नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 16 जनवरी से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Dec 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
मध्य प्रदेश Switch to English

भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल

चर्चा में क्यों?

भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक बाद भी, सरकारी अधिकारी, अनेक अदालती आदेशों और चेतावनियों के बावजूद, यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के परिसर में मौजूद सैकड़ों टन ज़हरीले अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान करने में विफल रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • ऐतिहासिक संदर्भ और निपटान चुनौतियाँ:
    • भोपाल गैस त्रासदी इतिहास की सबसे भयंकर औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी, जो 2-3 दिसंबर 1984 की रात को मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के कीटनाशक संयंत्र में घटित हुई थी।
      • इससे लोगों और जानवरों को अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) के संपर्क में लाया गया, जिससे तत्काल और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और मौतें हुईं।
    • वर्ष 1969 और 1984 के बीच कीटनाशक उत्पादन के दौरान उत्पन्न विषाक्त अपशिष्ट को साइट पर ही फेंक दिया गया, जिससे खतरनाक प्रथाओं और नियामक लापरवाही के कारण संदूषण और भी खराब हो गया।
    • वर्ष 2005 में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपशिष्ट एकत्र किया, जिसका एक भाग जला दिया गया तथा 337 मीट्रिक टन अपशिष्ट को एक शेड में संग्रहित किया गया। 
  • सरकारी वित्तपोषण और विषाक्त अपशिष्ट निपटान:
    • केंद्र सरकार ने 2005 से यूनियन कार्बाइड परिसर में संग्रहीत 337 मीट्रिक टन विषाक्त अपशिष्ट के निपटान के लिये मध्य प्रदेश सरकार को 126 करोड़ रुपए जारी किये।
    • 2010 के एक अध्ययन से पता चला कि इस स्थल पर 11 लाख टन दूषित मृदा, एक टन पारा और लगभग 150 टन भूमिगत अपशिष्ट मौजूद है तथा इस अपशिष्ट के निपटान की अभी तक कोई योजना नहीं बनाई गई है।
      • रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2005 में अपशिष्ट का संग्रहण अधूरा था तथा सुधार के लिये दफनाए गए विषाक्त अपशिष्ट की खुदाई की अनुशंसा की गई।
    • प्रशासनिक बाधाओं के कारण 337 मीट्रिक टन अपशिष्ट का निपटान अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
  • भूजल प्रदूषण:
    • अध्ययनों से पता चला है कि फैक्ट्री के निकट के रिहायशी इलाकों में भूजल भारी धातुओं और जहरीले पदार्थों से दूषित है, जिससे कैंसर और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञ बरसात के मौसम में और अधिक प्रदूषण की चेतावनी देते हैं।
      • सरकार ने हैंडपंप और ट्यूबवेल को सील कर दिया है और फैक्ट्री के आस-पास के 42 इलाकों में सुरक्षित पेयजल का वितरण बढ़ा दिया है। हालाँकि, निवासी गैर-पीने के उद्देश्यों के लिये दूषित पानी का उपयोग करना जारी रखते हैं।
    • इन उपायों के बावजूद, भूजल प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिससे गैस त्रासदी के 40 वर्ष बाद भी नए पीड़ित सामने आ रहे हैं। 
      • स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों में विषाक्त पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क के कारण होने वाली गंभीर बीमारियाँ शामिल हैं।
  • न्यायिक और नियामक निरीक्षण:
    • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की तथा जल निकायों को प्रदूषित करने में रिसाव की भूमिका पर जोर दिया। 
      • मार्च 2022 में छह महीने के भीतर अपशिष्ट निपटान का आदेश दिया गया था, लेकिन निर्देश अभी तक लागू नहीं हुआ है।
    • भूजल प्रदूषण की शिकायतों के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य को सुरक्षित जल तक पहुँच बढ़ाने और प्रदूषण की समस्या से निपटने का निर्देश दिया।

Bhopal Gas Tragedy


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2