राजस्थान में पैनल गठित | राजस्थान | 16 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने पिछली सरकार के तहत कथित भ्रष्टाचार की जाँच का वादा किया है।
मुख्य बिंदु:
- राजस्थान में पिछले प्रशासन के निर्णयों और योजनाओं की समीक्षा करने तथा उन्हें जारी रखा जाना चाहिये या नहीं, इसकी सिफारिश करने हेतु एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया गया है।
- महिलाओं के लिये मुफ्त मोबाइल फोन, राशन किट का वितरण और नए ज़िलों का गठन समीक्षा किये जाने वाले मामलों में से हैं।
- सरकार ने पिछली सरकार के दौरान प्रश्नपत्र लीक मामले की भी जाँच के आदेश दिये हैं।
भारत में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये कानूनी और नियामक ढाँचे
- कानूनी ढाँचा:
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act), 1988 में लोक सेवकों द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचार के साथ ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में शामिल लोगों के लिये दंड का प्रावधान है।
- वर्ष 2018 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके अंतर्गत रिश्वत लेने और रिश्वत देने को अपराध की श्रेणी के तहत रखा गया।
- धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act), 2002 का उद्देश्य भारत में धन शोधन (Money Laundering) के मामलों को रोकना और आपराधिक आय के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
- कंपनी अधिनियम (The Companies Act), 2013 कॉर्पोरेट क्षेत्र को स्वनियमन का अवसर देकर इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम करता है। 'धोखाधड़ी' शब्द की एक व्यापक परिभाषा है, इसे कंपनी अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय (Criminal) अपराध माना गया है।
- भारतीय दंड संहिता (The Indian Penal Code- IPC), 1860 के अंतर्गत रिश्वत, धोखाधड़ी, विश्वासघात जैसे अपराध से संबंधित मामलों को कवर किया गया है।
- बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 1988 उस व्यक्ति के दावे प्रतिबंधित करता है जिसने किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर संपत्ति अर्जित की है।
- नियामक ढाँचा:
- लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की है।
- ये "लोकपाल तथा लोकायुक्त" कुछ निश्चित श्रेणी के सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करते हैं।
- केंद्रीय सतर्कता आयोग: इसका कार्य प्रशासन की निगरानी करना और भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में कार्यपालिका को सलाह देना एवं मार्गदर्शन करना है।
- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1952: IPC की धारा 165 के तहत निर्दिष्ट सज़ा को दो वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष कर दिया गया।
- वर्ष 1964 में संशोधन: IPC के तहत 'लोक सेवक' तथा 'आपराधिक कदाचार' की परिभाषा का विस्तार किया गया और एक लोक सेवक के लिये आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने को अपराध बना दिया गया।
उत्तर प्रदेश का मेगा निवेश अभियान | उत्तर प्रदेश | 16 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (GBC@IV) के चौथे संस्करण की मेज़बानी करने वाली है, जिसका उद्देश्य 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को लागू करना है।
मुख्य बिंदु:
- उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) इस समारोह में 1.5 लाख करोड़ रुपए की राशि के 15% प्रस्तावों को शुरू करने हेतु तैयार है।
- इन मेगा परियोजनाओं में शामिल हैं:
- चंदौली में एकीकृत टाउनशिप: 333 एकड़ को कवर करने वाली 7,000 करोड़ रुपए की एकीकृत टाउनशिप का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी GBC@IV के दौरान करेंगे।
- चंदौली में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर विकास: वर्ल्ड ट्रेड सेंटर नोएडा डेवलपमेंट कंपनी द्वारा एकीकृत टाउनशिप और मॉल के विकास से चंदौली में 12,000 अतिरिक्त रोज़गार के अवसर उत्पन्न होंगे।
- विनिर्माण उद्यम: भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स, एपेक्स वेलफेयर ट्रस्ट और अनीता डिस्टिलरी की परियोजनाएँ सामूहिक रूप से औद्योगिक सामान उत्पादन, स्वास्थ्य सेवा तथा जैव ईंधन उत्पादन जैसे क्षेत्रों में हज़ारों लोगों के लिये रोज़गार के अवसर उत्पन्न करेंगी।
- इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन से चंदौली, ललितपुर, बस्ती, एटा, बुलंदशहर, अमेठी, मोरादाबाद और झाँसी सहित कई ज़िलों में आर्थिक वृद्धि तथा विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
- नियोजित निवेश 45 ज़िलों में 3,500 से अधिक इकाइयाँ बनाने के लिये तैयार है, जो रोज़गार सृजन और आर्थिक सशक्तीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।
- निवेश के इस विशाल प्रवाह से उत्तर प्रदेश की आर्थिक शक्ति को बढ़ावा मिलने और भारत के समग्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि में योगदान मिलने की उम्मीद है।
पिछला ग्राउंडब्रेकिंग समारोह
- राज्य में तीन अभूतपूर्व समारोह पहले ही हो चुके हैं, जिससे ₹2.10 लाख करोड़ से अधिक का निवेश आया है।
- पहला यूपी इन्वेस्टर्स समिट फरवरी 2018 में आयोजित किया गया था जिसमें 4.28 लाख करोड़ रुपए के 1045 MOU पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- पहला ग्राउंडब्रेकिंग समारोह जुलाई 2018 में हुआ, उसके बाद दूसरा जुलाई 2019 में हुआ, जिसके परिणामस्वरूप क्रमशः ₹61,792 करोड़ के निवेश के साथ 81 परियोजनाएँ और ₹67,202 करोड़ के निवेश के साथ लगभग 290 परियोजनाएँ सफल लॉन्च हुईं।
छत्तीसगढ़ में 'नियद नेल्लानार' लॉन्च किया जाएगा | छत्तीसगढ़ | 16 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई के अनुसार, राज्य सरकार नक्सल प्रभावित गाँवों तक बुनियादी सुविधाएँ और कल्याणकारी परियोजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिये जल्द ही 'नियद नेल्लानार' योजना शुरू करने जा रही है।
- इन गाँवों को केंद्र के पीएम-जनमन कार्यक्रम के समान सुविधाएँ मिलेंगी, जो विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के सामाजिक-आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिये बनाई गई है।
मुख्य बिंदु:
- नियद नेल्लानार, जिसका अर्थ है "आपका अच्छा गाँव" या "योर गुड विलेज" स्थानीय दंडामी बोली (दक्षिण बस्तर में बोली जाने वाली) है।
- इस योजना के तहत बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित गाँवों में सुविधाएँ और लाभ प्रदान किये जाएंगे।
- बस्तर में 14 नये सुरक्षा कैम्प स्थापित किये गए हैं। ये शिविर नई योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने में भी सहायता करेंगे। नियद नेल्लानार के तहत ऐसे गाँवों में लगभग 25 बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
- इन गाँवों के परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत चार निशुल्क गैस सिलेंडर, निशुल्क चावल, चना-नमक, गुड़ और चीनी, राशन कार्ड, सिंचाई पंप, निशुल्क बिजली, सामुदायिक भवन, आंगनवाड़ी तथा वन अधिकार प्रमाण-पत्र मिलेंगे।
- बारहमासी सड़कों के अलावा उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक विद्यालय, खेल मैदान, बैंक, ATM, मोबाइल टावर, हेलीपैड आदि का निर्माण कराया जायेगा।
उज्ज्वला योजना
- परिचय:
- यह वर्ष 2021 में शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) या उज्ज्वला 2.0 योजना का दूसरा चरण है।
- उद्देश्य:
- महिलाओं को सशक्त बनाना और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना।
- भारत में अशुद्ध खाना पकाने के ईंधन के कारण होने वाली मौतों की संख्या को कम करना।
- जीवाश्म ईंधन जलाने से घर के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण के कारण होने वाली गंभीर श्वसन बीमारियों से छोटे बच्चों को बचाना।
छत्तीसगढ़ में 'अवैध धर्मांतरण' रोकने के लिये बनेगा कानून | छत्तीसगढ़ | 16 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में "अवैध धार्मिक रूपांतरण" को रोकने के लिये कानून लाने की योजना बना रही है।
मुख्य बिंदु:
- इन गतिविधियों को रोकने के लिये, 'धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक' नामक एक धर्मांतरण विरोधी विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा।
- CM विष्णुदेव साय के अनुसार, ईसाई मिशनरियाँ स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की आड़ में धर्मांतरण करा रही थीं।
- सरकार ने घोषणा की कि वह बलपूर्वक या प्रलोभन द्वारा धर्मांतरण को समाप्त कर देगी।
धर्म की स्वतंत्रता
- प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद के धर्म का प्रचार और अभ्यास करने का अधिकार तथा स्वतंत्रता है।
- यह अधिकार सरकारी हस्तक्षेप के डर के बिना इसे सभी के बीच फैलाने का अवसर भी प्रदान करता है।
- लेकिन साथ ही, राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह देश के अधिकार क्षेत्र के भीतर सौहार्दपूर्ण ढंग से इसका अभ्यास करे।
- धर्म की स्वतंत्रता से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 25: यह अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म को स्वतंत्र रूप से अपनाने, आचरण करने तथा प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 26: यह धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है।
- अनुच्छेद 27: यह किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिये करों के भुगतान की स्वतंत्रता निर्धारित करता है।
- अनुच्छेद 28: यह कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा में भाग लेने की स्वतंत्रता देता है।
धर्म की स्वतंत्रता पर प्रमुख न्यायिक घोषणाएँ
- बिजोय इमैनुएल और अन्य बनाम केरल राज्य (1986):
- इस मामले में, यहोवा के साक्षी संप्रदाय के तीन बच्चों को स्कूल से निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने यह दावा करते हुए राष्ट्रगान गाने से मना कर दिया कि यह उनके विश्वास के सिद्धांतों के खिलाफ है। न्यायालय ने माना कि निष्कासन मौलिक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
- आचार्य जगदीश्वरानंद बनाम पुलिस आयुक्त, कलकत्ता (1983):
- न्यायालय ने माना कि आनंद मार्ग एक अलग धर्म नहीं बल्कि एक धार्मिक संप्रदाय है और सार्वजनिक सड़कों पर तांडव का प्रदर्शन आनंद मार्ग का एक अनिवार्य अभ्यास नहीं है।
- एम. इस्माइल फारूकी बनाम भारत संघ (1994):
- शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मस्जिद इस्लाम की अनिवार्य प्रथा नहीं है और एक मुसलमान कहीं भी, यहाँ तक कि खुले में भी नमाज़ पढ़ सकता है।
- राजा बीराकिशोर बनाम उड़ीसा राज्य (1964):
- जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1954 की वैधता को चुनौती दी गई थी क्योंकि इसने पुरी मंदिर के मामलों के प्रबंधन के लिये प्रावधान इस आधार पर बनाए थे कि यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन कर रहा है। न्यायालय ने माना कि अधिनियम केवल सेवा पूजा के धर्मनिरपेक्ष पहलू को विनियमित करता है, इसलिये, यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन नहीं है।
स्मार्ट ग्राम पंचायत | बिहार | 16 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के बेगुसराय ज़िले के पपरौर ग्राम पंचायत में 'स्मार्ट ग्राम पंचायत: ग्राम पंचायत के डिजिटलीकरण की दिशा में क्रांति' परियोजना का उद्घाटन किया गया।
मुख्य बिंदु:
- इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण कनेक्टिविटी में एक आदर्श बदलाव को चिह्नित करते हुए, बेगुसराय में ग्राम पंचायतों तक पीएम-वाणी (प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस) सेवा का विस्तार करना है। इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की कनेक्टिविटी में एक आदर्श परिवर्तन के साथ बेगुसराय की सभी ग्राम पंचायतों तक PM-वाणी (प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस) सेवा पहुँचाना है।
- इसे संशोधित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) के तहत वित्त पोषित किया गया है। इसका कार्यान्वन पंचायती राज मंत्रालय द्वारा किया गया।
- इस परियोजना का लक्ष्य बिहार में बेगुसराय और रोहतास ज़िलों की 37 ब्लॉकों में 455 ग्राम पंचायतों को वाई-फाई सेवा पहुँचाना है।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने, ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर दिया गया है।
- छात्र, किसान, कारीगर और महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को इस पहल से लाभ प्राप्त होगा।
पीएम-वाणी (PM-WANI)
- दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा दिसंबर 2020 में प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफ़ेस (PM WANI) योजना शुरू की गई।
- यह पूरे देश में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में एक मज़बूत डिजिटल संचार अवसंरचना स्थापित करने के लिये सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट तक पहुँच में वृद्धि के उद्देश्य से शुरू की गई एक प्रमुख योजना है।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA)
- RGSA पंचायती राज मंत्रालय की एक योजना है, जिसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था।
- बाद में इसे नया रूप दिया गया और पंचायती राज संस्थानों (PRI) के निर्वाचित प्रतिनिधियों (ER) की क्षमता निर्माण के लिये RGSA की केंद्र प्रायोजित योजना को वर्ष 2022-23 से वर्ष 2025-26 तक कार्यान्वयन हेतु मंज़ूरी दे दी गई।
- संशोधित RGSA का प्राथमिक उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को पूरा करने के लिये पंचायतों की शासन क्षमताओं को विकसित करना है जो पंचायतों के दायरे में आते हैं।