मध्य प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले | मध्य प्रदेश | 07 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के जबलपुर ज़िले में स्वाइन फ्लू के ग्यारह मामले पाए गए हैं।
मुख्य बिंदु
- स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाए गए लोगों में सर्दी, खाँसी और बुखार की शिकायत थी। वे ज़िले के अलग-अलग इलाकों के रहने वाले हैं
- बीमारी को फैलने से रोकने के लिये स्वास्थ्य विभाग की टीमें अलग-अलग इलाकों में जाँच कर रही हैं।
स्वाइन फ्लू
- यह स्वाइन फ्लू वायरस, H1N1 के कारण होता है।
- यह श्वसन तंत्र का संक्रमण है, जिसमें खाँसी, नाक से स्राव, बुखार, भूख न लगना, थकान और सिरदर्द जैसे फ्लू के सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं।
- इसे स्वाइन फ्लू इसलिये कहा जाता है क्योंकि पहले यह उन लोगों में पाया जाता था जो सूअरों के आस-पास रहते थे।
- यह वायरस कम दूरी के हवाई संक्रमण से फैलता है, खासकर भीड़-भाड़ वाली बंद जगहों में। हाथ का संक्रमण और सीधा संपर्क संक्रमण के अन्य संभावित स्रोत हैं।
बांग्लादेश की स्थिति के कारण बिहार के ज़िलों में अलर्ट | बिहार | 07 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पड़ोसी देश बांग्लादेश में अशांति के मद्देनज़र बिहार के कई हिस्सों में अलर्ट जारी किया गया था।
मुख्य बिंदु
- बिहार का कोई भी ज़िला बांग्लादेश की सीमा पर स्थित नहीं है, राज्य नेपाल के साथ एक लंबी और छिद्रपूर्ण सीमा साझा करता है।
- इस सीमा का उपयोग अक्सर अन्य देशों के घुसपैठियों द्वारा भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने के लिये किया जाता है।
- नौकरी में आरक्षण को लेकर सड़कों पर हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश अनिश्चितता की स्थिति में आ गया, जिसके कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा।
बांग्लादेश की स्थिति
- बांग्लादेश में एक बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। व्यापक विरोध और अशांति के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है तथा देश छोड़ दिया।
- जनरल वकर-उज़-ज़मान के नेतृत्व में बांग्लादेशी सेना ने राजनीतिक दलों के समर्थन से एक अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की है
- यह घटनाक्रम बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जिसने प्रधानमंत्री के रूप में हसीना के 15 वर्ष के कार्यकाल को समाप्त कर दिया है और देश के भविष्य की स्थिरता तथा शासन के बारे में सवाल खड़े कर दिये हैं।
NGT ने ठोस अपशिष्ट फेंकने पर ज़ुर्माना लगाया | उत्तर प्रदेश | 07 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने उत्तर प्रदेश के अनाधिकृत क्षेत्रों में अपशिष्ट फैलाने या ठोस अपशिष्ट डालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके उल्लंघन पर 5,000 रुपए से 50,000 रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- न्यायालय के अनुसार, उल्लंघनकर्त्ता को पहली बार में 5,000 रुपए का पर्यावरण मुआवज़ा देना होगा, तथा आगे भी अपशिष्ट फेंकने अथवा ठोस अपशिष्ट डालने की घटनाओं पर 10,000 रुपए का मुआवज़ा देना होगा।
- यदि कोई थोक अपशिष्ट उत्पादक, रियायतग्राही, शहरी स्थानीय निकाय या कोई अन्य व्यक्ति भारी मात्रा में अपशिष्ट फैलाते या डंप करते हुए पकड़ा जाता है, तो पहली बार अपराध करने पर 25,000 रुपए का ज़ुर्माना लगाया जाएगा तथा उसके बाद के किसी भी अपराध के लिये 50,000 रुपए का ज़ुर्माना लगाया जाएगा।
- NGT ने यह आदेश राप्ती नदी के तटबंध पर अपशिष्ट डाले जाने से जल प्रदूषण होने संबंधी याचिका पर पारित किया।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT)
- यह पर्यावरण संरक्षण तथा वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी व शीघ्र निपटान के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है।
- ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलैंड के बाद, भारत राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के गठन के साथ एक समर्पित पर्यावरण न्यायाधिकरण स्थापित करने वाला विश्व का तीसरा देश और पहला विकासशील देश बन गया।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को आवेदनों अथवा अपीलों का अंतिम रूप से निपटान दायर होने के 6 महीने के भीतर करना अनिवार्य है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के पाँच बैठक स्थान हैं, नई दिल्ली इसकी मुख्य बैठक स्थान है तथा भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अन्य चार हैं।
NGT द्वारा उत्तराखंड को वहन क्षमता की ज़िम्मेदारी का खुलासा करने का आदेश | उत्तराखंड | 07 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने उत्तराखंड के पर्यावरण विभाग से दुर्घटना की स्थिति में ज़िम्मेदारी का खुलासा करने को कहा है, क्योंकि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिये तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित करने के लिये कोई वहन क्षमता नहीं है।
मुख्य बिंदु:
- न्यायाधिकरण के अनुसार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के मार्गों पर तीर्थयात्रियों के लिये कोई वहन क्षमता निर्धारित नहीं है तथा उन मार्गों पर तीर्थयात्रियों की संख्या के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है।
- राज्य सरकार के वकील के अनुसार, चारों तीर्थ स्थलों की वहन क्षमता के बारे में रिपोर्ट प्राप्त करने में एक वर्ष का समय लगेगा।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के अनुसार, तीर्थयात्रियों की अनियंत्रित संख्या के कारण दुर्घटना हो सकती है और किसी को इसकी ज़िम्मेदारी लेनी होगी।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी यमुना।
- गंगा नदी के बाद यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी गंगा।
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला।
- समर्पित: भगवान शिव।
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला।
- पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का घर।
- समर्पित: भगवान विष्णु।
- वैष्णवों के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक
छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडर सांस्कृतिक कार्यक्रम | छत्तीसगढ़ | 07 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रायपुर के महंत घासीदास संग्रहालय के मुक्ता काशी मंच पर राज्य स्तरीय ट्रांसजेंडर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यह आयोजन दहेज़ जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ एक सक्रिय पहल थी, जो आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में विशेषकर अविकसित राज्यों में प्रचलित है।
मुख्य बिंदु:
- यह कार्यक्रम संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग तथा छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
- इंद्रधनुषी और छत्तीसगढ़ी थीम पर रैंप पर थिरकते ट्रांस-मॉडल्स के साथ-साथ ट्रांसजेंडर कलाकारों ने राजस्थानी, कथक, ओडिसी तथा लावणी का मिश्रण नृत्य भी प्रस्तुत किया।
- वरिष्ठ समुदाय के सदस्यों ने सभी कलाकारों को नारियल, शॉल और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
ट्रांसजेंडर
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम, 2019 के अनुसार, ट्रांसजेंडर को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जिसकी लिंग पहचान उसके जैविक लिंग से मेल नहीं खाती।
- इसमें अंतर-लिंगीय भिन्नता वाले ट्रांस-व्यक्ति, लिंग-विषम लैंगिक और किन्नर, हिजड़ा, अरावनी तथा जोगता जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले लोग शामिल हैं।
- भारत की 2011 की जनगणना देश की ‘ट्रांस’ आबादी की संख्या को शामिल करने वाली पहली जनगणना थी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 4.8 मिलियन भारतीय ट्रांसजेंडर के रूप में पहचाने जाते हैं।