उत्तर प्रदेश Switch to English
काशी तमिल संगमम
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वाराणसी में काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया। यह विशिष्ट आयोजन भारत की सांस्कृतिक नींव को उजागर करता है और काशी और तमिलनाडु के बीच साझा भावनात्मक और रचनात्मक बंधन पर ज़ोर देता है।
मुख्य बिंदु
- प्रेरणा और दृष्टि:
- संगमम 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत (One India, Excellent India)' के दृष्टिकोण से प्रेरित है।
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह आयोजन एक भव्य आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहल का हिस्सा है जिसका उद्देश्य इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है।
- यह आयोजन भव्य महाकुंभ 2025 समारोह के साथ एकीकृत है, जो सदियों पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाएगा और काशी तमिल संगमम के माध्यम से भारत को एकजुट करने के दृष्टिकोण को मज़बूत करेगा।
- काशी, कुंभ और अयोध्या का महत्त्व:
- यह सम्मेलन विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद यह पहला सम्मेलन है।
- प्रतिनिधियों को काशी, कुंभ और अयोध्या की महानता का अनुभव करने का अवसर प्राप्त होगा।
- मुख्यमंत्री ने भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में काशी के ऐतिहासिक महत्त्व पर ज़ोर दिया और तमिल साहित्य की विरासत की प्रशंसा की।
- यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को इस अमूल्य विरासत से पुनः जोड़ता है।
- '4S' का विषय:
- इस वर्ष का संगमम '4S' विषय पर केंद्रित है, जो भारत की संत परंपरा (Saint Tradition), वैज्ञानिकों (Scientists), समाज सुधारकों (Social Reformers)और छात्रों (Students) को एकजुट करता है।
- इस विषय की प्रेरणा महर्षि अगस्त्य से ली गई है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सेतु का काम करने वाले ऋषि थे।
- काशी तमिल संगमम उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों के बीच संवाद का एक प्रभावी मंच बन गया है।
- संगीत, विरासत और भक्ति:
- केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह उत्सव गंगा के तट पर संगीत, विरासत और भक्ति को एक साथ पिरोता है।
- उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकास और विरासत को साथ-साथ चलना चाहिये।
- केंद्र सरकार की पहल:
- प्राचीन ग्रंथों को डिजिटल बनाने तथा अनुसंधान के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करने के लिये भारतीय ज्ञान प्रणाली के राष्ट्रीय डिजिटल भंडार की स्थापना जैसी पहलों पर प्रकाश डाला गया।
- भारतीय भाषा पुस्तक योजना, जो पाठ्यपुस्तकों का 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करेगी, छात्रों के लिये "डिजिटल महाकुंभ" का निर्माण करेगी।
काशी तमिल संगमम का महत्त्व
- काशी (उत्तर प्रदेश) और तमिलनाडु के बीच प्राचीन संबंध 15वीं शताब्दी से चला आ रहा है, जब मदुरै के आसपास के क्षेत्र के शासक राजा पराक्रम पांड्या अपने मंदिर के लिये शिवलिंग लाने के लिये काशी आए थे।
- लौटते समय वह एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिये रुके- लेकिन जब उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखने की कोशिश की, तो शिवलिंग को ले जाने वाली गाय ने आगे बढ़ने से मना कर दिया।
- पराक्रम पांड्या ने इसे भगवान की इच्छा समझा और वहाँ शिवलिंग स्थापित कर दिया, वह स्थान तमिलनाडु में शिवकाशी के नाम से जाना गया।
- जो भक्त काशी नहीं जा सकते थे, उनके लिये पांड्यों ने दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु के तेनकाशी नामक स्थान पर काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया था, जो केरल के साथ राज्य की सीमा के समीप है।
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