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आदिवासियों के भूमि अधिकार और SC/ST अधिनियम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वे आदिवासी लोगों के भूमि अधिकारों की रक्षा करने तथा उन संपत्तियों पर उनका स्वामित्व सुनिश्चित करने के लिये त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया जहाँ विवादों के बाद न्यायालय के निर्णय उनके पक्ष में आए हैं।
- इस बात पर ज़ोर देते हुए कि अनुसूचित जनजातियाँ सबसे अधिक हाशिये पर और वंचित जनसंख्या रही हैं, अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत पंजीकृत सभी मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निपटारा किया जाए।
मुख्य बिंदु:
- भारतीय संविधान 'जनजाति' शब्द को परिभाषित करने का प्रयास नहीं करता है, तथापि, 'अनुसूचित जनजाति' शब्द को संविधान में अनुच्छेद 342 (i) के माध्यम से शामिल किया गया था।
- 'राष्ट्रपति किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात, लोक अधिसूचना द्वारा उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों अथवा जातियों के भागों या उनके समूहों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिये यथा स्थिति, उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में "अनुसूचित जातियाँ" समझा जाएगा।
- संविधान की पाँचवीं अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्र वाले प्रत्येक राज्य में एक जनजाति सलाहकार परिषद स्थापित करने का प्रावधान है।
- आदिवासी समुदायों के सामने सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों में से एक है सुरक्षित भूमि अधिकारों की कमी। कई जनजातियाँ वन क्षेत्रों या दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रहती हैं जहाँ भूमि और संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को अक्सर मान्यता नहीं दी जाती है, जिसके कारण विस्थापन तथा भूमि का अलगाव होता है।
- SC/ST अधिनियम 1989 संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जो SC और ST समुदायों के सदस्यों के विरुद्ध भेदभाव पर रोक लगाने तथा उनके विरुद्ध अत्याचार को रोकने के लिये बनाया गया है।
- यह अधिनियम 11 सितंबर 1989 को भारतीय संसद में पारित किया गया तथा 30 जनवरी 1990 को अधिसूचित किया गया।
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अबुआ आवास योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री ने ‘अबुआ आवास’ योजना के प्रथम चरण में 2 लाख घरों के निर्माण की प्रक्रिया में तेज़ी लाने के निर्देश दिये तथा इस योजना में अनियमितता एवं लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर ज़ोर दिया।
मुख्य बिंदु:
- यह योजना पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने नवंबर 2023 में उन लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिये शुरू की थी जो PM आवास योजना (PMAY) के तहत लाभ से वंचित थे।
- अबुआ आवास योजना (वर्ष 2023 में शुरू) के तहत, राज्य सरकार अगले दो वर्षों में 15,000 करोड़ रुपए से अधिक व्यय करके ज़रूरतमंद लोगों को अपने स्वयं की निधि से आवास प्रदान करेगी।
- योजना के तहत गरीबों, वंचितों, मज़दूरों, किसानों, आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों को 3 कमरे के आवास उपलब्ध करवाएँ जाएँगे।
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)
- यह एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक 2 करोड़ (20 मिलियन) आवास बनाने का लक्ष्य रखते हुए शहरी गरीबों को किफायती घर उपलब्ध कराना है।
- इस योजना के दो मूल घटक हैं:
- प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U) शहरी गरीब लोगों की आवास आवश्यकताओं पर ध्यान देती है। शहरी गरीबों को तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जो वार्षिक घरेलू आय पर निर्भर करते हैं:
- (i) आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS), (ii) निम्न आय वर्ग (LIG) (iii) मध्यम आय वर्ग (MIG)। इसके अतिरिक्त, शहरी जनसंख्या के भीतर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग भी इस योजना के लिये आवेदन कर सकते हैं।
- प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (PMAY-R) ग्रामीण भारत में रहने वाले आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को संपत्ति का मालिक बनने में सहायता करने के लिये लाई गई है। ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में आवासों में सभी आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ होंगी, जैसे-विद्युत, स्वच्छ जल, एक अच्छी तरह से विकसित सीवेज सिस्टम, एक स्वच्छता सुविधा आदि।
- प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U) शहरी गरीब लोगों की आवास आवश्यकताओं पर ध्यान देती है। शहरी गरीबों को तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जो वार्षिक घरेलू आय पर निर्भर करते हैं:
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