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झारखंड में भारत का पहला भेड़िया अभयारण्य
चर्चा में क्यों?
झारखंड के लातेहार ज़िले में स्थित महुआदानर भेड़िया अभयारण्य भारत का पहला और एकमात्र भेड़ियों को समर्पित अभयारण्य है।
मुख्य बिंदु
- अभयारण्य के बारे में:
- यह सरना धर्म का पालन करने वाले जनजातीय समुदायों के निवास वाले क्षेत्र में स्थित है।
- 80% से अधिक स्थानीय आबादी सरना कोड का पालन करती है, जो एक प्रकृति-पूजक धर्म है जिसमें वनों, नदियों और प्राकृतिक तत्त्वों का सम्मान किया जाता है।
- भेड़िया संरक्षण का समर्थन करने वाली पारंपरिक मान्यताएँ:
- एक उल्लेखनीय सांस्कृतिक प्रथा है, जिसमें शीतकाल (नवंबर से फरवरी) के दौरान साल के जंगलों में मौसमी रूप से जाने से बचते है। यह प्रथा साल वृक्ष के पवित्र खिलने के मौसम से मेल खाती है।
- यह सांस्कृतिक प्रथा कम-से-कम मानवीय व्यवधान की अवधि का निर्माण करती है, जो भेड़ियों के महत्त्वपूर्ण प्रजनन और मांद बनाने के मौसम के साथ पूरी तरह से संरेखित होती है।
- वैज्ञानिक अनुसंधान से प्राप्त अंतर्दृष्टि:
- नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन, जिसका शीर्षक था "पारिस्थितिक और सांस्कृतिक कारकों को ध्यान में रखते हुए महुआडानर वुल्फ अभयारण्य के आदिवासी परिदृश्यों में भारतीय ग्रे भेड़ियों द्वारा मांद स्थल का चयन", ने इस बात की जाँच की कि भेड़िये इस अद्वितीय सांस्कृतिक-पारिस्थितिक व्यवस्था में मांद स्थल का चयन कैसे करते हैं।
- शोधकर्त्ताओं ने परिकल्पना की कि भेड़िये शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को अपने मांद के लिये पसंद करेंगे, साथ ही सांस्कृतिक रूप से लगाए गए मानव परिहार क्षेत्रों से भी लाभान्वित होंगे।
- भारतीय भेड़ियों का भविष्य:
- भारतीय भूरे भेड़ियों और अन्य कम ज्ञात मांसाहारी प्रजातियों का भविष्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पारंपरिक ज्ञान के संयोजन पर निर्भर कर सकता है।
- संरक्षण रणनीतियों को महज कानूनी ढाँचे से आगे बढ़कर सांस्कृतिक मूल्यों को शामिल करना होगा, जिन्होंने लंबे समय से पारिस्थितिकी तंत्र को प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रखा है।
इंडियन ग्रे वुल्फ
- भारतीय ग्रे वुल्फ (Canis lupus pallipes) ग्रे वुल्फ की एक उप-प्रजाति है जो दक्षिण-पश्चिम एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है।
- यह छोटे झुंड में रहता है और अन्य भेड़िया उप-प्रजातियों की तुलना में कम मुखर होता है।
- यह मुख्यतः रात्रिचर है, जो शाम से सुबह तक शिकार करता है।
- प्राकृतिक वास: यह भारत की झाड़ियों, घास के मैदानों और अर्द्ध-शुष्क कृषि-पारिस्थितिक तंत्र में एक शीर्ष शिकारी है। गर्म तापमान वाले क्षेत्रों में पनपता है। गर्म तापमान वाले क्षेत्रों में पनपता है।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN: लुप्तप्राय (भारत में संख्या: 2,000 - 3,000)।
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I

