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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रमुख कृषि प्रणालियों को प्रभावित करने में जलवायु तथा कृषि पारिस्थितिकी क्षेत्रों की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    22 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जलवायु एवं कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों के व्यापक प्रभाव को रेखांकित करते हुए एक संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • कृषि फसलों को प्रभावित करने में जलवायु की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
    • कृषि फसलों को प्रभावित करने में कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
    • जलवायु तथा कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों की अंतर्संबंधीय भूमिका का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    जलवायु एवं कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्र विश्व भर में प्रमुख कृषि फसलों के पैटर्न को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तापमान, वर्षा, मृदा संरचना और स्थलाकृति जैसे पर्यावरणीय कारकों के बीच जटिल परस्पर क्रिया उन फसलों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है, जो किसी विशेष क्षेत्र में उत्पन्न हो सकती हैं।

    निकाय:

    कृषि फसलों को प्रभावित करने में जलवायु की भूमिका:

    • तापमान व्यवस्था:
      • इष्टतम विकास के लिये विभिन्न फसलों की अलग-अलग तापमान आवश्यकताएँ होती हैं।
      • उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में चावल, गन्ना और उष्णकटिबंधीय फलों जैसी ऊष्मारोधी फसलों का उत्पादन होता है।
      • समशीतोष्ण क्षेत्र गेहूँ और जौ जैसे अनाजों के लिये उपयुक्त होते हैं, जो शीत तापमान में उगते हैं।
    • वर्षा पैटर्न:
      • वर्षा फसलों के चयन (crop selection) को प्रभावित करती है, पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में जल-गहन (water-intensive) फसलें होती हैं।
      • शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में बाजरा और ज्वार जैसी शुष्क प्रतिरोधी फसलों की आवश्यकता हो सकती है।
    • जलवायु परिवर्तन:
      • मानसून और ऋतु परिवर्तन फसल कैलेंडर को प्रभावित करते हैं।
      • भारत में खरीफ और रबी मौसम विशिष्ट जलवायवीय अवस्थाओं के अनुसार फसलों के अनुकूलन के उदाहरण हैं।

    कृषि फसलों को प्रभावित करने में कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों की भूमिका:

    • मृदा संरचना:
      • भिन्न-भिन्न फसलें अलग-अलग प्रकार की मृदा में उगती हैं।
      • मृदा उर्वरता फसल की पैदावार और गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
    • स्थलाकृति:
      • ऊँचाई तापमान और वायुमंडलीय दाब को प्रभावित करती है, जिससे फसल की किस्में प्रभावित होती हैं।
      • पर्वतीय क्षेत्रों में चुनौतीपूर्ण भू-भाग के कारण अनुकूलित फसलों की आवश्यकता हो सकती है।
    • जैविक कारक:
      • कीट और बीमारियाँ कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं, जो फसलों के चयन एवं प्रबंधन प्रथाओं को प्रभावित करती हैं।
      • पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक कीट नियंत्रण में योगदान देती है।

    जलवायु और कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों की परस्पर अंतःक्रिया:

    • सूक्ष्म जलवायु:
      • किसी क्षेत्र के भीतर स्थानीयकृत जलवायु भिन्नताएँ सूक्ष्म-स्तरीय कृषि निर्णयों को प्रभावित करती हैं।
      • किसान अधिक पैदावार के लिये विशिष्ट सूक्ष्म जलवायु के अनुकूल फसलों का चयन कर सकते हैं।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:
      • जलवायु पैटर्न में बदलाव के कारण फसलों के अनुकूल रणनीति की आवश्यकता होती है।
      • जलवायु संबंधी जोखिमों को कम करने के लिये सतत् कृषि पद्धतियाँ महत्त्वपूर्ण हैं।

    निष्कर्ष:

    जलवायु और कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्र कृषि फसलों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन की मौजूदा चुनौतियों के साथ लचीली और सतत् कृषि पद्धतियों को अपनाना अत्यावश्यक है। वैश्विक खाद्य सुरक्षा और सतत् कृषि के लिये इन कारकों की व्यापक समझ भी आवश्यक है।

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