखाना के लिये NRC का कार्य फरवरी 2002 में शुरू हुआ, लेकिन वर्ष 2005 में इसे पटना स्थित ICAR-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर (RCER) के साथ विलय कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप इसका "राष्ट्रीय" दर्जा समाप्त कर दिया गया।
- मई 2023 में केंद्र सरकार ने मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा को "राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा" में अपग्रेड किया और मछली जैसी अन्य जलीय फसलों को शामिल करने के लिये इसके अधिदेश का विस्तार किया।
- मखाना के लिये NRC को ICAR के कृषि इंजीनियरिंग प्रभाग के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया और लुधियाना स्थित ICAR-केंद्रीय कटाई उपरांत इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान से संबद्ध कर दिया गया।
मिथिला मखाना
- पान, माखन और मच्छ (मछली) मिथिला की तीन प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पहचान हैं।
- मिथिला मखाना या माखन (वानस्पतिक नाम: यूरीले फेरोक्स सालिसब- Euryale ferox Salisb) बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में उगाया जाने वाला एक विशेष किस्म का मखाना है।
- मखाना मिथिला की तीन प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पहचानों में से एक है
- यह नवविवाहित जोड़ों के लिये मनाए जाने वाले मैथिल ब्राह्मणों के कोजागरा उत्सव में भी बहुत प्रसिद्ध है।
- मखाने में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा फास्फोरस जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के साथ-साथ प्रोटीन व फाइबर होता है।
- इसे वर्ष 2022 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ।
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