बाघिन को बचाने का प्रयास | उत्तराखंड | 09 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
तराई पूर्वी वन प्रभाग की सुरई रेंज में पिछले एक साल से की निगरानी में रह रही बाघिन के पेट के पिछले हिस्से में फँसे तार को निकालने की कोशिश अंतिम पड़ाव पर पहुँच गयी है।
मुख्य बिंदु:
- जनवरी 2023 में जंगल में एक गश्ती दल ने बाघिन के पिछले पैरों से पहले पेट में तार का फंदा लिपटा हुआ देखा था।
- गश्ती दल द्वारा इस संबंध में उच्चाधिकारियों को सूचित करने के बाद मौके पर कैमरा ट्रैप लगाए गए और 35 में से 26 कैमरा ट्रैप ने बाघिन की नियमित तस्वीर खींची।
- बाघिन की निगरानी की रिपोर्ट उत्तराखंड वन्यजीव प्रतिपालक और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भेजी गयी जिस पर संयुक्त टीम का गठन हुआ तथा बाघिन को पकड़ने की कार्रवाई शुरू की गयी।
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व
- यह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और शाहजहाँपुर ज़िले में स्थित ऊपरी गंगा के मैदानी जैव-भौगोलिक प्रांत में तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है।
- रिज़र्व का उत्तरी किनारा भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है जबकि दक्षिणी सीमा शारदा और खकरा नदी द्वारा चिह्नित है।
- साल के जंगल, सघन घास के मैदान और नदियों से समय-समय पर बाढ़ द्वारा बनाए गए दलदल यहाँ की विशेषता है।
- रिज़र्व की सीमा पर शारदा सागर बाँध है जो 22 किमी. (14 मील) की लंबाई तक फैला है।
- इसे वर्ष 2014 में टाइगर रिज़र्व के रूप में नामित किया गया था।
उत्तराखंड को AYUSH के लिये एक प्रमुख गंतव्य बनाने की कार्य योजना | उत्तराखंड | 09 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को प्रदेश को आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी (AYUSH) तथा वेलनेस के क्षेत्र में प्रमुख गंतव्य बनाने के लिये प्रभावी कार्ययोजना के साथ कार्य करने के निर्देश दिये।
मुख्य बिंदु:
- एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तराखंड में राज्य में जड़ी बूटियों के उत्पादन को और बढ़ावा देने के लिये आयुष विभाग उद्यान तथा वन निगम से समन्वय कर संग्रह एवं विपणन की उचित व्यवस्था की जाएगी।
- मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को विश्व का सर्वश्रेष्ठ योग गंतव्य बनाने हेतु नई योग नीति लाने के भी निर्देश दिये और पंचकर्म को बढ़ावा देने के लिये विशेष प्रयासों पर ज़ोर दिया।
- आयुष के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये हर्बल उत्पादों के विपणन के लिये उचित मंच की व्यवस्था की जाएगी।
- स्कूली विद्यार्थियों को आयुष से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिये सभी स्कूलों में इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा आयुष नीति के प्रभावी कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के भी निर्देश दिये गए हैं।
- आयुष में बेहतर कार्य हेतु वेलनेस केंद्र, आयुष सेवाओं के प्रामाणीकरण तथा चिकित्सकों एवं फार्मशिस्टों को प्रसिद्ध आयुष विशेषज्ञों से प्रशिक्षण की व्यवस्था से आयुष चिकित्सा को जनता से जोड़ने में सहायता मिलेगी।
- आयुष नीति में उच्च गुणवत्ता वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ावा देना, अच्छी कृषि पद्धतियों (GAP) के अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनिवार्य पालन, नवीनतम ड्रोन-आधारित तकनीक का उपयोग, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड पर कोल्ड स्टोरेज की स्थापना और औषधीय पौधों के विक्रेताओं का विनियमन शामिल है।
- नीति में उच्च गुणवत्ता युक्त आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के उत्पादन को प्रोत्साहन किये जाने, गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज (GAP) के अंतर्राष्ट्रीय मानक का पालन किये जाने की अनिवार्यता, ड्रोन आधारित नवीनतम तकनीक का प्रयोग, पीपीपी मोड पर कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, औषधीय पादपों के विक्रेताओं (कृषकों, स्थानीय आपूर्तिकर्त्ताओं) के स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल किये गए हैं।
- राज्य में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की स्थापना, औषधीय पादपों के लिये ‘एश्योर्ड बाय-बैक’ योजना, राज्य में अग्रणी निर्माताओं एवं प्रतिष्ठित विपणन एजेंसी के सहयोग से उत्तराखंड में उगाए जाने वाले प्रमुख औषधीय पादपों की ब्रांडिंग के लिये एक ऑनलाइन मंच स्थापित किया जाएगा।
- सभी आयुष विनिर्माण इकाइयों के लिये 10 प्रतिशत तक अतिरिक्त पूंजीगत सहायता, आयुष उत्पादों की गुणवत्ता मूल्यांकन के लिये राज्य के 2-3 महत्त्वपूर्ण स्थानों पर सामान्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना को प्रोत्साहन, आयुष उत्पादों हेतु आयुष प्रीमियम मार्क/आयुष स्टैंडर्ड मार्क प्राप्त किया जाना अनिवार्य किया गया है।
- राज्य पर्यटन नीति, 2023 के माध्यम से वेलनेस रिसोर्ट, आयुर्वेद / योग/ नेचुरोपैथी रिसोर्ट को 50 प्रतिशत तक की पूंजीगत सहायता तथा श्रेणी बी और श्रेणी सी क्षेत्रों में स्थापित होने वाले वेलनेस केंद्र, आयुर्वेद / योग/ नेचुरोपैथी रिसोर्ट को 5 प्रतिशत की अतिरिक्त पूंजीगत सहायता उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
- आयुष शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये आयुष कॉलेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से निर्धारित मानकों को पूर्ण करने वाले आयुष कॉलेजों को 15 लाख तक की एकमुश्त प्रोत्साहन राशि प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है।
उत्तराखंड में बाघों की आबादी | उत्तराखंड | 09 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वर्ष 2006 और वर्ष 2022 के बीच उत्तराखंड में बाघों की आबादी 314% की दर से बढ़ी है। उत्तराखंड वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार, उत्तराखंड में बाघों की आबादी का घनत्व विश्व में सबसे अधिक है।
मुख्य बिंदु:
- बाघों की आबादी जो वर्ष 2006 में 178 थी, वर्ष 2022 में बढ़कर 560 हो गई, जिसमें 314% की वृद्धि दर्ज की गई।
- राज्य में वन्य जीवों की आबादी में वृद्धि हाल के वर्षों में वन विभाग द्वारा उनके आवास की स्थिति में सुधार के लिये उठाए गए कदमों के कारण है।
- वर्ष 2023 में बाघों के हमलों में मारे गए और घायल हुए लोगों की संख्या में भी मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- बाघों के अलावा तेंदुए, हाथी और साँप जैसे जानवरों के साथ मुठभेड़ में मारे गए लोगों की कुल संख्या वर्ष 2021 में 71, वर्ष 2022 में 82 तथा वर्ष 2023 में 66 थी।
- मानव-पशु संघर्ष में घायल व्यक्तियों की संख्या वर्ष 2021 में 361, वर्ष 2022 में 325 और वर्ष 2023 में 317 थी।
- उत्तराखंड में दो टाइगर रिज़र्व हैं:
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
- कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व
NREGS कार्ड धारकों के लिये आधार सीडिंग | बिहार | 09 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
जनवरी 2024 के मध्य तक, बिहार में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत सभी जॉब कार्ड धारकों के आधार कार्ड को जोड़ने की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
- राज्यों के लिये लाभार्थियों को आधार-आधारित वेतन भुगतान को अपनाना केंद्र की आवश्यकता है।
मुख्य बिंदु:
- केंद्र ने 1 जनवरी से MGNREGS के तहत सभी जॉब कार्ड धारकों के लिये AePS (आधार सक्षम भुगतान प्रणाली) अनिवार्य कर दिया है।
- इसका तात्पर्य यह है कि लाभार्थियों को पारिश्रमिक का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा। वह राशि देय तिथि के बाद उनके आधार नंबर के माध्यम से सत्यापित होगी। नेशनल पेमेंट्स काॅरपोरेशन आफ इंडिया (NCPI) द्वारा इसकी मैपिंग की जाएगी।
- अभी बिहार में MNREGA के तहत जॉब कार्ड धारकों की कुल संख्या 1.80 करोड़ है। उनमें से 1.52 करोड़ के बैंक खाते उनके आधार (विशिष्ट पहचान) नंबर से जुड़े हुए हैं।
- इनमें से लगभग 96 लाख सक्रिय कर्मचारी (जो नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं), लगभग 94 लाख के बैंक खाते आधार से जुड़े हुए हैं, जबकि 79.63 लाख AePS के तहत भुगतान के लिये पात्र हैं।
- चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) में, बिहार ने योजना के तहत स्वीकृत 17 करोड़ के मुकाबले अब तक 15.64 करोड़ मानव दिवस (इस अवधि के भीतर एक व्यक्ति द्वारा किये जा सकने वाले कार्य की मात्रा के संदर्भ में एक दिन माना जाता है) उत्पन्न किया है, जिसका उद्देश्य अकुशल ग्रामीण श्रमिकों को एक वर्ष में कम-से-कम 100 दिन का कार्य प्रदान करना है।
- इस वित्तीय वर्ष में कार्य सृजन के लिये अतिरिक्त 8 करोड़ मानव दिवस सृजित करने का प्रस्ताव बिहार द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजा जाएगा।
आधार
- आधार भारत सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी की गई 12 अंक की व्यक्तिगत पहचान संख्या है।
- यह संख्या भारत में कहीं भी पहचान और पते के प्रमाण के रूप में कार्य करती है।
- आधार संख्या प्रत्येक व्यक्ति के लिये विशिष्ट होती है और इसकी वैद्यता जीवन भर तक है।
- यह जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारी के आधार पर व्यक्तियों की पहचान स्थापित करता है।
- आधार संख्या निवासियों को उचित समय पर बैंकिंग, मोबाइल फोन कनेक्शन और अन्य सरकारी तथा गैर-सरकारी सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करती है।
मुरादाबाद का पीतल बर्तन उद्योग | उत्तर प्रदेश | 09 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से धार्मिक मूर्तियों, विशेष रूप से भगवान राम की मूर्तियों की मांग में वृद्धि के रूप में हुई है, जिसके परिणामस्वरूप मुरादाबाद के पीतल के बर्तन उद्योग के पुनरुत्थान को प्रोत्साहन मिला है।
मुख्य बिंदु:
- मुरादाबाद की स्थापना वर्ष 1600 में मुगल सम्राट शाहजहाँ के बेटे मुराद ने की थी, जिसके परिणामस्वरूप शहर को मुरादाबाद के नाम से जाना जाने लगा।
- यह पीतल के कार्य के लिये प्रसिद्ध है, जिसने पूरे विश्व में हस्तशिल्प उद्योग में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
- पीतल के बर्तन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, मध्य पूर्व और एशिया जैसे देशों में निर्यात किये जाते हैं। इसलिये मुरादाबाद को “ब्रास सिटी” या पीतल नगरी भी कहा जाता है।
- पीतल, ताँबे और जस्ता की एक मिश्र धातु है, जो अपनी उल्लेखनीय कठोरता तथा व्यावहारिकता के कारण ऐतिहासिक व स्थायी महत्त्व रखती है।
- 1980 के दशक में, पीतल, लोहा और एल्यूमीनियम जैसे विभिन्न धातु के बर्तनों की शुरुआत के साथ उद्योग में विविधता आई। इस विस्तार से मुरादाबाद के कला उद्योग में इलेक्ट्रोप्लेटिंग, लैकरिंग और पाउडर कोटिंग जैसी नई तकनीकें विकसित हुई।
- मुरादाबाद मेटल क्राफ्ट (वर्ड मार्क) को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त है।
- ‘एक ज़िला एक उत्पाद कार्यक्रम’ (ODOP) के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार स्वदेशी और विशिष्ट उत्पादों तथा कला को प्रोत्साहित करती है।
उत्तर प्रदेश के एक ज़िला एक उत्पाद कार्यक्रम (ODOP) के मुख्य उद्देश्य
- स्थानीय कला/कौशल का संरक्षण एवं विकास तथा रचनात्मकता को बढ़ावा देना।
- आय और स्थानीय रोज़गार में वृद्धि (परिणामस्वरूप रोज़गार के लिये प्रवासन में कमी)।
- उत्पाद की गुणवत्ता और कौशल विकास में सुधार।
- उत्पादों को कलात्मक तरीके (पैकेजिंग, ब्रांडिंग के माध्यम से) से बदलना।
- उत्पादन को पर्यटन से जोड़ना (लाइव डेमो और बिक्री आउटलेट - उपहार तथा स्मारिका)।
- आर्थिक मतभेद और क्षेत्रीय असंतुलन के मुद्दों को हल करना।
- राज्य स्तर पर सफल कार्यान्वयन के बाद ODOP की अवधारणा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना।
उत्तर प्रदेश में ODOP उत्पादों की सूची
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क्रमांक
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ज़िला
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उत्पाद
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1.
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आगरा
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चमड़ा उत्पाद एवं स्टोन/मार्बल से निर्मित सभी हस्तशिल्प उत्पाद
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2.
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अमरोहा
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वाद्य यंत्र (ढोलक) एवं रेडीमेड गारमेंट्स
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3.
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बागपत
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होम फर्नीशिंग
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4.
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बरेली
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ज़री-ज़रदोज़ी एवं बाँस के उत्पाद/सुनारी उद्योग
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5.
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गोरखपुर
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टेराकोटा एवं रेडीमेड गार्मेंट्स
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6.
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लखनऊ
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चिकनकारी एवं ज़री ज़रदोज़ी
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7.
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महोबा
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गौरा पत्थर
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8.
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मिर्ज़ापुर
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कालीन एवं मेटल उद्योग
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9.
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सिद्धार्थनगर
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काला नमक चावल
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10.
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वाराणसी
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बनारसी रेशम साड़ी
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