उत्तर प्रदेश Switch to English
हरित हाइड्रोजन परियोजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने अपनी पाँच-वर्षीय हरित हाइड्रोजन नीति को मंज़ूरी दी, जिसमें वर्ष 2028 के लक्ष्य के लिये पर्याप्त क्षमता को प्रोत्साहित करने हेतु सब्सिडी कार्यक्रम के लिये 50.4 बिलियन रुपए (608 मिलियन अमेरिकी डॉलर) निर्धारित किये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- सफल होने पर, यह नीति भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक पाँच मिलियन टन वार्षिक उत्पादन तक पहुँचने के लक्ष्य का पाँचवाँ हिस्सा पूरा कर लेगी।
- यह नीति निर्बाध जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके बनाए गए ग्रे हाइड्रोजन को बदलने के लिये ज़्यादातर औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसे रसायनों और तेल शोधन में मौजूदा मांग को लक्षित करेगी।
- अब तक, हाइड्रोजन उत्पादन तकनीक गैस पर निर्भर रही है, जिसे ग्रे हाइड्रोजन के रूप में जाना जाता है। ग्रे हाइड्रोजन से ग्रीन हाइड्रोजन में परिवर्तन के लिये अब एक महत्त्वपूर्ण प्रयास चल रहा है।
- यह नीति वर्ष 2028 तक अगले चार वर्षों के भीतर सालाना दस लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की रूपरेखा तैयार करती है।
- जिन उत्पादकों को फास्ट-ट्रैक पर्यावरण अनुमति/परमिटिंग दी जाएगी, वे इंट्रास्टेट ग्रिड का उपयोग करने से जुड़े ट्रांसमिशन शुल्क पर पूर्ण छूट के साथ-साथ विद्युत कर (दस वर्षों के लिये) और स्टांप शुल्क से भी पूर्ण छूट के पात्र होंगे।
- फास्ट ट्रैक परमिटिंग में बेहतर पर्यावरण नीतियों और प्रक्रियाओं का एक सेट शामिल है जो पूरे राष्ट्रमंडल में विकास तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
- राज्य सरकार, राज्य में हरित हाइड्रोजन परियोजनाएँ स्थापित करने वाले राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को प्रति वर्ष एक रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से भूमि पट्टे पर देने का भी प्रस्ताव कर रही है।
- निजी नवीकरणीय हाइड्रोजन निवेशक प्रति वर्ष 15,000 रुपए (USD 181) प्रति एकड़ की भूमि पट्टा दर के लिये पात्र होंगे।
हाइड्रोजन
- स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये हाइड्रोजन पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों में से एक है।
- हाइड्रोजन का प्रकार उसके बनने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है:
- ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा (जैसे- सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
- इसके तहत विद्युत द्वारा जल (H2O) को हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O2) में विभाजित किया जाता है।
- उपोत्पाद: जल, जलवाष्प।
- ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है जहाँ उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
- ग्रे हाइड्रोजन (Grey Hydrogen) प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है जहाँ संबंधित उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
- ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen) प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होती है, जहाँ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है।
- ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा (जैसे- सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
- उपयोग:
- हाइड्रोजन एक ऊर्जा वाहक है, न कि स्रोत और यह ऊर्जा की अधिक मात्रा को वितरित या संग्रहीत कर सकता है।
- इसका उपयोग फ्यूल सेल में विद्युत या ऊर्जा और ऊष्मा उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है।
- वर्तमान में पेट्रोलियम शोधन और उर्वरक उत्पादन में हाइड्रोजन का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, जबकि परिवहन एवं अन्य उपयोगिताएँ इसके लिये उभरते बाज़ार हैं।
- हाइड्रोजन और ईंधन सेल वितरित या संयुक्त ताप तथा शक्ति सहित विविध अनुप्रयोगों में उपयोग के लिये ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं; अतिरिक्त उर्जा; अक्षय ऊर्जा के भंडारण एवं इसे सक्षम करने के लिये सिस्टम; पोर्टेबल विद्युत आदि।
- इनकी उच्च दक्षता और शून्य या लगभग शून्य-उत्सर्जन संचालन के कारण हाइड्रोजन एवं फ्यूल सेलों जैसे कई अनुप्रयोगों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत कौशल प्रशिक्षण
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 'प्रोजेक्ट प्रवीण' के माध्यम से राज्य में 61,000 से अधिक लड़के और लड़कियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया है।
मुख्य बिंदु:
- इस योजना के तहत युवाओं को रोज़गार बाज़ार के लिये तैयार होने के लिये मुफ्त कौशल प्रशिक्षण और नए ज़माने के पाठ्यक्रम प्रदान किये जा रहे हैं।
- यह परियोजना राज्य के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये है।
- छात्र अपने नियमित अध्ययन के साथ-साथ IT क्षेत्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौंदर्य, स्वास्थ्य सेवा, परिधान और लेखांकन जैसे अपने हितों से जुड़े ट्रेडों में दैनिक निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
- 'प्रोजेक्ट प्रवीण' माध्यमिक शिक्षा और उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत संचालित किया जा रहा है।
- इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य राज्य की शिक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम में सुधार करना है।
- प्रोजेक्ट प्रवीण को वर्ष 2022-23 में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था।
- इस अवधि के दौरान, 150 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में 20,582 छात्रों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके अलावा, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को भी इस योजना से जोड़ा गया, जिससे 3,450 छात्राओं को प्रशिक्षण की सुविधा मिली।
- वर्ष 2023-24 के लिये परियोजना के तहत कुल 315 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों को शामिल किया गया है।
- इन संस्थानों के माध्यम से अब तक 61,400 छात्रों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है।
- प्रस्तावित सभी पाठ्यक्रम राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रामाणित और अनुमोदित हैं।
- प्रशिक्षण और मूल्यांकन पूरा होने पर, छात्रों को ऐसे प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाते हैं जिनकी पूरे देश में वैधता होती है।
- प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को स्कूल में ही निजी प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है।
- ये प्रशिक्षक शिक्षकों के प्रशिक्षण (TOT) कार्यक्रम के तहत प्रमाणित हैं और कौशल विकास मिशन के तहत पंजीकृत हैं।
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन (UPSDM)
- यूपी कौशल विकास मिशन की स्थापना 13 सितंबर, 2013 को यूपी सरकार के व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास विभाग के तहत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी के रूप में की गई थी।
- वर्ष 2022 तक 500 मिलियन लोगों को कुशल बनाने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2009 में एक राष्ट्रीय कौशल विकास नीति शुरू की गई थी। राष्ट्रीय योजना के तहत, उत्तर प्रदेश राज्य का लक्ष्य 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 4 मिलियन से अधिक युवाओं को कौशल प्रदान करना है।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने और राज्य के युवाओं को रोज़गारपरक कौशल प्रदान करने के लिये UPSDM की स्थापना की गई है।
- राज्य कौशल विकास नीति का लाभ उठाते हुए सभी कौशल विकास पहलों का समन्वय करना अनिवार्य है।
- इसने कौशल विकास प्रशिक्षण आयोजित करने के लिये सरकारी प्रशिक्षण भागीदारों के अलावा निजी प्रशिक्षण भागीदारों को सूचीबद्ध किया।
राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET)
- NCVET को 5 दिसंबर 2018 को भारत सरकार द्वारा एक नियामक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। यह 1 अगस्त 2020 से पूरी तरह से चालू हो गया है।
- यह मानकों को स्थापित करने, व्यापक नियमों को विकसित करने और व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने के उद्देश्य से एक व्यापक राष्ट्रीय नियामक के रूप में कार्य करता है।
- NCVET का प्राथमिक उद्देश्य मज़बूत उद्योग इंटरफेस सुनिश्चित करना और व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता तथा परिणामों को बढ़ाने वाले प्रभावी नियमों को लागू करना है।
राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (NSDM)
- इसका उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों के संदर्भ में क्षेत्रों और राज्यों में अभिसरण बनाना है।
- इसका उद्देश्य गति और मानकों के साथ बड़े पैमाने पर कौशल हासिल करने के लिये सभी क्षेत्रों में निर्णय लेने में तेज़ी लाना है।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान के सात शहरों में 500 इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जाएँगी
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, राजस्थान के सात शहरों में सार्वजनिक परिवहन के लिये जल्द ही 500 इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जाएँगी, जिसमें वायु प्रदूषण को कम करने, यात्रियों के लिये सुविधा बनाने और ईंधन की खपत को कम करने पर ज़ोर दिया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- बसों का संचालन और रखरखाव स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड के माध्यम से किया जाएगा।
- यह बसें जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, भरतपुर और उदयपुर में चलेंगी।
- सबसे ज़्यादा 300 बसें जयपुर में और उसके बाद 70 बसें जोधपुर में संचालित की जाएँगी।
- इलेक्ट्रिक बसों के माध्यम से सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने से शहरों में नेटवर्क मज़बूत होगा और शहरी जीवन स्तर में सुधार होगा।
- बजटीय घोषणा को बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के लिये पहल के माध्यम से लागू किया जाएगा।
कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड
- कन्वर्जेंस विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के स्वामित्व वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) समूह का एक हरित ऊर्जा केंद्रित उद्यम है।
- यह ऐसे हस्तक्षेपों की प्रस्तुति करता है जो विद्युत, परिवहन, घरेलू उपकरणों जैसे प्रतीत होने वाले स्वतंत्र क्षेत्रों को मिलाकर और सरकारी भागीदारी एवं कार्बन बाज़ारों जैसे अभिनव वित्तपोषण के माध्यम से बड़े पैमाने पर अनुकूलन के लिये मॉडल पेश करके ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में कई समस्याओं को सुलझाते हैं।
एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड
- यह नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC) लिमिटेड, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और पावरग्रिड का एक संयुक्त उद्यम है, इसे ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के कार्यान्वयन की सुविधा के लिये विद्युत मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया था।
- EESL एक सुपर एनर्जी सर्विस कंपनी (ESCO) है जो भारत में 74,000 करोड़ रुपए के अनुमानित ऊर्जा दक्षता बाज़ार को खोलना चाहती है, जिसके परिणामस्वरूप नवीन व्यवसाय और कार्यान्वयन मॉडल के माध्यम से वर्तमान खपत की 20% तक ऊर्जा बचत हो सकती है।
- यह राज्य डिस्कॉम, वित्तीय संस्थानों आदि के क्षमता निर्माण के लिये संसाधन केंद्र के रूप में भी कार्य करता है।
राजस्थान Switch to English
ESIC राजस्थान में उप-क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करेगा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) की स्थायी समिति की 231वीं बैठक में अलवर, राजस्थान में एक उप-क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
मुख्य बिंदु:
- अलवर में एक नए ESI उप-क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना से अलवर, खैरथल-तिजारा, कोथपुतिली-बहरोड़, भरतपुर और डीग ज़िलों में रहने वाले लगभग 12 लाख बीमित श्रमिक एवं ESIC योजना के लाभार्थी लाभान्वित होंगे।
- बैठक के दौरान हारोहल्ली, नरसापुरा, बोम्मासंद्रा (कर्नाटक), मेरठ, बरेली (उत्तर प्रदेश), पीथमपुर (मध्य प्रदेश) और डुबुरी (ओडिशा) में 7 नए ESI अस्पतालों के निर्माण के लिये कुल अनुमानित लागत 1128.21 करोड़ रुपए को भी स्वीकृति दी गई।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम
- भारतीय कर्मचारी राज्य बीमा निगम एक बहुआयामी सामाजिक प्रणाली है जो कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESI) योजना के तहत आने वाले श्रमिक आबादी और तत्काल आश्रित या परिवार को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
- ESI कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 में सन्निहित सामाजिक बीमा का एक एकीकृत उपाय है।
- ESI को कर्मचारियों को रोगों, मातृत्व, दिव्यांगता और रोज़गार की चोट के कारण मृत्यु की घटनाओं के प्रभाव से बचाने एवं बीमित व्यक्तियों व उनके परिवारों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के कार्य को पूरा करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- योजना का कवरेज:
- ESI योजना कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों पर लागू होती है। सड़क परिवहन, होटल, रेस्तरां, सिनेमा, समाचार पत्र, दुकानें और शैक्षिक/चिकित्सा संस्थान जहाँ 10 या अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं।
- हालाँकि कुछ राज्यों में प्रतिष्ठानों के कवरेज की सीमा अभी भी 20 है।
- उपरोक्त श्रेणियों के कारखानों और प्रतिष्ठानों के कर्मचारी, जो प्रति माह 15,000/- रुपए तक वेतन लेते हैं, ESI अधिनियम के तहत सामाजिक सुरक्षा कवर के हकदार हैं।
- हालाँकि ESI कॉर्पोरेशन ने ESI अधिनियम के तहत कर्मचारियों के कवरेज के लिये वेतन सीमा को 15,000/- रुपए से बढ़ाकर 21,000/- रुपए करने का भी निर्णय लिया है।
- ESI कॉरपोरेशन ने 1 अगस्त, 2015 से ESI योजना के तहत कार्यान्वित क्षेत्रों में स्थित निर्माण स्थलों पर तैनात श्रमिकों को ESI योजना का लाभ दिया है।
- ESI योजना ज़िलेवार लागू की गई है।
- अब इसे 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 526 ज़िलों में अधिसूचित किया गया है।
- ESI योजना कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों पर लागू होती है। सड़क परिवहन, होटल, रेस्तरां, सिनेमा, समाचार पत्र, दुकानें और शैक्षिक/चिकित्सा संस्थान जहाँ 10 या अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं।
बिहार Switch to English
प्रधानमंत्री ने बिहार में परियोजनाओं का अनावरण किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले में 12,800 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का अनावरण किया।
मुख्य बिंदु:
- प्रधानमंत्री ने पश्चिम चंपारण के ज़िला मुख्यालय बेतिया में 'विकसित भारत-विकसित बिहार' नामक एक समारोह में परियोजनाओं का अनावरण किया।
- उन्होंने आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया:
- रेल, सड़क, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से संबंधित कई बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ।
- पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान एवं देवरिया में शहरी गैस वितरण परियोजना तथा सुगौली एवं लौरिया में अनाज आधारित इथेनॉल सुविधाएँ।
- पटना में दीघा-सोनेपुर रेल-सह-सड़क पुल के समानांतर गंगा नदी पर छह-लेन केबल पुल का निर्माण और NH-19 बाईपास के बाकरपुर हाट-मानिकपुर खंड को चार लेन का बनाना।
- 96 किमी लंबी गोरखपुर कैंट वाल्मिकी नगर रेल लाइन का दोहरीकरण और विद्युतीकरण तथा बेतिया स्टेशन का पुनर्विकास।
- उन्होंने उद्घाटन किया:
- राष्ट्रीय राजमार्ग-28A के पिपराकोठी-मोतिहारी-रक्सौल खंड को दो लेन का और NH-104 के शिवहर-सीतामढ़ी खंड को दो लेन का बनाया जाएगा।
- 109 किलोमीटर लंबी इंडियन ऑयल की मुज़फ्फरपुर-मोतिहारी LPG पाइपलाइन जो राज्य और नेपाल में स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुँच प्रदान करेगी।
- मोतिहारी में इंडियन ऑयल का LPG बॉटलिंग प्लांट और स्टोरेज टर्मिनल।
- बापूधाम मोतिहारी से पिपराहां तक 62 किमी लंबी लाइन और नरकटियागंज-गौनाहा खंड का आमान परिवर्तन।
- उन्होंने नरकटियागंज-गौनाहा और रक्सौल-जोगबनी सेक्शन के लिये दो ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश के रतलाम के रियावन लहसुन को जीआई टैग प्राप्त हुआ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रतलाम ज़िले की जावरा तहसील के रियावन गाँव के स्वादिष्ट लहसुन को भौगोलिक संकेत (GI) टैग से सम्मानित किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- रियावन लहसुन के लिये जीआई पंजीकरण प्रक्रिया जनवरी 2022 में चेन्नई में किसान उत्पादक संगठन (FPO) रियावान फार्म फ्रेश प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा शुरू की गई थी।
- रियावान लहसुन अपनी अनूठी गुणवत्ता और उच्च उपज के लिये प्रसिद्ध है, जिसके प्रत्येक बल्ब में पाँच से छह कलियाँ होती हैं। अपने तीखे स्वाद के लिये जानी जाने वाली लहसुन की इस किस्म में अन्य की तुलना में तेल की मात्रा भी अधिक होती है।
- GI टैग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में नए अवसर खोलता है, जो रतलाम के लहसुन को ज़िला उत्पाद के रूप में बढ़ावा देने के राज्य सरकार के प्रयासों का पूरक है।
- लहसुन की किस्म रियावान सिल्वर गार्लिक के नाम से देश में पहले से ही काफी मांग में है।
- पिपलौदा तहसील के रियावन गाँव में दो दशकों से पारंपरिक तरीकों से लहसुन की खेती की जा रही है.
- सफेद पर्दे, कली के आकार और औषधीय मूल्य जैसे अद्वितीय गुणों के कारण, रियावान ने बीज विकास के लिये अग्रणी गाँव के रूप में ख्याति अर्जित की है। इसकी उच्च भंडारण क्षमता दीर्घकालिक संरक्षण की अनुमति देती है।
भौगोलिक संकेतक (GI) टैग
- भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
- एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा की जाती है।
- विधिक ढाँचा तथा दायित्व:
- वस्तुओं का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण तथा बेहतर संरक्षण प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर WTO समझौते द्वारा विनियमित एवं निर्देशित है।
- इसके अतिरिक्त बौद्धिक संपदा के अभिन्न घटकों के रूप में औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के महत्त्व को पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1(2) एवं 10 में स्वीकार किया गया, साथ ही इस पर अधिक बल दिया गया है।
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