नक्सल समस्या सीमित | झारखंड | 11 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
पुलिस महानिदेशक (DGP) के अनुसार, झारखंड में नक्सलियों पर संयुक्त हमलों से उनका अभियान कुल 24 ज़िलों में से केवल 5 ज़िलों तक सीमित हो गया है, जिसमें चाईबासा सबसे अधिक प्रभावित है।
मुख्य बिंदु:
- नक्सलवाद की उत्पत्ति स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद को लेकर किसानों की पिटाई की थी।
- यह विद्रोह वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों के बीच भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
- पश्चिम बंगाल से शुरू हुआ यह आंदोलन पूर्वी भारत के कम विकसित क्षेत्रों जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश तक फैल चुका है।
- ऐसा माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है।
- यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने का सिद्धांत है।
- वर्तमान में नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप नशीले पदार्थों के तस्करों को पकड़ा जा रहा है तथा स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम, 1985 के अंतर्गत अफीम की बड़ी मात्रा में ज़ब्ती की जा रही है।
नशीले पदार्थों की तस्करी
- नशीले पदार्थों की तस्करी से तात्पर्य अवैध दवाओं का निर्माण, वितरण और बिक्री से जुड़े अवैध व्यापार से है
- इसमें अवैध नशीली दवाओं के व्यापार से जुड़ी कई तरह की गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनमें कोकीन, हेरोइन, मेथैम्फेटामाइन और सिंथेटिक ड्रग्स जैसे पदार्थों का उत्पादन, साथ ही इन पदार्थों का परिवहन तथा वितरण शामिल है
- नशीली दवाओं की तस्करी आपराधिक संगठनों के एक जटिल नेटवर्क के भीतर संचालित होती है जो सीमाओं, क्षेत्रों और यहाँ तक कि महाद्वीपों तक फैली हुई है।
स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985
- यह किसी व्यक्ति को किसी भी मादक दवा या मन:प्रभावी पदार्थ का उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन करने, भंडारण करने और/या उपभोग करने से प्रतिबंधित करता है।
- NDPS अधिनियम, 1985 के एक प्रावधान के तहत मादक पदार्थ दुरुपयोग नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष भी बनाया गया, ताकि अधिनियम के कार्यान्वयन में होने वाले व्यय को पूरा किया जा सके।