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स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Jan 2024
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हरियाणा Switch to English

हरियाणा बकाया जल शुल्क माफ करेगा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में राज्य में ग्रामीण परिवारों के लिये ₹372.13 करोड़ बकाया जल शुल्क, जिसमें अधिभार (सरचार्ज) और ब्याज भी शामिल है, माफ करने का निर्णय लिया गया।

मुख्य बिंदु:

  • सूत्रों के मुताबिक इस छूट से 28.87 लाख जल कनेक्शन धारकों को फायदा होगा। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग के अंतर्गत आने वाले संस्थागत, वाणिज्यिक या औद्योगिक उपभोक्ताओं पर लागू नहीं होता है।
  • कैबिनेट ने ग्रामीण क्षेत्रों के सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के लिये 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2022 तक जमा 336.35 करोड़ रुपए की पेयजल शुल्क माफी को मंज़ूरी दे दी है।
    • इसमें सामान्य वर्ग के साथ-साथ अनुसूचित जाति वर्ग भी शामिल है।
  • पर्यावरण पर्यटन नीति के विकास को भी मंज़ूरी दी गई है। यह नीति हरियाणा के विविध परिदृश्यों के संरक्षण पर ज़ोर देती है।
  • इनमें दो राष्ट्रीय उद्यान, सात वन्यजीव अभयारण्य, दो रामसर स्थल, दो संरक्षण रिज़र्व और पाँच सामुदायिक रिज़र्व शामिल हैं।
    • इसमें बहुत से विशिष्ट पशु आवास पारिस्थितिकी तंत्र भी शामिल हैं, जिनमें अरावली पर्वत शृंखला, शिवालिक पहाड़ियाँ, समृद्ध जैवविविधता, सघन जंगल, जल निकाय और दर्शनीय स्थल शामिल हैं।


उत्तराखंड Switch to English

पीआरटी कॉरिडोर का सर्वेक्षण करने के लिये आईजी ड्रोन

चर्चा में क्यों?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्रोन टेक्नोलॉजी और एनालिटिक्स कंपनी आईजी ड्रोन उत्तराखंड मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का सर्वे करने जा रही है। यह नियो मेट्रो सिस्टम के तहत पर्सनलाइज़्ड रैपिड ट्रांज़िट कॉरिडोर (PRT) है।

  • उत्तराखंड सरकार PRT कॉरिडोर परियोजना के वर्ष 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है और इसका उद्देश्य विश्व स्तरीय तथा अत्याधुनिक आवागमन की सुविधा प्रदान करना है।

मुख्य बिंदु:

  • नियो मेट्रो प्रोजेक्ट यातायात की भीड़ को कम करने के लिये अगले चार वर्षों में देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में अत्याधुनिक रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम बनाने की योजना बना रहा है।
  • PRT को मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (MRTS) के तहत विकसित किया जा रहा है जो तीन शहरों- हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून को जोड़ेगा।
  • आईजी ड्रोन हाई-टेक ड्रोन के माध्यम से परियोजना का सर्वेक्षण करके डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने में मदद करेगा।
    • कंपनी भूमिगत कार्य प्रगति का नियमित अवलोकन करने के लिये घरेलू स्तर पर विकसित ड्रोन का उपयोग करेगी।
    • ड्रोन उन्नत सेंसर से लैस हैं जो ज़मीन से उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियाँ, वीडियो और अतिरिक्त डेटा कैप्चर करने में सक्षम हैं।
    • इस एकत्रित डेटा को आईजी वन, उनके स्वामित्व वाले सॉफ्टवेयर के माध्यम से संसाधित किया जाता है, जो तकनीकी रूप से गहन विश्लेषण प्रदान करता है।
    • ये विस्तृत आँकड़ें परियोजना की प्रगति की वास्तविक समय पर नियंत्रण रखने में सक्षम बनाते हैं।
  • आईजी ड्रोन अग्रणी ड्रोन तकनीक और एनालिटिक्स कंपनी है जिसके द्वारा भारत का पहला 5जी ड्रोन- स्काईहॉक लॉन्च किया गया है।
  • अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में ड्रोन का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है, जो अपनी दक्षता, सटीकता और लागत-प्रभावशीलता के लिये मूल्यवान हैं।
    • इसके अनुप्रयोगों में निर्माण प्रगति का सर्वेक्षण, कार्य की गुणवत्ता का आकलन और निर्माण चरण के दौरान संभावित मुद्दों की पहचान करना आदि शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश Switch to English

नाबालिगों को गाड़ी चलाने की अनुमति देने वाले माता-पिता के लिये ज़ुर्माना

चर्चा में क्यों?

नाबालिगों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के प्रयास में, उत्तर प्रदेश सरकार ने नाबालिगों को गाड़ी चलाने की अनुमति देने वाले माता-पिता या वाहन मालिकों पर तीन वर्ष की कैद और 25,000 रुपए ज़ुर्माने के प्रावधान को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है।

मुख्य बिंदु:

  • परिवहन विभाग के सहयोग से सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में विभिन्न माध्यमों से सड़क सुरक्षा पर ज़ोर देते हुए जागरूकता अभियान शुरू किया गया है।
  • मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 की धारा 199 (ए) के तहत, यह रेखांकित किया गया है कि किशोरों द्वारा किये गए मोटर वाहन-संबंधी अपराधों में, केवल उनके अभिभावक या वाहन मालिक को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
    • निर्धारित सज़ा में तीन वर्ष की कैद और 25,000 रुपए का ज़ुर्माना शामिल है।
  • लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और लोहिया इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों के अनुसार सड़क दुर्घटना में होने वाली 40% मौतों में नाबालिग शामिल हैं।
  • अधिकारियों ने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा ड्राइविंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया और सभी शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाने की बात की।

मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019

  • संशोधन यातायात नियमों के उल्लंघन पर सख्त दंड लगाने, लाइसेंसिंग और इसके प्रशासन को सुव्यवस्थित करने तथा देश में सड़क सुरक्षा की खराब स्थिति को दूर करने का प्रयास करता है।
  • यह एक मोटर वाहन दुर्घटना निधि का प्रावधान करता है, जो भारत में सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को कुछ दुर्घटनाओं के लिये अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करता है।
  • यह केंद्र सरकार द्वारा बनाए जाने वाले एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का भी प्रावधान करता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश की ‘अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर’ नीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को राज्य की ‘सेमीकंडक्टर’ नीति तैयार करने का आदेश दिया।

  • यह निर्णय तेज़ी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी संचालित वैश्विक अर्थव्यवस्था में अर्द्धचालकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • वित्तीय वर्ष 2022 में वैश्विक अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र से 950 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।
    • सेमीकंडक्टर चिप सेक्टर ने पिछले दो वर्षों में 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की घोषणा की है।
  • केंद्र सरकार द्वारा अर्द्धचालक विनिर्माण सेवाओं, जैसे– सेमीकंडक्टर फैब, डिस्प्ले फैब और कंपाउंड सेमीकंडक्टर के लिये प्रोत्साहन दी जा रही है।
    • वर्ष 2021 में, भारत ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) की घोषणा की।
    • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले पारिस्थितिकी तंत्र के लिये, निर्माण इकाइयाँ, मिक्स्ड सेमीकंडक्टर, आउटसोर्स सेमीकंडक्टर, असेंबली एंड टेस्ट यूनिट, पैकेजिंग यूनिट्स एक बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती हैं।
  • वैश्विक अर्द्धचालक निवेशकों को आकर्षित करने के लिये उत्तर प्रदेश की नीति के तहत वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन के वितरण का प्रावधान किया जाना चाहिये।
  • सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक
  • अर्द्धचालक, एक चालक और कुचालक के बीच विद्युत चालकता में मध्यवर्ती क्रिस्टलीय ठोस पदार्थों का एक वर्ग होता है।
  • अर्द्धचालकों का उपयोग डायोड, ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट सहित विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।
    • इस तरह के उपकरणों को उनकी कॉम्पैक्टनेस, विश्वसनीयता, विद्युत दक्षता और कम लागत के कारण व्यापक रूप से प्रयोग में लाया जाता है।


राजस्थान Switch to English

पारंपरिक ‘टांकाओं’ का आधुनिक अद्यतन

चर्चा में क्यों?

शुष्क क्षेत्र में जल की कमी से निपटने के लिये, केंद्र ने निकट कंक्रीट के पक्के कुंड का निर्माण करने के लिये पश्चिमी राजस्थान की पारंपरिक वर्षा जल संचयन प्रणाली ‘टंका’ को अपनाया है।

  • टांका एक भूमिगत कुंड है, इसका निर्माण बाड़मेर ज़िला और पश्चिमी राजस्थान के अन्य हिस्सों में लोगों द्वारा जुलाई तथा सितंबर के बीच बारिश के दौरान जल संचयन के लिये किया जाता है।

मुख्य बिंदु:

  • पारंपरिक ‘टांकों’ में संग्रहीत पानी मिट्टी की अपनी संरचना के कारण धीरे-धीरे दूषित हो जाता है और पूरे वर्ष तक नहीं टिक पाता है।
  • केंद्र ने लोगों को लंबे समय तक दूषित पानी उपलब्ध कराने के लिये निकट प्रबलित कंक्रीट सीमेंट से बने जल भंडारण स्थानों का निर्माण करके महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम MGNREGA (ग्रामीण) योजना के तहत इस पद्धति को अपनाया है।
    • वर्ष 2016 के बाद से कुल 1,84,766 ऐसे टैंकों का निर्माण किया गया है, जिनमें से 41,580 वर्तमान 2023-24 वित्तीय वर्ष में बनाए गए हैं।
    • 13.5 फीट x 13.5 फीट माप वाले प्रत्येक टैंक में 35,000 लीटर जल जमा करने की क्षमता है और इसका निर्माण ₹3 लाख की लागत से किया गया है।
    • ज़िले में 2,971 गाँव हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से 'धन्नी' कहा जाता है और संबंधित ग्राम पंचायतें कार्यान्वयन एजेंसियाँ हैं।
  • ज़िले के दूरदराज़ के गाँवों में जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये अन्य उपाय भी अपनाए जा रहे हैं, जैसे– जल जीवन मिशन (JJM) योजना के साथ-साथ इंदिरा गांधी नहर और नर्मदा परियोजना से जल की आपूर्ति।
    • JJM योजना के तहत 4.25 लाख परिवारों तक पहुँचने का लक्ष्य है। इनमें से 1.25 लाख घर पहले ही कवर किये जा चुके हैं।

इंदिरा गांधी नहर

  • यह देश की सबसे लंबी नहर है।
    • यह पंजाब में सतलुज और ब्यास नदियों के संगम से कुछ किलोमीटर नीचे हरिके बैराज से शुरू होती है, लुधियाना से होकर बहती है तथा उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में थार रेगिस्तान में समाप्त होती है।
  • यह नहर उत्तरी और पश्चिमी राजस्थान में पीने तथा सिंचाई का एक स्रोत है।
  • यह राज्य के आठ ज़िलों के 7,500 गाँवों में रहने वाले 1.75 करोड़ लोगों को जल उपलब्ध करवाती है।
  • प्रदूषक तत्त्वों की मौजूदगी के कारण इंदिरा गांधी नहर का जल स्पष्ट रूप से काला हो गया है।
  • प्रदूषण के कारण लोगों में त्वचा रोग, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, अपच और आँखों की रोशनी कम होने जैसी कई स्वास्थ्य जटिलताएँ उत्पन्न हो गई हैं।


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