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आदिवासियों की भील प्रदेश की मांग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के आदिवासी समुदाय ने 'भील प्रदेश' नामक एक नए राज्य के निर्माण की मांग की है।
मुख्य बिंदु
- आदिवासी समाज राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के 49 ज़िलों को मिलाकर एक नए राज्य के निर्माण की मांग कर रहा है।
- इसके अतिरिक्त, राजस्थान के पूर्व 33 ज़िलों में से 12 ज़िलों को नये राज्य में शामिल करने का अनुरोध किया गया है।
- भील समुदाय के सबसे बड़े समूह आदिवासी परिवार सहित 35 संगठनों ने एक विशाल रैली का आयोजन किया।
- बाँसवाड़ा के मानगढ़ धाम में आयोजित बैठक में मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से भी आदिवासी लोग एकत्रित हुए।
भील समुदाय
- भील सबसे बड़े जनजातीय समूहों में से एक हैं, जो छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में रहते हैं।
- यह नाम 'बिल्लू' शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है धनुष।
- भील लोग उत्कृष्ट तीरंदाज़ माने जाते हैं तथा उन्हें स्थानीय भूगोल का भी गहरा ज्ञान है।
- परंपरागत रूप से गुरिल्ला युद्ध में माहिर, आज उनमें से ज़्यादातर किसान और खेतिहर मज़दूर हैं। वे कुशल मूर्तिकार भी हैं।
- भील महिलाएँ पारंपरिक साड़ी पहनती हैं जबकि पुरुष लंबी फ्रॉक और पायज़ामा पहनते हैं। महिलाएँ चाँदी, पीतल से बने भारी आभूषण पहनती हैं, साथ ही मोतियों की माला एवं चाँदी के सिक्के तथा झुमके भी पहनती हैं।
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राजस्थान अल्पसंख्यक नागरिकता शिविर
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिये विशेष शिविर आयोजित करने जा रही है।
मुख्य बिंदु
- अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के नियम तथा प्रक्रियाएँ सरल कर दी गई हैं। अब ज़िला कलेक्टरों को नागरिकता प्रमाण-पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया है।
- सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2016 से 2024 तक राज्य में 2,329 लोगों को नागरिकता प्रदान की गई है।
- वर्तमान में कुल 1,566 आवेदन लंबित हैं। इनमें से 300 मामलों में आसूचना ब्यूरो (इंटेलिजेंस ब्यूरो) की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019
- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 का उद्देश्य नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करना है।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment ACT- CAA) पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले छह गैर-मुस्लिम समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई) को धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है।
- यह विधेयक छह समुदायों के सदस्यों को विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत किसी भी आपराधिक मामले से छूट देता है।
- दोनों अधिनियमों में देश में अवैध रूप से प्रवेश करने तथा समाप्त हो चुके वीज़ा और परमिट पर यहाँ रहने के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।
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