नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | उत्तर प्रदेश | 14 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को विश्व स्तरीय नागरिक विमानन सुविधा के रूप में विकसित करने की अपनी योजना की घोषणा की।
- उल्लेखनीय है कि जेवर स्थित नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को देश के पहले ट्रांज़िट हब के रूप में विकसित किया जा रहा है तथा इसे भारत में पहली बार एशिया-प्रशांत ट्रांजिट हब के रूप में विकसित करने की आकांक्षा है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य सरकार ने घोषणा की कि नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को स्विट्ज़रलैंड के ज़्यूरिख हवाई अड्डे के मॉडल के आधार पर विकसित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य यात्रियों और उड़ान संचालन क्षमताओं को विश्व स्तरीय मानकों तक बढ़ाना है।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर ज़िले के जेवर क्षेत्र में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का निर्माण किया जा रहा है।
- यह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा।
- सरकार ने ई-टेंडरिंग प्रणाली के माध्यम से हवाई अड्डे पर लाइसेंस जारी करने, संचालन का प्रबंधन करने और कर्मचारियों तथा सलाहकारों की नियुक्ति की प्रक्रियाओं में तेज़ी लाने का कार्य किया है।
- यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार हवाई अड्डे को विकसित करने के लिये समर्पित है।
- YIAPL पूरी तरह से ज़्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल AG के स्वामित्व में है, जो स्विस फर्म है जिसने सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजना के लिये रियायतकर्त्ता अनुबंध प्राप्त किया है।
- वर्तमान में हवाई अड्डे के विकास के पहले चरण के लिये निर्माण कार्य जरी है, जो 1,300 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर करता है। पूरे हवाई अड्डे को चार चरणों में 5,000 हेक्टेयर में विकसित करने की योजना है।
नोट: इलेक्ट्रॉनिक टेंडर या ई-टेंडर ऑनलाइन खरीद प्लेटफॉर्म का प्रयोग करके बोली निविदाएँ भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया है
ई-टेंडरिंग खरीद प्रक्रिया में बहुत बड़ा अंतर लाती है क्योंकि यह स्रोत-से-भुगतान (S2P) संचालन में बेहतर दृश्यता, अनुपालन और निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करती है
ग्रीनफील्ड
- हवाई अड्डे आमतौर पर शहरी क्षेत्रों में स्थित होते हैं और विमानन गतिविधियाँ प्राकृतिक पर्यावरण को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं, जिससे पर्यावरण क्षरण में योगदान होता है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में
- इस मुद्दे से निपटने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 2008 में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट (GFA) नीति पेश की
- इसका प्राथमिक उद्देश्य मौजूदा शहरी हवाई अड्डों से हवाई यातायात को शहरी केंद्रों से परे बाह्य क्षेत्रों स्थापित करना है, जिससे प्रदूषण और पर्यावरणीय तनाव कम होता है
- उत्तर प्रदेश में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट: कुशीनगर (अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा)
बोरवेल से होने वाली मौतों को रोकने के लिये विधेयक | मध्य प्रदेश | 14 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार एक विधिक प्रारूप तैयार करने की प्रक्रिया में है, जिसे भारत में अपनी तरह का पहला कानून माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य खुले बोरवेल से होने वाली मौतों को रोकना है।
- पिछले सात महीनों में मध्य प्रदेश में नौ से अधिक ऐसी घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
मुख्य बिंदु:
- सुझाए गए कानून में ऐसी आपदाओं को रोकने, ऐसी आपदा होने पर इससे किस प्रकार निपटना है और जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया के बारे में विशेष निर्देश होंगे।
- विधेयक में खुले और सूखे बोरवेल की पहचान कर उन लोगों पर भारी ज़ुर्माना लगाने की बात कही गई है जो उन्हें बंद करने या भरने में विफल रहते हैं, जिससे बोरवेल खतरे का कारण बन जाते हैं।
- अगर बोरवेल निजी ज़मीन पर है, तो ज़मीन के मालिक पर ज़ुर्माना लगाया जाएगा। अगर यह सरकारी ज़मीन है, तो संबंधित विभाग और अधिकारी को दंडित किया जाएगा।
- दूसरे चरण में अगर कोई व्यक्ति खुले बोरवेल में गिरता है, तो आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। अभी तक, आरोपी पर लापरवाही का मामला दर्ज किया जाता है। नए कानून के तहत, आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
- भूमि मालिक या सरकारी अधिकारी के अलावा बोरवेल खोदने वाली एजेंसी की भी ज़िम्मेदारी तय की जाएगी।
- नागरिकों के लिये एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी, जिससे वे खुले बोरवेल के बारे में सरकार को सूचित कर सकें, ताकि निवारक कार्रवाई की जा सके।
बिनसर वन्यजीव अभयारण्य | उत्तराखंड | 14 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अल्मोड़ा ज़िले के बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में लगी भीषण वनाग्नि में टीम के फंस जाने के कारण उत्तराखंड वन विभाग के चार कर्मचारियों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए।
मुख्य बिंदु:
- उत्तराखंड में 1 नवंबर, 2023 से 14 जून, 2024 तक 1,213 वनाग्नि की घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जबकि वर्ष 2023 में इसी अवधि के दौरान 663 घटनाएँ दर्ज की गई थीं।
- इस वर्ष वनाग्नि में क्षतिग्रस्त 1653 हेक्टेयर वन भूमि में से गढ़वाल क्षेत्र में 687 हेक्टेयर, कुमाऊँ क्षेत्र में 833 हेक्टेयर और वन्यजीव प्रशासनिक क्षेत्रों में 132 हेक्टेयर भूमि क्षतिग्रस्त हुई है।
- बिनसर वन्यजीव अभयारण्य उत्तराखंड के कुमाऊँ हिमालय में स्थित है।
- वर्ष 1988 में इस अभयारण्य की स्थापना क्षेत्र की समृद्ध जैवविविधता के संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी।
- इसकी विविध स्थलाकृति और ऊँचाई में भिन्नता के कारण यहाँ वनस्पतियों की उल्लेखनीय विविधता है। अभयारण्य मुख्य रूप से ओक तथा देवदार के घने वनों से आच्छादित है
- अभयारण्य वन्यजीवों की एक प्रभावशाली शृंखला का भी आवास है। अभयारण्य में पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियाँ हैं।
- इनमें यूरेशियन जय, कोक्लास तीतर, मोनाल तीतर और हिमालयन कठफोड़वा जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं।
मादक पदार्थों की तस्करी | बिहार | 14 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में त्रिपुरा-मिज़ोरम अंतर-राज्यीय सीमा के पास 26 किलोग्राम से अधिक गांजा के साथ दो कथित महिला तस्करों को गिरफ्तार किया गया।
मुख्य बिंदु:
- NDPS अधिनियम, 1985 किसी व्यक्ति को किसी भी मादक औषधि या मन:प्रभावी पदार्थ का उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन करने, भंडारण करने और/या उपभोग करने से रोकता है।
- NDPS अधिनियम, 1985 के एक प्रावधान के तहत मादक औषधियों के दुरुपयोग पर नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष भी बनाया गया था, ताकि अधिनियम के कार्यान्वयन में होने वाले व्यय को पूरा किया जा सके।
- मादक पदार्थों की तस्करी से तात्पर्य अवैध व्यापार से है जिसमें अवैध औषधियों की खेती, निर्माण, वितरण और बिक्री शामिल है।
- इसमें कोकीन, हेरोइन, मेथामफेटामाइन और सिंथेटिक ड्रग्स जैसे मादक औषधियों के उत्पादन के साथ-साथ इन पदार्थों के परिवहन तथा वितरण सहित अवैध ड्रग व्यापार से जुड़ी कई तरह की गतिविधियाँ शामिल हैं।
- नशीली दवाओं की तस्करी आपराधिक संगठनों के एक जटिल नेटवर्क के भीतर संचालित होती है जो सीमाओं, क्षेत्रों और यहाँ तक कि महाद्वीपों में फैली हुई है।
कैनबिस
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कैनबिस एक सामान्य शब्द है जिसका प्रयोग कैनबिस सैटाईवा नामक पादप की कई मन:प्रभावी गुणों को दर्शाने के लिये किया जाता है।
- WHO के अनुसार, कैनबिस विश्व में अब तक की सबसे व्यापक रूप से खेती, तस्करी और दुरुपयोग की जाने वाली अवैध औषधि है।
- कैनबिस की अधिकांश प्रजातियाँ द्विलिंगी पादप हैं जिन्हें नर या मादा पादप के रूप में पहचाना जा सकता है। परागण रहित मादा पौधों को हशीश कहा जाता है।
- कैनबिस में प्रमुख मन:प्रभावी घटक डेल्टा9 टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) है।