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बिहार ने 25 वर्षों के बाद स्वर्ण पदक जीता
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल 2025 में बिहार ने 25 वर्षों के बाद स्वर्ण पदक जीता।
मुख्य बिंदु
- 08 फरवरी, 2025 को उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल 2025 में बिहार की महिला खिलाड़ी ख़ुशबू कुमारी, निखत ख़ातून और पायल प्रीति ने लॉन बॉल की ट्रिपल महिला स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीता।
- बिहार ने 25 वर्षों के बाद राष्ट्रीय खेलों में यह स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।
- फाइनल मुकाबले में, बिहार की टीम ने पश्चिम बंगाल को 15-14 के करीबी अंतर से हराया।
- 38वें राष्ट्रीय खेल 2025 में बिहार 1 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य पदक सहित कुल 12 पदक जीत के साथ 29वें स्थान पर रहा।
38 वें राष्ट्रीय खेल
- 38वें राष्ट्रीय खेल 2025 का आयोजन 28 जनवरी से 14 फरवरी, 2025 के मध्य उत्तराखंड में किया गया। इसका उद्घाटन देहरादून के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में हुआ।
- खेलों का शुभंकर मौली था, जो उत्तराखंड के राज्य पक्षी मोनाल से प्रेरित था।
- राष्ट्रीय खेलों में 32 खेल प्रतियोगिताएँ शामिल हुईं।
- महाराष्ट्र ने 54 स्वर्ण, 71 रजत और 76 कांस्य पदक के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। जबकि हरियाणा 48 स्वर्ण, 47 रजत और 58 कांस्य पदक प्राप्त करके दूसरे स्थान पर रहा।
39 वें राष्ट्रीय खेल
- 39वें राष्ट्रीय खेल 2026 में मेघालय में आयोजित किये जाएंगे।
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गया ज़िले के स्टोन आर्ट को GI टैग मिला
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के गया ज़िले के 300 वर्ष पुराने स्टोन आर्ट को GI टैग प्रदान किया गया है।
मुख्य बिंदु
- स्टोन आर्ट के बारे में:
- बिहार के गया ज़िले के नीमचक बथानी प्रखंड के पत्थरकट्टी गाँव मूर्ति कला (स्टोन आर्ट) के लिये प्रसिद्ध है।
- स्टोन आर्ट में भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी की मूर्तियों के अतिरिक्त विभिन्न कलाकृतियों की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।
- वैश्विक पहचान:
- गया ज़िले के पत्थरकट्टी गाँव में स्टोन आर्ट से जुड़े 650 से अधिक शिल्पकार हैं। GI टैग मिलने से न केवल इन शिल्पकारों की बल्कि मूर्तिकला को भी विदेशों में एक नई पहचान मिलेगी। इससे इनकी आय भी बढ़ेगी।
- इतिहास:
- माना जाता है कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस गाँव का नाम पत्थरकट्टी रखा था।
- यही पर शिल्पकारों ने काले ग्रेनाइट पत्थर की पहाड़ी को खोजा। पत्थरकट्टी के काले ग्रेनाइट पत्थर से विष्णुपद मंदिर का निर्माण कराया गया।
- बिहार के अन्य GI टैग उत्पाद
- बिहार के जर्दालु आम, शाही लीची करतनी चावल, मगही पान और मधुबनी पेंटिंग को भी GI टैग मिल चुका है।
GI टैग
- GI टैग का पूर्ण रूप जियोग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) है, जिसे हिंदी में भौगोलिक संकेतक कहा जाता है। यह टैग उन उत्पादों को दिया जाता है जिनकी विशिष्टता, गुणवत्ता या प्रतिष्ठा किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी होती है।
- GI टैग मिलने से उत्पाद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।
- वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
- वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ GI टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
- भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।