बिहार Switch to English
पितृ पक्ष
चर्चा में क्यों?
पितृ पक्ष , जिसे श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है , हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक महत्त्वपूर्ण समयावधि है जो अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने हेतु समर्पित है।
- 2024 में पितृ पक्ष 17 सितंबर को शुरू होगा और 2 अक्तूबर को महालया या सर्व पितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा।
प्रमुख बिंदु
- पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अत्यधिक आध्यात्मिक और धार्मिक महत्त्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान, मृत पूर्वजों की आत्माएँ अपने जीवित वंशजों से तर्पण प्राप्त करने हेतु पृथ्वी पर उतरती हैं।
- यह समय पितृ दोष (जो कि पूर्वजों के ऋण का प्रतीक है) से मुक्ति हेतु अनुष्ठान करने के लिये पवित्र माना जाता है ।
- अनुष्ठान और अनुष्ठान:
- पितृ पक्ष के दौरान किये जाने वाले अनुष्ठानों को श्राद्ध के रूप में जाना जाता है ।
- ये अनुष्ठान श्रद्धा और पवित्रता के साथ दिवंगत आत्माओं की शांति सुनिश्चित करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु किये जाते हैं।
- प्रमुख अनुष्ठानों में शामिल हैं:
- पवित्र स्नान: अनुष्ठान करने वाला व्यक्ति, आमतौर पर सबसे बड़ा पुत्र, पवित्र जल में स्नान करके शुरुआत करता है, जो शुद्धता का प्रतीक है।
- भोजन और वस्त्र भेंट करना: घर पर आमंत्रित ब्राह्मणों को सात्विक भोजन और वस्त्र भेंट किये जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
- पितृ तर्पण: इसमें विशिष्ट मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूर्वजों को जल और तिल अर्पित किया जाता है।
- पशुओं को भोजन करवाना: इस अवधि के दौरान गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन करवाना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- सांस्कृतिक और क्षेत्रीय प्रथाएँ
- भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पितृ पक्ष मनाने के अलग-अलग तरीके हैं। उदाहरण के लिये, बिहार का गया शहर इस अवधि के दौरान महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान आयोजित करने हेतु प्रसिद्ध है।
- कई लोग पितृ तर्पण करने के लिये गंगा घाट पर जाते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह विशेष पुण्यदायी है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु के पार पहुँचा
चर्चा में क्यों?
वाराणसी में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु पार कर गया है, जिससे वहाँ भीषण बाढ़ आ गई है और क्षेत्र के 4,000 से अधिक निवासी प्रभावित हुए हैं।
- जलस्तर 70.76 मीटर तक बढ़ गया, जो कि चेतावनी सीमा 70.26 मीटर को पार कर गया; यह 5 सेमी. प्रति घंटे की दर से बढ़ रहा था।
प्रमुख बिंदु
- निवासियों पर प्रभाव:
- प्रभावित आबादी: बाढ़ से कुल 4,461 व्यक्ति प्रभावित हुए हैं। ज़िले के कई निचले क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं, जिससे लोगों को आने-जाने के लिये नावों का प्रयोग करना पड़ रहा है।
- पुनर्वास: कटाव से प्रभावित मोकलपुर के परिवारों को राहत शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। इसके अलावा, 299 परिवारों के 1,601 लोग वर्तमान में इन शिविरों में रह रहे हैं।
- राहत उपाय:
- बाढ़ राहत शिविर: ज़िला प्रशासन ने 46 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किये हैं, जिनमें से 14 वर्तमान में कार्यरत हैं।
- इन शिविरों में भोजन, फल, दूध और पीने का जल जैसी आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये चिकित्सा शिविर भी स्थापित किये गए हैं।
- बचाव कार्य: बचाव कार्यों के लिये कुल 22 नावें तैनात की गई हैं।
- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें मोटरबोटों का उपयोग करते हुए राहत कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
- बाढ़ राहत शिविर: ज़िला प्रशासन ने 46 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किये हैं, जिनमें से 14 वर्तमान में कार्यरत हैं।
गंगा नदी प्रणाली
- गंगा नदी उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से 3,892 मीटर की ऊँचाई पर भागीरथी के रूप में निकलती है।
- गंगा नदी के मुख्य स्रोत कई छोटी-छोटी धाराएँ हैं। इनमें अलकनंदा, धौलीगंगा, पिंडर, मंदाकिनी और भीलंगना प्रमुख हैं।
- देवप्रयाग में जहाँ अलकनंदा भागीरथी से मिलती है, नदी को गंगा नाम मिलता है। यह बंगाल की खाड़ी में सम्मिलित होने से पहले 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
- गंगा छह मुख्य धाराओं और उनके पाँच संगमों से बनती है।
- नंदप्रयाग: नंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी का संगम।
- कर्णप्रयाग: पिंडर नदी और अलकनंदा नदी का संगम।
- विष्णुप्रयाग: धौलीगंगा नदी और अलकनंदा नदी का संगम।
- भागीरथी, जिसे मूल धारा माना जाता है, गंगोत्री ग्लेशियर के निचले भाग में गौमुख से निकलती है। अंत में यह बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
- गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ:
- दाहिने किनारे की सहायक नदियाँ: यमुना, टोंस, करमनासा, सोन, पुनपुन, फल्गु, किऊल, चंदन, अजॉय, दामोदर, रूपनारायण।
- गंगा नदी उत्तर प्रदेश के 28 ज़िलों से होकर प्रवाहित होती है, जो बिजनौर ज़िले से होते हुए राज्य में प्रवेश करती है। प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर यमुना में विलीन होने से पहले यह उत्तर प्रदेश में लगभग 1140 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
उत्तराखंड Switch to English
सीएम धामी ने प्रमुख सब्सिडी और परियोजनाओं की घोषणा की
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने जन्मदिन पर राज्य के लिये कई पहलों की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- विकास परियोजनाएँ: उन्होंने बुनियादी ढाँचे और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया।
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 100 और 200 यूनिट तक विद्युत उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिये 50% सब्सिडी की घोषणा की।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत शिकारपुर, रुड़की, हरिद्वार में लक्ष्मी आवास योजना के 101 लाभार्थियों को उनके नए घरों पर कब्ज़ा/सम्पत्ति-पत्र और चाबियाँ सौंपी गईं।
- जन कल्याणकारी योजनाएँ: उत्तराखंड के निवासियों को लाभान्वित करने के लिये नई जन कल्याणकारी योजनाएँ शुरू की गईं।
- उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों में GIS सबस्टेशनों और ट्रांसमिशन लाइनों सहित ADB द्वारा वित्त पोषित पाँच विद्युत परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी
- परिचय:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) सरकार के मिशन वर्ष 2022 तक सभी के लिये आवास के अंतर्गत आती है, जिसका क्रियान्वयन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा किया जा रहा है।
- यह समान मासिक किस्तों (EMI) के माध्यम से पुनर्भुगतान के दौरान गृह ऋण की ब्याज दर पर सब्सिडी प्रदान करके शहरी में गरीबों के लिये गृह ऋण को वहनीय बनाता है।
- लाभार्थी:
- यह मिशन झुग्गीवासियों सहित EWS/LIG और MIG श्रेणियों के बीच शहरी आवास की कमी को दूर करता है।
- आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के लिये, जिनकी अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय 3,00,000 रुपए हो।
- निम्न आय समूह (LIG) जिसकी अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय 6,00,000 रुपए है।
- मध्यम आय समूह (MIG I और II) जिनकी अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय 18,00,000 रुपए है।
- लाभार्थी परिवार में पति, पत्नी, अविवाहित पुत्र और/या अविवाहित पुत्रियाँ शामिल होंगी।
राजस्थान Switch to English
सीलिंग लिमिट समाप्ति:राशन कार्ड धारकों के लिये एक बड़ी चिंता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम में चित्तौड़गढ़ में राशन कार्ड धारकों के लिये सीलिंग लिमिट समाप्त हो गई है, जिससे सब्सिडी वाले खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर निर्भर रहने वाले लाभार्थियों में चिंता उत्पन्न हो गई है ।
प्रमुख बिंदु
- पात्रता पर प्रभाव: अधिकतम सीमा समाप्त होने का अर्थ है कि राशन कार्ड धारकों को मिलने वाले राशन की मात्रा या वस्तुओं के प्रकार में बदलाव हो सकता है। इससे परिवारों को मिलने वाली सब्सिडी वाली वस्तुओं की मात्रा में कमी आ सकती है।
- नवीनीकरण और अपडेट: राशन कार्ड धारकों को अब लाभ प्राप्त करने हेतु अपने कार्ड को नवीनीकृत करने या अपनी जानकारी अपडेट करने की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रक्रिया में नए दस्तावेज़ जमा करना या मौजूदा विवरणों को सत्यापित करना शामिल हो सकता है।
- नीतिगत परिवर्तन: सरकार राशन कार्ड के प्रबंधन और वितरण को प्रभावित करने वाली नई नीतियाँ या दिशा-निर्देश पेश कर सकती है। इन परिवर्तनों का उद्देश्य प्रक्रिया को सरल बनाना या दुरुपयोग एवं धोखाधड़ी के मुद्दों को हल करना हो सकता है
राजस्थान राशन कार्ड, 2024
- राशन कार्ड एक सरकारी दस्तावेज़ है जो कार्डधारकों को हर महीने सरकारी राशन की दुकानों से बहुत कम कीमत पर गेहूँ, चावल, चीनी और केरोसिन जैसे खाद्य पदार्थ प्राप्त करने की अनुमति देता है।
- राज्य में गरीब परिवारों को सस्ता राशन उपलब्ध कराने के लिये सरकार राशन कार्ड जारी करती है। राज्य का कोई भी मध्यम या निम्न आय वाला परिवार राशन कार्ड के लिये आवेदन कर सकता है।
- राजस्थान में राशन कार्ड के प्रकार: गरीब परिवारों की आय और आर्थिक स्थिति के आधार पर सरकार तीन प्रकार के राशन कार्ड जारी करती है।
- BPL राशन कार्ड: गरीबी रेखा से नीचे (BPL) राशन कार्ड उन परिवारों को जारी किया जाता है जो गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं और जिनकी वार्षिक आय ₹10,000 से कम है। इस कार्ड के ज़रिये गरीब परिवारों को हर महीने 25 किलोग्राम सब्सिडी वाला राशन मिलता है।
- APL राशन कार्ड: गरीबी रेखा से ऊपर (APL) राशन कार्ड उन परिवारों को दिया जाता है जो गरीबी रेखा से ऊपर रहते हैं और जिनकी वार्षिक आय ₹10,000 से अधिक है। इन परिवारों को हर महीने 15 किलोग्राम अनाज मिलता है।
- AAY राशन कार्ड: अंत्योदय अन्न योजना (AAY) राशन कार्ड उन अत्यंत गरीब परिवारों को जारी किया जाता है जिनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। इस कार्ड वाले परिवार सरकारी राशन की दुकानों से हर महीने 35 किलोग्राम तक अनाज प्राप्त कर सकते हैं।
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