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दृष्टि आईएएस ब्लॉग

भारतीय पर्यटन उद्योग की विकास यात्रा

जनसंख्या के दृष्टिकोण से भारत विश्व का दूसरा और क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से विश्व का सातवां बड़ा देश है। यहाँ पर प्राचीन समय से ही सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व भौगोलिक इत्यादि आधारों पर विविधताएँ पाई जाती हैं।

भारत में विविधता पर्यटन के संबंध में भी संभावनाओं को प्रस्तुत करती है। भारत में पर्याप्त ऐतिहासिक स्थल, भौगोलिक विविधताएँ, जलवायु भिन्नताएँ और प्राकृतिक उपहार उपलब्ध हैं। अतः भारत में पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं।

पर्यटन दिवस

प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत सर्वप्रथम वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा की गयी थी, और तब से प्रत्येक वर्ष अलग-अलग देश विश्व पर्यटन दिवस की मेज़बानी करते हैं।

वर्ष 2022 में पर्यटन मंत्रालय 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मना रहा है, जो भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर 75 सप्ताह का भव्य उत्सव है।

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के लिए इस वर्ष का विषय 'ग्रामीण और सामुदायिक केंद्रित पर्यटन' है। राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के रूप में, केंद्र द्वारा तेलंगाना सरकार के सहयोग से सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

भारत में पर्यटन उद्योग का विकास

पर्यटन उद्योग के विकास के लिए पर्यटन नियोजन की आवश्यकता है। पर्यटन नियोजन पर्यटन विकास की प्रक्रिया है। पर्यटन योजना समस्या को सुलझाने और निर्णय लेने में मदद करती है जो योजनाकार को वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करती है।

पर्यटन क्षेत्र के लिए व्यापक आर्थिक नियोजन तकनीकों का उपयोग अपेक्षाकृत नया है। आय के स्रोत के रूप में पर्यटन का बढ़ता महत्त्व, रोज़गार सृजन, क्षेत्रीय विकास, विदेशी मुद्रा और कई देशों के लिए भुगतान संतुलन में प्रमुख कारक कई सरकारों के साथ-साथ आर्थिक विकास में रुचि रखने वाले अन्य लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

पर्यटन 20वीं सदी के सबसे बड़े वैश्विक उद्योग के रूप में उभरा है और 21वीं सदी में और भी तेजी से बढ़ने का अनुमान है।

पर्यटन नीति पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करती है और देश में रोज़गार सृजन, पर्यावरण उत्थान, दूरदराज के क्षेत्रों के विकास और महिलाओं एवं अन्य वंचित समूहों के विकास में उत्प्रेरक बनाने की दिशा में नई पहल की परिकल्पना करती है।

भारत में पर्यटन नीति की उत्पत्ति

भारत में पर्यटन योजना की शुरुआत आजादी के बाद हुई थी। भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सचेत और संगठित प्रयास 1945 में किए गए थे। इसके बाद भारत में व्यवस्थित पर्यटन का विकास हुआ।

पर्यटन नियोजन दृष्टिकोण को द्वितीय और तृतीय पंचवर्षीय योजनाओं में विकसित किया गया। छठी पंचवर्षीय योजना में पर्यटन को आर्थिक विकास, एकीकरण और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के साधन के रूप में महत्त्व दिया गया है।

1980 के दशक के बाद पर्यटन गतिविधि ने रोज़गार सृजन, आय के स्रोत, विदेशी मुद्रा आय और एक उद्योग के रूप में गति प्राप्त की। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

भारत पर्यटन विकास निगम

भारत पर्यटन विकास निगम अक्त्तूबर, 1966 में अस्‍तित्‍व में आया और इसने देश में पर्यटन के उत्तरोत्तर विकास, संवर्धन और विस्‍तार में प्रमुख भूमिका निभाई है।

भारत पर्यटन विकास निगम के उद्देश्य

होटलों का निर्माण, वर्तमान होटलों का अधिग्रहण और प्रबंध

परिवहन, मनोरंजन, खरीददारी और सम्‍मेलन सेवाएँ प्रदान करना

पर्यटक प्रचार सामग्री की प्रस्‍तुति एवं वितरण

भारत व विदेश में परामर्शी व प्रबंध सेवाएँ प्रदान करना

पर्यटन नीति 1982

भारत सरकार द्वारा पहली पर्यटन नीति की घोषणा नवंबर 1982 को की गई थी। पहली पर्यटन नीति का मिशन आर्थिक विकास, सामाजिक एकीकरण के साधन के रूप में स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देना और एक गौरवशाली अतीत वाले देश के रूप में विदेशों में भारत की छवि को बढ़ावा देना था।

पर्यटन नीति 1982 की विशेषताएँ

  • नीति व्यक्तियों को पर्यटन विकास में भाग लेने और स्थानीय युवाओं में रुचि पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
  • नीति पर्यटन विकास के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
  • पर्यटन विकास में स्वैच्छिक संस्थाओं और स्वयंसेवकों की भूमिका को नीति द्वारा मान्यता दी गई है।
  • नीति तकनीकी प्रगति को विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी को प्राथमिकता देने का सुझाव देती है।
  • नीति पर्यटन आर्थिक क्षेत्र, सर्किट और पर्यटन क्षेत्र बनाती है।

भारत के संविधान की समवर्ती सूची में पर्यटन क्षेत्र

जून, 1982 में भारत के योजना आयोग (वर्तमान नीति आयोग) द्वारा पर्यटन को एक उद्योग के रूप में मान्यता दी गई थी। नई नीति के तहत, पर्यटन को समवर्ती सूची में रखा जाएगा क्योंकि इस तरह के कदम से पर्यटन क्षेत्र को संवैधानिक मान्यता मिलेगी और केंद्र सरकार को गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले कानून लाने में सक्षम बनाकर पर्यटन के विकास को व्यवस्थित तरीके से सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।

पर्यटन पर राष्ट्रीय समिति

जून 1986 में, भारत के योजना आयोग (वर्तमान नीति आयोग) ने पर्यटन क्षेत्र के लिए परिप्रेक्ष्य योजना तैयार करने के लिए राष्ट्रीय पर्यटन समिति की स्थापना की। श्री मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता वाली समिति ने नवंबर 1987 में अपनी सिफारिश प्रस्तुत की। श्री मोहम्मद यूनुस की रिपोर्ट ने सिफारिश की कि मौजूदा पर्यटन विभाग को राष्ट्रीय पर्यटन बोर्ड से बदल दिया जाए और राष्ट्रीय पर्यटन बोर्ड के कामकाज की देखभाल के लिए भारतीय पर्यटन सेवा पर अलग संवर्ग बनाया जाए। इसने भारत सरकार के स्वामित्व वाली दो एयरलाइनों के आंशिक निजीकरण का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया।

सातवीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन नीति

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-1990) के साथ भारतीय पर्यटन योजना में वृद्धि हुई। भारत में पर्यटन योजना के लिए सातवीं पंचवर्षीय योजना द्वारा समर्थित विभिन्न नीतियाँ हैं-

  • घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • समुद्र तट रिसॉर्ट बनाने पर अधिक जोर।
  • सम्मेलनों और शीतकालीन खेलों का आयोजन करना ताकि विदेशी पर्यटकों के लिए विभिन्न विकल्प उपलब्ध हों।

भारत में सातवीं पंचवर्षीय योजना की इन नीतियों ने भारत में पर्यटन योजना को बढ़ावा दिया।

आठवीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन नीति

भारत में पर्यटन नियोजन को प्रोत्साहित करने के लिए आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997) ने इस बात पर जोर दिया कि निजी क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिए। केंद्र सरकार ने पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न सुविधाएं प्रदान की थी, जिसमें 1992 में पर्यटन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की घोषणा शामिल थी। मई, 1992 में पर्यटन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना की घोषणा की गई थी। भारतीय पर्यटन में नियोजन के लिए इस कार्य योजना के निम्न उद्देश्य थे:

  • पर्यटन क्षेत्रों को सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करना।
  • पर्यटन क्षेत्र में रोज़गार के अवसर को बढ़ाना।
  • बजट या अर्थव्यवस्था श्रेणी के लिए घरेलू पर्यटन का विकास करना।
  • पर्यावरण और राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • विश्व पर्यटन में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाना।
  • पर्यटन उत्पाद में विविधता लाना।

आठवीं पंचवर्षीय योजना इस बात पर जोर देती है कि पर्यटन क्षेत्र का विस्तार केवल निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से है।

राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 की घोषणा भारत में पर्यटन योजना में एक मील का पत्थर है। यह पर्यटन नीति 2002 एक बहुआयामी दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें एकीकृत पर्यटन पथ के पर्यटन परियोजना के विकास, आतिथ्य क्षेत्र में क्षमता निर्माण और नई विपणन रणनीतियों का तेजी से या त्वरित कार्यान्वयन शामिल है। राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में स्थापित करना है।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) के तहत पर्यटन

राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 के अंतर्गत कार्य करते हुए दसवीं पंचवर्षीय योजना में होटल और खाद्य उद्योगों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर कौशल निर्माण को बढ़ावा दिया गया। दसवीं पंचवर्षीय योजना ने हिमालय में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिया, तटीय पर्यटन में समुद्र तट पर्यटन को बढ़ावा दिया।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में पर्यटन विकास के लिए अधिक धनराशि आवंटित की गई। राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 के विस्तार के साथ, ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना केंद्र, राज्य सरकार और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। वित्त पोषण के लिए कुछ क्षेत्रों का चयन किया गया है जिनमें श्रीरंगम, वेल्लोर किला (विरासत स्थल), पुदुचेरी में समुद्र तट और चेन्नई (समुद्री पर्यटन), केरल में वायनाड, तमिलनाडु में उदगमंडलम, मुदुमलाई और अन्नामलाई शामिल हैं।

12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत पर्यटन

12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) ने पर्यटन के योगदान को एक नया आयाम दिया। यह योजना गरीबों को पर्यटन से होने वाले शुद्ध लाभ को बढ़ाने के उद्देश्य से 'गरीब समर्थक पर्यटन' दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है और यह सुनिश्चित करती है कि पर्यटन विकास गरीबी को कम करने में योगदान देता है।

सरकार की पहलें

अतुल्य भारत अभियान

विश्व पर्यटन मानचित्र पर भारत को एक अंतिम पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा 2002 में अतुल्य भारत अभियान शुरू किया गया था। देश में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विश्व स्तर पर अतुल्य भारत अभियान चलाया गया। इसने भारतीय संस्कृति, इतिहास, आध्यात्मिकता और योग का प्रदर्शन करके भारत को एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में पेश किया।

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अतिथि देवो भवः

अतिथि देवो भवः अतुल्य भारत अभियान के पूरक के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित एक कार्यक्रम है। मुख्य उद्देश्य पर्यटन के प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना और हमारे देश की समृद्ध विरासत, संस्कृति, स्वच्छता और गर्मजोशी भरे आतिथ्य के बारे में लोगों को जागरूक करना है।

विजिट इंडिया 2009

विजिट इंडिया 2009 अभियान का मुख्य उद्देश्य 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक संकट के बाद आगंतुकों और पर्यटकों की आमद को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम की घोषणा पर्यटन मंत्रालय और विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद् द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी।

निष्कर्ष

पर्यटन विकास और पर्यटन नीति निकट से संबंधित पहलू हैं। पर्यटन विकास काफी हद तक पर्यटन नीति पर निर्भर करता है। पर्यटन अर्थव्यवस्था का एक अत्यंत्त ही महत्त्वपूर्ण खंड है। किसी भी देश का आर्थिक विकास, चाहे वह विकासशील, विकसित या अविकसित देश हो, पर्यटन क्षेत्र से काफी प्रभावित होता है। इसलिए विश्व के हर देश ने पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए कई पर्यटन नीतियाँ तैयार की हैं। भारत सरकार ने घरेलू और विदेशी दोनों आगंतुकों को आकर्षित करने के लिए कई पहल किये हैं। पर्यटन के बुनियादी ढाँचे का विस्तार, पर्यटन स्थलों का विकास, नए पर्यटन उत्पादों का विकास और सार्वजनिक निजी भागीदारी आदि कुछ उपाय हैं। स्वतंत्र काल के बाद भारत सरकार के पर्यटन विभाग ने भारत में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए कई नीतियां पेश की हैं। भारत के योजना आयोग (वर्तमान नीति आयोग) द्वारा पर्यटन को एक उद्योग के रूप में मान्यता दी गई थी। परिणामस्वरूप पर्यटन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और बड़ी संख्या में आगंतुकों को भारत की ओर आकर्षित कर रहा है एवं बड़े पैमाने पर रोज़गार और आय अर्जित करने के अवसर पैदा कर रहा है।

अंकित साकेत

अंकित कुमार साकेत मध्यप्रदेश के सतना जिले से हैं। वर्तमान में वे विधि अंतिम वर्ष के छात्र हैं। अंकित हिंदी अनुवादन में कई वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने अपने ब्लॉग लेखन की शुरुआत दृष्टि आईएएस के साथ की है ।

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