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उत्तराखंड

सुरई इकोटूरिज़्म ज़ोन में जंगल सफारी का शुभारंभ

  • 30 Dec 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

29 दिसंबर, 2021 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा में सुरई इकोटूरिज़्म ज़ोन में जंगल सफारी का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने जंगल सफारी भी की। सुरई इकोटूरिज़्म ज़ोन प्रदेश का पहला ऐसा इकोटूरिज़्म ज़ोन है, जहाँ पर्यटक जंगल सफारी का लुत्फ उठा सकेंगे।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने कहा जैव विविधता और वन्य जीवों की मौज़ूदगी वाले तराई पूर्वी वन प्रभाग को योजनाबद्ध तरीके से विकसित कर उसके सुरई वन क्षेत्र को इको टूरिज़्म ज़ोन के रूप में तब्दील किया जाएगा, ताकि यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का उपयोग स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोज़गार मुहैया करवाने में किया जा सके। 
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और वन्य जीवों को आर्थिकी से जोड़ते हुए स्थानीय लोगों को स्वरोज़गार के अवसर मुहैया करवाने के उद्देश्य से 1 अक्टूबर, 2021 को ‘सीएम यंग ईकोप्रिन्योर योजना’ देहरादून में लॉन्च की गई थी। 
  • इस योजना का क्रियान्वयन शुरू कर दिया गया है। शुरुआत के तौर पर खटीमा में सुरई इकोटूरिज़्म ज़ोन विकसित कर उसमें जंगल सफारी प्रारंभ की जा रही है। ग्राम समितियों के जरिये इस योजना का संचालन किया जाएगा। 
  • जंगल सफारी शुरू होने से जिप्सी मालिक, चालक और गाइड के रूप में स्थानीय युवाओं को रोज़गार मिलेगा। इसके लिये वन विभाग ने 30 जिप्सी संचालकों के साथ करार किया है। गाइड की भूमिका का सही निर्वहन करने के लिये कई युवकों को वन विभाग इसका प्रशिक्षण दे चुका है। 
  • सुरई इकोटूरिज़्म ज़ोन में पर्यटकों की आमद से स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा। पूरे प्रदेश में इस योजना को विस्तार दिया जाएगा।
  • उन्होंने कहा कि सीएम यंग इको प्रिन्योर स्कीम के अंतर्गत नेचर गाइड, ड्रोन पायलट, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, इकोटूरिज़्म, वन्यजीव टूरिज़्म आधारित कौशल को उद्यम में परिवर्तित किया जाएगा। 
  • सुरई वन क्षेत्र के वन मार्गों को जैव विविधता ट्रेल के रूप में विकसित किया गया है। यह क्षेत्र 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसके सीमा में पूर्व दिशा में शारदा सागर डैम, पश्चिम में खटीमा नगर, उत्तर में मेलाघाट रोड तथा दक्षिण में पीलीभीत टाइगर रिज़र्व क्षेत्र सटा हुआ है। 
  • प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत इस वन क्षेत्र में साल के वृक्षों, चारागाह और पानी की प्रचुर मात्रा है। इन तमाम वजहों से यहाँ बाघों की आवाजाही बनी रहती है। इसके अलावा स्तनधारी जानवरों की लगभग 125, पक्षियों की 150 से अधिक और सरीसृपों को तकरीबन 20 प्रजातियाँ भी इस वन क्षेत्र में पाई जाती हैं। 
  • यहाँ के वन मार्गों को विकसित कर लगभग 40 किलोमीटर का ट्रेल जंगल सफारी के लिये तैयार कर लिया गया है, जिसमें जिप्सी में बैठकर पर्यटक दुर्लभ वन्यजीवों (रॉयल बंगाल टाइगर, भालू, चीतल, सांभर, काकड़, पैंगोलिन, कोरल साँप, पांडा आदि) का दीदार करने के साथ ही सुरम्य जंगलों, घास के मैदानों, प्राचीन शारदा नहर और सुंदर तालाबों का लुत्फ उठा सकेंगे।
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