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उत्तराखंड की नीति घाटी में बढ़ रहा ग्लेशियर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक उल्लेखनीय खोज में वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड की नीति घाटी में तेज़ी से विस्तृत हो रहे ग्लेशियर की पहचान की है।
- "बहु-कालिक उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए मध्य हिमालय में ग्लेशियर वृद्धि की अभिव्यक्तियाँ" शीर्षक वाले अध्ययन में ग्लेशियर के तीव्र विकास को देखने के लिये उपग्रह चित्रों का उपयोग किया गया।
मुख्य बिंदु
- यह नया ग्लेशियर, जो लगभग 10 किलोमीटर लंबा और लगभग 48 वर्ग किलोमीटर में विस्तारित है, भारत-तिब्बत सीमा के समीप, राज्य के सुदूर उत्तरी क्षेत्र में रैंडोल्फ और रेकाना ग्लेशियरों के निकट स्थित है।
- ग्लेशियर में वर्तमान में "उछाल" का अनुभव हो रहा है, अर्थात ग्लेशियर के आकार में अचानक और तीव्र वृद्धि, जो जल विज्ञान संबंधी असंतुलन के कारण हो सकती है।
- ये असंतुलन तब होता है जब पानी बर्फ की परतों में घुस जाता है, जिससे वे कमज़ोर हो जाती हैं और बर्फ नीचे की ओर खिसकने लगती है।
- इस तेजी से बढ़ते ग्लेशियर की खोज से क्षेत्र के पर्यावरण और जलवायु पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा ।
- हिमनदीय उछाल से हिमनदीय झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) का संकट बढ़ सकता है, जो निचले इलाकों के समुदायों और बुनियादी ढाँचे के लिये खतरा उत्पन्न करता है।
- प्रभावी शमन रणनीति विकसित करने के लिये ऐसे ग्लेशियरों की गतिशीलता को समझना महत्त्वपूर्ण है।
- जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, इस क्षेत्र में ग्लेशियरों की गति अप्रत्याशित होती जा रही है, जिसके लिये निरंतर निगरानी और अध्ययन की आवश्यकता है।
- हिमनदीय उछाल से हिमनदीय झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) का संकट बढ़ सकता है, जो निचले इलाकों के समुदायों और बुनियादी ढाँचे के लिये खतरा उत्पन्न करता है।
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