प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 10 May 2024
  • 1 min read
  • Switch Date:  
राजस्थान Switch to English

राजस्थान में बढ़ती विद्युत ऊर्जा खपत

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बढ़ते तापमान के कारण राजस्थान में विद्युत ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि हो रही है, जो राज्य के विद्युत क्षेत्र के लिये चिंता का विषय है।

मुख्य बिंदु:

  • बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये राजस्थान प्रत्येक वर्ष बढ़ी हुई कीमत पर दूसरे राज्यों से विद्युत खरीदता है।
    • भारत में तापमान बढ़ने के साथ ऊर्जा विभाग द्वारा व्यवस्था करने में विफलता के कारण उपभोक्ताओं के लिये विद्युत की कमी हो सकती है, जिससे औद्योगिक उत्पादन पर काफी असर पड़ सकता है।
  • अप्रैल 2023 में राज्य में 2,450 लाख यूनिट से अधिक विद्युत का उपयोग किया गया। अप्रैल 2024 में यह संख्या बढ़कर 2,700 लाख यूनिट से अधिक हो गई और मई 2024 के पहले सप्ताह में बढ़कर 2,900 लाख यूनिट हो गई।
    • उम्मीदें वर्ष 2024 में विद्युत की खपत में 8-10% की वृद्धि का संकेत देती हैं।
  • राज्य की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 24,000 मेगावाट से अधिक है, लगभग 58% कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से आती है और लगभग 10-12% सौर संयंत्रों द्वारा उत्पन्न होती है।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान की डिजिटल हेल्थकेयर एक्सेस प्रणाली

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिये डिजिटलीकरण के साथ एक नई एकीकृत स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली लागू करने के लिये तैयार है।

मुख्य बिंदु:

  • नई ऑनलाइन प्रणाली स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करेगी और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड एवं एकल खिड़की प्रक्रियाओं की सुविधाएँ तैयार करेगी।
    • परियोजना को जल्द-से-जल्द पूरा किया जाएगा और इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिये  संबंधित विभाग एवं एजेंसियाँ पूर्ण समन्वय के साथ कार्य करेंगी।
  • ऑनलाइन प्रणाली के एक हिस्से के रूप में, आम लोगों और स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुँचने वाले मरीज़ों को इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड की सुविधा मिलेगी, डिजी-स्वास्थ्य लॉकर, कतार के झंझट से मुक्ति, एकीकृत डिजिटल सर्वेक्षण, प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPI) आधारित डैशबोर्ड, टेली-मेडिसिन गहन देखभाल इकाई, जियोटैगिंग आधारित अस्पताल मानचित्र, स्वास्थ्य संबंधी लाइसेंस और नॉ-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के लिये एकल खिड़की प्रक्रियाओं की सुविधा मिलेगी।
  • नई प्रणाली के कार्यान्वयन में शामिल एजेंसियों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम, राज्य स्वास्थ्य बीमा एजेंसी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग शामिल हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM)

  • इसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (वर्ष 2005 में लॉन्च) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (वर्ष 2013 में लॉन्च) को मिलाकर लॉन्च किया गया था।
  • मुख्य प्रोग्रामेटिक घटकों में प्रजनन-मातृ-नवजात शिशु-बाल और किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A) तथा संचारी एवं गैर-संचारी रोगों के लिये ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करना शामिल है।
  • NHM न्यायसंगत, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच की उपलब्धि की परिकल्पना करता है जो लोगों की ज़रूरतों के प्रति जवाबदेह एवं उत्तरदायी हो।

राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम (Rajasthan Medical Services Corporation- RMSCL)

  • इसे 4 मई, 2011 को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल किया गया था।
  • इसे चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग तथा अन्य विभागों के लिये जेनेरिक दवाओं, सर्जिकल, टाँके एवं चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिये एक केंद्रीकृत खरीद एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान में हीटवेव का प्रकोप

चर्चा में क्यों?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department- IMD) के मुताबिक, पश्चिम राजस्थान और केरल में हीटवेव का अलर्ट जारी किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • बंगाल की खाड़ी से देश में तीव्र आर्द्रता का प्रवाह बढ़ रहा है, जिसके कारण आकाशीय बिजली के साथ-साथ तड़ित झंझा की गतिविधि भी बढ़ रही है।
  • IMD के अनुसार, यदि अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुँच जाता है, तो क्षेत्र हीटवेव से प्रभावित होता है।
  • संक्षेप में, हीटवेव एक ऐसी स्थिति है जहाँ हवा का तापमान उच्च होने पर यह मानव स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।

हीटवेव के कारण

  • ग्लोबल वार्मिंग:
    • भारत में हीटवेव के प्राथमिक कारणों में से एक ग्लोबल वार्मिंग है, जो जीवाश्म ईंधन के दहन, निर्वनीकरण और औद्योगिक गतिविधियों जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि को संदर्भित करता है।
    • ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप उच्च तापमान और मौसम के पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जिससे हीटवेव चल सकती है।
  • शहरीकरण:
    • तेज़ी से शहरीकरण और शहरों में कंक्रीट के वनों का विकास "नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव" के रूप में जानी जाने वाली घटना को उत्पन्न कर सकता है।
    • उच्च जनसंख्या घनत्व वाले शहरी क्षेत्र, इमारतें और कंक्रीट की सतहें विशेषकर हीटवेव के दौरान अधिक ऊष्मा को अवशोषित करती हैं तथा इसे बरकरार रखती हैं, जिससे तापमान उच्च होता है।
  • प्री-मॉनसून सीज़न में अपर्याप्त बारिश:
    • कई क्षेत्रों में नमी कम होने से भारत का एक बड़ा हिस्सा शुष्क और बंजर हो गया है।
    • भारत में एक असामान्य प्रवृत्ति, मानसून-पूर्व वर्षा ऋतु के आकस्मिक समाप्त होने से हीटवेव में वृद्धि हुई है।
  • अल नीनो प्रभाव:
    • अल नीनो प्रायः एशिया में तापमान बढ़ाता है, जो मौसम के पैटर्न के साथ मिलकर रिकॉर्ड उच्च तापमान बनाता है।
    • दक्षिण अमेरिका से आने वाली व्यापारिक पवन आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पश्चिम में एशिया की ओर चलती हैं लेकिन प्रशांत महासागर के गर्म होने से ये हवाएँ दुर्बल हो जाती हैं।
      • इसलिये आर्द्रता और ऊष्मा की मात्रा सीमित हो जाती है तथा परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा में कमी एवं असमान वितरण होता है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में पुनर्मतदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के निर्वाचन आयोग ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के क्षतिग्रस्त होने के बाद मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट के चार बूथों पर पुनर्मतदान का आदेश दिया।

मुख्य बिंदु:

  • पुनर्मतदान 10 मई 2024 को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा। जिन क्षेत्रों में पुनर्मतदान होगा, वहाँ शुष्क दिवस (Dry Day) और छुट्टी की घोषणा की गई है।
  • बैतूल लोकसभा सीट पर अनुमानित 72.65% मतदान दर्ज किया गया।
  • बैतूल मध्य प्रदेश की नौ सीटों में से एक थी, जहाँ लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मतदान हुआ।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)

  • EVM एक उपकरण है जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से वोटों/मतों को रिकॉर्ड करने के लिये किया जाता है। इनका प्रयोग पहली बार वर्ष 1982 में केरल के परवूर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था।
    • वर्ष 1998 के बाद से, चुनाव आयोग ने मतपेटियों के बजाय EMV का उपयोग तेज़ी से किया है।
    • वर्ष 2003 में, सभी राज्यों के चुनाव और उपचुनाव EMV का प्रयोग करके आयोजित किये गए थे।
      • इससे उत्साहित होकर वर्ष 2004 में आयोग ने लोकसभा चुनावों में केवल EMV का प्रयोग करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।


उत्तराखंड Switch to English

भीमताल झील के जलस्तर में कमी

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार, राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में वर्षा और हिमपात की कमी के कारण उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में स्थित भीमताल झील का जल स्तर 22 मीटर से घटकर 17 मीटर हो गया है।

मुख्य बिंदु:

  • मौजूदा स्थिति के कारण इस पहाड़ी शहर में पर्यटकों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है।
    • झील में जल का स्तर कम होने से उन हज़ारों लोगों की आजीविका प्रभावित होगी जो होटल और रिसॉर्ट्स सहित पर्यटन उद्योग पर निर्भर हैं।
  • अधिकारियों द्वारा झील की लगातार उपेक्षा और पूरे क्षेत्र में कई नालों को झील में बहाए जाने से स्थिति गंभीर हो गई है।

भीमताल झील

  • भीमताल झील नैनीताल ज़िले की सबसे बड़ी झील है। यह कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है, जिसे "भारत का झील ज़िला" कहा जाता है।
    • इसका नाम प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत के दूसरे पांडव भीम के नाम पर रखा गया है।
  • यह एक प्राकृतिक झील है और इसकी उत्पत्ति का श्रेय भू-पर्पटी के खिसकने के कारण उत्पन्न हुए कई भ्रंश को दिया जाता है।
  • इस झील का निर्माण वर्ष 1883 में ब्रिटिश काल के दौरान हुआ था और इस पर चिनाई-बाँध (Masonry Dam) बनाया गया है।
  • झील के चारों ओर समृद्ध वनस्पति और जैव पारिस्थितिकी तंत्र हैं साथ ही पहाड़ी ढलानों पर देवदार एवं ओक के घने वन हैं।
    • सर्दियों के महीनों के दौरान यह कई प्रवासी पक्षियों का आवास होता है।
    • क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रसिद्ध प्रजातियों में बुलबुल, वॉल क्रीपर, एमराल्ड डव, ब्लैक ईगल और टॉनी फिश आउल शामिल हैं।


उत्तराखंड Switch to English

चार धाम यात्रा 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देवी गंगा की मूर्ति को उनके शीतकालीन अधिष्ठान मुखबा गाँव से गंगोत्री ले जाकर गंगोत्री मंदिर की अनुष्ठानिक शुरुआत की गई।

  • मुख्य बिंदु:
  • परंपरा के अनुसार, समारोह की शुरुआत देवी गंगा को पालकी पर बिठाने और मंदिर से बाहर निकालने से पहले उनकी प्रार्थना के साथ हुई।
  • तीर्थयात्रियों का प्रारंभिक जत्था ऋषिकेश से रवाना हुआ। धार्मिक हस्तियों और राजनीतिक नेताओं द्वारा विभिन्न समूहों को विभिन्न स्थानों से रवाना किया गया।
  • केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के द्वार अक्षय तृतीया (10 मई, 2024) को खुलेंगे तथा बद्रीनाथ धाम के द्वार 12 मई 2024 को खुलेंगे।

चारधाम यात्रा

  • यमुनोत्री धाम:
    • स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
    • समर्पित: देवी यमुना।
    • गंगा नदी के बाद यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
  • गंगोत्री धाम:
    • स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
    • समर्पित: देवी गंगा।
    • सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
  • केदारनाथ धाम:
    • स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला।
    • समर्पित: भगवान शिव
    • मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
    •  भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
  • बद्रीनाथ धाम:
    • स्थान: चमोली ज़िला।
    • पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का स्थान।
    • समर्पित: भगवान विष्णु।
    • वैष्णवों के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक

उत्तराखंड Switch to English

IIT-रुड़की के शोधकर्त्ताओं द्वारा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली

चर्चा में क्यों?

हाल ही में IIT-रुड़की के शोधकर्त्ताओं ने वर्षा पैटर्न का विश्लेषण करके कम-से-कम छह घंटे की पूर्व चेतावनी देकर हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन होने से पहले भविष्यवाणी करने के लिये एक फ्रेमवर्क विकसित की है।

मुख्य बिंदु:

  • यह अध्ययन एक सहकर्मी-समीक्षित वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और इसे भारत में अपनी तरह का पहला अध्ययन माना जाता है।
  • मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, भू-आकृति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञों की संयुक्त विशेषज्ञता ने एक ऐसी विधि का निर्माण किया है जो मौसम विज्ञान मॉडलिंग को मलबे के प्रवाह के संख्यात्मक सिमुलेशन के साथ जोड़ती है।
  • शोधकर्त्ता मौसम अनुसंधान एजेंसियों से पहाड़ियों में वर्षा के पैटर्न पर वास्तविक समय का डेटा एकत्र करेंगे।

भू-स्खलन

  • ये मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में होने वाली प्राकृतिक आपदाएँ हैं जहाँ मृदा, चट्टान, भूविज्ञान और ढलान की अनुकूल परिस्थितियाँ होती हैं।
  • किसी ढलान से चट्टान, पत्थर, मृदा या मलबे के अचानक खिसकने को भूस्खलन कहा जाता है।
  • कारण:
    • इसके ट्रिगर करने वाले प्राकृतिक कारणों में भारी वर्षा, भूकंप, बर्फ का पिघलना और बाढ़ के कारण ढलानों का कटना शामिल है।
    • वे मानवजनित गतिविधियों जैसे उत्खनन, पहाड़ियों एवं पेड़ों की कटाई, अत्यधिक बुनियादी ढाँचे के विकास और मवेशियों द्वारा अत्यधिक चराई के कारण भी हो सकते हैं।
    • भूस्खलन को प्रभावित करने वाले कुछ मुख्य कारक हैं आश्मिक, भूवैज्ञानिक संरचनाएँ जैसे भ्रंश, पहाड़ी ढलान, जल निकासी, भू-आकृति विज्ञान, भूमि उपयोग और भूमि आवरण, मृदा की बनावट व गहराई तथा चट्टानों का अपक्षय।
    • जब योजना बनाने और पूर्वानुमान लगाने के लिये भूस्खलन संवेदनशीलता क्षेत्र निर्धारित किया जाता है तो इन सभी को ध्यान में रखा जाता है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में चित्रकला प्रदर्शनी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय (Faculty of Visual Arts) द्वारा चार दिवसीय सामूहिक चित्रकला प्रदर्शनी 'योगसूत्र' का आयोजन किया गया था।

मुख्य बिंदु:

  • प्रदर्शनी में पेंटिंग विभाग के चार छात्रों- जयदेव दास, नॉडी ज्यूडिथ गोम्ज़, फराज़ इमरान और निहारिका अहोना बरसात की कलात्मक प्रतिभाओं को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें लगभग 25 पेंटिंग प्रदर्शित की गई हैं।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

  • इसकी स्थापना मदन मोहन मालवीय ने वर्ष 1916 में डॉ. एनी बेसेंट जैसी महान हस्तियों के सहयोग से की थी, जिन्होंने भारत के विश्वविद्यालय के रूप में इसकी कभी कल्पना की थी।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित शिक्षा का मंदिर है, जो पवित्र शहर वाराणसी में स्थित है।
  • में विशिष्ट अनुसंधान केंद्र हैं।
  • विश्वविद्यालय का प्रतिष्ठित संग्रहालय– भारत कला भवन,  दुर्लभ संग्रहों का खज़ाना है।
  • विश्वविद्यालय का 927 बिस्तरों वाला अस्पताल सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।

उत्तर प्रदेश Switch to English

यमुना ई-वे से दूर के क्षेत्रों में भवन निर्माण योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने बिल्डिंग प्लान मैनेजमेंट सिस्टम (BPMS) नामक एक प्रणाली शुरू की है, जो 34,000 से अधिक आवासीय भू-खंड मालिकों को अनुमोदन के लिये अपनी भवन योजना ऑनलाइन जमा करने में सक्षम बनाती है।

मुख्य बिंदु:

  • प्राधिकरण के अनुसार, बिल्डिंग परमिशन मैनेजमेंट सिस्टम (BPMS) का उद्देश्य प्रसंस्करण अनुप्रयोगों के लिये तेज़, पारदर्शी और कुशल समाधान प्रदान करके भवन मानचित्रों के लिये अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।

यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण 

  • इसे उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम, 1976 के तहत दिल्ली के निकटवर्ती उनके संबंधित अधिसूचित क्षेत्रों के व्यवस्थित विकास के लिये बनाया गया है, जो अगर योजनाबद्ध नहीं होते, तो अनधिकृत शहरी विकास का खतरा होता।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow