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राजस्थान में बढ़ती विद्युत ऊर्जा खपत
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बढ़ते तापमान के कारण राजस्थान में विद्युत ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि हो रही है, जो राज्य के विद्युत क्षेत्र के लिये चिंता का विषय है।
मुख्य बिंदु:
- बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये राजस्थान प्रत्येक वर्ष बढ़ी हुई कीमत पर दूसरे राज्यों से विद्युत खरीदता है।
- भारत में तापमान बढ़ने के साथ ऊर्जा विभाग द्वारा व्यवस्था करने में विफलता के कारण उपभोक्ताओं के लिये विद्युत की कमी हो सकती है, जिससे औद्योगिक उत्पादन पर काफी असर पड़ सकता है।
- अप्रैल 2023 में राज्य में 2,450 लाख यूनिट से अधिक विद्युत का उपयोग किया गया। अप्रैल 2024 में यह संख्या बढ़कर 2,700 लाख यूनिट से अधिक हो गई और मई 2024 के पहले सप्ताह में बढ़कर 2,900 लाख यूनिट हो गई।
- उम्मीदें वर्ष 2024 में विद्युत की खपत में 8-10% की वृद्धि का संकेत देती हैं।
- राज्य की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 24,000 मेगावाट से अधिक है, लगभग 58% कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से आती है और लगभग 10-12% सौर संयंत्रों द्वारा उत्पन्न होती है।
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राजस्थान की डिजिटल हेल्थकेयर एक्सेस प्रणाली
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिये डिजिटलीकरण के साथ एक नई एकीकृत स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली लागू करने के लिये तैयार है।
मुख्य बिंदु:
- नई ऑनलाइन प्रणाली स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करेगी और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड एवं एकल खिड़की प्रक्रियाओं की सुविधाएँ तैयार करेगी।
- परियोजना को जल्द-से-जल्द पूरा किया जाएगा और इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिये संबंधित विभाग एवं एजेंसियाँ पूर्ण समन्वय के साथ कार्य करेंगी।
- ऑनलाइन प्रणाली के एक हिस्से के रूप में, आम लोगों और स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुँचने वाले मरीज़ों को इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड की सुविधा मिलेगी, डिजी-स्वास्थ्य लॉकर, कतार के झंझट से मुक्ति, एकीकृत डिजिटल सर्वेक्षण, प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPI) आधारित डैशबोर्ड, टेली-मेडिसिन गहन देखभाल इकाई, जियोटैगिंग आधारित अस्पताल मानचित्र, स्वास्थ्य संबंधी लाइसेंस और नॉ-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के लिये एकल खिड़की प्रक्रियाओं की सुविधा मिलेगी।
- नई प्रणाली के कार्यान्वयन में शामिल एजेंसियों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम, राज्य स्वास्थ्य बीमा एजेंसी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग शामिल हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM)
- इसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (वर्ष 2005 में लॉन्च) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (वर्ष 2013 में लॉन्च) को मिलाकर लॉन्च किया गया था।
- मुख्य प्रोग्रामेटिक घटकों में प्रजनन-मातृ-नवजात शिशु-बाल और किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A) तथा संचारी एवं गैर-संचारी रोगों के लिये ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करना शामिल है।
- NHM न्यायसंगत, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच की उपलब्धि की परिकल्पना करता है जो लोगों की ज़रूरतों के प्रति जवाबदेह एवं उत्तरदायी हो।
राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम (Rajasthan Medical Services Corporation- RMSCL)
- इसे 4 मई, 2011 को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल किया गया था।
- इसे चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग तथा अन्य विभागों के लिये जेनेरिक दवाओं, सर्जिकल, टाँके एवं चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिये एक केंद्रीकृत खरीद एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है।
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राजस्थान में हीटवेव का प्रकोप
चर्चा में क्यों?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department- IMD) के मुताबिक, पश्चिम राजस्थान और केरल में हीटवेव का अलर्ट जारी किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- बंगाल की खाड़ी से देश में तीव्र आर्द्रता का प्रवाह बढ़ रहा है, जिसके कारण आकाशीय बिजली के साथ-साथ तड़ित झंझा की गतिविधि भी बढ़ रही है।
- IMD के अनुसार, यदि अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुँच जाता है, तो क्षेत्र हीटवेव से प्रभावित होता है।
- संक्षेप में, हीटवेव एक ऐसी स्थिति है जहाँ हवा का तापमान उच्च होने पर यह मानव स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।
हीटवेव के कारण
- ग्लोबल वार्मिंग:
- भारत में हीटवेव के प्राथमिक कारणों में से एक ग्लोबल वार्मिंग है, जो जीवाश्म ईंधन के दहन, निर्वनीकरण और औद्योगिक गतिविधियों जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि को संदर्भित करता है।
- ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप उच्च तापमान और मौसम के पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जिससे हीटवेव चल सकती है।
- शहरीकरण:
- तेज़ी से शहरीकरण और शहरों में कंक्रीट के वनों का विकास "नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव" के रूप में जानी जाने वाली घटना को उत्पन्न कर सकता है।
- उच्च जनसंख्या घनत्व वाले शहरी क्षेत्र, इमारतें और कंक्रीट की सतहें विशेषकर हीटवेव के दौरान अधिक ऊष्मा को अवशोषित करती हैं तथा इसे बरकरार रखती हैं, जिससे तापमान उच्च होता है।
- प्री-मॉनसून सीज़न में अपर्याप्त बारिश:
- कई क्षेत्रों में नमी कम होने से भारत का एक बड़ा हिस्सा शुष्क और बंजर हो गया है।
- भारत में एक असामान्य प्रवृत्ति, मानसून-पूर्व वर्षा ऋतु के आकस्मिक समाप्त होने से हीटवेव में वृद्धि हुई है।
- अल नीनो प्रभाव:
- अल नीनो प्रायः एशिया में तापमान बढ़ाता है, जो मौसम के पैटर्न के साथ मिलकर रिकॉर्ड उच्च तापमान बनाता है।
- दक्षिण अमेरिका से आने वाली व्यापारिक पवन आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पश्चिम में एशिया की ओर चलती हैं लेकिन प्रशांत महासागर के गर्म होने से ये हवाएँ दुर्बल हो जाती हैं।
- इसलिये आर्द्रता और ऊष्मा की मात्रा सीमित हो जाती है तथा परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा में कमी एवं असमान वितरण होता है।
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