भोज आर्द्रभूमि | मध्य प्रदेश | 10 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि भोपाल में रामसर स्थल, भोज आर्द्रभूमि को रामसर कन्वेंशन सूची से हटाए जाने का खतरा है।
प्रमुख बिंदु:
- सूत्रों के अनुसार, भोज आर्द्रभूमि जलग्रहण क्षेत्र से होकर प्रस्तावित सड़क के निर्माण के कारण एक स्थानीय कार्यकर्त्ता ने रामसर सम्मेलन सचिवालय में आर्द्रभूमि के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( Ministry of Environment, Forest & Climate Change- MoEF&CC) मध्य प्रदेश सहित देश में आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिये जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय योजना (National Plan for Conservation of Aquatic Ecosystems- NPCA) को क्रियान्वित कर रहा है।
- इस योजना में अपशिष्ट जल उपचार, तटरेखा संरक्षण, यथास्थान सफाई, वर्षा जल प्रबंधन, जैव उपचार, जलग्रहण क्षेत्र उपचार, झील सौंदर्यीकरण, सर्वेक्षण एवं सीमांकन, मत्स्य विकास, खरपतवार नियंत्रण, जैवविविधता संरक्षण, शिक्षा एवं जागरूकता तथा सामुदायिक भागीदारी जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
भोज आर्द्रभूमि
- भोज आर्द्रभूमि, जिसे भोपाल झील के नाम से भी जाना जाता है, एक विनिर्दिष्ट रामसर स्थल है और इसलिये यह अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि है (रामसर कन्वेंशन वर्ष 1971)।
- इसमें दो मानव निर्मित जलाशय शामिल हैं -
- "ऊपरी झील" - 11वीं शताब्दी में कोलांस नदी पर मृदा के बाँध के निर्माण से निर्मित। "निचली झील" - 200 वर्ष पूर्व निर्मित, मुख्यतः ऊपरी झील से रिसाव के कारण। यह भोपाल शहर से घिरा हुआ है।
जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय योजना (National Plan for Conservation of Aquatic Ecosystems- NPCA)
- NPCA आर्द्रभूमि और झीलों दोनों के लिये एक एकल संरक्षण कार्यक्रम है।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका क्रियान्वयन वर्तमान में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
- इसे वर्ष 2015 में राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना और राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम को मिलाकर तैयार किया गया था।
- NPCA का उद्देश्य बेहतर तालमेल को बढ़ावा देना तथा प्रशासनिक कार्यों में अतिव्यापन से बचना है।
नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीता | हरियाणा | 10 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रसिद्ध भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक 2024 में रजत पदक हासिल किया।
प्रमुख बिंदु:
- नीरज ने 89.45 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर पोडियम पर दूसरा स्थान प्राप्त किया।
- पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर नया ओलंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता।
- नीरज लगातार व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले तीसरे भारतीय एथलीट और ट्रैक एवं फील्ड में पहले खिलाड़ी बन गए
- पहलवान सुशील कुमार (वर्ष 2008 और वर्ष 2012) तथा शटलर पीवी सिंधु (वर्ष 2016 एवं वर्ष 2021) अन्य भारतीय हैं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।
राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार | उत्तराखंड | 10 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के लिये 13 उत्कृष्ट महिलाओं को देहरादून में राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु:
पुरस्कार पाने वालों में अल्मोड़ा की पैरा-तैराक और एथलीट प्रीति गोस्वामी, बागेश्वर की ताइक्वांडो खिलाड़ी नेहा देवली, हरिद्वार की पावरलिफ्टर संगीता राणा तथा उधम सिंह नगर की पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी मंदीप कौर शामिल थीं।
अन्य सम्मानित व्यक्तियों में लोक गायन के लिये पद्मश्री से सम्मानित माधुरी बर्थवाल, हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिये चंपावत की सोनिया आर्य, जून में जंगली जानवर के हमले से अपनी सास को बचाने के लिये रुद्रप्रयाग की विनीता देवी, हस्तशिल्प और हथकरघा को आगे बढ़ाने के लिये चमोली की नर्मदा रावत तथा विज्ञान में योगदान के लिये नैनीताल की सुधा पाल शामिल हैं।
राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार
- यह पुरस्कार उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रतिवर्ष वीरबाला तीलू रौतेली के नाम पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है।
- राज्य सरकार ने उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर वर्ष 2006 से महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं एवं किशोरियों के लिये तीलू रौतेली पुरस्कार की शुरुआत की थी।
- इसके तहत राज्य सरकार 31 हजार रुपए और प्रशस्ति-पत्र देती है।
पाँच प्रतिष्ठित उत्पादों को GI टैग | बिहार | 10 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
बिहार राज्य कृषि विभाग, भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agricultural University- BAU) के साथ मिलकर कम-से-कम 54 अलग-अलग क्षेत्र-विशिष्ट उत्पादों के लिये भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI) प्रमाणन प्राप्त करने के लिये काम कर रहा है
- इस सहयोगात्मक प्रयास के तहत पाँच प्रमुख विषयों पर अनुसंधान पहले ही उन्नत चरणों में है।
प्रमुख बिंदु:
- पाँच उन्नत चरण के उत्पाद हैं- लिट्टी चोखा (बिहार का मुख्य व्यंजन), रोहतास से सोनाचूर चावल और गुलशन टमाटर, पटना से सिंघाड़ा तथा दीघा से मालदा आम।
- सबसे अधिक भौगोलिक संकेत (GI) टैग वाले राज्य उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल हैं।
- केंद्र सरकार का वाणिज्य मंत्रालय विश्व व्यापार संगठन के सदस्य के रूप में भारत की प्रतिबद्धताओं और TRIPS (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलू) समझौते के तहत भौगोलिक संकेत (GI) टैग के लिये अभियान का समर्थन कर रहा है।
भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI) टैग
- GI टैग एक नाम या चिह्न है जिसका उपयोग कुछ उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या उत्पत्ति से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ता या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोग ही लोकप्रिय उत्पाद नाम का उपयोग करने की अनुमति रखते हैं।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल किये जाने से भी बचाता है।
- पंजीकृत GI 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- GI पंजीकरण की देख-रेख वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग द्वारा की जाती है।