राज्य का वित्तीय परिदृश्य | झारखंड | 28 Oct 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड में विधानसभा चुनावों की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं, जिसमें सत्ताधारी और विपक्षी दोनों गठबंधन मतदाताओं का समर्थन प्राप्त करने हेतु आर्थिक योजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- राजस्व सृजन:
- पेंशन योजनाएँ:
- राज्य ने एकीकृत पेंशन योजना का विस्तार किया है, जिसके तहत हाशिये पर स्थित समूहों (दलितों, आदिवासियों और महिलाओं) के लिये पात्रता की आयु 60 वर्ष से घटाकर 50 वर्ष कर दी गई है।
- सरकार केंद्रीय पेंशन निधि में 240.4 करोड़ रुपए जोड़कर यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक लाभार्थी को मासिक 1,000 रुपए प्राप्त हुए।
- प्रतिबद्ध व्यय:
- वित्त वर्ष 24 में झारखंड की राजस्व प्राप्तियों का एक तिहाई से अधिक हिस्सा वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान में चला गया, जिससे विकास परियोजनाओं के लिये राजकोषीय समुत्थानशीलता सीमित हो गई।
- पूँजीगत व्यय केंद्र:
- झारखंड ने पूँजीगत व्यय को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है, जिसका उद्देश्य वित्त वर्ष 2025 में अपने GSDP को 7.89% तक पहुँचाना है, जो कि वित्त वर्ष 2015 के 2.91% की तुलना में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि है।
- राज्य का पूँजीगत व्यय GSDP अनुपात कई राज्यों की तुलना में अधिक है, जो वित्त वर्ष 24 में हाल ही में 7.57% रहा, जो राष्ट्रीय औसत लगभग 4.9% से काफी अधिक है।
- उच्च पूँजीगत व्यय से ऐसी परिसंपत्तियों के सृजन में सहायता मिलती है जो वर्तमान वित्तीय बाधाओं के बावजूद दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं।
- राजकोषीय अधिशेष और ऋण चुनौतियाँ
- झारखंड वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी को छोड़कर अधिकांश वर्षों में राजस्व अधिशेष में रहा है, जिससे राजकोषीय घाटा 2% (वित्त वर्ष 2021 में 5.2% के उच्च स्तर से नीचे) बना रहा।
- ऋण से GSDP अनुपात:
- झारखंड का ऋण से GSDP अनुपात वित्त वर्ष 21 में 36% के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया और वित्त वर्ष 25 के लिये लगभग 27% अनुमानित उच्च स्तर पर बना हुआ है, हालाँकि पिछले अनुमानों को संशोधित कर ऊपर की ओर बढ़ाया गया है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने झारखंड को उच्चतम ऋण से GSDP अनुपात वाले शीर्ष 10 राज्यों में स्थान दिया है, जो दीर्घकालिक ऋण स्थिरता पर चिंताओं को उजागर करता है।
- आर्थिक संकेतक और सामाजिक चुनौतियाँ
- बेरोज़गारी: झारखंड में बेरोज़गारी दर अपेक्षाकृत कम 1.3% (2023-24) है, जो राष्ट्रीय औसत 3.2% से काफी कम है।
- गरीबी का स्तर: झारखंड उच्च बहुआयामी गरीबी का सामना कर रहा है, जहाँ 28% निवासी अभाव का अनुभव कर रहे हैं, जो बिहार (33.7%) के बाद दूसरे स्थान पर है।
- मुद्रा स्फीति:
- समग्र मुद्रास्फीति: वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में घटकर 3.8% हो गई, जो राष्ट्रीय दर 4.6% से कम है।
- खाद्य मुद्रास्फीति: सितंबर में बढ़कर 8.9% हो गई, जो राष्ट्रीय 8.4% से अधिक है, जबकि अप्रैल से सितंबर तक औसत खाद्य मुद्रास्फीति दर 6.7% थी, जो अभी भी राष्ट्रीय प्रवृत्ति से कम है।
- निष्कर्ष: झारखंड विधानसभा चुनाव के समीप आते ही, सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी गठबंधन दोनों ही वित्तीय चुनौतियों, गरीबी और महँगाई के दबावों के संदर्भ में, मतदाताओं को आकर्षित करने हेतु प्रतिस्पर्द्धात्मक सामाजिक कल्याण और आर्थिक योजनाओं में सक्रिय हैं।
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