37वाँ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला | हरियाणा | 09 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा के सूरजकुंड में 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु:
- यह हमारे शिल्पकारों को कला प्रेमियों से जोड़ने का एक प्रभावी मंच है। यह मेला एक कला प्रदर्शनी और व्यापार केंद्र, दोनों है।
- यह मेला हस्तशिल्प, हथकरघा और भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि तथा विविधता को प्रदर्शित करता है।
- मेले में लगभग 50 देश भाग लेंगे। इन देशों में इथियोपिया, घाना, केन्या, नामीबिया, नाइजीरिया, युगांडा, ज़िम्बाब्वे, मॉरीशस, म्याँमार, नेपाल, रूस, श्रीलंका समेत अन्य शामिल हैं।
- शिल्प मेले में तंज़ानिया ने भागीदार राष्ट्र के रूप में भाग लिया।
- गुजरात थीम राज्य है जो क्षेत्र के विभिन्न कला रूपों और हस्तशिल्प के माध्यम से अपनी अनूठी संस्कृति तथा समृद्ध विरासत का प्रदर्शन कर रहा है।
भारतीय रेलवे के नेटवर्क को बढ़ाने वाली परियोजनाएँ | राजस्थान | 09 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने केंद्र सरकार से 100% वित्त पोषण के साथ रेल मंत्रालय की 6 परियोजनाओं को स्वीकृति दी।
- 6 राज्यों यानी राजस्थान, असम, तेलंगाना, गुजरात, आंध्र प्रदेश और नगालैंड के 18 ज़िलों को शामिल करने वाली परियोजनाएँ भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को बढ़ाएँगी तथा राज्यों के व्यक्तियों को रोज़गार प्रदान करेंगी।
मुख्य बिंदु:
- मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्तावों से परिचालन में आसानी होगी और भीड़भाड़ कम होगी, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर आवश्यक ढाँचागत विकास उपलब्ध होगा।
- यह परियोजनाएँ प्रधानमंत्री के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के वक्तियों को "आत्मनिर्भर" बनाएगी जिससे उनके रोज़गार/स्वरोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।
- ये परियोजनाएँ मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुई हैं और व्यक्तियों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिये निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।
- अनुमोदित परियोजनाओं में शामिल मार्गों का उपयोग खाद्यान्न, खाद्य वस्तुएँ, उर्वरक, कोयला, सीमेंट, लोहा, स्टील, फ्लाई-ऐश, क्लिंकर, चूना पत्थर, पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक POL, कंटेनर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिये किया जाएगा।
- पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात को कम करने एवं CO2 उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।
मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान
- अक्तूबर 2021 में लॉन्च किया गया मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की समन्वित योजना और निष्पादन के उद्देश्य से एक पहल है।
- इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाना है।
- गतिशक्ति एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो एकीकृत योजना और कार्यान्वयन के लिये रेलवे तथा रोडवेज़ सहित 16 मंत्रालयों की विकास परियोजनाओं को एक साथ लाता है।
- लॉन्च होने पर, गतिशक्ति योजना में वर्ष 2019 में घोषित 110 लाख करोड़ रुपए की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन शामिल हो गई।
यूपी में 21 हवाई अड्डे होंगे | उत्तर प्रदेश | 09 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
विमानन क्षेत्र की तीव्र गति पर ज़ोर देते हुए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बताया कि यह राज्य 21 हवाई अड्डों वाला भारत का पहला राज्य बनने के लिये तैयार है।
- यूपी सरकार ने बजट 2024-25 के तहत जेवर में आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिये 1,150 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
मुख्य बिंदु:
- राज्य में पिछले 9 वर्षों में विमानन बुनियादी ढाँचे का तेज़ी से विकास हुआ है।
- वर्ष 2014 में यूपी में केवल 6 हवाई अड्डे थे और अब राज्य में 10 हवाई अड्डे हैं जिनमें अयोध्या में नव उद्घाटन महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी शामिल है।
- मार्च 2024 तक, यूपी में 5 और हवाई अड्डे होंगे, जिनमें आज़मगढ़, अलीगढ़, मोरादाबाद, श्रावस्ती तथा चित्रकूट में एक-एक हवाई अड्डा होगा।
नोट:
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 2024 के अंत तक वाणिज्यिक परिचालन के लिये खुलने वाला है, जिससे उत्तर प्रदेश भारत का एकमात्र राज्य बन जाएगा जहाँ पाँच अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं (अन्य चार महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या, कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कुशीनगर, चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, लखनऊ और लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, वाराणसी हैं।
यूपी में पंचायतों की राजस्व प्राप्तियाँ सबसे ज़्यादा | उत्तर प्रदेश | 09 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में जारी 'पंचायती राज संस्थानों का वित्त' शीर्षक से रिपोर्ट भारत में पंचायती राज संस्थानों (PRI) की वित्तीय गतिशीलता पर प्रकाश डालती है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य राजस्व हिस्सेदारी और अंतर-राज्य असमानताएँ:
- अपने-अपने राज्य के राजस्व में पंचायतों की हिस्सेदारी न्यूनतम बनी हुई है।
- उदाहरण के लिये, आंध्र प्रदेश में, पंचायतों की राजस्व प्राप्तियाँ राज्य के स्वयं के राजस्व का केवल 0.1% है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह 2.5% है, जो राज्यों में सबसे अधिक है।
- प्रति पंचायत अर्जित औसत राजस्व को लेकर राज्यों में व्यापक भिन्नताएँ हैं।
- केरल और पश्चिम बंगाल क्रमशः 60 लाख रुपए और 57 लाख रुपए प्रति पंचायत के औसत राजस्व के साथ सबसे आगे हैं।
- असम, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा, सिक्किम और तमिलनाडु में प्रति पंचायत राजस्व 30 लाख रुपए से अधिक था।
- आंध्र प्रदेश, हरियाणा, मिज़ोरम, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों का औसत राजस्व 6 लाख रुपए प्रति पंचायत से काफी कम है।
- RBI की सिफारिशें:
- RBI अधिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देने और स्थानीय नेताओं तथा अधिकारियों को सशक्त बनाने का सुझाव देता है। यह पंचायती राज की वित्तीय स्वायत्तता और स्थिरता को बढ़ाने के उपायों का समर्थन करता है।
पंचायती राज संस्थान
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और एक समान संरचना (PRI के तीन स्तर), चुनाव, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं के लिये सीटों का आरक्षण तथा PRI को निधि, कार्यों व पदाधिकारियों का हस्तांतरण किया।
- पंचायतें तीन स्तरों पर कार्य करती हैं: ग्राम सभा (गाँव या छोटे गाँवों का समूह), पंचायत समितियाँ (ब्लॉक परिषद) और ज़िला परिषद (ज़िला)।
- पंचायती राज मंत्रालय, पंचायती राज और पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है। इसे मई 2004 में बनाया गया था।
- यूपी में पंचायतों की संख्या: 59, 062
- यूपी में ब्लॉकों की संख्या: 826
- यूपी में ज़िलों की संख्या: 75