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डिजिटल जल वितरण प्रणाली
चर्चा में क्यों?
सिंचाई जल की आपूर्ति की सुविधा के लिये राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले में कृषि क्षेत्रों के लिये एक अनूठी डिजिटल जल वितरण प्रणाली शुरू की गई है।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) जयपुर द्वारा विकसित नई प्रणाली किसानों को उनके खेतों तक पहुँचने वाले जल की स्थिति के बारे में जानने में सक्षम बनाएगी और मैन्युअल प्रणाली में अक्सर रिपोर्ट की जाने वाली मानवीय त्रुटि की गुंजाइश को कम करेगी।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म ज़िले के सभी किसानों को जल की उपलब्धता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिये गंग नहर और इंदिरा गांधी नहर से जल वितरित करने में पारदर्शिता बढ़ाएगा।
- जल संसाधन विभाग के अनुसार जल उपयोक्ता संघों के प्रमुख अपने-अपने क्षेत्र के किसानों की जानकारी पोर्टल पर केवल एक बार दर्ज करेंगे। इसके बाद किसानों को सिंचाई बारी की पर्चियाँ स्वत: ऑनलाइन मिल जाएंगी।
- ऑनलाइन 'बाराबंदी' (निश्चित बारी) का विस्तार किया जा सकता है और राज्य के अन्य ज़िलों में भी किसानों के लाभ के लिये एक समान जल वितरण प्रणाली के रूप में कार्यान्वित किया जा सकता है।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC)
- NIC केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों को नेटवर्क बैकबोन और ई-गवर्नेंस सहायता प्रदान करता है।
- NIC राष्ट्रव्यापी अत्याधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) बुनियादी ढाँचे की स्थापना के अलावा शासन के विभिन्न पहलुओं में सरकार के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
- इसने विभिन्न स्तरों पर सरकार का समर्थन करने के लिये बड़ी संख्या में डिजिटल समाधान भी बनाए हैं, जिससे नागरिकों को अंतिम छोर तक सरकारी सेवाओं की डिलीवरी एक वास्तविकता बन गई है।
- यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्त्वावधान में है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
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