उत्तर प्रदेश Switch to English
अयोध्या बना आदर्श सौर नगर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश ने अयोध्या में सौर ऊर्जा संयंत्र के माध्यम से 40 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता हासिल की है।
जिसके कारण अयोध्या को उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति 2022 के अंतर्गत आदर्श सौर नगर का प्रतिष्ठित पदनाम प्राप्त हुआ।
मुख्य बिंदु
- इस नीति के अनुसार, सौर शहर को ऐसे शहर के रूप में परिभाषित किया गया है जहाँ नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र पारंपरिक ऊर्जा की अनुमानित कुल मांग को कम-से-कम 10% तक कम कर सकते हैं।
- अयोध्या ने आवश्यक क्षमता से दोगुनी क्षमता हासिल कर इस मानक को पार कर लिया है।
- यह संयंत्र राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (National Thermal Power Corporation- NTPC) ग्रीन एनर्जी लिमिटेड द्वारा माझा रामपुर हलवारा और माझा सरायरासी गाँवों में सरयू नदी के पास स्थापित किया गया था।
- राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना स्थापित करने के लिये NTPC ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को 165.10 एकड़ भूमि 1 रुपए प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्षों के लिये पट्टे पर दी है।
- यह संयंत्र उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा 25 वर्षों के लिये लागत-प्लस-निर्धारित टैरिफ पर खरीदा जाएगा, जिससे अयोध्या को एक आदर्श सौर शहर घोषित किया जा सकेगा।
सरयू नदी
- सरयू एक नदी है जो उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से होकर प्रवाहित होती है।
- इस नदी का प्राचीन महत्त्व है क्योंकि इसका उल्लेख वेदों और रामायण में मिलता है।
- यह नदी करनाली और महाकाली नदियों के संगम पर बनती है। यह गंगा नदी की एक सहायक नदी है।
- भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले रामनवमी के त्योहार पर हज़ारों लोग अयोध्या में सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL)
- 14 जनवरी, 2000 को यूपी में विद्युत क्षेत्र के सुधारों और पुनर्गठन के परिणामस्वरूप स्थापित किया गया, जो विद्युत क्षेत्र का केंद्र बिंदु है जो विद्युत के संचारण, वितरण तथा आपूर्ति के माध्यम से क्षेत्र की योजना एवं प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह पेशेवर रूप से प्रबंधित उपयोगिता है जो राज्य के प्रत्येक नागरिक को विश्वसनीय और लागत कुशल विद्युत की आपूर्ति करती है।
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उत्तर प्रदेश को नए मेडिकल कॉलेजों की अनुमति मिली
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने उत्तर प्रदेश में सात नए मेडिकल कॉलेजों को अनुमति दी और दो मौजूदा कॉलेजों में सीटें बढ़ाईं।
मुख्य बिंदु
- बिजनौर, बुलंदशहर, कुशीनगर, पीलीभीत, सुल्तानपुर, कानपुर देहात और ललितपुर में स्वायत्त राज्य मेडिकल कॉलेजों के लिये कुल मिलाकर 600 MBBS सीटों की अनुमति जारी की गई है।
- इसके अतिरिक्त, आगरा और मेरठ के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में क्रमशः 72 तथा 50 की वृद्धि की गई है, जिससे आगरा मेडिकल कॉलेज में कुल सीटें 200 एवं मेरठ मेडिकल कॉलेज में 150 हो गई हैं।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission- NMC)
- NMC भारत में चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास के लिये सर्वोच्च नियामक निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2020 में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India- MCI) के स्थान पर की गई थी।
- इसमें चार स्वायत्त बोर्ड शामिल हैं: स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्ड, चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड तथा नैतिकता एवं चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड।
- NMC के पास एक चिकित्सा सलाहकार परिषद भी है, जो चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस से संबंधित मामलों पर आयोग को सलाह देती है।
- NMC प्रमुख स्क्रीनिंग परीक्षाओं जैसे कि NEET-UG, NEET-PG और FMGE के संचालन एवं देख-रेख के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण के मानकों एवं गुणवत्ता, चिकित्सकों के पंजीकरण तथा नैतिकता एवं चिकित्सा संस्थानों के मूल्यांकन व रेटिंग को भी नियंत्रित करता है।
- NMC ने प्रतिष्ठित विश्व चिकित्सा शिक्षा महासंघ (World Federation for Medical Education- WFME) मान्यता भी प्राप्त की है, जिसका अर्थ है कि एनएमसी द्वारा प्रदान की गई चिकित्सा डिग्रियों को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
- WFME की स्थापना वर्ष 1972 में विश्व चिकित्सा संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य संगठनों द्वारा की गई थी।
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