उत्तर प्रदेश Switch to English
श्री राम परिवार भक्ति आंदोलन
चर्चा में क्यों?
विशाल भारत संस्थान ने राम पंथ के सहयोग से, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ पदाधिकारी की उपस्थिति में राम नवमी के अवसर पर 'श्री राम परिवार भक्ति आंदोलन' शुरू किया।
मुख्य बिंदु:
- आंदोलन की शुरुआत लमही गाँव में आयोजित 'महादीक्षा संस्कार' से हुई, जहाँ 1,100 लोगों ने राम परिवार भक्ति आंदोलन को पूरे देश में ले जाने का संकल्प लिया।
- दलितों, आदिवासियों, किन्नरों और महिलाओं के एक समूह को दीक्षा लेने के बाद पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
- रामपंथी संस्कृति का प्रसार करेंगे और रामभक्ति आंदोलन को व्यापक दर्शकों तक लाएंगे। लमही में राम संबंध मंदिर के निर्माण से सभी धर्मों के लोगों को दर्शन की सुविधा मिलेगी।
रामनवमी
- यह वसंत ऋतु का हिंदू त्योहार है।
- यह त्योहार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म का प्रतीक है।
- यह दिन चैत्र नवरात्रि का नौवाँ और आखिरी दिन है। यह सामान्यतः प्रत्येक वर्ष मार्च या अप्रैल के ग्रेगोरियन महीनों में होता है।
हरियाणा Switch to English
सोनीपत में बना 'राम लला' का मंदिर
चर्चा में क्यों?
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व मुकदमे में एक प्रमुख वादी निर्मोही अखाड़ा ने हरियाणा के सोनीपत ज़िले के खांडा गाँव में एक प्रभावशाली 'राम लला' मंदिर का निर्माण किया है।
मुख्य बिंदु:
- मंदिर के गर्भगृह में 'राम लला' की मूर्ति की स्थापना 'राम नवमी' समारोह का एक मुख्य आकर्षण थी।
- नए मंदिर को समायोजित करने के लिये 416 वर्ष पुराने 'मठ' का नवीनीकरण किया गया। भारत के विभिन्न हिस्सों से आए निर्मोही अखाड़े के संतों ने पूरे सप्ताह चलने वाले 'प्राण प्रतिष्ठा' अनुष्ठान में भाग लिया।
- सफेद 'मकराना' संगमरमर से बनी 'राम लल्ला' की मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर की तरह दिखती है।
- मूर्ति के चारों ओर बारह सुनहरे मेहराब हैं जो रामायण के दृश्यों को दर्शाते हैं।
- मठ में भगवान विष्णु का प्रतीक 'वैष्णव धर्म स्तंभ' स्थापित किया गया है।
निर्मोही अखाड़ा
- यह 18वीं शताब्दी की शुरुआत में स्थापित वैष्णव संप्रदाय के रामानंदी संप्रदाय का एक 'अखाड़ा' है।
- यह अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त चौदह अखाड़ों में से एक है और वैष्णव बैरागी संप्रदाय से संबंधित है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में हताहत-मुक्त लोकसभा चुनाव की तैयारी
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव की तैयारियाँ चल रही हैं। उत्तराखंड की सभी पाँच लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल 2024 को एक ही चरण में मतदान होना है।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के मुताबिक, उन्होंने आपातकालीन सेवा के लिये दो हेलीकॉप्टरों की व्यवस्था की है और मतदान हताहत-मुक्त होगा जिसमें कोई आपातकालीन स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
- पहाड़ी राज्य में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिये राज्य भर में 11,000 से अधिक मतदान केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं।
- वोटों की गिनती 4 जून 2024 को होनी है।
एक राष्ट्र-एक चुनाव
- परिचय:
- यह अवधारणा एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करती है जहाँ प्रत्येक पाँच वर्ष पर सभी राज्यों के चुनाव लोकसभा के आम चुनावों के साथ-साथ संपन्न होंगे
- विचार यह है कि चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाए और चुनावों की आवृत्ति को कम किया जाए, जिससे समय तथा संसाधनों की बचत होगी
- पृष्ठभूमि:
- यह विचार वर्ष 1983 से ही अस्तित्त्व में है, जब निर्वाचन आयोग ने पहली बार इसे पेश किया था। हालाँकि वर्ष 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव आयोजित कराना एक सामान्य परिदृश्य रहा था
- लोकसभा के प्रथम आम चुनाव और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव 1951-52 में एक साथ आयोजित कराए गए थे
- यह अभ्यास वर्ष 1957, 1962 और 1967 में आयोजित अगले तीन आम चुनावों में भी जारी रहा।
- लेकिन वर्ष 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय-पूर्व विघटन के कारण यह चक्र बाधित हो गया
- वर्ष 1970 में स्वयं लोकसभा का समय-पूर्व विघटन हो गया और वर्ष 1971 में नए चुनाव आयोजित कराए गए। इस प्रकार, वर्ष 1970 तक केवल प्रथम, द्वितीय और तृतीय लोकसभा ने पाँच वर्ष का नियत कार्यकाल पूरा किया
- यह विचार वर्ष 1983 से ही अस्तित्त्व में है, जब निर्वाचन आयोग ने पहली बार इसे पेश किया था। हालाँकि वर्ष 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव आयोजित कराना एक सामान्य परिदृश्य रहा था
झारखंड Switch to English
झारखंड मनरेगा घोटाले में संपत्तियाँ ज़ब्त
चर्चा में क्यों?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) घोटाले के मामले में आरोपियों की 22.47 लाख रुपए मूल्य की चार अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से ज़ब्त कर लिया है।
मुख्य बिंदु:
जाँच एजेंसी ने झारखंड के खूंटी ज़िले में मनरेगा कार्य में 18 करोड़ रुपए के गबन के संबंध में झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज 16 FIR के आधार पर जाँच शुरू की थी।
- ED ने वर्ष 2022 में धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA) के प्रावधानों के तहत कई तलाशी ली थीं, जिसके दौरान 19.58 करोड़ रुपए की भारी नकदी बरामद और ज़ब्त की गई थी।
धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA)
- परिचय:
- यह आपराधिक कानून है जो धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और धन शोधन से संबंधित मामलों से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की ज़ब्ती का प्रावधान करने के लिये बनाया गया है।
- यह धन शोधन से निपटने के लिये भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढाँचे का मूल है।
- इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों (RBI सहित), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
- PMLA के प्रमुख प्रावधान:
- अपराध और दंड: PMLA धन शोधन अपराधों को परिभाषित करता है और ऐसी गतिविधियों के लिये ज़ुर्माना लगाता है। इसमें अपराधियों के लिये कठोर कारावास और ज़ुर्माना शामिल है।
- संपत्ति की कुर्की और ज़ब्ती: अधिनियम धन शोधन में शामिल संपत्ति की कुर्की और ज़ब्ती की अनुमति देता है। यह इन कार्यवाहियों की निगरानी के लिये एक निर्णायक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है।
- रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ: PMLA कुछ संस्थाओं, जैसे बैंकों और वित्तीय संस्थानों, को लेन-देन के रिकॉर्ड बनाए रखने तथा वित्तीय खुफिया इकाई (Financial Intelligence Unit- FIU) को संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट करने का आदेश देता है।
- नामित प्राधिकरण और अपीलीय अधिकरण: अधिनियम धन शोधन अपराधों की जाँच और अभियोजन में सहायता के लिये एक नामित प्राधिकरण की स्थापना करता है। यह न्यायनिर्णयन प्राधिकारी के आदेशों के खिलाफ अपील सुनने के लिये एक अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान करता है।
- वर्ष 2023 में PMLA, 2002 में संशोधन:
- अपराध से प्राप्त आय की स्थिति के बारे में स्पष्टीकरण: अपराध की आय में न केवल अनुसूचित अपराध से प्राप्त संपत्ति शामिल है, बल्कि इसमें अनुसूचित अपराध से संबंधित या समान किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल होने या प्राप्त की गई कोई अन्य संपत्ति भी शामिल होगी।
- पुनर्परिभाषित धन शोधन: धन शोधन एक स्वतंत्र अपराध नहीं था बल्कि यह किसी अन्य अपराध पर निर्भर था, जिसे विधेय अपराध या अनुसूचित अपराध के रूप में जाना जाता है। संशोधन का उद्देश्य धन शोधन को एक अलग अपराध मानना है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
19 अप्रैल को बस्तर में मतदान
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के बस्तर संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को मतदान होगा।
मुख्य बिंदु:
- वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इस विधानसभा क्षेत्र में करीब दो हज़ार मतदान केंद्र बनाये गए हैं। सुरक्षा कारणों से इनमें से 200 से अधिक मतदान केंद्रों को स्थानांतरित कर दिया गया है।
- निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कराने के लिये पूरी तैयारी कर ली है।
- इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बीजापुर ज़िले में छह मतदान केंद्र हैं जहाँ लोग करीब बीस वर्ष बाद दोबारा मतदान कर सकेंगे।
- निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कराने के लिये पूरी तैयारी कर ली है।
वामपंथी उग्रवाद
- वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism- LWE), जिसे वामपंथी आतंकवाद या कट्टरपंथी वामपंथी आंदोलनों के रूप में भी जाना जाता है, उन राजनीतिक विचारधाराओं और समूहों को संदर्भित करता है जो क्रांतिकारी तरीकों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन का समर्थन करते हैं।
- LWE समूह अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये सरकारी संस्थानों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों या निजी संपत्ति को निशाना बनाने जैसे कदम उठाते हैं।
- भारत में वामपंथी उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1967 के पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी (Naxalbari) के उदय के साथ हुई।
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