छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की मुठभेड़
चर्चा में क्यों
हाल ही में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली मारे गए।
- इस अभियान का लक्ष्य कुतुल-फरसबेड़ा और कोडतामेटा गाँवों के निकट वनों में नक्सलियों को निशाना बनाना था।
मुख्य बिंदु:
- वे नक्सली पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के सदस्य थे।
- PLGA भारत में प्रतिबंधित राजनीतिक संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र शाखा के रूप में कार्य करता है
- यह समूह लंबे समय तक चलने वाले जनयुद्ध के माध्यम से सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है।
- यह एक सप्ताह के भीतर नारायणपुर पुलिस द्वारा “माड़ बचाओ अभियान” (नक्सल विरोधी अभियान) की दूसरी बड़ी सफलता है।
- इस अभियान से अबूझमाड़ क्षेत्र में हिंसा और भय को कम करने में सहायता मिली है, जो 40 वर्षों से नक्सल हिंसा से प्रभावित था।
- इस अभियान में राज्य पुलिस के ज़िला रिज़र्व गार्ड, विशेष कार्य बल (STF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सीमा सुरक्षा बल के जवान शामिल थे।
- इस ऑपरेशन में महिला कमांडो ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रेड कॉरिडोर
- रेड कॉरिडोर/लाल गलियारा भारत के मध्य, पूर्वी और दक्षिणी भागों का वह क्षेत्र है जहाँ गंभीर नक्सलवादी-माओवादी विद्रोह का प्रभाव है।
- छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल राज्य वामपंथी उग्रवाद (LWE) से प्रभावित माने जाते हैं।
सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force- BSF)
- BSF का उद्देश्य अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत की सीमाओं को सुरक्षित करना है और इसे कई कानूनों के तहत गिरफ्तार करने, तलाशी लेने तथा ज़ब्त करने का अधिकार है। जैसे कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC),1973, पासपोर्ट अधिनियम 1967, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस’ (NDPS) अधिनियम, 1985 आदि।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police- ITBP)
- ITBP की स्थापना 24 अक्तूबर, 1962 को भारत-चीन युद्ध के दौरान की गई थी और यह एक सीमा रक्षक पुलिस बल है, जिसकी शुरुआत भारत-चीन सीमा पर तैनाती के लिये की गई थी।
- ITBP को प्रारंभ में ‘केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल’ (CRPF) अधिनियम, 1949 के तहत स्थापित किया गया था। हालाँकि वर्ष 1992 में संसद ने ITBP अधिनियम लागू किया और वर्ष 1994 में इसके संबंध में नियम बनाए गए।
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मॉब लिंचिंग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायपुर में दो मवेशी ट्रांसपोर्टर मृत पाए गए और तीसरा व्यक्ति भीड़ द्वारा (कथित तौर पर) हमला किये जाने के बाद गंभीर रूप से घायल हो गया।
- पीड़ित मवेशियों को महासमुंद से रायपुर ले जा रहे थे।
मुख्य बिंदु:
- मॉब लिंचिंग एक शब्द/पद है जिसका प्रयोग लोगों के एक बड़े समूह द्वारा लक्षित हिंसा के कृत्यों का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
- यह हिंसा मानव शरीर या संपत्ति या सार्वजनिक एवं निजी दोनों के विरुद्ध अपराध के समान है।
- भीड़ का मानना है कि वे पीड़ित को कुछ गलत करने (ज़रूरी नहीं कि अवैध) के लिये दंडित कर रहे हैं और इस प्रकार वे कानून के किसी भी नियम का पालन किये बिना कथित आरोपी को दंडित करने हेतु कानून को अपने हाथ में ले लेते हैं।
- संबंधित मुद्दों:
- मॉब लिंचिंग मानवीय गरिमा, संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का घोर उल्लंघन है।
- ऐसी घटनाएँ समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और भेदभाव के निषेध (अनुच्छेद 15) का उल्लंघन करती हैं।
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