गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुए | उत्तराखंड | 20 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में एक हिम तेंदुआ देखा गया था।
मुख्य बिंदु:
- वर्ष 2024 की शुरुआत में जारी भारत की नवीनतम हिम तेंदुए की जीव-गणना के अनुसार भारत में 718 हिम तेंदुए हैं। जिनमें से 124 उत्तराखंड में हैं।
- इस पहाड़ी राज्य में लद्दाख (477) के बाद भारत में हिम तेंदुओं की दूसरी सबसे अधिक आबादी है। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में 38-40 हिम तेंदुओं की आबादी है।
- IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य के रूप में सूचीबद्ध, अनुमान है कि हिम तेंदुओं की वैश्विक आबादी 10,000 से कम है।
- उत्तराखंड में हिम तेंदुए उत्तरकाशी, टेहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर ज़िलों में पाए जाते हैं।
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
- इसे वर्ष 1989 में स्थापित किया गया था और यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में भागीरथी नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र स्थित है।
- गंगोत्री ग्लेशियर पर गंगा नदी का उद्गम स्थल गौ-मुख इस पार्क के अंदर स्थित है।
- इस उद्यान के तहत आने वाला क्षेत्र गोविंद राष्ट्रीय उद्यान और केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के बीच एक जीवंत निरंतरता बनाता है।
- वनस्पति: यह उद्यान घने शंकुधारी वनों से घिरा हुआ है जिनमें ज़्यादातर समशीतोष्ण वन हैं। इस पार्क की सामान्य वनस्पतियों में चिरपाइन, देवदार, फर, स्प्रूस, ओक एवं रोडोडेंड्रॉन शामिल हैं।
- जीव-जंतु: इस उद्यान में विभिन्न दुर्लभ एवं लुप्तप्राय प्रजातियाँ, जैसे- नीली भेड़, काले भालू, भूरे भालू, हिमालयन मोनल, हिमालयन स्नोकॉक, हिमालयन तहर, कस्तूरी मृग और हिम तेंदुए पाई जाती हैं।
उत्तराखंड में चीनी बगुला | उत्तराखंड | 20 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आमतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों, राजस्थान और भूटान में पाया जाने वाले पक्षी चाइनीज़ पॉन्ड हेरॉन को पहली बार उत्तराखंड में देखा गया है।
मुख्य बिंदु:
- विशेषज्ञों के मुताबिक, उत्तराखंड में चाइनीज़ पॉन्ड हेरॉन के अस्तित्त्व का कोई रिकॉर्ड नहीं था।
- पहली बार इस पक्षी ने प्रजनन के लिये लैंसडाउन वन प्रभाग के कोटद्वार क्षेत्र को चुना है।
- गर्मियों के दौरान कोटद्वार और लैंसडाउन वन प्रभाग के सनेह क्षेत्र के घने वनों में कई प्रवासी पक्षी दिखाई देते हैं।
- पूर्वोत्तर राज्यों से पक्षियों का यहाँ आगमन/प्रवासन इस बात का संकेत है कि यहाँ का परिवेश उनके लिये अनुकूल है।
चाइनीज़ पॉन्ड हेरॉन (Chinese Pond Heron)
- चाइनीज़ पॉन्ड हेरॉन (Ardeola bacchus) बगुला कुल का एक पूर्वी एशियाई अलवण जलीय पक्षी है।
- यह पक्षियों की छह प्रजातियों में से एक है जिन्हें "पॉन्ड हेरॉन अर्थात् तालाब के बगुलों" (genus Ardeola) के नाम से जाना जाता है।
- यह आमतौर पर 47 cm (19 इंच) लंबा होता है, इसके सफेद पंख, पीले रंग की चोंच व काले सिरे, पीली आँखें और पैर होते हैं।
- प्रजनन काल के दौरान इसका समग्र रंग लाल, नीला और सफेद होता है तथा अन्य समय में भूरा-भूरा एवं सफेद रंग का होता है।
- यह उथले अलवण जल और खारे जल वाले आर्द्रभूमि व तालाबों में पाया जाता है।
- यह काफी सामान्य है और IUCN रेड लिस्ट द्वारा इसे कम चिंतनीय (LC) प्रजाति माना जाता है।
स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय फुटबॉल चैम्पियनशिप | छत्तीसगढ़ | 20 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वामी विवेकानंद अंडर-20 पुरुष राष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियनशिप क्वार्टर फाइनल रामकृष्ण मिशन आश्रम ग्राउंड, नारायणपुर, छत्तीसगढ़ में आयोजित किया गया था।
मुख्य बिंदु:
- असम फुटबॉल चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में मिज़ोरम से हार गया। चैंपियनशिप में कुल 32 राज्यों ने भाग लिया।
- अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (All India Football Federation- AIFF) ने अप्रैल 2024 में स्वामी विवेकानंद U20 राष्ट्रीय फुटबॉल चैम्पियनशिप की घोषणा की।
- नई शुरू की गई U20 चैंपियनशिप के अलावा, AIFF दो अन्य पुरुष आयु वर्ग प्रतियोगिताएँ, जूनियर NFC और सब-जूनियर NFC भी आयोजित करता है।
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (All India Football Federation- AIFF)
- अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) भारत में फुटबॉल खेल के प्रबंधन से संबंधित संगठन है।
- यह भारत की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के संचालन का प्रबंधन करता है और कई अन्य प्रतियोगिताओं तथा टीमों के अलावा भारत की प्रमुख घरेलू क्लब प्रतियोगिता I-लीग को भी नियंत्रित करता है।
- AIFF की स्थापना वर्ष 1937 में हुई थी और वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में फीफा की संबद्धता प्राप्त की थी।
- वर्तमान में इसका कार्यालय द्वारका, नई दिल्ली में है। भारत में यह वर्ष 1954 में एशियाई फुटबॉल परिसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक था।
मुठभेड़ में मारा गया नक्सली | छत्तीसगढ़ | 20 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में सुरक्षाकर्मियों के साथ गोलीबारी में एक नक्सली मारा गया।
मुख्य बिंदु:
- गोलीबारी सुबह टोलनाई और तेतराई गाँवों के बीच एक वन क्षेत्र के पहाड़ी में हुई जब सुरक्षाकर्मियों की एक टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी।
- इस घटना के साथ ही वर्ष 2024 में अब तक छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में 105 नक्सली मारे जा चुके हैं।
भारत में नक्सलवाद:
- भारत में नक्सली हिंसा की शुरुआत वर्ष 1967 में पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग ज़िले के नक्सलबाड़ी नामक गाँव से हुई और इसीलिये इस उग्रपंथी आंदोलन को ‘नक्सलवाद’ के नाम से जाना जाता है।
- इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी। विद्रोह की शुरुआत वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों को भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से की गई थी
- पश्चिम बंगाल में शुरू हुआ यह आंदोलन पूरे पूर्वी भारत: छत्तीसगढ़, ओडिशा के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के कम विकसित क्षेत्रों में भी फैल गया है।
- यह माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद, साम्यवाद का एक रूप है जो माओ त्से तुंग द्वारा विकसित किया गया है। इस सिद्धांत के समर्थक सशस्त्र विद्रोह, जनसमूह और रणनीतिक गठजोड़ के संयोजन से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने में विश्वास रखते हैं।
हरियाणा के सरकारी स्कूलों पर रिपोर्ट | हरियाणा | 20 May 2024
चर्चा में क्यों?
एक हालिया सरकारी रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य में 19 स्कूल बिना किसी छात्र के हैं, 811 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है और कुल 3,148 स्कूलों में उनकी क्षमता के आधे से भी कम छात्र हैं।
मुख्य बिंदु:
- रिपोर्ट, जिसमें फरवरी 2024 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के परियोजना अनुमोदन बोर्ड द्वारा आयोजित एक बैठक के मुख्य बिंदुओं को रेखांकित किया गया, जिसमें राज्य के 14,562 सरकारी स्कूलों को चिह्नित किया गया।
- रिपोर्ट ने विशेषकर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की अपर्याप्त संख्या पर प्रकाश डाला और सरकार को इन रिक्तियों को तुरंत भरने की सलाह दी।
- शिक्षकों की कमी का असर वेतन भुगतान के लिये आवंटित केंद्रीय धनराशि पर पड़ा है।
- प्राथमिक क्षेत्र में, वित्तीय सहायता वर्ष 2021-22 की अवधि में 19 लाख रुपए से घटकर 14 लाख रुपए हो गई है।
- इसी तरह, उच्च शिक्षा में कई रिक्त पदों के कारण अनुदान 20 लाख रुपए से घटकर 14 लाख रुपए हो गया है।
- रिपोर्ट में शिक्षकों की कमी के अलावा इन स्कूलों में छात्रों के लिये बुनियादी ढाँचे की कमी की भी बात कही गई है।
- जबकि स्कूल अतिरिक्त कक्षाओं के अपने लक्ष्य से 18% कम हैं, लड़कों और लड़कियों के लिये शौचालय 1% व 1.8% कम हैं। स्मार्ट क्लासरूम भी आवश्यक संख्या से 1.4% कम हैं।
- रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि अतीत की गैर-आवर्ती स्वीकृतियाँ, जिन पर वर्षों से राज्य द्वारा ध्यान नहीं दिया गया है, अंततः समग्र शिक्षा फ्रेमवर्क के अनुसार 5 वर्ष की अवधि के बाद राज्य की एकमात्र ज़िम्मेदारी बन जाएंगी।
- जिन स्कूलों ने सुविधाएँ स्थापित नहीं की हैं, उन्हें अपने प्रारंभिक प्रस्ताव वापस लेने चाहिये और नए प्रस्ताव के बारे में सोचना चाहिये।
- प्रस्तुत आँकड़ों में किसी भी प्रकार की त्रुटि से बचने के लिये राज्य सरकार को लंबित कार्यों की प्रगति को नियमित रूप से प्रबंध पोर्टल पर अपडेट करने का निर्देश दिया गया है।
समग्र शिक्षा योजना
- यह स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जिसमें प्री-स्कूल से लेकर बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा संबंधी सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
- इसका उद्देश्य समावेशी, न्यायसंगत और सुगम स्कूली शिक्षा प्रदान करना है।
- यह ‘सर्व शिक्षा अभियान’ (SSA), ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ (RMSA) और ‘शिक्षक शिक्षा’ (TE) की तीन योजनाओं को समाहित करती है।
- इस योजना में 1.16 मिलियन स्कूल, 156 मिलियन से अधिक छात्र और सरकारी तथा सहायता प्राप्त स्कूलों के 5.7 मिलियन शिक्षक (पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।
- इसे केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जा रहा है। इसमें केंद्र और अधिकांश राज्यों के बीच वित्तपोषण में 60:40 का विभाजन शामिल है। इसे वर्ष 2018 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
समग्र शिक्षा योजना 2.0
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer- DBT):
- योजना की प्रत्यक्ष पहुँच को बढ़ाने के लिये सभी बाल-केंद्रित हस्तक्षेप छात्रों को सीधे सूचना प्रौद्योगिकी-आधारित प्लेटफॉर्म पर DBT मोड के माध्यम से समय-समय पर शिक्षा का अधिकार पात्रता के तहत पाठ्यपुस्तक, ड्रेस और परिवहन भत्ते प्रदान किये जाएंगे।
- NEP की सिफारिशें:
- भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन:
- इसमें भाषा शिक्षकों की नियुक्ति के लिये एक नया घटक है, जिसमें वेतन और प्रशिक्षण लागत के साथ-साथ द्विभाषी किताबें तथा शिक्षण सामग्री शामिल है, जैसा कि NEP में अनुशंसित किया गया है।
- पूर्व प्राथमिक शिक्षा:
- इसमें अब शिक्षण एवं अधिगम सामग्री, स्वदेशी खिलौने और खेल तथा खेल-आधारित गतिविधियों के लिये सरकारी स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक वर्गों को समर्थन देने के लिये वित्त प्रदान करना शामिल होगा।
- योजना के तहत पूर्व-प्राथमिक शिक्षकों और आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के लिये कुशल प्रशिक्षकों का समर्थन किया जाएगा।
- निपुण भारत पहल:
- इस पहल के तहत शिक्षण सामग्री के लिये प्रति छात्र 500 रुपए, मैनुअल और संसाधनों के लिये प्रति शिक्षक 150 रुपए तथा आधारभूत साक्षरता एवं अंकगणित के आकलन के लिये प्रति ज़िले 10-20 लाख रुपए का वार्षिक प्रावधान है।
- डिजिटल पहल:
- डिजिटल बोर्ड, वर्चुअल क्लासरूम और DTH चैनलों के लिये समर्थन सहित ICT लैब तथा स्मार्ट क्लासरूम का प्रावधान है, जो कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र अधिक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।
- स्कूल न जाने वाले बच्चों हेतु:
- इसमें 16 से 19 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों को ओपन स्कूलिंग के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये 2000 प्रति ग्रेड के वित्तपोषण का समर्थन देने का प्रावधान शामिल है।
- स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और स्कूल छोड़ने वाले छात्रों दोनों के लिये कौशल तथा व्यावसायिक शिक्षा पर भी अधिक ध्यान दिया जाएगा।
दतिया- भारत का तीसरा सबसे गर्म स्थान | मध्य प्रदेश | 20 May 2024
चर्चा में क्यों?
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में तापमान 47.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया और यह तीसरा सबसे गर्म स्थान बन गया।
मुख्य बिंदु:
- दिल्ली के नजफगढ़ में देश में सबसे अधिक तापमान 47.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि आगरा में 47.7 डिग्री तापमान दर्ज किया गया।
- सूत्रों के मुताबिक पूर्वी मध्य प्रदेश के ज़िलों के कुछ इलाकों में बारिश या आँधी आ सकती है।
- पश्चिमी और पूर्वी मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में हीट वेव की स्थिति का अनुभव किया जा सकता है।
हीट वेव
- परिचय:
- हीट वेव, चरम गर्म मौसम की लंबी अवधि होती है जो मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
- भारत एक उष्णकटिबंधीय देश होने के कारण विशेष रूप से हीट वेव के प्रति अधिक संवेदनशील है, जो हाल के वर्षों में लगातार और अधिक तीव्र हो गई है।
- भारत में हीट वेव घोषित करने हेतु IMD के मानदंड:
- यदि किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुँच जाता है तो इसे हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
- यदि किसी स्थान का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है, तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीट वेव की स्थिति माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त सामान्य तापमान से 7 डिग्री सेल्सियस अथवा उससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
- यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से अधिक है, तो सामान्य तापमान से 4°C से 5°C की वृद्धि को लू की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा 6 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त यदि सामान्य अधिकतम तापमान के बावजूद वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहता है, तो हीटवेव घोषित किया जाता है।