मध्य प्रदेश Switch to English
क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये नई उड़ान शेड्यूल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये हवाई सेवा मार्गों का विस्तार किया और PM श्री पर्यटन हवाई सेवा के लिये नई उड़ान शेड्यूल की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- इस योजना का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और हवाई संपर्क में सुधार करना है। इस योजना की शुरुआत 1 अगस्त, 2024 से होगी।
- यह सेवा अब खजुराहो को भोपाल, ग्वालियर, रीवा और सिंगरौली से जोड़ने वाले क्लस्टर मार्गों को शामिल करेगी।
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भोपाल और जबलपुर से उज्जैन के लिये उड़ानें रविवार को होंगी, जबकि खजुराहो के लिये सेवाएँ बुधवार, गुरुवार एवं शनिवार को संचालित होंगी।
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राज्य को पाँच क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है- ग्वालियर और चंबल, बघेलखंड क्षेत्र, बुंदेलखंड क्षेत्र, महाकौशल क्षेत्र, मालवा-निमाड़ क्षेत्र एवं नर्मदापुरम।.
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मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार भोपाल में महत्त्वाकांक्षी 39वें IATO (भारतीय टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन) वार्षिक सम्मेलन की मेज़बानी करने जा रही है।
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इस आयोजन में देश भर से टूर ऑपरेटरों, होटल व्यावसायियों और अन्य प्रमुख हितधारकों सहित 1000 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है, जिससे मध्य प्रदेश में घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
PM श्री पर्यटन हवाई सेवा
- PM श्री पर्यटन हवाई सेवा का उद्घाटन 13 जून, 2024 को किया गया।
- यह एक अंतर-राज्यीय हवाई सेवा है जो मध्य प्रदेश के धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ती है, जिसका उद्देश्य घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिये कनेक्टिविटी में सुधार करना है।
मध्य प्रदेश Switch to English
भोपाल गैस त्रासदी के विषैले अपशिष्ट का निपटान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लगभग 40 वर्ष बाद, यूनियन कार्बाइड संयंत्र से निकले 337 मीट्रिक टन (MT) विषैले अपशिष्ट को जलाने का निर्णय लिया।
मुख्य बिंदु
- केंद्र सरकार ने अपशिष्ट के निपटान के लिये 126 करोड़ रुपए निर्धारित किये हैं।
- इंदौर के पीथमपुर स्थित उपचार भंडारण निपटान सुविधा (TSDF) के भस्मक में निपटान प्रक्रिया 180 दिनों में पूरी होने की उम्मीद है।
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निपटान प्रक्रिया में दूषित स्थल से अपशिष्ट को निपटान स्थल तक ले जाना, उसे अभिकर्मकों के साथ मिश्रित करना और फिर जला देना शामिल है।
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मध्य प्रदेश भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग (BGTRR) निपटान की देख-रेख करेगा।
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चुनौतियाँ एवं चिंताएँ:
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पीथमपुर TSDF में अपशिष्ट को जलाने की योजना को निवासियों के विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण वर्ष 2015 में आगे की योजना को स्थगित कर दिया गया।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की 2021 की रिपोर्ट में फैक्ट्री के उत्तर में स्थित सौर वाष्पीकरण तालाबों (SEP) के सुधार का निर्देश दिया गया था, जो चल रहे पर्यावरणीय प्रदूषण का संकेत देता है।
- सौर वाष्पीकरण तालाबों (SEP) का उपयोग मुख्य रूप से नाइट्रेट की उच्च सांद्रता से संदूषित निम्न-स्तरीय रेडियोधर्मी अपशिष्टों को संग्रहीत करने के लिये किया जाता था।
- साइट के आस-पास के बोरवेल के पानी में भारी धातुओं और अन्य संदूषकों के अंश पाए गए हैं, जो स्वीकार्य सीमा से अधिक हैं।
- गैस त्रासदी के पीड़ितों के पुनर्वास के लिये कार्य कर रहे सामाजिक समूहों ने दहन प्रक्रिया की सुरक्षा के बारे में दावों का खंडन किया है तथा परीक्षण के दौरान डाइऑक्सिन और फ्यूरान के उच्च स्तर का पता चलने का हवाला दिया है।
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भोपाल गैस त्रासदी 1984
- भोपाल गैस त्रासदी इतिहास की सबसे खराब औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी, जो 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल, मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) कीटनाशक संयंत्र में हुई थी।
- इसने लोगों और जानवरों को अत्यधिक विषैली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) के संपर्क में ला दिया, जिससे तत्काल तथा दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव एवं मौतें हुईं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड के लिये रेड अलर्ट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अत्यधिक भारी वर्षा और संभावित बाढ़ के बढ़ते खतरे के कारण हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों के लिये रेड अलर्ट जारी किया है।
मुख्य बिंदु
- भारी बारिश के कारण जलभराव, भूस्खलन और दैनिक जीवन तथा परिवहन में व्यवधान की चिंता बढ़ गई है।
- अधिकारी इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे मौसम के नवीनतम अपडेट से अवगत रहें और मानसून के तेज़ होने के साथ ही अपने स्वास्थ्य एवं संपत्ति की सुरक्षा के लिये आवश्यक सावधानी बरतें।
कलर-कोडेड मौसम चेतावनी
- यह IMD द्वारा जारी किया जाता है जिसका उद्देश्य गंभीर या खतरनाक मौसम से पहले लोगों को सचेत करना है जिससे नुकसान, व्यापक व्यवधान या जीवन को खतरा होने की संभावना होती है।
- चेतावनियाँ प्रतिदिन अपडेट की जाती हैं.
- IMD 4 रंग कोड का उपयोग करता है:
- हरा (सब ठीक है): कोई सलाह जारी नहीं की गई है।
- पीला (सावधान रहें): पीला रंग कई दिनों तक चलने वाले खराब मौसम को दर्शाता है। यह भी बताता है कि मौसम और भी खराब हो सकता है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है।
- नारंगी/अंबर (तैयार रहें): नारंगी अलर्ट अत्यंत खराब मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिससे सड़क और रेल मार्ग बंद होने से आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होने तथा विद्युत आपूर्ति बाधित होने की संभावना रहती है।
- लाल (कार्रवाई करें): जब अत्यंत खराब मौसम की स्थिति निश्चित रूप से यात्रा और विद्युत बाधित करने वाली हो तथा जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करने वाली हो, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
- ये चेतावनियाँ सार्वभौमिक प्रकृति की होती हैं तथा बाढ़ के दौरान भी जारी की जाती हैं, जो अत्यधिक वर्षा के परिणामस्वरूप भूमि/नदी में जल की मात्रा पर निर्भर करती हैं।
- उदाहरण के लिये, जब किसी नदी का जल ‘सामान्य’ स्तर से ऊपर या ‘चेतावनी’ और ‘खतरे’ के स्तर के बीच होता है, तो यलो अलर्ट जारी किया जाता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
अयोध्या बना आदर्श सौर नगर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश ने अयोध्या में सौर ऊर्जा संयंत्र के माध्यम से 40 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता हासिल की है।
जिसके कारण अयोध्या को उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति 2022 के अंतर्गत आदर्श सौर नगर का प्रतिष्ठित पदनाम प्राप्त हुआ।
मुख्य बिंदु
- इस नीति के अनुसार, सौर शहर को ऐसे शहर के रूप में परिभाषित किया गया है जहाँ नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र पारंपरिक ऊर्जा की अनुमानित कुल मांग को कम-से-कम 10% तक कम कर सकते हैं।
- अयोध्या ने आवश्यक क्षमता से दोगुनी क्षमता हासिल कर इस मानक को पार कर लिया है।
- यह संयंत्र राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (National Thermal Power Corporation- NTPC) ग्रीन एनर्जी लिमिटेड द्वारा माझा रामपुर हलवारा और माझा सरायरासी गाँवों में सरयू नदी के पास स्थापित किया गया था।
- राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना स्थापित करने के लिये NTPC ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को 165.10 एकड़ भूमि 1 रुपए प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्षों के लिये पट्टे पर दी है।
- यह संयंत्र उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा 25 वर्षों के लिये लागत-प्लस-निर्धारित टैरिफ पर खरीदा जाएगा, जिससे अयोध्या को एक आदर्श सौर शहर घोषित किया जा सकेगा।
सरयू नदी
- सरयू एक नदी है जो उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से होकर प्रवाहित होती है।
- इस नदी का प्राचीन महत्त्व है क्योंकि इसका उल्लेख वेदों और रामायण में मिलता है।
- यह नदी करनाली और महाकाली नदियों के संगम पर बनती है। यह गंगा नदी की एक सहायक नदी है।
- भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले रामनवमी के त्योहार पर हज़ारों लोग अयोध्या में सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL)
- 14 जनवरी, 2000 को यूपी में विद्युत क्षेत्र के सुधारों और पुनर्गठन के परिणामस्वरूप स्थापित किया गया, जो विद्युत क्षेत्र का केंद्र बिंदु है जो विद्युत के संचारण, वितरण तथा आपूर्ति के माध्यम से क्षेत्र की योजना एवं प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह पेशेवर रूप से प्रबंधित उपयोगिता है जो राज्य के प्रत्येक नागरिक को विश्वसनीय और लागत कुशल विद्युत की आपूर्ति करती है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश को नए मेडिकल कॉलेजों की अनुमति मिली
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने उत्तर प्रदेश में सात नए मेडिकल कॉलेजों को अनुमति दी और दो मौजूदा कॉलेजों में सीटें बढ़ाईं।
मुख्य बिंदु
- बिजनौर, बुलंदशहर, कुशीनगर, पीलीभीत, सुल्तानपुर, कानपुर देहात और ललितपुर में स्वायत्त राज्य मेडिकल कॉलेजों के लिये कुल मिलाकर 600 MBBS सीटों की अनुमति जारी की गई है।
- इसके अतिरिक्त, आगरा और मेरठ के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में क्रमशः 72 तथा 50 की वृद्धि की गई है, जिससे आगरा मेडिकल कॉलेज में कुल सीटें 200 एवं मेरठ मेडिकल कॉलेज में 150 हो गई हैं।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission- NMC)
- NMC भारत में चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास के लिये सर्वोच्च नियामक निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2020 में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India- MCI) के स्थान पर की गई थी।
- इसमें चार स्वायत्त बोर्ड शामिल हैं: स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्ड, चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड तथा नैतिकता एवं चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड।
- NMC के पास एक चिकित्सा सलाहकार परिषद भी है, जो चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस से संबंधित मामलों पर आयोग को सलाह देती है।
- NMC प्रमुख स्क्रीनिंग परीक्षाओं जैसे कि NEET-UG, NEET-PG और FMGE के संचालन एवं देख-रेख के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण के मानकों एवं गुणवत्ता, चिकित्सकों के पंजीकरण तथा नैतिकता एवं चिकित्सा संस्थानों के मूल्यांकन व रेटिंग को भी नियंत्रित करता है।
- NMC ने प्रतिष्ठित विश्व चिकित्सा शिक्षा महासंघ (World Federation for Medical Education- WFME) मान्यता भी प्राप्त की है, जिसका अर्थ है कि एनएमसी द्वारा प्रदान की गई चिकित्सा डिग्रियों को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
- WFME की स्थापना वर्ष 1972 में विश्व चिकित्सा संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य संगठनों द्वारा की गई थी।
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