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मानव तस्करी से निपटने पर राष्ट्रीय सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष ने 'डिजिटल युग में मानव तस्करी का सामना ' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
- आयोग ने इस कार्यक्रम का आयोजन हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ के सहयोग से किया।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन के बारे में:
- सम्मेलन में मानव तस्करी में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के बढ़ते दोहन की जाँच की गई।
- चर्चा में तस्करी अपराधों को बढ़ावा देने में इंटरनेट, सोशल मीडिया, क्रिप्टोकरेंसी और अन्य ऑनलाइन उपकरणों की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- विशेषज्ञों ने प्रौद्योगिकी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सामुदायिक भागीदारी से जुड़े निवारक उपायों पर विचार-विमर्श किया।
- अध्यक्ष का मुख्य भाषण:
- अध्यक्ष ने यौन शोषण, श्रम शोषण, अंग तस्करी और जबरन विवाह सहित डिजिटल तस्करी के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने रिक्रूटमेंट रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की जैसे:
- एक्टिव रिक्रूटमेंट (हुक फिशिंग)- पीड़ितों को ऑनलाइन प्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाना।
- पैसिव रिक्रूटमेंट (नेट फिशिंग) - संभावित पीड़ितों को आकर्षित करने के लिये डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करना।
- उन्होंने डिजिटल शोषण का सामना करने के लिये जन जागरुकता, मज़बूत नियामक ढाँचे और तकनीकी समाधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- मुख्य सिफारिशें:
- अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम (ITPA) में संशोधन करके बाल एवं वयस्क तस्करी के बीच स्पष्ट अंतर किया जाए तथा साइबर तस्करी को भी इसमें शामिल किया जाए।
- डिजिटल तस्करी से संबंधित कानूनी कमियों को दूर करने के लिये ITPA और IT अधिनियम के बीच औपचारिक संबंध स्थापित करना।
- बेहतर सार्वजनिक भागीदारी के लिये महिलाओं और बच्चों के केंद्रीकृत शिकायत एवं रोकथाम (CCPWC) जैसे स्व-रिपोर्टिंग पोर्टलों पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाएँ।
- डिजिटल युग में मानव तस्करी से निपटने के लिये मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (AHTU) के प्रशिक्षण और संसाधनों को बढ़ाना।
- नीति निर्माण के लिये विभिन्न श्रेणियों में मानव तस्करी के मामलों को व्यवस्थित रूप से ट्रैक करने के लिये डाटा संग्रह तंत्र में सुधार करना।
- स्थानीय समुदायों को तस्करी अपराधों की रोकथाम और रिपोर्ट करने में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु सामुदायिक सहभागिता को मज़बूत करना।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- परिचय
- यह व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा से संबंधित अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- भारतीय संविधान और अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदाओं द्वारा गारंटीकृत अधिकार, जिन्हें भारतीय न्यायालयों द्वारा लागू किया जा सकता है।
- स्थापना:
- 12 अक्टूबर 1993 को मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत स्थापित।
- मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 और मानव अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित।
- मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण देने के लिये अपनाए गए पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप इसकी स्थापना की गई है।
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